शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

अतिक्रमण के आरोपियों को तीन माह का कारावास

अतिक्रमण के आरोपियों को तीन माह का कारावास

नदी की भूमि पर अतिक्रमण करने के 8 आरोपियों को सजा सुनाने के बाद भू-तस्करों में मची खलबली

शिवगंज तहसील न्यायालय नेे नदी की भूमि पर अतिक्रमण कर कब्जा व काश्त करने के मामले में 8 व्यक्तियों को तीन माह की सजा एवं भू-राजस्व लगान का 50 गुणा जुर्माना वसूलने का निर्णय सुनाया है।

इस फैसले के बाद भू-तस्करों एवं अवैध कब्जाधारियों में खलबली मच गई है। तहसीलदार नंदकिशोर ने बताया कि कैलाशनगर निवासी देवाराम पुत्र दानाराम मेघवाल, जोगाराम पुत्र कूपाराम मेघवाल, रावता राम पुत्र कनाराम मूंगिया, शंकरलाल पुत्र केसाराम जोगी, छैलसिंह पुत्र रणजीतसिंह राजपूत, देवाराम पुत्र हरजीराम माली, बाबूसिंह पुत्र केसरसिंह राजपूत व मना राम पुत्र कानाराम माली की ओर से नदी में अतिक्रमण कर कब्जा कर काश्त किए जाने के मामले न्यायालय में चल रहे थे।

मामलों में आरोपियों के पक्ष सुनकर गुरुवार को फैसला सुनाया गया। इसमें सभी आरोपियों को तीन माह का कारावास एवं भू-राजस्व लगान का 50 गुणा जुर्माना वसूल करने के आदेश जारी किए हैं। तहसीलदार राजौरा ने बताया कि इन 8 आरोपियों ने करीब 25 बीघा भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर उस पर खेती कार्य प्रारंभ किया था। इस निर्णय के पहले इनको उस भूमि से बेदखल कर दिया था, लेकिन कुछ दिनों के बाद उन्होंने उस पर फिर से कब्जा कर लिया था।

मिलेगी चमत्कारिक शक्तियां, करें दुर्गा सप्तशती का जप

नवरात्रि के दौरान माता को प्रसन्न करने के लिए साधक विभिन्न प्रकार के पूजन करते हैं जिनसे माता प्रसन्न उन्हें अद्भुत शक्तियां प्रदान करती हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का नियमित पाठ विधि-विधान से किया जाए तो माता बहुत प्रसन्न होती हैं। दुर्गा सप्तशती में (700) सात सौ प्रयोग है जो इस प्रकार है:- मारण के 90, मोहन के 90, उच्चाटन के दो सौ(200), स्तंभन के दो सौ(200), विद्वेषण के साठ(60) और वशीकरण के साठ(60)। इसी कारण इसे सप्तशती कहा जाता है।



दुर्गा सप्तशती पाठ विधि

- सर्वप्रथम साधक को स्नान कर शुद्ध हो जाना चाहिए।

- तत्पश्चात वह आसन शुद्धि की क्रिया कर आसन पर बैठ जाए।

- माथे पर अपनी पसंद के अनुसार भस्म, चंदन अथवा रोली लगा लें।

- शिखा बाँध लें, फिर पूर्वाभिमुख होकर चार बार आचमन करें।

- इसके बाद प्राणायाम करके गणेश आदि देवताओं एवं गुरुजनों को प्रणाम करें, फिर पवित्रेस्थो वैष्णव्यौ इत्यादि मन्त्र से कुश की पवित्री धारण करके हाथ में लाल फूल, अक्षत और जल लेकर देवी को अर्पित करें तथा मंत्रों से संकल्प लें।

- देवी का ध्यान करते हुए पंचोपचार विधि से पुस्तक की पूजा करें।

- फिर मूल नवार्ण मन्त्र से पीठ आदि में आधारशक्ति की स्थापना करके उसके ऊपर पुस्तक को विराजमान करें। इसके बाद शापोद्धार करना चाहिए।

- इसके बाद उत्कीलन मन्त्र का जप किया जाता है। इसका जप आदि और अन्त में इक्कीस-इक्कीस बार होता है।

-इसके जप के पश्चात् मृतसंजीवनी विद्या का जप करना चाहिए।



तत्पश्चात पूरे ध्यान के साथ माता दुर्गा का स्मरण करते हुए दुर्गा सप्तशती पाठ करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

चूहे ने लगाई आग, घर का सामान खाक..

बाड़मेर. कल्याणपुरा में माणक अस्पताल के पास एक घर में गुरुवार शाम अचानक आग लग जाने से सामान जलकर राख हो गया। वहीं आग बुझाने में दमकल की देरी और पानी खत्म हो जाने से भी नुकसान में इजाफा ही हुआ।

आग लगने का कारण चूहे द्वारा खाने के लिए देवी को प्रज्‍जवलित की गई जोत ले जाना बताया जा रहा है। जानकारी के अनुसार गुरुवार शाम करीब साढ़े सात बजे माणक अस्पताल के पास स्थित बबीता बाई के घर में आग लग गई। आग घर के एक कमरे में लगी।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार बबीता बाई ने नवरात्रा की पूजा में जोत जगाई थी। इसके बाद वह कमरे से बाहर आ गई। तभी चूहे ने खाने के लिए दीपक से जोत निकाल ली और कपड़ों के पास जाकर बैठ गया। इसी दरम्यान कपड़ों ने आग पकड़ ली और आग फैलने लगी।

