मंगलवार, 25 मई 2010

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Googleअनूठी है कौड़ी कला की हस्तशिल्प विरासत
: चंदन भाटी
बाड़मेर: एक जमाने में मुद्रा के रूप में उपयोग की जाने वाली कौड़ियों को वर्तमान में बहुत उपयोगी नहीं माना जाता। आज ‘कौड़ियों के भाव’ मुहावरे का अर्थ किसी चीज को बहुत सस्ते में खरीदना या बेचना माना जाता हैं। कभी मूल्यवान रहीं ये कौड़ियां धीरे-धीरे घर-परिवारों से लुप्त होती जा रही हैं, लेकिन राजस्‍थान के बाड़मेर जिले के हस्तशिल्पियों ने अपनी सृजनात्मक ऊर्जा के बल पर कौड़ियों को साज-सज्जा के एक अद्भुत साधन का रूप प्रदान करने का सफल प्रयास किया है।बाड़मेर जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर स्थित देरासर गांव की रामदियों की बस्ती की हस्तशिल्पी श्रीमती भाणी, मिश्री खां व उनके साथियों ने कौड़ियों का नया संसार रच डाला है। कौड़ियों को रंग-बिरंगे धागों, झालरों को बारीक कसीदे और गोटों से खूबसूरती से गूंथकर पशुओं के श्रृंगार तथा घरेलू सौन्दर्य को बढ़ाने के लिए इस्‍तेमाल किया जाता रहा है। लेकिन, आधुनिक जरूरतों को देखते हुए हस्तशिल्प को विस्‍तार देने और उसके लिए बाजार बनाने का प्रयास हो रहा है।इस गांव के ज्यादातर हस्तशिल्पी मुसलमान (रामदिया) हैं तथा पशुपालन व विक्रय धंधा करते हैं। 95 घरों वाले इस गांव में पच्चीस घर रामदिया मुसलमानों के हैं, जो गुजरात और महाराष्ट्र के विभिन्न पशु मेलों में शरीक होकर पशु क्रय-विक्रय का धंधा करते हैं। ऐसे ही एक मेले में मिश्री खां अपनी पत्नी भाणी के साथ गुजरात गए, जहां ऊंट और घोड़ों के श्रृंगार को देखकर बेहद प्रभावित हुए। बैलों के श्रृंगार के लिए कौड़ियों की बनी मोर कलिया, गेठिये, घोडी के श्रृंगार के लिए मृणी लगाम, गोडिए, त्रिशाला और ऊंटो के लिए बने पऊछी गोरबन्ध मुहार, मोर आदि कौड़ी कला को देखकर आधुनिक नमूने तैयार करने के विषय में पूछताछ कर यहीं से इस दम्पति ने नई जिन्दगी की शुरूआत की। भाणी का पुश्तैनी कार्य कांच-कसीदाकारी का तो था ही, साथ ही भाणी ने इसी दौरान कौड़ी काम भी सीख लिया। पशु श्रृंगार की सामग्री के साथ-साथ भाणी ने गुडाल तथा अन्य झोपडों के लिए तोरण-तोरणिएं तथा अपाण के पलों पर कडों कौड़ी, खीलण कांच और भरत का कार्य करने में भी महारत हासिल कर ली। मुसलमान, मेघवाल आदि जातियों की शादियों पर कौड़ियों वाले मोर पर तो आज भी गांव वाले मोहित हैं। भाणी ने परम्परागत कौड़ी कला कार्य इण्डाणी गोरबन्ध के साथ-साथ इसी कला के थैले, पर्स बनाने आरम्भ कर दिए। हस्तशिल्पी बताते हैं कि कौड़ी कला युक्त इण्डाणियों की मांग शहर में बहुत हैं। शहर वाले परम्परागत इण्डानियों को देखकर मोहित हो जाते हैं। भाणी झालर वाली, बिना झालर वाली और बिना फुन्दी वाली इण्डाणी बनाती हैं। झालर वाली इण्डाणी बीस इंच लम्बी होती हैं, जिसके कारण शिल्पकार को इसे तैयार करने में तीन दिन लग जाते हैं। इस इण्डाणी में आधा किलो कौड़ी और लगभग डेढ़ सौ ग्राम ऊन लग जाता है। बिना झालर व फुन्दे वाली इण्डाणी एक ही दिन में तैयार हो जाती हैं। इसमें 100-125 ग्राम कौड़ी का उपयोग होता हैं। बिना झालर व फुन्दी वाली इण्डानी बनाने में एक दिन का समय लगता हैं।झालर वाली इण्डाणी में मूंजवाली रस्सी को गोलकर कपड़े से सिलाई कर दी जाती है और कौड़ी में बंद करके उसे कपड़े पर सील दिया जाता है। कौड़ी कला के कद्रदान आज कम बचे हैं। सरकारी स्तर पर इन हस्तशिल्पियों को सरंक्षण नहीं मिलने के कारण ये फाकाकशी में दिन गुजार रहे हैं। कौड़ी कला के हस्तशिल्पी देश भर में कम ही बचे हैं। मिश्री खान को दाद तो खूब मिलती है, मगर दो जून की रोटी का जुगाड़ करने में कोई मदद नहीं करता।

