मुंबई। भारत के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया(एसबीआई) ने क्लर्क कैडर में असिस्टेंट के 5092 पदों के लिए वैकेंसी निकाली है। आवेदन प्रक्रिया 26 मई से शुरू हो चुकी है जो 14 जून तक चलेगी। आवेदन करने के लिए ग्रेजुएट होना आवश्यक है। ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष की परीक्षा दे चुके छात्र भी आवेदन कर सकते हैं।
कुल पदों की संख्या
5092 पद
फीस
सामान्य और ओबीसी वर्ग के लिए फीस 450 रूपये होगी जबकि एसी, एसटी, विकलांग और पूर्व सैनिकों के लिए फीस 100 होगी।
आवेदन प्रक्रिया
आवेदन और फीस जमा कराने की प्रक्रिया 26 मई से शुरू। आवेदन करने और ऑनलाइन फीस जमा कराने की अंतिम तिथि 14 जून है। जबकि ऑफलाइन फीस जमा कराने की प्रक्रिया 28 मई से 17 जून तक चलेगी। आवेदन एसबीआई की वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट एसबीआई डॉट इन से किया जाएगा।
जैसलमेर, 31 मई / अमर शहीद सागरमल गोपा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जैसलमेर विद्यालय में कार्यरत हिन्दी के व्याख्याता एवं साहित्यकार मनोहर महेचा की सेवानिवृत होने के उपरांत स्कूल परिवार की ओर से, विद्यालय प्रांगण में विद्यालय के प्रधानाचार्य बंशीलाल सोनी ने महेचा को चूंदड़ी का साफा पहना कर व माल्यार्पण कर भावभीनी विदाई दी गई। प्रधानाचार्य सोनी ने विद्यालय परिवार की ओर श्री महेचा के दीर्घकालीन अध्यापन कार्य की तहेदिल से प्रशंसा करते हुए उन्हें कर्तव्यनिष्ठ एवं ईमानदार बताया और उनके उज्ज्वल एवं मंगलमय जीवन की ईश्वर से प्रार्थना की। सोनी ने बताया कि महेचा ने 40 साल की सेवा के दौरान हजारों विद्यार्थियों को गुणवत्ता शिक्षा देकर उच्च विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रोत्साहन करते रहे। उन्होंने कहा कि शिक्षण कार्य के समय हमेशा यही कोशिश रही कि सभी बच्चों को शिक्षा देकर समाज का एक सभ्य इंसान बनाए।
विदाई समारोह के अवसर पर पूर्व यु.आई.टी अध्यक्ष उम्मेदसिंह तंवर , पूर्व विधायक किशनसिंह भाटी , नगरपरिषद सभापति अशोक तंवर , प्रधान मूलाराम चौधरी , पूर्व प्रधानाचार्य श्रीवल्लभ पुरोहित , मोहनलाल पुरोहित , सहायक निदेशक सांख्यिकी डाॅ. बृजलाल मीणा , जिला रोजगार अधिकारी भवानीप्रताप चारण , खेल अधिकारी लक्ष्मणसिंह तंवर ,हजूरी समाज के अध्यक्ष प्रेमसिंह भाटी ( नेण सोपारा ) पूर्व अध्यक्ष भैरुसिंह महेचा , सुखदेवसिंह भाटी , समाजसेवी राणसिंह चौधरी ,चम्पालाल पंवार , वरिष्ठ पत्रकार हरदेवसिंह भाटी ,महेन्द्र भाई बाफना ,राजेन्द्रसिंह चौहान , दीनदयाल तंवर , भीमसिंह पंवार के साथ ही ओमपंवार ,श्यामसिंह देवड़ा ,बजरंगसिंह भाटी ,पार्षद गोपालसिंह महेचा और उगमसिंह महेचा एवं श्रीमती मूलीदेवी और रामकंवर देवड़ा तथा युवा साहित्यकार लक्ष्मीनारायण खत्री अन्य विभिन्न शिक्षण संस्थानों से जुड़े व्याख्याता-अध्यापकगण और नगर के समस्त अन्य समाजों के मौजीज लोग उपस्थित थे।
विदाई समारोह के दौरान पूर्व विधायक किशनसिंह भाटी ने महेचा को लोककला ,संस्कृति ,साहित्य ,शिक्षा के प्रति समर्पित व्यक्तित्व बताया। पूर्व युआईटी चेयरमेन उम्मेदसिंह तंवर ने महेचा के साहित्य के क्षेत्र में दिए गए योगदान को प्रेरणादायी बताया और उनके दीर्घायु की मंगलकामना की।
उल्लेखनीय है कि महेचा ने विगत 25 वर्षो से अनवरत जिला स्तर पर आयोजित राष्ट्रीय पर्वो के साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के मरु महोत्सव , जग विख्यात बाबा रामदवेरा मेला ,राजस्थान दिवस ,समय-समय पर जैसलमेर भ्रमण पर पधारे प्रधानमंत्री ,राष्ट्रपति ,प्रदेश के मुख्यमंत्री ,राज्यपाल इत्यादि विषिष्ट महानुभावों के आगमन पर गरिमामय ढंग से उद्घौषणा का कार्य कर अपनी अमिट छाप छोड़ी। -
