सोमवार, 30 सितंबर 2013

वायुसेना दिवस के उपलक्ष में वायुसेना स्टेशन जोधपुर ने मनाया ' भारतीय वायुसेना जागरूकता दिवस



वायुसेना दिवस के उपलक्ष में वायुसेना स्टेशन जोधपुर ने मनाया

' भारतीय वायुसेना जागरूकता दिवस 

81वें वायुसेना दिवस ;08 अक्टूबर 2013द्ध के उपलक्ष में आज जोधपुर सिथत 32 विंग में 'भारतीय वायुसेना जागरूकता दिवस ;'आर्इ ए एफ अवेयरनेस डेद्ध का आयोजन किया गया। इसके तहत आधुनिक हथियारों व उपकरणों का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर आयोजित प्रेस-वार्ता में वायुसेना स्टेशन जोधपुर के वायु अफसर कमाणिडंग एयर कमोडोर बी. साजु ने बताया कि वायुसेना दिवस के उपलक्ष में 12 किमी. लम्बी एक मैराथन का भी आयोजन किया जाएगा जिसमें सेना, सीमा सुरक्षा बल के जवान तथा स्कूल-कालेजों को भी आमंत्रित किया गया है। प्रेस-वार्ता में 32 विंग की सभी यूनिटों के कमान अधिकारी भी उपसिथत थे। एयर कमोडोर साजु ने आगे बताया कि 32 विंग में ए एच एल एमके-ा हैलीकाप्टर भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 31 स्क्वाड्रन 'लायन तथा 32 स्क्वाड्रन 'थण्डरबर्ड गोल्डन जुबली वर्ष मनाने जा रही हैं।

आज विश्व में घोर सामरिक अनिशिचतता छार्इ है और भारत इसके असर से अछूता नहीं है। भारतीय वायुसेना हवार्इ मार्ग प्रशस्त रखने से लेकर आपदा राहत कार्यों और संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षा प्रयासों से लेकर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के कार्यों संबंधी विभिन्न सामरिक भूमिकाओं में शामिल रही है। भारतीय वायुसेना समूचे विश्व में अपने लगभग 9000 हवार्इ योद्धाओं के साथ विभिन्न संयुक्त राष्ट्र शांति सेनाओं का एक अत्यंत सकि्रय घटक रही है। यह ऐसे वैशिवक माहौल में अपनी सामरिक क्षमता की धार पैनी करने के लिए मित्र राष्ट्रों के साथ अनेक हवार्इ अभ्यासों में भी व्यस्त रही है। सैन्य प्रौधोगिकी विकास नर्इ-नर्इ चुनौतियां पेश करता है और राष्ट्रीय हितों को आगे रखते हुए नर्इ और मौजूदा सैन्य क्षमता को सामरिक लाभ की सिथति में लाने का विलक्षण अवसर मुहैया कराता है। अपनी अंतर्निहित प्रकृति के चलते हवार्इ ताकत के पास भरपूर निग्रही सामरिक क्षमता संभावित होती है। आज भारतीय वायुसेना एक संहारक वांतरिक्ष बल बनने के पथ पर बड़ी मज़बूती के साथ कायम है और आधुनिकीकरण तथा सुयोग्य नेतृत्व के बल पर तेजी से बदलती प्रौधोगिकीय वैशिवक चुनौतियों से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है। गतिशीलता और अनुकि्रयात्मकता की अपनी अंतर्निहित विशेषताओं की वजह से भारतीय वायुसेना किसी भी आपदा राहत और मानवीय सहायता के कामों के लिए सकि्रय होने वाले अग्रणी संगठनों में से एक है।

31 स्क्वाड्रन, वायुसेना

31 स्क्वाड्रन जिन्हें 'लायन के नाम से जाना जाता है की स्थापना 01 सितम्बर 1963 को मिस्टीयर विमान के साथ पठानकोट में हुर्इ। पशिचमी क्षेत्र में स्क्वाड्रन ने पठानकोट, हिण्डन- जोधपुर से हलवारा होते हुए पुराने विमान मिग-23 बी एन को विदार्इ देकर जनवरी 2009 में सुखोर्इ-30 एम के आर्इ लड़ाकू विमान से सुसजिजत हुए।