कमरे में धुआं उठता देख घरवाले पहुंचे तथा चिल्लाने लगे। जिस पर मोहल्ले वासी एकत्रित हो गए और आग बुझाने के प्रयास कर लगे। मोहल्लेवासियों ने दमकल कर्मियों को भी फोन किया। आग में हुए नुकसान का अभी आंकलन नहीं हो सका है।

देरी से पहुंची दमकल: मोहल्लावासी हुक्मीचंद डागा ने बताया कि दमकल को करीब पौने आठ बजे इसकी सूचना दी गई थी। लेकिन रेलवे फाटक बंद होने के कारण दमकल उस पार अटक गई। फिर साढ़े आठ बजे फाटक खुलने के बाद घटना स्थल पहुंची।

...और पानी खत्म हो गया : देर से पहुंची दमकल ने हालांकि आग बुझाने का प्रयास जरूर किया लेकिन कुछ मिनटों में ही इसका पानी खत्म हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दमकल पूरी भरी हुई थी ही नहीं, जिसके चलते दस मिनटों में ही पानी खत्म हो गया।

मंगवाए पानी के टैंकर: दमकल में पानी खत्म होने के बाद पानी के टैंकर मंगवाए गए। दो टैंकरों से पहले दमकल में पानी भरा गया, फिर आग बुझाने का काम शुरू हुआ। इसके बाद करीब साढ़े नौ बजे आग पर काबू पाया गया।

काले डूगर राय माता जी मन्दिर जैसलमेर


काले डूगर राय मन्दिर जैसलमेर


जैसलमेर भारत पाकिस्तान सरहद पर बसे जैसलमेर जिले में चमत्कारी देवीय शक्ति के प्रति धर्म प्रेमियों की जबरदस्त आस्था हें .जैसलमेर की नो देवीय शक्तियों के चमत्कार जग जाहिर हें.सरहद पर तनौत माता जी का मंदिर .घंटियाली माता जी का मंदिर .तेम्बदेरय माँ  मंदिर .पनोधर राय माँ मंदिर ,भादरिया माँ मंदिर .देग्रय माँ मंदिर ,नभ डूंगर राय  मंदिर स्वन्गिया माँ मंदिर काले दूंगेर माँ के मंदिरों के प्रति आगाध आस्था हें .जैसलमेर कुलधरा रस्ते के आगे खाभा गाँव से १० किलोमित्टर दूर काले डूंगर राय माँ का बेहद सुन्दर ओउर रमणीक मंदिर पहाड़ी पर बना हुआ हें .काले डूगर राय मन्दिर यह मन्दिर जैसलमेर शहर से ४५ की. मी उतर दिशा मे एक पहाड़ी की चोटी पर हें ! इस पहाड़ी का रंग काला होने के कारण इस मन्दिर को काले डूगर राय के नाम से जाना जाता हें ! जब माड़ प्रदेश के महाराजा भादरिये से जब वापिस पधारे तब मैया के कथानुसार इस पहाड़ी पर पधार कर मैया के नाम से एक छोटे से मन्दिर की स्थापना कर दी थी जो कालांतर मे अनेको भक्तो के सहयोग से भव्य मन्दिर बन गया ! जैसलमेर व आसपास के ग्रामो का विशेष श्रद्धा का केन्द्र हें ! उस समय माड़ प्रदेश एक जंगली एरिया था उबड़ खाबड़ इलाका था , हालाँकि मैया उस समय शशरीर इस धरा पर विराजमान थी ! लेकिन मैया एसे पर्वतो मे जाकर तपस्या लीन हो जाती थी !सभी को दर्शन दुर्लभ थे सिर्फ़ धर्मात्मा राजा या अनन्य भक्तो के वसीभूत होकर मैया को शशरीर उस समय पधारना पड़ता था , मैया कभी नभ डूगर , कभी काले डूगर , कभी भूरे डूगर इस प्रकार अनेको पर्वतो पर निवास स्थान था ! जिस जगहों का भक्तो का मालूम हुवा वहा तो स्थान बना दिए बाकि जगहों का आज तक पता नही हे !




काले डूगर कोड सु , नमै नगर नर नार पूजा ! चढ़े पहाड़ पर, पुरे भगत पुकार !!

गुरुवार, 29 सितंबर 2011

नवरात्रि के साथ शुरू हुई डांडिया-गरबा की धूम!

 

नवरात्रि के साथ शुरू हुआ डांडिया रास गरबा का आयोजन। देश भर में हर किसी पर इन दिनों गरबा-डांडिया का रंग चढ़ा हुआ है। पूरे देश में मां दुर्गा के ये नौ दिन काफी धूमधाम के साथ मनाए जाते हैं। गरबा महोत्सव में शामिल होने के लिए लोग महीनों पहले से तैयारियां करना शुरू कर देते हैं। गुजरात का ये लोकनृत्य अब पूरे देश में प्रचलित हो गया है। नवरात्रि के ये नौ दिनों में गरबा खेलने का जूनून हर किसी पर सिर चढ़ कर बोलता है। ऐसा ही कुछ जुनून नजर आ रहा है इन महिलाओं पर जो अपनी पीठ पर डांडिया-गरबा की कलाकृति बनवाकर काफी खुश नजर आ रही हैं।