सोमवार, 31 दिसंबर 2012

भुला बैठे हैं नव वर्ष का मर्म, शोर-शराबे में खो गया उल्लास


भुला बैठे हैं नव वर्ष का मर्म,
शोर-शराबे में खो गया उल्लास
                                                          - डॉ. दीपक आचार्य
9413306077
       पुराने वर्ष को अलविदा कह कर नए वर्ष के स्वागत में पलक-पाँवडे बिछाने का क्रम तब से बना हुुआ है जब से वर्ष का आरंभ हुआ होगा। पुराना वर्ष और नया वर्ष यह नियति का खेल है जो हर साल आता है। देशकाल और परिस्थितियों के अनुसार इन्हें मनाने के रंग-ढंग अलग-अलग हैं।
       लेकिन एक बात सभी जगहों के लिए समान रूप से लागू होती है। वह यह है कि संक्रमण की इस वेला को लोग अधीरतापूर्वक लेते हुए अपने आपको हवाले कर देते हैं उस भयंकर शोर-शराबे और क्षणिक आनंद प्राप्ति कराने वाली परिस्थितियों केजिनसे कभी किसी को न तृप्ति मिल पायी है, न कभी हो पाया है आनंद का सच्चा अहसास।
       बल्कि हकीकत यह है कि चरम भोग-विलास की पूर्ति और अतृप्त वासनाओं का यह ओपन थियेटर ही हो जाता है जहाँ से जाने कितने व्यभिचारी मन से नव वर्ष में प्रवेश करते हैं।
      नए संकल्पों के लिए मजबूत बुनियाद जरूरी
       कहाँ तो लोग बुराइयोंव्यसनोंव्यभिचार व अनाचार तथा जीवन के संत्रासों से परे रहने का संकल्प लेने के लिए नव वर्ष के स्वागत को उत्सुक होते हैं और सब कुछ खा-पीकर या दूसरे रास्तों का सहारा लेकर बीते वर्ष को पुरानी यादों के साथ विदा देते हैं। पर संक्रमण के इन चन्द घण्टों में घटित हरकतोंउन्मुक्त पैशाचिक भोग-विलासराक्षसी शोरगुल में रमने के बावजूद जब नए वर्ष में प्रवेश करते हैं तब भी इनके तन-मन से भोगे हुए ये आनंद इनसे दूर नहीं हो पाते या यो कहें कि जिन बाताें को हमेशा के लिए छोड़ देने का संकल्प लेकर ये मौज उड़ाते हैं वे सारी बाते नए वर्ष में फिर उसी तरह स्थापित हो जाती हैं।
       नए वर्ष के नए संकल्पों की हवा दो-चार दिन में ही निकल जाती है और फिर पूरे साल भर जैसे थे वैसे ही बने रहते हैं और ऎसे ही साल पर साल बीतते जाते हैं व ये लोग वैसे ही लक्षणों से भरे रहते हैं जैसे वषार्ें पहले थे।
      कमजोरियाँ त्यागें
       एक बात यह अच्छी तरह समझने की आवश्यकता है कि हम जब भी नए परिवेश में प्रवेश करेंकुछ नया ग्रहण करें और पुराने को धीरे-धीरे छोड़ते जाएं। अच्छी बातों व कामों की बजाय बुरी आदतों व उन चीजों तथा व्यवहारों को तिलांजलि देने की आवश्यकता है जिन्हें हमारे व्यक्तित्व की कमजोरी माना जाता है।
       इसके साथ ही हर नए अवसर पर जीवन निर्माण के लिए जरूरी अच्छी बातों को जीवन में अपनाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। हर वर्ष हमारे जीवन में अच्छाइयों व उन्नयन का प्रभाव नहीं देखा जाए तो हमारा नव वर्ष मनाना और नव वर्ष के नाम पर धींगामस्ती व उल्लास पाने के नाम पर कान फोडू शोर तथा दूसरे आमिष-निरामिष जतन करना बेमानी हैं।
      चित्त की भावभूमि स्वच्छ रखें
       हर नया जीवन तभी सफल हो सकता है जब मन धीर-गंभीरशांत और निर्वात जैसी स्थिति में होचित्त पूरी तरह विकारों से मुक्त व शुद्ध-बुद्ध हो। चिन्त की भाव भूमि एकदम खाली होने पर ही उसमें नवीन संकल्पों का बीजारोपण संभव है और ऎसा होने पर ही नव वर्ष में नवीन संकल्पों का पल्लवन-पुष्पन हो सकता है।
       जो लोग पुराने वर्ष को विदाई देते समय पुरानी बातों को निकाल फेंक कर नववर्ष में इस प्रकार की भाव भूमि तैयार करने का माद्दा रखते हैं उनका पूरा जीवन संकल्पों का साकार स्वरूप लेकर आदर्श व प्रतिष्ठित जीवन के हरे-भरे-सुनहरे पुष्पों वाले उद्यान महका देता है। असल में ऎसे ही लोगों का नव वर्ष मनाना सार्थक है।
      व्यभिचारी मन से नव वर्ष में प्रवेश न करेें
       नव वर्ष में प्रवेश की बुनियाद ही दूषित व व्यभिचारी होगी तब न संकल्प जीवित रह पाते हैं न भीतर का उल्लास। जो कुछ दृश्यमान होता है वह किसी महानगर में ऊँचे स्थान से गिरने वाले प्रदूषित और सडांध भरे सीवरेज प्रपात से बनते रहने वाले बुलबुलों और झाग से कम नहीं है जिसमें बहुधा रोशनी का कोई कतरा रंग बिखेरता दिखने लगता है।
       भोग-विलास के लिए सुरा-सुंदरी और तमाम वस्तुओं का उपयोग करने वाले लोगों का तन-मन सब कुछ इतना दूषित हो जाता है कि श्रेष्ठ संकल्पों के स्थापित होने के लिए चेतन-अवचेतन में कहीं जगह नहीं मिलती। चेतन तो सुप्त रहता है और शरीर पस्त। ऎसे में नव वर्ष के स्वागत की खुमारी दो-चार दिन में उतर जाती हैफिर जैसे थे वैसे ही।
       अतृप्त वासनाओं और भोग-विलास की नींव पर जीवन निर्माण व आदर्श व्यक्तित्व का महल कभी खड़ा नहीं किया जा सकता है। हवाई किले खडे़ करने का आनंद जरूर मिल सकता है।
      विलासी स्वभाव त्यागे बगैर सब निरर्थक
       दुनिया में अच्छे संकल्प लेना और कुछ कर दिखाने का ज़ज़्बा सभी के बस में नहीं होता। जो लोग शाश्वत आनंद के महास्रोत को जान लेते हैं और विलासी स्वभाव को त्यागने का सामथ्र्य रखते हैं वे ही दुनिया में अपना नाम कमाने का सामथ्र्य रखते हैं।
       नए जीवन के लिए नवीन संकल्पों के साथ नव वर्ष में प्रवेश करने के लिए मन और तन को साफ सुथरा व सुविचारों से आलोकित करें तब ही नव वर्ष मनाने का औचित्य है वरना भोग-विलास मात्र के लिए नव वर्ष के स्वागत में जुट कर नए वर्ष की शुचिता को दूषित न करेंइसके लिए वर्ष भर में कोई भी दिन वर्जनीय नहीं है।

