बुधवार, 27 अप्रैल 2011

गांव का नाम झाबरा

मान्यता के अनुसार सन् 1530 में खेड से मल्लिनाथ राठौड़ अपने गुरू झबरजी राजपुरोहित के साथ पोकरण आए। मल्लिनाथ ने अपने गुरू को यह गांव भेंट किया था। जिसके चलते झबरजी के नाम से इस गांव का नाम झाबरा पड़ा। प्राचीन समय में यहां पर पेयजल आपूर्ति करने के लिए झबरजी के कुंए का निर्माण किया गया था जो आज भी गांव में पेयजल व्यवस्था को सुचारू करने में सहयोगी है। गांव में मल्लिनाथ का जाल, ठाकुरजी का मंदिर तथा संतोकपुरी जी की 300 वर्ष पुरानी जीवित समाधी है। 

बम मिलने से सनसनी बारूद के ढेर पर सीमा क्षैत्र


त्र
बम मिलने से सनसनी बारूद के ढेर पर सीमा क्षैत्र
बाडमेर भारत पाकिस्तान सरहद पर बसा बाडमेर जिले का सरहदी थाना क्षैत्र गडरा रोड क्षैत्र बारूद के ढेर पर सांस ले रहा हैंभारत पाकिसतान के बीच इस क्षैत्र में हुऐ युद्धों के औरान बिना फटे सैकडौं जिन्दा बम रेतिलें क्षैत्रों में दबे पडे हैं।प्रति साल एक दर्जन से अधिक बिना ुटे बम विभिन्न क्ष्रैत्रों में निकल रहे हैंये बम वो हैं जो युद्ध के दौरान रेगिस्तानी धोरों में अब जाने से फटे नहीं थे।अब धीरे धीरे जहॉ जॅहा खुदाई होती हैं,वॅहा जिन्दा बम निकल रहे हैं।जिसके कारण इस क्षैत्र के लोग दहात में हैं।मंगलवार रात्री आठ बजे गडरा गांव में एक मकान की नींव खुदाई के औरान बम मिलने से सनसनी फैल गई।बम की सूचना मिलने पर पुलिस एवं सुरक्षा एजेंसिया मोैके पर पहुॅची तथा बम को सुरक्षित रखवाया।तथा सेना के बम निरोधक दस्ते को बम नश्कि्रिय करने के लिया बुलाया गया हैं। मगलवार को रात में बाड़मेर जिले के गडरा गाव में एक सक्स अपने घर की खुदाई करावा रहा था इसी दोहरान करीब तीन फुट पर एक बम मिल गया इस पर घर के मालिक जुझार सिंह ने पुलिस  को सुचना दी जिस पर पुलिस ने  सीमा सुरक्षा बल और आर्मी के साथ मोके पर पहुची और मुआना किया गडरा इलाके के  थानाधिकारी लक्ष्मीनारायण के अनुसार यह बम 30 -४० साल पुराना है और इसका वजन करीब 5 किलो के आसपास है हमने अपने अधिकारियो को सूचित कर हमने बम निरोधक दस्ते को निष्क्रिय करने के लिए बुला लिया है  सीमा सुरक्षा बल और आर्मी के जानकारों के अनुसार यह जिंदा भी हो सकता है लिहाजा हमने अपनी एक टीम मोके पर तेनात कर दी है और लोगो से हमने कहा है कि वह इस जगह से दूर रहेने के लिए कहा गया है
लक्ष्मीनारायणथाना प्रभारी
 , गडरा थाना  बम 30 -४० साल पुराना है और इसका वजन करीब 5 किलो के आसपास है हमने अपने अधिकारियो को सूचित कर हमने बम निरोधक दस्ते को निष्क्रिय करने के लिए बुला लिया है सीमा सुरक्षा बल  और आर्मी के जानकारों के अनुसार यह जिंदा भी हो सकता है लिहाजा हमने अपनी एक टीम मोके पर तेनात कर दी है और लोगो से हमने कहा है कि वह इस जगह से दूर रहेने के लिए कहा गया है )
वोइस ओवर 2 बम निकलने से इलाके के लोगो में दहशत फेल गई है  गडरा निवासी  राजू  सिंह के अनुसारर यह तो गनीमत रही कि यह बम फटा नहीं नहीं तो बहुत बड़ा हादसा हो जाता इस इलाके में 1965  और1971 के भारत -पाक युद्ध के समय यह इलाका सेना के पास था और यह बम भी उसी समय का है ........ राजू  सिंह, निवासी,गडरा गाव(यह तो गनीमत रही कि यह बम फटा नहीं नहीं तो बहुत बड़ा हादसा हो जाता इस इलाके में 1965  और1971 के भारत -पाक युद्ध के समय यह इलाका सेना के पास था और यह बम भी उसी समय का है ........ इन इलाके में पिछले दो तीन सालो में कई बार इस तरह के बम मिल चुके है अब इन इलाके के लोग को डर लग रहा है कि कभी कोई बड़ा हादसा न हो जाए क्योकि दो साल पहले ही इस गाव पास ही बम निकला था और दो बच्चे जख्मी हो गए थे

