गुरुवार, 31 जनवरी 2013

ओम बन्ना की यह बुल्लेट मोटरसाइकिल 25 साल से नहीं होने देती दुर्घटना







ओम बन्ना की यह बुल्लेट मोटरसाइकिल 25 साल से नहीं होने देती दुर्घटना 
ओम बन्ना, राजस्थान के मारवाड़ इलाके में कम ही लोग हैं जो इस नाम से परिचित न हों। ओम बन्ना उर्फ ओम सिंह राठौड़। लोग उन्हें उनकी बुलेट मोटरसाइकिल की वजह से जानते हैं और वो भी मौत के बाद। ये बात जितनी हैरतअंगेज है उतनी ही सच भी। पाली से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर एक मोड़ है, जहां पर लगातार दुर्घटनाएं होती थीं। पिता हमेशा नसीहत देकर अपने जवान बेटे को भेजते थे और पत्नी शुभकामनाएं देकर। क्योंकि यह मोड़ उनके रास्ते का हिस्सा था और हर रोज उन्हीं यहीं से अपनी बाइक से आना होता था। उनकी पसंदीदा बुलेट। जो उनकी दोस्त भी थी और हमसफर भी। ओम बन्ना को खुद से ज्यादा भरोसा अपनी बुलेट पर था।1988 में हर रोज की तरह अपना काम खत्म कर देर शाम ओम बन्ना पाली से अपने गांव चोटिला की ओर लौट रहे थे। इस दौरान उन्हें सड़क पर कोई आकृति नजर आई और उन्होंने उसे बचाने के लिए अपनी बाइक घुमा ली। बाइक सीधी एक ट्रक में जा घुसी, भिड़ंत इतनी जबरदस्त थी कि मौके पर ही उनकी मौत हो गई। दुर्घटनाएं इस जगह पर आम थी और अकसर लोगों की मौत भी हो जाती थी। कुछ लोगों ने तो इस जगह को शापित तक करार दे दिया था। पुलिस यहां से उनका शव और बाइक थाने ले गई।परिवार को जवान बेटे की मौत की सूचना दी गई। कोई यकीन नहीं कर पा रहा था कि इतना नेकदिल युवक कम उम्र में चल बसा। परिवार बेटे का शव लेकर घर पहुंचा और अंतिम क्रियाकर्म की तैयारी ही कर रहा था कि थाने से कुछ पुलिसवाले पहुंचे और कहा कि आप लोग थाने से बाइक भी उठा लाए क्या? परिवार ने अनभिज्ञता जाहिर की। उन्हें तो अपने बेटे की फिक्र थी, वहां पर बाइक के बारे में कौन सोचता। पुलिसकर्मी भी हैरान हो गए कि बाइक कहां गई। तभी किसी ने सूचना दी कि बाइक तो वहीं है जहां कल रात एक्सीडेंट हुआ था। लोग हैरान रह गए। आखिर बाइक वहां कैसे हो सकती है। कुछ देर पहले ही तो थाने लाए थे, कोई लेकर भी नहीं गया।पुलिसकर्मी फिर दुर्घटनास्थल पर गए तो बाइक वहीं थी। बुलेट को एक बार फिर थाने ले जाया गया लेकिन अगली सुबह बुलेट फिर थाने से गायब और उसी दुर्घटनास्थल पर। पुलिस हैरान थी, परिवार उनसे भी ज्यादा। इस बार पुलिसकर्मियों ने परिवार के लोगों से कहा कि क्यों ने बाइक को घर पर खड़ा कर दिया जाए शायद फिर ऐसा न हो। बुलेट को घर ले आया गया लेकिन अगली ही सुबह बुलेट उसी जगह पहुंच गई जहां एक्सिडेंट हुआ था।बाइक न सिर्फ उसी हाइवे पर पहुंची बल्कि उस रात कुछ और दुर्घटनाएं होने से बच गई। अगली सुबह ट्रक चालकों ने बताया कि एक दो बार उन्हें भी उसी मोड़ पर आभास हुआ कि कोई है और वो ट्रक को सड़क से उतारते या किसी ओर तरफ मोड़ते, उससे पहले ही उन्हें बाइक की रोशनी में दिखा कि सड़क साफ है और वहां कुछ नहीं। वे आराम से सड़क से गुजर गए। वो बाइक उसी खूनी मोड़ के आसपास अकसर देखी जाने लगी और एक्सीडेंट्स होने बंद हो गए।