सोमवार, 24 मई 2010

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Googleराजस्‍थान: सरहद पर दो बूंद पानी के लिए तरसते दलित
बाडमेर: भारत-पाकिस्तान सरहद पर बसे परंपरागत रूप से अभावग्रस्त राजस्‍थान के बाड़मेर जिले में भीषण गर्मी के साथ-साथ पेयजल संकट से आम आदमी का जीना मुहाल हो गया है। अभावों के आदी होने के बावजूद थारवासी इस बार के पेयजल संकट और भीषण गर्मी को सहन नहीं कर पा रहे हैं। सरहदी क्षेत्रों में पेयजल संकट किसी सजा से कम नहीं है। विशेषकर, दलित वर्ग के लोगों के लिए।बाड़मेर जिले के समस्त 2285 गांव अभावग्रस्त घोषित हैं, मगर राज्य सरकार ने अभावग्रस्त जनता को राहत देने के लिए किसी प्रकार के ठोस कदम नहीं उठाए हैं, जिसके चलते दलित परिवारों के सामने जीवन का संकट पैदा हो गया है। दलितों की जिंदगी दो बूंद पानी की तलाश तक सिमट कर रह गई है। पूरा दिन एक घड़ा पानी की तलाश में निकल जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में दलित परिवारों के लिए पेयजल की अलग से व्यवस्था परंपरागत रूप से है। आज भी सवर्ण जातियां दलित वर्ग के लोगों को अपने साव, तालाबों और टांकों से पानी भरने नहीं देती। अभिशप्त दलित वर्ग दो बूंद पानी के लिये संर्घष कर रहा है। जाति के आधार पर बंटे इन पेयजल स्रोतों का निर्माण सरकार ने भले ही सार्वजनिक तौर पर कराया हो, मगर जमीनी हकीकत यही है कि दलित को सार्वजनिक कुओं से पानी भरने की इजाजत तथाकथित सभ्य समाज नहीं देता। कहने को जिला प्रशासन द्वारा सभी आठों तहसीलों में पानी के टैंकरों की व्यवस्था कर रखी है, मगर ये पानी के टैंकर जरूरतमंद लोगों तक पहुंचने से पहले गांवों के प्रभावशाली लोगों के हत्थे चढ जाते हैं। सार्वजनिक टांकों में पानी भरे जाने के बजाय प्रभावशाली सवर्ण जाति के निजी टांकों में भरे जाने के कारण दलितों के पेयजल स्रोत खाली ही रहते हैं। ऐसे में दलित परिवार की महिलाओं को आसपास के गांवों में पानी की तलाश में निकलना पडता है। गांव के सार्वजनिक टांकों पर दलितों को पानी भरने की इजाजत नहींगांव-गांव में यही कहानी दोहराई जाने के कारण आज दलितों के पानी के टांके खाली पड़े हैं। जाति के आधार पर बंटे पानी के कारण दलित वर्ग के लोग पलायन को मजबूर हैं। गांवों में बाकायदा सवर्ण जातियों के लिए अलग से टांके बने हैं, तो दलित वर्ग के लिए ‘मेधवालों की बेरी’, ‘भीलों की बेरी’, ‘सांसियों का तला’, ‘मिरासीयों का पार’ नाम से पानी के स्रोत अलग से गांव की सरहदों पर बने हुए हैं। जिले में लगभग 70-80 सरपंच, जिला परिषद सदस्य तथा पंचायत समिति सदस्य और एक विधायक दलित समाज से होने के बावजूद ग्रामीण अंचलों में दलितों का सरेआम शोषण हो रहा है। दो बूंद पानी के लिए दलित वर्ग को बार-बार अपमानित होना पड रहा है। जाति आधारित बंटवारा महज पानी में ही हो, ऐसा नहीं हैं। हर योजना का बंटवारा जाति आधारित हो रहा है। जिला प्रशासन द्वारा संचालित पेयजल राहत टैंकर चलाने वाले किशनाराम ने बताया, ‘‘हम गरीबों तक पानी पहुंचाना चाहते हैं, मगर गांव के प्रभावशाली लोग हमें गांव में घुसने पर ‘देख लेने’ की धमकिया देते हैं, जोर-जबरदस्ती कर पानी के टैंकर अपने घरों के टांकों में खाली कराते हैं। हमें गांवों में बार-बार जाना होता है। किस-किस से दुश्‍मनी मोल लें।’’रूघाराम मेघवाल कहते हैं, ‘राहत के पेयजल टैंकर गरीब और दलितों तक पहुंचने ही नहीं दिए जाते। गांवों में दलितों के टांकों में पानी रीत (रिक्‍त) चुका हैं। पानी खरीदने की हमारी हैसियत नही है। बीस-बीस किलोमीटर परिवार की महिलाएं और बच्चे पैदल चल कर पानी की तलाश में भटकते रहते हैं। दिन भर की तलाश के बाद एक घड़ा ला पाते हैं। ऐसी स्थिति कब तक चलेगी? जिला प्रशासन को बार-बार सूचित किया, मगर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।