बड़ाबाग़ जैसलमेर









बड़ाबाग़ जैसलमेर
जैसलमेर राजस्थान का सबसे ख़ूबसूरत शहर है और जैसलमेर पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है।बड़ाबाग़ जैसलमेर से 5 किलोमीटर दूर रामगढ़ रोड पर स्थित है।यह जैसलमेर के महारावलों के शमशानों पर बने कलात्मक छतरी स्मारकों के लिए विख्यात है।जैसलमेर के सांस्कृतिक इतिहास में यहाँ के स्थापत्य कला का अलग ही महत्त्व है। किसी भी स्थान विशेष पर पाए जाने वाले स्थापत्य से वहाँ रहने वालों के चिंतन, विचार, विश्वास एवं बौद्धिक कल्पनाशीलता का आभास होता है। जैसलमेर में स्थापत्य कला का क्रम राज्य की स्थापना के साथ दुर्ग निर्माण से आरंभ हुआ, जो निरंतर चलता रहा। यहाँ के स्थापत्य को राजकीय तथा व्यक्तिगत दोनो का सतत प्रश्रय मिलता रहा। इस क्षेत्र के स्थापत्य की अभिव्यक्ति यहाँ के क़िलों, गढियों, राजभवनों, मंदिरों, हवेलियों, जलाशयों, छतरियों व जन-साधारण के प्रयोग में लाये जाने वाले मकानों आदि से होती है। जैसलमेर नगर में हर 20-30 किलोमीटर के फासले पर छोटे-छोटे दुर्ग दृष्टिगोचर होते हैं, ये दुर्ग विगत 1000 वर्षो के इतिहास के मूक गवाह हैं। दुर्ग निर्माण में सुंदरता के स्थान पर मज़बूती तथा सुरक्षा को ध्यान में रखा जाता था। परंतु यहां के दुर्ग मज़बूती के साथ-साथ सुंदरता को भी ध्यान मं रखकर बनाये गये। दुर्गो में एक ही मुख्य द्वार रखने के परंपरा रही है। दुर्ग मुख्यतः पत्थरों द्वारा निर्मित हैं, परंतु किशनगढ़, शाहगढ़ आदि दुर्ग इसके अपवाद हैं। ये दुर्ग पक्की ईंटों के बने हैं। प्रत्येक दुर्ग में चार या इससे अधिक बुर्ज बनाए जाते थे। ये दुर्ग को मज़बूती, सुंदरता व सामरिक महत्त्व प्रदान करते थे।

मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

पाकिस्‍तान में उठी बंटवारे की मांग

 पाकिस्‍तान में उठी बंटवारे की मांग के बीच पाकिस्‍तान में आतंकियों ने एक बस में आग लगा कर 15 लोगों को जिंदा जला दिया है। यह घटना मंगलवार तड़के हुई।

इससे पहले पंजाब प्रांत के मुख्‍यमंत्री शाहबाज शरीफ ने मांग की थी कि सिंध प्रांत का बंटवारा कर कराची को अलग प्रांत बनाया जाए। हालांकि सोमवार को वह अपने बयान से मुकर गए। उनके बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। सोमवार को पाकिस्‍तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के दफ्तर पर हुए हमले को भी शरीफ के बयान से ही जोड़ कर देखा जा रहा है। मंगलवार की घटना का संबंध भी इसी बात से जोड़ा जा रहा है। हालांकि इस बारे में अभी कोई पुख्‍ता संकेत नहीं हैं। शरीफ ने अपने दफ्तर में मीडिया के सामने सफाई दी कि वह तो बस यह पूछ रहे थे कि क्‍या कराची को अलग प्रांत बनाया जा सकता है, उन्‍होंने ऐसी कोई मांग नहीं की थी या सुझाव नहीं दिया था।

मंगलवार तड़के पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रांत में सिबी के निकट अज्ञात हमलावरों ने सवारियों से भरी बस में आग लगा दी। इस घटना में महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 15 लोगों की जलकर मौत हो गई।

पुलिस ने कहा कि मरने वाले में सात बच्चे शामिल हैं। इसके अलावा, मरने वाले लोगों में से तीन अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के हैं। इनकी पहचान कपिल, वरशीन और पूजामल के तौर पर की गई है।