लोगों में ओम बन्ना की इस बाइक के प्रति अथाह आस्था जागी और भरोसा हो गया कि वे इस इलाके के रक्षक हो गए हैं। हर रात वे इस खूनी मोड़ के आसपास रहते हैं और यहां होने वाले दुर्घटनाओं को रोक देते हैं। तब से उनकी स्मृति में इसी बाइक को यहीं हाइवे पर खड़ा कर दिया गया है और पिछले 25 साल से यह बाइक यहां सड़क से गुजरने वालों की रक्षा करती है। यहां से गुजरने वाले सभी वाहन चालक उन्हें धोक देकर (मत्था टेककर) निकलते हैं, इसी विश्वास के साथ कि ओम बन्ना उनकी रक्षा कर रहे हैं।अब तो बाकायदा यहां पर उनका मंदिर बना दिया गया है, जहां पर उनकी बुलेट मोटर साईकिल की पूजा होती है। और बाकायदा लोग उस मोटर साईकिल से भी मन्नत मांगते है और हां इस चमत्कारी मोटर साईकिल ने आज से 25 साल पहले सिर्फ स्थानीय लोगों को ही नहीं बल्कि पुलिस वालों को भी चमत्कार दिखा आश्चर्यचकित कर दिया था। आज भी इस थाने में नई नियुक्ति पर आने वाला हर पुलिस कर्मी ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले यहां मत्था टेकने जरूर आता है।जोधपुर अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर जोधपुर से पाली जाते वक्त पाली से लगभग 20 किलोमीटर भीड़ से घिरा एक चबूतरा जिस पर ओम बन्ना एक बड़ी सी फोटो लगी है। चबूतरे के पास ही नजर आती है एक फूल मालाओं से लदी बुलेट मोटर साईकिल। यह "ओम बन्ना " का स्थान है। ओम बन्ना ( ओम सिंह राठौड़ ) पाली शहर के पास ही स्थित चोटिला गांव के ठाकुर जोग सिंह राठौड़ के पुत्र थे और इसी स्थान पर अपनी इसी बुलेट मोटर साईकिल से जाते हुए 1988 में एक दुर्घटना में उनका निधन हो गया था। स्थानीय लोगों के अनुसार इस स्थान पर हर रोज कोई न कोई वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाया करता था। जिस पेड़ के पास ओम सिंह राठौड़ की दुर्घटना घटी, उसी जगह पता नहीं कैसे कई वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाते थे।लेकिन जिस दिन से ओम बन्ना का निधन हुआ, यहां पर दुर्घटनाएं होनी बंद हो गईं। बार-बार बुलेट के खुद ब खुद दुर्घटनास्थल पर पहुंचने के बाद उनकी पिताजी ने इसे ओम सिंह की मृत आत्मा की इच्छा समझ कर उसे वहीं पेड़ के पास रखवा दिया। इसके बाद रात में वाहन चालकों को ओम सिंह अक्सर वाहनों को दुर्घटना से बचाने के उपाय करते व चालकों को रात्रि में दुर्घटना से सावधान करते दिखाई देने लगे। वे उस दुर्घटना संभावित जगह तक पहुंचने वाले वाहन को जबरदस्ती रोक देते या धीरे कर देते ताकि उनकी तरह कोई और वाहन चालक असामयिक मौत का शिकार न बने। इसके बाद से वहां पर इस तरह की दुर्घटनाएं लगभग बंद ही हो गईं।