रविवार, 23 मई 2010

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राजस्‍थान: भीषण गर्मी से फैलीं मौसमी बीमारियां, 5 की मौत
बाड़मेर: राजस्‍थान के बाड़मेर जिले में पड़ रही भीषण गर्मी के कारण जिले भर में मौसमी बीमारियों का प्रकोप आरम्भ हो गया है। जिले भर में हैजा और उल्टी-दस्त की बीमारियों ने बड़े पैमाने पर दस्तक दे दी है। पाकिस्तान सीमा से सटे बाखासर गांव में भीषण गर्मी के कारण उल्टी-दस्त का रोग फैलने से दो दर्जन ग्रामीण इसके शिकार हो गए। इन पीडि़त ग्रामीणों को गुजरात के थराद के अस्पताल में उपचार के लिए शनिवार को भर्ती कराया, जहां तीन बच्चों सहित चार जनों ने दम तोड़ दिया। जिले भर में भीषण गर्मी का कहर जारी रहने से डिहाइड्रेशन, उल्टी-दस्त जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है।वहीं बस से तीर्थ यात्रा पर जैसलमेर से बाड़मेर पहुंची महिला यात्री जमना देवी (55 साल) की तेज गर्मी के कारण तापघात से मौत हो गई। जमना देवी की तबियत बस में ही खराब हो गई थी, उसके बाद उन्‍हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्‍हें मृत घोषित कर दिया गया।पाकिस्तान तथा गुजरात सीमा से सटे चौहटन तहसील के बाखासर गांव में शुक्रवार को उल्टी-दस्त का प्रकोप हो गया था, जिससे स्थानीय जिला प्रशासन बेखबर था। ऐसे में बाखासर के नजदीक गुजरात के थराद जिले के राजकीय अस्पताल में दो दर्जन ग्रामीणों को उपचार के लिए भर्ती कराया गया। शनिवार को लाधुसिंह (6 वर्ष), बलवंतसिंह (4 वर्ष), हेमी (60) तथा कमला (1 साल) की मौत हो गई। बाखासर पटी के साता, सावा, हाथला, बावरवाला, नवातला, नवापुरा आदि दर्जन भर गांवों में पिछले दो दिनों से मौसमी बीमारियों का प्रकोप होने से ग्रामीण खौफ के साये में हैं। इन गावों के पीडि़तों का उपचार गुजरात के अस्पतालों में चल रहा है, जबकि इस गांव का चिकित्सक दो दिन पहले रिश्‍वत लेते गिरफ्तार हो चुका है। शनिवार को स्वास्थ्य विभाग ने चौहटन से मेडिकल टीम बाखासर भेजी, जहां दो दर्जन पीडि़तों का उपचार किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने इन प्रभावित गांवों से पानी के नमूने भी लिए। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गणपतसिंह ने बताया कि प्रभावित गांवों में मेडिकल दल भेजे गये हैं। उन्होंने बताया कि तेज गर्मी के कारण बीमारी का प्रभाव बढ़ गया था। तापमान 48-49 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाने की वजह से थारवासियों को आग की भट्ठी जैसी गर्मी में झुलसना पड़ रहा है। गर्मी का कहर कम होने के बजाय निरन्तर बढ़ रहा है।
आसमान से बरसी आग
बाडमेर। बाडमेर जिले में गर्मी का कहर शनिवार को भी जारी रहा। सूर्य के रौद्र रूप के कारण समूचा जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। एक पल के लिए चैन नहीं मिल रहा है। ठण्डी रातों के लिए मशहूर थार में पिछली दो रातों में लू चल रही है। जन जीवन को न दिन में चैन मिल रहा है और न रात को आराम। शनिवार को तापमापी में पारा अडतालीस डिग्री से ऊपर ही रहा। पिछले दो दिन से बढे पारे के कारण बाजारों में अघाषित कफ्üयू लग गया है। अत्यावश्यक होने पर ही लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं। बालोतरा.बालोतरा क्षेत्र में इस बार गर्मी व लू का प्रकोप रिकॉर्ड बनाने की ओर है। सूरज के रौद्र रूप से वातावरण भट्टी की तरह दहक रहा है। इसका असर बाजार में भी देखा जा रहा है। तेज धूप व लू से बचाव के लिए बालोतरा के बाजार में अब जगह-जगह शामियाने तानकर छांव की व्यवस्था की जा रही है। ग्राहकों के साथ ही खुद की सुविधा को देखते हुए बाजार के दुकानदार अपनी दुकानों के आगे साझा सहयोग से शामियाने तान रहे हैं। चौहटन. समूचे पश्चिमांचल में आसमान से आग बरस रही है। आकाश से आग उगलती सूरज की किरणे, वहीं अंगारो की तरह तपती धरती ने जन जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है। यूं तो इस क्षेत्र में तापमापी यंत्र नहीं होने से तापमान का निश्चित आंकडा नहीं है, लेकिन समूचे पश्चिमांचल में भीषण गर्मी ने अब तक के सारे कीर्तिमान तोड दिए है। तन को झुलसा देने वाली गर्म लू से दिन भर तो कहर बरपा ही रहता है, वहंी रात में भी गर्म हवा का प्रवाह कम नहीं हो रहा। भीषण गर्मी से जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। गर्मी के कहर से क्षेत्र में मौसमी बीमारियों भी अपनाप्रकोप दिखाना शुरू कर दिया है।
मोकलसर.क्षेत्र में शनिवार को प्रचण्ड गर्मी का दौर जारी रहा। सूर्योदय के साथ तेज गर्मी व उमस ने आमजन को परेशान कर दिया। दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक गर्मी का पारा तेज रहा। मोकलसर में शनिवार को 49 डिग्री सेल्सियस पारा दर्ज किया गया। बाजार में दोपहर को सन्नाटा पसरा रहा। सडकों पर दोपहर में आवाजाही कम रही।