स्क्वाड्रन का ध्येय 'शत्रु छिद्रे प्रहार जिसका अर्थ शकित, संतुलन और वीरता को अंकित करता है। दुश्मन को नष्ट करने के लिए सदैव तत्पर रहता है। स्क्वाड्रन ने कर्इ अभियान तथा आपरेशन में सेवा देकर राष्ट्र तथा भारतीय वायुसेना को अभूतपूर्व सेवाऐं दी हैं।

स्क्वाड्रन वर्तमान में पुणे से जोधपुर में 01 नवम्बर 2011 से स्थापित होकर राजस्थान की वायु रक्षण सीमा की रक्षा कर रहा है। स्क्वाड्रन का सुनहरा इतिहास है। इसे विविध लड़ाकू विमान जैसे - मिस्टीयर, मारूत तथा मिग-23 बी एन को उड़ाने का अनुभव प्राप्त है। वर्तमान में स्क्वाड्रन सुखोर्इ-30 एम के आर्इ से सजिजत है तथा उज्जवल भविष्य का वादा करता है।

'लायर को भारत-पाक युद्ध-1965, भारत-पाक युद्ध-1971 तथा कारगिल लड़ार्इ-1999 में लोहा मनवाने के कारण 1 महावीर चक्र, 5 वीर चक्र, 1 शौर्य चक्र तथा 1 वायुसेना मेडल ;जीद्ध से नवाजा गया। राष्ट्र के प्रति नि:स्वार्थ सेवा करते हुए इसको 8 जनवरी 2011 में राष्ट्रपति स्टैण्डर्ड से भी विभूषित किया गया।

थण्डरबर्ड का इतिहास

नंबर 32 स्क्वाड्रन जो ''थंडरबर्ड के नाम से विख्यात है 15 अक्टूबर 1963 को पंजाब के आदमपुर जिले में असितत्व में आया, इस यूनिट के प्रथम कमान अधिकारी थे विंग कमाण्डर र्इ आर फरनेनिडज और मिस्टीयर विमान इसकी शोभा थे, यूनिट का क्रैस्ट दर्शाता है हिमालय में पाए जाने वाले द्रुत गति से उड़ने वाले पक्षी ''शाहीन को जिसका अर्थ है ''सबका बादशाह। स्क्वाड्रन का ध्येय है - ''महा वैगश्य दृढ़वत यानि गति में तेज और इरादे में दृढ़।

गठित होने के नौ महिनों में ही स्क्वाड्रन पूर्णतया आपरेशनल हो गया और 1965 के भारत-पाक युद्ध में सर्वथा कार्यरत था। मार्च 1965 में आए ''वैम्पायर जहाजों से यूनिट ने पाकिस्तानी फौजों पर कहर ढा दिया। 1971 में सुखोर्इ-7 जहाजों से यूनिट ने अमृतसर बेस से पाकिस्तान के शौरकोट हवार्इ अडडे पर धावा बोला, इस युद्ध में थंडरबर्डस की क्षमता अपूर्व व अवर्णनीय है, अपने उल्लेखनीय कार्यो के लिए स्क्वाड्रन को 1 महावीर चक्र, 1 वीर चक्र बार, 3 वीर चक्र, 3 वायुसेना मेडल और 3 शौर्य चक्र मिला कर कुल 13 अवार्ड मिले।

मर्इ 1979 में थंडरबर्डस ने हिण्डन स्टेशन में डेरा डाला और नर्इ दिल्ली के हवार्इ रक्षण का कार्य निभाने लगे। 1984 में मिग-21 से लैस यूनिट राजस्थान सेक्टर में स्थापित हो गर्इ और दक्षता की अपनी पूर्ववत परम्परा को दृढ़ता से निभाती रही, अपनी कार्यदक्षता के कारण 32 स्क्वाड्रन को 1988-89 में भारतीय वायुसेना का सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू यूनिट का सम्मान प्रदान किया गया। एक बार फिर 2001-2002 में यूनिट दक्षिण पशिचम वायु कमान के सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू यूनिट के अवार्ड से नवाजा गया। कारगिल युद्ध के दौरान स्क्वाड्रन ''हार्इ अलर्ट की सिथति में दुश्मन के हर वार के लिए पूरी तरह तैयार था और लगातार उड़ानों से अपनी सीमा की पहरेदारी करता रहा।