देवरिया। केन्द्रीय लघु उद्योग मंत्री कलराज मिश्र ने कहा है कि कक्षा आठ पास युवकों को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार के अवसर दिए जाएंगे। साथ ही इन युवकों को पांच से 10 लाख रूपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
मिश्र ने कहा कि जो बच्चे आईटीआई आदि की ट्रेनिंग लेकर बेरोजगार हैं उनके लिए छोटे-छोटे उद्योग लगाकर उन्हें रोजगार की मुख्यधारा से जोड़ने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने देश में विकास तथा सुशासन को एक चुनौती केरूप में स्वीकार किया है।
उन्होंने कहा कि देश की जनता ने अपना बहुमूल्य वोट देकर के न्द्र में बहुमत की सरकार बनाई है। सरकार मंहगाई एवं गरीबी को एक चुनौती के रूप में लेकर कार्य कर रही है और इसके लिए सार्थक प्रयास शुरू किए जाएंगे।
मिश्र ने कहा कि उन्हें जो विभागीय जिम्मेदारी सौंपी गयी है उसका वह पूरी तरह से निर्वहन करेंगे। उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र में 98 प्रतिशत लघु उद्योगों की भागीदारी होती है जबकि दो प्रतिशत भारी उद्योग आते हैं। छोटे छोटे उद्योग स्थापित करके युवकों को स्वावलम्बी बनाकर देश के युवाओं की बेरोजगारी दूर की जा सकती है।
गोरखपुर एवं बस्ती मण्डल की बंन्द पड़ी चीनी मिलों के बारे में उन्होंने कहा कि इसके लिए मंत्रिमण्डल में चर्चा करके इस पर सार्थक पहल सरकार द्वारा की जाएगी। गन्ना कि सानों के बकाये के सवाल पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के लचर रवैये के कारण किसानों का बकाया है तथा इस पर वार्ता करके जल्द से जल्द कारगर उपाय निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं ।
पूर्वाचल में मस्तिष्क ज्वर के बारे में उन्होंने कहा कि इस बीमारी से निजात पाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्घन भी चिन्तित हैं और जल्द ही सार्थक परिणाम निकलने की उम्मीद है।
यूपी सरकार पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि शुरू से ही यहां कानून व्यवस्था की स्थिति संतोषजनक नहीं थी लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद यहां की स्थिति और भी बदतर हो गयी है। बदायूं में दो लड़कियों से बलात्कार के सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की लचर कानून व्यवस्था का नतीजा है कि अब यहां महिलाएं और लडकियां सुरक्षित नहीं हैं। सपा सरकार बदलने के बाद ही यहां बेहतर कानून व्यवस्था हो सकती है। जनता को चाहिए कि यहां परिवर्तन कर सुशासन देने वाली सरकार को लाए। -
बाड़मेर अस्मत बचाने पानी की टंकी पर चढ़ी युवती
बाड़मेर आवारा लड़को का खौफ बाड़मेर के नागरिको को भी सताने लगा हैं। मनचलो की गन्दी मानसिकता से बाड़मेर की युवतियां भी परेशान हैं। ऐसा ही वाकया आज सुबह बाड़मेर शहर में घटा। अलसुबह अहमदाबाद से बाड़मेर आई एक युवती बस से उतरी ,चौराहे से युवती इंदिरा कॉलोनी रवाना हुई तो चौराहे पर खड़े कुछ मनचले आवारा लड़को ने युवती का पीछा करना शुरू किया। सुबह सुनसान समय में युवको द्वारा युवती का पीछा करने के कारन युवती घबरा गयी ,जैसे तैसे वह इंदिरा कॉलोनी तक आई तेजी से वह स्थित पानी की टंकी पर चढ़ गयी ताकि युवको से छुटकारा पा सके। युवकी को टंकी पर देख मोहल्लेवासी माजरा समझ गए मगर तब तक फरार हो गए। पुलिस को सूचना देने पर पुलिस दल मौके पर पहुंचा युवती को सुरक्षित अपने साथ ले गए। पुलिस मनचले युवको का पता लगाने में जुटी हैं।