शनिवार, 22 मई 2010

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थार में बरसी आग
बाडमेर । थार में भीषण गर्मी ने इस साल के सारे रिकार्ड तोड दिए। पारा 48 डिग्री को लांघ गया। लू के थपेडे आग की लपटों का कार्य कर रहे थे तो तवे के माफिक जमीन तप गई। देह झुलसाने वाली गर्मी में लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया। शुक्रवार को अघिकतम तापमान 48.1 डिग्री सेल्सिसय पहुंच गया। तापमान की इस वृद्धि ने लोगों को झुलसा दिया। सुबह से ही लू के थपेडे शुरूहो गए। भरी दुपहरी में बाजार मेे सन्नाटा पसर गया। राष्ट्रीय राजमार्ग पंद्रह पर वाहनों के पहिए थम गए। गांवों में धोरों की जमीन तपने से हाल और भी बुरे हो गए। पंखे व कूलर जवाब देने लग गए है।
आग में घी राज्य सरकार द्वारा बिजली कटौती की घोषणा थार के लोगों के लिए अब सजा बन गई है। दोपहर बारह बजे तक हो रही कटौती से लोगों में जबरदस्त रोष बढ रहा है।
नाबालिग के साथ बलात्कार का मामला
बाटाडू. गिडा पुलिस थाने में शुक्रवार को क्षेत्र के नई रेवाली गांव की एक नाबालिग के साथ बलात्कार मामला दर्ज हुआ। पुलिस ने बताया कि एक व्यक्ति ने मामला दर्ज करवाया कि उसकी 17 वर्षीय पुत्री घर से 15 मई को बाटाडू में सब्जी विक्रेता डालूराम के पास सब्जी खरीदने गई। आरोपी ने दुकान के पीछे बने कमरे में ले जाकर बलात्कार किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
बाड़मेर: रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार हुआ डॉक्टर
बाड़मेर: भ्रष्‍टाचार निरोधक ब्‍यूरो (एसीबी) ने शुक्रवार को राजस्‍थान के बाड़मेर जिले की चौहटन तहसील के बाखासर राजकीय अस्पताल के डॉक्टर शंकराराम को आठ सौ रुपए की घूस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। ब्यूरो के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) गोविंद गुप्ता ने बताया कि चांदासनी निवासी प्रभूराम कोली की भतीजी कंकू ने राजकीय अस्पताल बाखासर में एक बच्चे को जन्म दिया।बच्‍चे को जन्‍म देने के बाद कंकू के नाम ‘जननी सुरक्षा योजना’ के अंतर्गत 17 सौ रुपए का चेक जारी हुआ था, लेकिन चेक देने के बदले डॉक्टर शंकराराम ने उनसे घूस में हजार रुपए मांगे। परिवादी ने सौ रुपए उसे पहले ही दे दिए थे। इसके बाद गत 19 मई को परिवादी प्रभूराम ने एसीबी चौकी, बाड़मेर में डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।शुक्रवार को ब्यूरो के चौकी प्रभारी भंवरसिंह ने आरोपी शंकराराम को उसके सरकारी आवास पर परिवादी से आठ सौ रुपए की घूस लेते गिरफ्तार किया। एसीबी के अनुसार आरोपी ने परिवादी से शुक्रवार को घूस में नौ सौ रुपए ही लिए थे, लेकिन परिवादी के हाथा-जोड़ी करने पर डॉक्टर ने सौ रुपए वापस लौटा दिए। इस प्रकरण में आगे की कार्रवाई जारी है।