आज 32 स्क्वाड्रन भारतीय वायुसेना के सबसे आधुनिक वायुयान ''मिग-21 बाइसन से पूर्णत: सुसजिजत है जो नवीनतम नेवीगेशन प्रणाली, रेडार सिस्टम, इलेक्ट्रानिक युद्ध प्रणाली से लैस है और किसी भी मौसम में दिन-रात उड़ान भरने में सक्षम है। यह विमान उड़ान के दौरान सुदूर व निकट भेदी मिसाइलें, गाइडेड व अनगाइडेड बम, विभिन्न प्रकार के राकेट व गन भी साथ ले जाने में सक्षम है, इन सब गुणों के कारण यह विमान दुश्मनों को किसी भी दुस्साहस से पहले फिर सोचने पर विवश कर देता है। इस विमान व यूनिट ने विदेशों में भी संयुक्त युद्धाभ्यास के दौरान ख्याति व इज्जत प्राप्त की। इस वायुयान की क्षमता को अमेरिका के जनरल हार्नबर्ग ने इन शब्दों में व्यक्त किया - ''वेक अप काल और ''एन आर्इ ओपनर। 32 स्क्वाड्रन ''थंडरबर्डस हमारी हवार्इ सीमा के रक्षण में निरन्तर कार्यरत है - तेज व अडिग।








दो बाप के जुड़वां बच्चों को दिया जन्म

टेक्सास। ऎसा तो सुना और देखा भी होगा कि एक औरत ने दो जुड़वां बच्चों को जन्म दिया है, लेकिन एक औरत ने सबको आश्चर्य में उस समय डाल दिया जब उसने दो बाप के दो जुड़वा बच्चों को एक साथ जन्म दिया। इसके अलावा ये दोनो जुड़वां बच्चे अलग-अलग नस्ल के थे।
यह दुनिया के लिए आख्श्चर्य वाली इस घटना की हकीकत तब सामने आई जब इन बच्चों को जन्म देने वाली महिला ने सारी बातों का खुलासा किया। लेकिन इसके द्वारा किए खुलासे से भी ऎसा संभव होना कई लोगों के गले नहीं उतरता। लेकिन डॉक्टरों ने इसें सही मानकर ऎसा संभव होना बताया।

दरअसल यह आश्चर्यजनक काम करने वाली महिला का नाम मिया वॉशिंगटन है तथा अमरीका के टेक्सास प्रांत की रहने वाली है। जब इसने दो अलग-अलग बाप के दो जुड़वां बेटों जो कि अलग-अलग नस्ल के थे, को जन्म दिया तब ये नजारा देख उसका पति ही नहीं बल्कि पूरा अस्पताल और जिसने भी यह खबर सुनी वो उसने दांतो तले उंगली दबा ली।

इस घटना के बारे में कोई कुछ नहीं बोल पाया लेकिन जब मिया वॉशिंगटन से पूछा गया तो उसने बताया कि वो पीरियड के बाद के 5 दिनों के भीतर उसके पति के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति के सम्पर्क में भी आई थी जिससे ऎसा हुआ। उसकी इस बात को डॉक्टरों ने भी सही बताते हुए कहा कि ऎसा हो सकता है लेकिन कभी-कभी।

शादी को तरस रही हजारों विधवाएं

क्या आपने कभी शादी के लिए महिलाओं के रैली निकाले जाने के बारे में सुना है। नहीं सुना तो अब सुन लीजिए। नाईजीरिया में आठ हजार विधवा महिलाओं ने रैली निकालकर शादी करने के लिए जमफारा राज्य सरकार से सहायता की मांग की है।
महिलाओं के एक ग्रुप ने गुसाउ शहर में रैली निकालकर राज्य की धार्मिक पुलिस को अपनी याचिका सौंपी। जमफारा राज्य में आंशिक रूप से इस्लामी कानून भी लागू है।

नाईजीरिया में शादी से जुड़ी कई ऎसी परंपराएं हैं जिनमें धन मांगा जाता है। यहां की परंपरा के अनुसार, महिलाओं को शादी में फर्नीचर लाना होता है लेकिन अपने लिए वर की तलाश कर रही कई महिलाएं खर्च वहन नहीं कर सकतीं। इसलिए इन्होंने रैली निकाकर सरकार से मदद मांगी है।

रैली में भाग लेने वाली महिलाओं का कहना है कि हममें से कई महिलाओं के लिए दो समय का खाना जुटाना भी मुश्किल है। हमें सहारा देने वाला कोई पुरूष नहीं है। ऎसे में हम इतना धन कहां से लाएं। इन महिलाओं की मांग पर जमफारा राज्य सरकार ने मांग पर विचार करने की बात कही है।

छिंदवाड़ा छात्रावास में चलता था सेक्स रैकेट!

