डांगावास हत्याकांड प्रकरण
सारा मामला एक सोची-समझी साज़िश था,दिल्ली तक करेंगे न्याय के लिए संघर्ष
27 मई, बाड़मेर। नागौर जिले के डांगावास में हुए दलितों के जनसंहार मामले में आज बाड़मेर जिला कलेक्ट्रेट परिसर के सामने ‘डांगावास हत्याकांड संघर्ष समिति बाड़मेर’ द्वारा एक दिवसीय विशाल धरना-प्रदर्शन किया गया। इस धरने में बाड़मेर जिले के एससी-एसटी समुदाय के 1500 से अधिक लोगों ने अपनी भागीदारी देकर राजस्थान सरकार को चेतावनी दी कि अगर डांगावास हत्याकांड के आरोपियों को सज़ा देकर पीड़ित पक्ष को न्याय नहीं दिया गया तो समाज द्वारा यह जनसंघर्ष आगे भी जारी रहेगा। इस प्रतिरोध में बाड़मेर जिले के विभिन्न जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया जिनमें पूर्व राजस्थान एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष गोपाराम मेघवाल, बाड़मेर जिला प्रमुख प्रियंका मेघवाल,धनाऊ प्रधान भगवती मेघवाल, राष्ट्रीय मूलनिवासी संघ के भेरूलाल नामा, श्रवण चंदेल, सेडवा प्रधान पदमाराम मेघवाल, रूपाराम धनदे, चोहटन विधायक तरुण राय कागा,अधिवक्ता प्रेम प्रकाश चौहान, भूराराम भील, सोनाराम टाक,जिला मजदूर यूनियन अध्यक्ष लक्ष्मण वडेरा, पूर्व प्रधान और ‘डांगावास हत्याकांड संघर्ष समिति बाड़मेर’ के संयोजक उदाराम मेघवाल प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
धरना स्थल पर उपस्थित लोगों को समाज के कई वक्ताओं ने संबोधित किया। इनमें बालोतरा के आसुलाल बृजवाल ने कहा कि अगर समाज एकजुट नहीं रहेगा तो डांगावास जैसे जनसंहार कभी बंद नहीं होंगे। हमें अहसास नहीं हो रहा इसलिए दरिंदे खुलेआम घूम रहे हैं। भोजाराम मंगल ने देश की आज़ादी पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि 65 साल बाद भी समाज कमजोर, बेबस और लाचार है। इसके लिए दोषी हम भी हैं। जनप्रतिनिधियों को उनकी ज़िम्मेदारी का अहसास दिलवाने के लिये इन्होंने एससी-एसटी समाज के युवाओं को आह्वान किया कि जब तक न्याय नहीं मिले तब तक संघर्ष जारी रहना चाहिए। अधिवक्ता प्रेमप्रकाश चौहान ने अपनी पीड़ा समाज के सामने रखते हुए कहा कि एकजुट हो जाओ नहीं तो हमारी ठुकाई हमेशा चलती रहेगी। ये आगे कहते हैं कि सभी पीड़ित लोग एक हो जाओ और अपनी ताकत का अहसास करा दो। वक्ताओं की अगली कड़ी में जैसलमेर के रूपाराम धनदे ने अपनी बात रखते हुए कहा कि डांगावास हत्याकांड दलितों की जमीन हड़पने के लिए किया गया। यह एक सुयोजित साज़िश थी। इन्होंने आगे कहा कि मामला अधिक बढ़ जाने के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आया जो कि बहुत शर्मनाक है।
बाड़मेर के मजदूर नेता लक्ष्मण वडेरा ने प्रतिरोध दर्ज करवा रहे लोगों से कहा कि अब तो ज़ुल्म की इंतेहा हो गई, हमारे समाज के प्रतिनिधि कब जागेंगे। इन्होंने बुझदिल और कायर लोगों को एमपी-एमएलए नहीं बनाने की नसीहत देते हुए कहा कि राजस्थान सरकार ने अब तक इस घटना पर मुंह तक नहीं खोला, जो सरकार जाति के आधार पर अपराधियों को शह देगी और हमें सुरक्षा नहीं देगी ऐसी सरकार को डूबकर मर जाना चाहिए। भेरूलाल नामा ने अपने वक्तव्य में संविधान को सर्वोपरि मानते हुए कहा कि हमें बाबा साहब डॉ. अंबेडकर की विचारधारा पर चलना होगा और समाज के लोगों में जब तक मानसिक गुलामी की भावना नहीं जाएगी तब तक समाज अपनी गरिमा नहीं हासिल करेगा। जिला प्रमुख प्रियंका मेघवाल ने कहा कि हम न्याय मिलने तक संघर्षरत रहेंगे। इन्होंने भी दलित समाज को गुलामी बंद करने की नसीहत देते हुए कहा कि हम जंग लड़ेंगे लेकिन पीछे नहीं हटेंगे।