स्‍थानीय अखबार ' द डॉन' ने सिबी के पुलिस उपायुक्त नसीर अहमद नासिर के हवाले से कहा कि क्वेटा से करीब 160 किलोमीटर दूर यह हादसा सिबी शहर में उस वक्त हुआ जब एक बस सिंध प्रांत के जाकोबाबाद से क्वेटा की ओर जा रही थी। रास्ते में यह बस सड़क के किनारे एक रेस्तरां के सामने रूकी हुई थी।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुतातबिक दो मोटरसाइकिलों पर सवार चार हथियारबंद लोग वहां आए। इनमें से दो व्यक्ति बस में घुस गए और पेट्रोल छिड़क कर उसमें आग लगा दी। पुलिस ने बताया कि कई यात्री भीषण आग के चलते बस से बाहर निकल नहीं पाए।

नसीर ने बताया कि बस का चालक और कंडक्टर मौके से फरार हो गए जिनकी तलाश की जा रही है। इसके अलावा, बस में आग लगाने वाले संदिग्ध अपराधियों की धर-पकड़ के लिए पुलिस तलाशी अभियान चला रही है।

श्री तणोट राय मंदिर, जैसलमेर


श्री तणोट राय मंदिर











श्री तणोट राय मंदिर स्थान भाटी राजा की राजधानी थी वह मातेश्वरी के भक्त थे ! उनके आमंत्रण देने पर महामाया सातों बहने तणोट पधारी थी , इसी कारण भक्ति भाव से प्रेरित होकर राजा ने एक मन्दिर की स्थापना की थी , वर्तमान मे यह स्थान जैसलमेर नगर से १२० की.मी पशिचम सीमा किशनगढ़ रोड पर बना हुवा हें ! जो भारतीय सेना बी. एस. ऍफ़. जैसलमेर राज घराना व खाडाल के ग्रामो का मुख्य आस्था केन्द्र हें बड़ा ही भव्य रमणीक मन्दिर हें !
 सन १९६५ मे पाक सेना का पड़ाव था लेकिन मातेश्वरी की कृपा से किसी भी सैनिक के कोई खरोच भी नही आयी ! उल्टे पाक सेना की पुरी ब्रिगेड आपस मे लड मरी , उस सेना का ब्रिगेडियर यह माजरा देखकर विसमित हो गया वह मन ही मन इस देविक चमत्कार से मुसलमान होते हुवे भी भी श्रद्धा से मनोती मानने लगा व माता की शरण ग्रहण करने पर उसके प्राण बच गये पुरी ब्रिगेड ख़त्म हो गई उकत अधिकारी मैया का भक्त बन गया ! कुछ समय बाद मे पासपोर्ट से भारत आया तणोट राय की पूजा अर्चना कर पश्चिम सीमा पर दोनों मुल्क मे शान्ति बनी रहे , ऐसी कामना करके अपने वतन को लौट गया !
इस प्रकार माताजी कितनी दयालु हें जो उसे पुकारता उसे शरण व अभय कर देती हें ऐसे चमत्कारों से वसीभूत होकर बी. एस. ऍफ़. के कर्मचारी व अधिकारी तो मैया की अनन्य भगत बन गये प्रत्येक कंपनी जहा भी रहती हें सर्वप्रथम मैया का छोटा मोटा स्थान बना कर नियमित पूजा होती हें नवरात्री के दिनों मे बड़ा भव्य मेले का आयोजन होता हें ! अनेको यात्री आते हें इस प्रकार मुख्यालय से तणोट राय आवागमन के साधन नव दीन तक निशुल्क बसे चलती हें ! बी. एस. ऍफ़. के फोजी भाई तो धन्य हें जो सीमा की निगरानी करते हुवे मैया के प्रति अटूट श्रदा से सेवा पूजन करते हें , कोई मन्दिर मे सफाई का कार्य करते हें , कोई लंगर सँभालते हें और कई गाना बजाना करते हें ! कितने यात्रियों की सेवा मे जुट जाते हें , हमेशा लंगर भोजन का आयोजन होता हें ! मैया के भजन कीर्तन चलते रहते हें ,
यह युद्ध १६ नवम्बर , १९६५ को हुवा था, तनोट चारो और से घिर चुका था ! कर्नल जय सिंह राठोड़ (थैलासर)बीकानेर के नेतृतव मे केवलतीन सो सैनिक थे ! शत्रु ने तीन तरफ़ से धुहादार हमला कर दिया था ! हमारेजवान निरंतर लड़ते रहे ! दुसरे दीन एक जवान मे भगवती काभाव आया कि घभरावो मत तुम्हारा बाल भीबाका नहीं होगा ! हुवा यही तनोट राय कि कृपा से भारतीय सेना के किसी भी जवान को कोईचोट नहीं आयी,और शत्रु फौज हतास होकर पॉँच सो शव छोड़कर भाग खड़ी हुयी ! आश्चर्य इस बात का हे कि मंदीर कीआसपास ३००० बमबरसाए गए , मंदीर मे एक भी खरोच नहीं आयी , उनमे से कुछ बम आज भी मंदीर मे पड़ेहे !
तणू भूप तेडाविया, आवड़ निज एवास ! पूजा ग्रही परमेश्वरी , नामे थप्यो निवास !!