इंसान में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो वह किसी भी काम को अंजाम तक पहुंचा सकता है कुछ इसी तरह की मिशाल मध्यप्रदेश के बडवानी जिले के निवाली विकासखंड के गुमडिया खुर्द के पर्वत पुरूष ज्ञान सिंह ने पेश की जिन्होंने स्वयं और ग्रामीणों के श््रमदान से पहाड को काटकर तीन किलोमीटर का रास्ता बना दिया। 50 वर्षीय ज्ञान सिंह के भागीरथी प्रयासों के चलते गुमडिया खुर्द के पहाड पर बसे मेल फलिया से गुराडपानी फलिया के पहाडी घुमावदार क्षेत्र में तीन वर्ष के श््रमदान से करीब तीन किलोमीटर की क च्ची सडक निर्मित कर ग्रामीणों ने विभिन्न समस्याओं से मुक्ति पा ली है। बिहार के पर्वत पुरूष दशरथ मांझी की बीमार पत्नि ने 70 किलोमीटरदूर चिकित्सक होने के चलते उपचार न मिलने की वजह से दम तोड़ दिया था। इस पीडा को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 22 वर्ष की अथक मेहनत से पहाड में रास्ता काट कर गंतव्य की दूरी नाम मात्र को कर दी थी।
ज्ञान सिंह की प्रेरणा स्त्रोत उनकी चोट थी। वे बताते हैं कि करीब चार वर्ष पूर्व खेत में काम करने के दौरान उनके पेट में बैल ने सींग मार दी। तब ग्रामीणों ने कोई साधन न होने से उन्हें कपडे की झोली में टांग कर अस्पताल पहुंचाया था। ज्ञान सिंह ने कहा, यही बात मुझे चुभ गई और मैंने निश्चय कर लिया कि पहाड काटकर रास्ता बनाएंगे ताकि वाहन अथवा बैलगाडी इस पर चल सके और किसी बीमार को उनकी तरह परेशानी न हो। वे पारम्परिक औजारों से ग्रामीणों की कौतूहल और अविश्वास भरी नजरों के बीच पहाड़ से रास्ता बनाने में जुट गए। पहले वर्ष वे अकेले ही काम करते रहे बाद में उनकी पत्नि सालूबाई भी उनका साथ देने आ जुटीं।
काम की धीमी गति के चलते कई बार वे हतोत्साहित हुए लेकिन ध्येय प्राप्ति और पत्नि की हिम्मत बढाने के चलते वे अडिग रहे। दूसरे वर्ष कुछ ग्रामीण भी उनकी मदद के लिए आगे आए और उन्होंने काफी लम्बा रास्ता तय कर लिया। इस वर्ष जन अभियान परिषद् के सदस्यों की नजर ज्ञान सिंह के काम पर पड़ी और उन्होंने ग्रामीणों को संगठित कर ढास प्रथा के माध्यम से सड़क बनाने के लिए प्रेरित किया। इसके चलते करीब 70 से 80 ग्रामीण महीने में 10 से 15 दिन श््रमदान करने लगे। ज्ञान सिंह ने बताया कि मेल फलिया की पहाड़ी जहाँ उनका 35 अन्य परिवारों के साथ घर है उस समय गुलजार हो गई जब उनके पुत्र और पुत्री के विवाह में तीन टैंकर पानी ट्रेक्टरों की मदद से पहुँच गया।
परिषद् के जिला समन्वयक विजय शर्मा ने बताया कि इतने लम्बे पहाड़ी मार्ग को निर्मित करने का पूरा श््रेय ज्ञान सिंह को जाता है। परिषद् ने इस वर्ष आदिवासी क्षेत्र में प्रचलित ढास प्रथा का सहारा लेकर सडक निर्माण कराया। हालांकि आम तौर पर इसके तहत एक गाँव के ग्रामीण सम्मिलित होकर किसी एक व्यक्ति के लिए काम कर उसका सहयोग करते हैं। इसमें उसका मकान कुआं बनाने से लेकर खेत की जुताई बोवनी और कटाई अदि कार्य शामिल हैं। उन्होंने बताया कि ज्ञान सिंह और अन्य ग्रामीण अब इस मार्ग को श््रमदान से आठ किलोमीटर दूर नाले तक बढाना चाहते हैं।
गर्व से भरे ज्ञान सिंह के भाई आशाराम ने बताया कि जहाँ पैदल चलना मुश्किल होता था अब वहां दुपहिया वाहन, ट्रैक्टर और जीप आसानी से पहुँच जाते हैं। एक अन्य ग्रामीण कैलाश आर्य ने बताया कि बिना किसी सरकारी मदद के तैयार हुआ मार्ग न केवल रोगियों को आसानी से अस्पताल और बच्चों को स्कूल पहुंचाने में मददगार सिद्ध हो रहा है बल्कि पहाडी के नीचे स्थित खेतों से पहाड पर बने मकानों तक कृषि उपज तथा अन्य वस्तुएं भी लाना ले जाना आसान हो गया है। उल्लेखनीय है कि निवाली विकासखंड के मोजाला ग्राम में भी गतवर्ष ग्रामीणों ने श््रमदान से पहाड काट कर करीब 200 फीट लम्बा मार्ग बनाया था।