नए जमाने की खेती से समृद्धि ला रही हैं हवाकँवर


मरुथल में पसरा हरियाली का पैगाम,  हवाएँ गा रही हैं समृद्धि के गीत
नए जमाने की खेती से समृद्धि ला रही हैं हवाकँवर
डॉदीपक आचार्य
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी,
जैसलमेर


            

मन में कुछ करने का संकल्प हो और सुदृढ़ इच्छा शक्ति से कर्मयोग को साकार करने की भावना हो तो किसी भी तरह बदलाव लाना कोर्इ्रमुश्किल काम नहीं है। मरुस्थलीय जैसलमेर जिले की एक काश्तकार श्रीमती हवाकँवर ने खेती-बाड़ी को जीवन का लक्ष्य मानकर जो कुछ किया है वहअनुकरणीय व सराहनीय है।


इस महिला कृषक ने खेती के क्षेत्र में अपने कर्मयोग को इतना साकार कर दिखाया है कि श्रम से समृद्धि के इस सफर का जयगान मरुभूमि की हवाएँभी करने लगी हैं। कृषि के प्रति उसकी लगन, समर्पण और ज़ज़्बे की कद्र करते हुए प्रगतिशील काश्तकार श्रीमती हवा कँवर को गत वर्ष 18 सितम्बर को जयपुरमें आयोजित राज्यस्तरीय समारोह में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने सम्मानित कर हौसला आफजाही भी की।


जैसलमेर जिले की फतेहगढ़ तहसील अन्तर्गत सम पंचायत समिति की मूलाना ग्राम पंचायत निवासी श्रीमती हवाकँवर राजपूत पत्नी श्री सवाईसिंहकी मूलाना की रोही में बारह हैक्टर बारानी कृषि भूमि है।


खेत का भरपूर उपयोग दे रहा बरकत


ऐसे में जिस साल अच्छी बरसात होती उस वर्ष वह अपने खेत में वर्षा आधारित फसल के रूप में ग्वार की खेती ही कर पाती थी। अच्छी बरसात वालेसाल में दो से तीन क्विंटल प्रति हैक्टर ग्वार की पैदावार होती लेकिन अन्य वर्षों में पर्याप्त बारिश नहीं होने पर अकाल जैसे हालात रहते और इस कृषि भूमि काकोई ख़ास उपयोग नहीं हो पाता था।


कृषि विभाग की बदौलत आजमायी वैज्ञानिक विधियां


इन स्थितियों में अपने खेत का पूरा-पूरा उपयोग करने की दृष्टि से वर्ष 2009-10 में उन्होंने कृषि कूआ बनवाया। इस कूए की सहायता से उन्होंनेसिंचित खेती की शुरूआत की लेकिन सिंचित काश्त का पूरा अनुभव नहीं होने के कारण फसलों का अपेक्षित उत्पादन सामने नहीं आ पाया।


इसके बाद वर्ष 2010-11 में कृषि विभाग से सलाह करके उन्होंने खेती की। इससे उत्साहित होकर अब लगातार कृषि विभाग के सम्पर्क में रहकर खेतीकी उन्नत कृषि विधियां अपना कर खेती का लाभ उठा रही हैं। इसका सीधा फायदा यह हुआ कि अब वे खरीफ और रबी की फसलों की अच्छी पैदावार ले रही है।


उत्पादों को मिला बेहतर विपणन


खेती-बाड़ी की सभी उन्नत और जरूरी विधियों का वे अपने खेत में प्रयोग कर रही हैं। श्रीमती हवा कँवर ने बीज उपचार को अपना मिशन बना रखा हैऔर खेती में वे सभी फसलों की उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीजों, संतुलित ऊर्वरकों आदि का प्रयोग कर रही हैं। फसलों की सुरक्षा के लिये कीट व्याधि का समयपर नियंत्रण किया जा रहा है। अपने खेत में जीरा एवं ईसबगोल के फसलों की अच्छी उपज पाने के लिए वे अपने उत्पादों को ऊँझा मण्डी में बेचती रही हैं।