पूर्व सिवाना विधायक और पूर्व राजस्थान एससी-एसटी आयोग अध्यक्ष गोपाराम मेघवाल ने प्रशासन की लापरवाही बताते हुए कहा कि राजनेता दलित वोट बैंक की राजनीति नहीं करें और गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया अपने पद से इस्तीफा दें। ये आगे अपने वक्तव्य में कहते हैं कि राज्य में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और सरकार मौन हैं। मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए इन्होंने बताया 50 वर्षों में डांगावास हत्याकांड जैसा नरसंहार नहीं देखा। इस दौरान चोहटन विधायक तरुण राय कागा ने सरकार को डिफ़ेंड करते हुए कहा कि राज्य में पहली बार किसी दलित मामले में सरकार ने सीबीआई जांच की सिफ़ारिश की हैं। डांगावास हत्याकांड को इन्होंने इंसानियत को झकझोरने वाला बताया।
दलित समाज के प्रोटेस्ट के दौरान भेडाणा की सरपंच ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि प्रधान उनके पंचायत के काम में बाधा डालते हैं और गालियां देकर रजिस्टर तक फाड़ डालते हैं। इन्होंने मारपीट करने का भी जिक्र किया। प्रोटेस्ट के दौरान आखिर में ‘डांगावास हत्याकांड संघर्ष समिति बाड़मेर’ के संयोजक उदाराम मेघवाल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि अगर सरकार ने सीबीआई जांच की सिफ़ारिश की है तो यह किसी तरह का अहसान नहीं हैं। दलितों की ज़िंदगियों के साथ एक तरफ जहां खूनी खेल को अंजाम दिया जाता हैं वहीं दूसरी ओर यह सरकार अपने कथित सफलतम एक साल का जश्न मना रही है, ऐसी दोगली सरकार को शर्म आनी चाहिए। इन्होंने डांगावास हत्याकांड के मृतकों के आश्रितों को 25 लाख और घायलों को 10 लाख की आर्थिक सहायता देने के साथ साथ मृतकों के किसी एक परिजन को सरकारी नौकरी देने की मांग की।
धरना प्रदर्शन पर मौजूद जनसमूह को रामचन्द्र गढ़वीर,भोजाराम मंगल, हेमाराम मेघवाल, चैनाराम कानासर,नवलकिशोर लीलावत, पदमाराम मेघवाल आदि ने भी संबोधित किया।
तपती गर्मी में जलाया राज्य सरकार का पुतला और दिया ज्ञापन
धरना-प्रदर्शन के बाद दलित समाज के जनप्रतिनिधियों और संघर्ष समिति के सदस्यों द्वारा जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया जिसमें सरकार से मांग की गई कि डांगावास हत्याकांड को अंजाम देने वाले सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएँ और इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। साथ ही साथ मामले में लापरवाह अधिकारियों के विरुद्ध सख़्त कानूनी कार्यवाही की जाएँ। जनसंहार से पीड़ित परिवारों के पुनर्वास के साथ साथ सोशल मीडिया में अशोभनीय टिप्पणियाँ करने वाले गुनहगारों पर कड़ी कार्यवाही करने की मांग भी रखी गई।
ज्ञापन देने से पूर्व दलित समाज के युवाओं द्वारा राज्य सरकार का प्रतीकात्मक पुतला जलाकर आक्रोश जताया गया और सरकार के उदासीन रवैये पर नारेबाजी की गई। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल भी मौजूद रहा।