नौकरी न मिलने पर युवक ने फांसी लगाई
गुडामालानी. नौकरी नहीं मिलने से खफा हुए एक तीस वर्षीय तनावग्रस्त युवक ने गुरूवार रात्रि क्षेत्र के भाखरपुरा गांव में खेत में खेजडी के पेड पर फांसी के फंदे पर झूलकर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार माधवदास पुत्र शिवदास संत निवासी भाखरपुरा ने मामला दर्ज करवाया कि उसका छोटा भाई सन्तोषदास (30) ने कुछ दिनों पहले पोस्टआफिस में नौकरी के लिए आवेदन किया था। सफल नहीं से वह पिछले पांच सात दिन से तनावग्रस्त था। गुरूवार रात्रि सन्तोषदास ने पास के खेत में जा खेजडी के पेड से फांसी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सुपुर्द किया।
उल्टी दस्त का प्रकोप
चौहटन. क्षेत्र के सुदूर कच्छ रण से सटे सीमावर्ती गांवों में इन दिनों उल्टी दस्त का जबरदस्त प्रकोप फैल गया है। पिछले दो दिनों से इस क्षेत्र के बाखासर, साता, हाथला, आदि गांवों में दर्जनों के अचानक उल्टी का प्रकोप शुरू हुआ। स्थानीय स्तर इलाज नहीं हो पाने एवं अचानक उल्टी के प्रकोप के फैलाव से भयभीत लोगों ने गुजरात जाकर इलाज करवाना शुरू किया है।
अकेले बाखासर गांव के एक दर्जन से अघिक उल्टी पीडितों को गुजरात के थराद में भर्ती करवाया गया है। बाखासर के ग्रामीणों ने बताया कि मीरांदेवी पत्नी हंसाराम गर्ग, सुखी देवी पत्नी ऊकाराम कुम्हार, सुखाराम पुत्र दयाराम मेघ, देवीदान, सुरेश पुत्र मदाराम मेघ, बाबूलाल को थराद के निजी अस्पताल में भर्ती किया गया है। तीन दिनों में एक दर्जन से अघिक उल्टी के मरीजों को गुजरात इलाज के लिए ले जाया गया है।
दो महिलाओं ने दी जान
जालोर । चितलवाना व सायला थाना क्षेत्र में शुक्रवार को दो महिलाओं ने कुएं व बेरेी में कूद कर अपनी जान दे दी। सायला थाना क्षेत्र के बावतरा गांव में कुएं में कूदी महिला का शव देर रात तक नहीं मिल पाया था। उसके पैरों के चप्पल व ओरणी बरामद हुई है।
पुलिस के अनुसार चितलनवाना थाना क्षेत्र के डावल निवासी श्रीमती जमना पत्नी भगवानाराम विश्नोई ने शुक्रवार सुबह बेरी में कूद कर अपनी जान दे दी। आत्म हत्या के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया। बेरी के निकट से महिला की चप्पल बरामद हुई। इसी तरह सायला थाना क्षेत्र के बावतरा गांव में शुक्रवार दोपहर अलकूदेवी पत्नी बींजाराम रेबारी कुएं में कूद गई।
ग्रामीणों की इत्तला पर सायला थानाप्रभारी बाघसिंह पुलिस दल के साथ मौके पर पहुंचे और शव बाहर निकलवाने का प्रयास किया। थानाप्रभारी ने बताया कि शव कुएं में फंसा होने के कारण देर रात तक बरामद नहीं हो पाया।