इनके यहां ग्वार की फसल 4 हैक्टर में हुई जिसकी पैदावार 12 से 14 क्विंटल प्रति हैक्टर पायी। इसके अलावा चार हैक्टर में 28 से 30 क्विंटल प्रतिहैक्टर मूंगफली का उत्पादन भी पाया। इसी प्रकार 3.5 हैक्टर में मूंग की फसल बो कर प्रति हैक्टर 8 से 9 क्विंटल मूंग उत्पादन पाया है। गत बार रबी में इनकेखेत में पांच हैक्टर में जीरा की फसल लेकर 5 से 6 क्विंटल प्रति हैक्टर जीरा पाया। इसी प्रकार चार हैक्टर में ईसबगोल की फसल बोकर प्रति हैक्टर सात से आठक्विंटल ईसबगोल की प्राप्ति की गई। उन्होंने 3.5 हैक्टर में सरसों की फसल बोकर प्रति हैक्टर 12 से 14 क्विंटल सरसों की पैदावार

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ट्रक में घुसी स्लीपर बस,तीन की मौत

ट्रक में घुसी स्लीपर बस,तीन की मौत
जयपुर। जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित शाहपुरा थाना इलाके के लोचूकावास मोड़ के समीप गुरूवार सुबह साढ़े पांच बजे दिल्ली से आ रही एक स्लीपर कोच आगे चल रहे ट्रक में जा घुसी। घटना में तीन यात्रियों की मौत हो गई,जबकि एक दर्जन से अधिक घायल हो गए।

जिन्हें एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जानकारी के अनुसार गुरूवार सुबह आगे चल रहे ट्रक के अचानक रूकने से बस का करीब एक चौथाई हिस्सा ट्रक में घुस गया। पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से बस में फंसे यात्रियों को बाहर निकाला। हादसे में दिल्ली के कृष्णा नगर निवासी राजकुमार गुप्ता ने मौके पर ही दम तोड़ दिया,बद्रीनारायण बुनकर व एक अज्ञात युवक की इलाज के दौरान शाहपुरा अस्पताल में मौत हो गई।

ये हुए घायल
पुलिस के अनुसार घटना में दिल्ली निवासी कासिम(45),सवाई माधोपुर निवासी आसाराम (27),आकाश बैरवा (19),अलीगढ़ निवासी ज्ञानेंद्र (24),पटना निवासी धर्मेद्र (23),मुजफ्फरनगर निवासी सलमा बेगम (52),कोलकाता निवासी मोहम्मद सलीम (57),हरदीप बेगम (55),दिल्ली निवासी नमिता गुप्ता(35),अक्षय गुप्ता (10) घायल हो गए। इन सभी को इलाज के लिए एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

विश्व की सबसे बड़ा पुस्तकालय भादरिया मंदिर में

विश्व की सबसे बड़ा पुस्तकालय  भादरिया मंदिर में 


श्री भादरिया राय मन्दिर स्थान जैसलमेर से करीब ८० की. मी. जोधपुर रोड धोलिया ग्राम से १० की. मी. उतर की तरफ़ हें ! उक्त स्थान के पास एक भादरिया नमक राजपूत रहता था उसका पुरा परिवार आवड़ा माता का भक्त था ! जिसमे उक्त महाशय की पुत्री जिसका नाम बुली बाई था वह मैया की अनन्य भक्त थी ! उसकी भक्ति की चर्चाए सुनकर माड़ प्रदेश के महाराजा साहब पुरे रनिवास सहित उक्त जगह पधारे , बुली बाई से महारानी जी ने साक्षात रूप मे मैया के दर्शन कराने का निवेदन किया ! उक्त तपस्वनी ने मैया का ध्यान लगाया , भक्तो के वस भगवान होते हें ! मैया उसी समय सातो बहने व भाई के साथ सहित पधार गई ! सभी मे गद गद स्वर मे मैया का अभिवादन किया तब रजा ने मैया से निवेदन किया मैया आप सभी परिवार सहित किस जगह विराजमान हें तब मैया ने फ़रमाया मे काले उचे पर्वत पर रहती हू ! इस प्रकार मैया वहा से रावण हो गई , मैया के दर्शन पाने से सभी का जीवन धन्य हुवा ! उसी स्थान पर भक्त भादरिये के नाम से भादरिया राय मन्दिर स्थान महाराजा की प्रेणना से बनाया गया !
उन दिनोँ बिकानेँर व जैसलमेर के बिच एक युध्द हुआ,जो जैसलमेर की विजय पर खत्म हुआँ। जिस पर महारावल गज सिँह जी ने इस मंदिर का निर्माण कराया ।