छिंदवाड़ा छात्रावास में चलता था सेक्स रैकेट!

जयपुर। छात्रा के यौन शोषण के मामले में गिरफ्तार वार्डन शिल्पी ने आसाराम और उसके करीबी लोगों के बारे में कई सनसनीखेज राज उगले हैं। वार्डन शिल्पी ने पुलिस की पूछताछ में कबूला कि आसाराम के छिंदवाड़ा छात्रावास में एक तरह से "सेक्स रैकेट" चलता था। छिंदवाड़ा छात्रावास से नाबालिग छात्राओं को आसाराम और उसके करीब लोगों के पास भेजा जाता था।

आसाराम और उसके आश्रम से जुड़े नामी-गिरामी लोगों के पास जाने के लिए शिल्पी ही छात्राओं को ब्रेन वॉश करती थी। जोधपुर कमिश्नरेट शिल्पी के बयानों की तस्दीक करने में जुटी हुई है। हालांकि पुलिस का कहना है कि छात्राओं के यौन शोषण के मामले में अन्य किसी पीडिता ने अभी कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई है।

पुलिस का कहना है कि अन्य पीडिताओं की शिकायत मिलने पर आसाराम के करीबी लोगों को भी गिरफ्तार करने की कार्रवाई की जाएगी। जोधपुर कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ का कहना है कि पूछताछ में वार्डन शिल्पी ने कई चौंकाने वाली जानकारियां दी हैं। बयान की तस्दीक करवाई जा रही है। पुलिस छिंदवाड़ा छात्रावास की अन्य पीडिताओं से भी संपर्क करने का प्रयास कर रही है।

हवाई जहाज से भेजते थे छात्राएं
वार्डन शिल्पी ने बताया है कि छिंदवाड़ा छात्रावास से प्रत्येक सप्ताह आसाराम और उसके करीब लोगों के पास छात्राओं को भेजा जाता था। इनके आने-जाने के भाड़े का खर्चा भी आश्रम प्रशासन ही देता था। छात्रावास से छात्राओं को हवाई यात्रा से भी ठिकानों तक भेजा जाता था।

एक टीम भेजी छिंदवाड़ा
जोधपुर पुलिस कमिश्नर जोसफ ने बताया कि शिल्पी के बयान के आधार पर एक टीम को जांच के लिए मध्यप्रदेश स्थित छिंदवाड़ा छात्रावास में भेजा गया है।

30 साल बाद मिले बचपन के बिछड़े भाई-बहन



अमेरिका में एक दूसरे से बिछड़े भाई-बहन का 30 साल बाद आखिरकार मिलन हो ही गया. आपको बता दें कि दोनों एक ही राज्‍य की नेवी के लिए काम कर रहे थे, लेकिन इस बात से अनजान थे कि वे बचन के बिछड़े हुए भाई-बहन हैं.

कमांडर सिंडे मुरे और उनके भाई चीफ एविएशन ऑर्डनेंसमैन रॉबर्ट विलियमसन 1970 में तब बिछड़ गए थे जब उनके माता-पिता ने अलग होने का फैसला ले लिया.

मूल रूप से डेनवेर के रहने वाले दोनों भाई-बहनों की परवरिश अलग-अलग हुई. लेकिन 30 साल बाद जब वे मिले तो उन्‍हें पता चला कि वे दोनों कैलिफोर्निया की नेवी के के लिए काम कर रहे थे.




दरअसल, शुक्रवार को सैन डियागो में नेवी के एक मेडिकल सेंटर में उनका मिलन हो गया. विलियमसन केवल 6 साल के थे जब उन्‍होंने आखिरी बार अपनी बहन को देखा था. जब उनके माता-पिता अलग हुए तो विलियमसन अपने पिता के साथ चले गए, जबकि 14 साल की मुरे अपनी मां के साथ रहने लगीं.

दोनों ने एक-दूसरे को ढूंढने की बहुत केाशिश की, लेकिन उन्‍हें सफलता नहीं मिली. दो महीने पहले मुरे ने अपने पिता को फोन किया तो उन्‍हें पता चला कि उनका भाई नेवी में चीफ है.



मुरे ने अपने भाई का नाम नेवी अधिकारियों को दिया और 15 मिनट के अंदर दोनों की फोन पर बात हो गई. इसके बाद वे अकसर ही एक-दूसरे से बात करने लगे और आखिरकार शुक्रवार को उनकी मुलाकात भी हो गई.