शुक्रवार, 21 मई 2010

जसवंत की भाजपा में वापसी तय, कभी भी हो सकती है घोषणा

जसवंत की भाजपा में वापसी तय, कभी भी हो सकती है घोषणा

बाड़मेर: रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार हुआ डॉक्टर

बाड़मेर: रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार हुआ डॉक्टर

राजस्‍थान: आसमान से बरस रही है आग, पारा पहुंचा 48 डिग्री पर

राजस्‍थान: आसमान से बरस रही है आग, पारा पहुंचा 48 डिग्री पर

TEZ NEWS

TEZ NEWSडॉक्टर रिश्वत लेते गिरफ्तार3 min ago
च्रदन सिंह भाटीबाड़मेर एसीबी ने बाड़मेर जिले की चौहटन तहसील के बाखासर राजकीय अस्पताल के डॉक्टर शंकराराम को शुक्रवार को आठ सौ रुपए की घूस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। ब्यूरो के डीआईजी गोविंद गुप्ता ने बताया कि चांदासनी निवासी प्रभूराम कोली की भतीजी कंकू ने राजकीय अस्पताल बाखासर में एक बच्चे को जन्म दिया। जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत कंकू के नाम 17 सौ रुपए का चेक जारी हुआ था, लेकिन चेक देने के बदले डॉक्टर शंकराराम ने उनसे घूस में हजार रुपए मांगे। परिवादी ने सौ रुपए उसे पहले ही दे दिए थे। इसके बाद गत 19 मई को परिवादी प्रभूराम ने एसीबी चौकी बाड़मेर में डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। शुक्रवार को ब्यूरो की चौकी प्रभारी भंवरसिंह ने आरोपी शंकराराम को उसके सरकारी आवास पर परिवादी से आठ सौ रुपए की घूस लेते गिरफ्तार किया। एसीबी के अनुसार आरोपी ने परिवादी से शुक्रवार को घूस में नौ सौ रुपए ही लिए थे, लेकिन परिवादी के हाथा-जोड़ी करने पर डॉक्टर ने सौ रुपए वापस लौटा दिए। इस प्रकरण में आगे की कार्रवाई जारी है।