बाड़मेर शहर में मिला बम का जखीरा

बाड़मेर शहर में मिला बम का जखीरा

बाड़मेर। बाड़मेर शहर में बुधवार को जमीन में दबे बमों का जखीरा मिलने से सनसनी फैल गई। शहर के बॉर्डर होमगार्ड परिसर में एक साथ साठ बम मिलने से होमगार्ड परिसर के आस-पास आबाद मौहल्लों में भय व्याप्त हो गया। सेना विशेषज्ञों के सहयोग से पुलिस ने सभी बमों को सुरक्षित रखवाया है, जिनका संभवत: गुरूवार को निस्तारण होगा।

बॉर्डर होमगार्ड परिसर में मिनी स्टेडियम के निर्माण के दौरान दस दिन पहले खुदाई में छह बम मिले थे, जिनके निस्तारण के लिए सैन्य स्टेशन जसाई से विशेषज्ञों की टीम बुधवार को होमगार्ड मुख्यालय पहुंची। उन्होंने मौका मुआयना करने के दौरान अनुमान लगाया कि जिस स्थान पर छह बम मिले, वहां और भी बम हो सकते हैं। उनका अनुमान सही निकला और खुदाई में बमों का जखीरा मिला। यहां साठ बम मिले, जिसमें अधिकांश बम पर कैप लगी है और बारूद भरा है। सभी बमों पर 1965 का टेग लगा है। संभवत: 1965 के भारत-पाक युद्ध में बम यहीं दबे रह गए। अब तक होमगार्ड परिसर मे मिले बमों की संख्या छियासठ हो गई है। बमों के मिलने की सूचना पर पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट मौके पर पहुंचे। उन्होंने सेना विशेषज्ञों के साथ विचार विमर्श कर आवश्यक कार्रवाई हो अंजाम दिया।

गढढ्े में रखवाए बम
होमगार्ड परिसर व आस-पास आबादी के मद्देनजर सभी बमो को सुरक्षित रखवाया गया। एक बड़ा गढढ्ा खोदकर सभी बम उसमें रखवाए। सेना विशेषज्ञो ने होमगार्ड अधिकारियों व जवानों को दिशा निर्देश दिए। पुलिस अधीक्षक ने चेतक वाहन को गश्त पर रहने के निर्देश दिए।

बर्बाद हो जाता बाड़मेर
बॉर्डर होमगार्ड परिसर के ठीक पास आकाशवाणी केन्द्र है। यहां से 500 मीटर के दायरे में पुलिस लाइन, जेल, कलेक्ट्रेट, कलक्टर-एसपी सहित तमाम अधिकारियों के आवास और आबादी है। बमों का जखीरा यदि फट जाता तो तबाही मच जाती। जानकारों का कहना है कि तबाही का असर करीब ढाई किलोमीटर तक रहता। ऎसे में पूरा बाड़मेर बर्बाद हो जाता।
पूरे परिसर में सर्च करेंगे

साठ बम बुधवार को मिले हैं, जिसमें कई बम जीवित दिखाई दे रहे हैं। सेना विशेषज्ञ गुरूवार को होमगार्ड परिसर में ही बमों का निस्तारण करवाएंगे। सभी बम सुरक्षित रखवाए हैं। पूरे होमगार्ड परिसर में सर्च ऑपरेशन किया जाएगा।

-राहुल बारहट, पुलिस अधीक्षक बाड़मेर