गृहमंत्री का फूंका पुतला ..क़ानून बदलने की मांग

दिल्ली गेंग रेप काण्ड का आक्रोश थार में बरकरार


गृहमंत्री का फूंका पुतला ..क़ानून बदलने की मांग


बाड़मेर दिल्ली गेंग रेप की पीडिता की मौत के बाद देश में दुष्कर्म क़ानून में बदलाव की मांग को लेकर थार नगरी बाड़मेर में आक्रोश बरकरार हें ,ग्रुप फॉर पीपुल्स के कार्यकर्ताओ ने आज देश में दुष्कर्म के क़ानून में बदलाव तथा दिल्ली गेंग रेप के आरोपियों को फांसी देने की मांग को लेकर गृह मंत्री सुशिल कुमार शिंदे का पुतला जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर फूंका तथा महिलाओ की सुरक्श की मांग ,आरोपियों को फांसी देने के नारे युवाओ ने लगाये ,तथा राष्ट्रपति के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर अरुण पुरोहित और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक र्नारेन्द्र सिंह को ज्ञापन सौंपा .ग्रुप फॉर पीपुल्स के संयोजक चन्दन सिंह भाटी ने बताया की दिल्ली गेंग रेप मामले में युवाओं में आआक्रोश बरकरार हें ,युवा आरोपियों को फांसी देने तथा दुष्कर्म मामलो में नया क़ानून इज्जाद करने की मांग को लेकर सोमवार शाम पांच बजे जिला कलेक्टर परिसर के बाहर ग्रुप के कार्यकर्ताओ ने नारेबाजी कर गृह मंत्री का पुतला जलाया .इस दौरान हिन्दू सिंह तामलोर ,नितेश दवे ,रमेश सिंह इन्दा ,रेवंत सिंह सोढा ,अशोक सारला दिग्विजय सिंह चुली ,भेराराम सुथार ,दिनेश विश्नोई ,तेजा राम हुडा ,दलपत सिंह परमार सहित कई कार्यकर्ताओ ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की .बाद में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिए गए ,