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Googleइंडियन आइडल-5’ में दिल जीता बाड़मेर के स्वरूप खान ने
बाड़मेर के बईया के रहने वाले स्वरूप खान की संगीत के प्रति दीवानगी देखने लायक है। बचपन से ही अपने परिजनों के साथ लोक संगीत में अपने आप को पारंगत करने में जुटा स्वरूप खान आज ‘इंडियन आइडल-5’ के अंतिम 10 प्रतिभागियों में सलेक्ट हो गया है। स्वरूप खान के चयन पर बाड़मेरवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई है।स्थानीय लोक कलाकार पूर्व में भी देश-विदेश में अपनी गायकी का लोहा मनवा चुके हैं। बॉलीवुड व हॉलीवुड में परफॉर्मेंस देने के बाद अब इंडियन आइडल भी लोक कलाकारों की गायकी से अछूता नहीं रहा और स्वरूप खान को अंतिम 16 में जगह मिल गई। अहमदाबाद में ऑडिशन देने के बाद स्वरूप का चयन मुम्बई के लिए हुआ। वहां सात दिन के रिहर्सल के बाद 150 में उसने जगह बनाई। उसके बाद 70 प्रतिभागियों में से सलेक्ट कर उसे अंतिम 40 में लिया गया। स्वरूप ने 40 प्रतिभागियों के ऑडिशन में भी अपनी छाप छोड़ी और 25 प्रतिभागियों में सलेक्ट हुआ। आखिर में उसने अंतिम ऑडिशन में निर्णायकों का दिल जीत कर अंतिम 10 में जगह बनाई।बईया निवासी नियाज खां के 19 वर्षीय पुत्र स्वरूप खान को शुरू से ही गायकी का शौक था। उसने अपने चाचा अनवर खां से यह हुनर सीखा। अनवर खां के साथ स्वरूप खान ने विदेशों में कई प्रोग्राम किए और ख्याति अर्जित की। जैसलमेर के लोक कलाकारों में स्वरूप खान सूफी गायन के जादूगर माने जाते हैं। उनकी गायकी ने निर्णायक अनु मलिक, सुनिधि चौहान व सलीम मर्चेंट को मंत्रमुग्ध कर दिया। स्वरूप खान इससे पूर्व अंग्रेजी फिल्म ‘मिल्क एंड ओपियम’ में मुख्य किरदार निभा चुका है।लोकसंगीतकापरचमस्थानीय मांगणियार कलाकारों ने लोक संस्कृति को संगीत के माध्यम से जीवित रखा है। वे निरंतर लोक संगीत को विख्यात करने में लगे हुए हैं। और तो और, अब यह संगीत इस जाति के लोगों की आजीविका का साधन बन चुका है। नन्हें कलाकारों से लेकर बुजुर्ग कलाकार आज भी शानदार प्रस्तुतियां देकर दर्शकों को भावविभोर कर रहे हैं।स्वरूपकीआवाजमेंदमहै‘गुणसार लोक कला संस्थान’ के अध्यक्ष बक्श खां ने बताया कि स्वरूप की आवाज में दम है और उसकी संगीत के प्रति दीवानगी उसको आगे तक ले जाएगी। वह लोक संगीत के साथ-साथ फिल्मी गीत भी सधे हुए सुरों में गा सकता है। बक्श खां ने बताया कि स्वरूप खां की हौसला अफजाई के लिए संस्थान उसे वोट करने की अपील करेगा
बाड़मेर: पुलिसकर्मी ने पत्नी की हत्या की
बाड़मेर: राजस्‍थान के मरूस्‍थली जिले बाड़मेर के मुख्यालय स्थित पुलिस लाइन के सरकारी आवास में एक पुलिसकर्मी ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस लाइन में घटित इस हत्याकांड से पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई है।बाड़मेर पुलिस अधीक्षक (एसपी) संतोष चालके ने बताया कि पुलिस विभाग में कार्यरत सिपाही राणाराम ने गुरुवार प्रातः अपने सरकारी आवास में सो रही पत्नी के सिर पर गैस की टंकी से वार कर उसे मौत के घाट उतार दिया। पत्नी की हत्या कर राणाराम ने स्वयं घर से बाहर आकर पड़ोसियों को पत्नी की हत्या के बारे में बताया। इसके बाद पड़ोसियों ने कोतवाली पुलिस को सूचना दी।सूचना मिलने के बाद पुलिस दल ने घटनास्थल पर पहुंच कर आरोपी पुलिसकर्मी को हिरासत में ले लिया। पुलिस के आला अधिकारियों ने घटना की जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंच कर घटनास्थल का मौका मुआयना किया। पुलिस ने मृतका के शव का पोस्टमार्टम करा परिजनों को सौंप दिया। इस संबंध में पुलिस थाना कोतवाली में हत्या का मामला दर्ज कर जांच आरम्भ कर दी गई है।
जयपुर हाइवे जाम किया
बाड़मेर राजसमंद जिले के ईसरमंड के जंगलों में कथित तौर पुलिस मुठभेड़ में मारे गए बिलाड़ा निवासी तस्कर छोटूराम जाट का शव गुरुवार को यहां पहुंचा। छोटूराम के शव को उसके समर्थकों ने कापरड़ा के मुख्य बस स्टैंड पर ही रोक लिया और करीब डेढ़ घंटे तक जोधपुर-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 112 को जाम कर दिया। आक्रोशित ग्रामीण बाड़मेर जिले के अंतर्गत कल्याणपुर थाना प्रभारी के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज कर उसे बर्खास्त करने की मांग को लेकर नारे लगाते रहे। बाद में पुलिस व स्थानीय राजनेताओं की समझाइश और आश्वासन से वे रास्ता खोलने पर राजी हो गए। गौरतलब है कि पुलिस ने छोटूराम जाट के मंगलवार को ईसरमंड के जंगलों में मुठभेड़ में मारे जाने की बात कही थी। उसका शव पोस्टमार्टम के लिए अजमेर के जेएलएन हॉस्पिटल में ले जाया गया। वहां उसके परिजनों ने यह कहते हुए पोस्टमार्टम करवाने और शव उठाने से मना कर दिया कि छोटूराम के सरेंडर करने के बावजूद पुलिस ने उसे गोली मार दी। बुधवार देर रात तक वे हॉस्पिटल के बाहर धरना देकर बैठे रहे। बाद में राजसमंद एसपी के मुकदमा दर्ज किए जाने की बात कहने पर वे पोस्टमार्टम के लिए राजी हुए। गुरुवार को पोस्टमार्टम के बाद शव छोटूराम के पैतृक गांव भेज दिया गया।