आखिर रासायनिक तरीके से कैसे बनाया जाता है नपुंसक, जानिए

नई दिल्ली. कांग्रेस चाहती है कि बलात्‍कारियों को रासायनिक प्रक्रिया के जरिए नपुंसक बनाया जाए। इसके तहत पुरुषों को एंटी-एंड्रोजन या फिर गर्भ निरोधक दिया जाता है। इसके लिए विश्वभर में सामान्यतः साइप्रोटेरोन या डेपा प्रोवेरा नाम की दवा दी जाती है।

डॉक्टरों के मुताबिक इस दवा से पुरुष 'बधिया' नहीं होता है बल्कि उसकी सेक्स क्षमता और इच्छा कम हो जाती है। यही नहीं इन दवाइयों का असर तीन माह में ही खत्म भी हो जाता है। यानि एक पुरुष को 'नामर्द' बनाए रखने के लिए हर तीन माह में यह दवा देना जरूरी हो जाता है
आखिर रासायनिक तरीके से कैसे बनाया जाता है नपुंसक, जानिए
बलात्कार के दोषियों के मामलों में इस दवा को हर तीन महीने बाद देना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी हो जाएगी। विधि विशेषज्ञों के मुताबिक रसायनिक बधियाकरण का उद्देश्य बलात्कार के दोषी के मन में जीवनभर के लिए यह विचार बिठाना होता है कि उसने जो किया वो गलत किया। यही नहीं, जीव विज्ञान के विशेषज्ञ मानते हैं कि रासायनिक बधियाकरण फांसी की सजा या आजीवन कारावास से भी खतरनाक सजा है क्योंकि यह दोषी को मानसिक रूप से परेशान कर देता है। रासायनिक रूप से बधिया किए गए लोग हर पल अपने अपराध के अहसास के साथ जीते हैं।

इस तरीके का इस्तेमाल दुनिया के कई देशों में किया गया है। जहां अपराध के दोबारा होने की संभावना अधिक होती है वहीं इस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। जिन लोगों का रासायनिक बधियाकरण किया गया उन्होंने अपने जीवन में दोबारा कभी ऐसा अपराध नहीं किया।

रसायनिक बधियाकरण को सबसे पहले 1966 में अमेरिका के कैलिफोर्निया प्रांत में इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद फ्लोरिडा, जॉर्जिया, आयोवा, लूजियाना, मोंटाना, ओरेगॉन और टेक्सास समेत कई अन्य राज्यों में भी इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया। सबसे पहले बाल यौन शोषण के एक आरोपी को रसायन का इस्तेमाल करके बधिया किया गया था। लेकिन भारत में इसे कानूनी जामा पहनाने के लिए राजनीतिक इच्‍छाशक्ति दिखानी होगी। कांग्रेस ने इस संबंध में प्रस्‍ताव लाने की बात तो की है लेकिन घोषणाओं पर अमल का उसका रिकॉर्ड निराश करने वाला ही है। हालांकि इस मामले में भाजपा उसके साथ दिखाई दे रही है। पार्टी के नेता वेंकैया नायडू ने सोमवार को बलात्‍कारियों के लिए इस सजा की वकालत की। लेकिन देखना है कि इसे कानून के रूप लेने में कितना वक्‍त लगता है?

स्वागत...वंदन...अभिनंदन.... नव वर्ष तुम्हारा


स्वागत...वंदन...अभिनंदन.... नव वर्ष तुम्हारा

नवप्रभात के नव संकल्पों सेआओ मन को ताजा कर लें।
कुछ तुम चल लोकुछ हम बढ़ लेंनई डगर को साझा कर लें॥
बीती बातेंरीती रातें भुल-भुलाकर आगे चल लें
नवजीवन की रश्मियों का आओ अवगाहन कर लें।
जो छूटा सो छूट गयापाने भर की बात करें
नव पल्लव नव सुरताल पाकर जीवन में खुशियाँ भर लें।

                     - डॉ. दीपक आचार्य, 9413306077

कराची में भीड़ का तांडव,गोलीबारी


इस्लामाबाद। एक सामाजिक कार्यकर्ता की हत्या के विरोध में अज्ञात लोगों ने सोमवार को पाकिस्तान के बंदरगाह शहर कराची में जमकर उत्पात मचाया। इस दौरान एक दो मंजिला भवन, चार दुकानें, दो वाहन और कुछ मोटरसाइकिलों को फूंक दिया गया।

जीओ न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों की टुकडियों को स्थिति पर नियंत्रण के लिए रवाना किया गया है। बाद में बड़ी संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतर आई और गैर राजनीतिक धार्मिक संगठन पाकिस्तान सुन्नी तहरीक (पीएसटी) के कार्यकर्ता 28 वर्षीय मोहम्मद अकबर के हत्यारे की गिरफ्तारी की मांग की।