सोमवार, 16 मार्च 2015

ब्रेकिंग बाड़मेर ट्रक पलटने से चार घायल।

ब्रेकिंग बाड़मेर ट्रक पलटने से चार घायल।


बाड़मेर हाथमा से सियाणी जाने वाली रोड पर किराडू मंदिर के पास सियानी की तरफ से आ रही गाड़ी RJ04.GA7964 का गोलाई में संतुलन बिगड़ने से तीन पलटी खा गई जिससे गाड़ी में सवार चालक पुराराम पुत्र टीकमाराम 28 जाट निवासी बिंजासर सहित तुलसाराम पुत्र खेमाराम जाट 54 सेहलाऊ,अर्जनराम पुत्र खेराजराम 45 जाट सेहलाऊ,पुरखाराम पुत्र तेजाराम 38 जाट सेहलाऊ घायल हो गए।
घटना की सुचना के बाद बाड़मेर से 108 एम्बुलेंस के ईएमटी लीलाराम सेजु और पायलट डालूराम ने सभी घायलो को बाड़मेर के राजकीय अस्पताल पहुचाया।
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गाड़ी इंद्रोइ गाँव में पशु शिविर पर चारा खाली करके वापिस बाड़मेर की तरफ आ रहे थे। घटना रात 9 बजे की हँ।

बाड़मेर बेहोश होकर गिर पड़ी, तब शुरू हुआ उपचार



बाड़मेर चिकित्सालय के आउटडोर में सुबह नौ बजे चौहटन से एक शिक्षक अपनी गर्भवती पत्नी के पेट दर्द का इलाज करवाने पहुंचा। एक घंटे तक इन्तजार के बाद महिला दर्द से छटपटाने लगी। शिक्षक ने इस दौरान कई बार चिकित्साकर्मियों से इलाज का अनुरोध किया। आखिरकार साढे दस बजे वह तेज दर्द के बाद बेहोश होकर स्टूल से नीचे गिर गई। कार्मिकों को जब इसका पता चला, तब उसे उठाकर महिला वार्ड में ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उसका इलाज शुरू किया।



सार-सम्भाल नहीं

राजकीय चिकित्सालय में रात में गर्भवती महिलाओं के वार्ड में भर्ती होने के बाद घंटों तक नर्सिगकर्मी महिला मरीजों की सार-सम्भाल नहीं लेते। परिजन का आरोप है कि यदि कोई परिजन नर्सिगकर्मियों से इलाज के लिए अनुरोध करता है तो नर्सिगकर्मी उनके साथ उचित व्यवहार तक नहीं करते। यहां तक कि परिजन की ओर से मरीज की ड्रिप हटाने या अन्य समस्या बताने पर भी कोई ध्यान नहीं देते।




अव्यवस्थाओं का अम्बार

जननी केन्द्र मेंं दूसरे वार्ड की तुलना में दो नर्सिग प्रभारी के साथ करीब एक दर्जन नर्सिगकर्मी होने के बावजूद व्यवस्थाएं निम्न स्तर की है। लेबर रूम के पास महिलाओं को प्रसव होने से पहले व बाद में कम समय के लिए भर्ती करने के लिए दो छोटे वार्ड की सुविधा है। नर्सिगकर्मियों का ठहराव यहां पर नहीं होकर लेबर रूम में होता है। ऎसे में इन वार्डो में कोई भी बेरोकटोक आ-जा सकते हैं।




शौचालयों पर ताले

प्रसव कक्ष के पास बने वार्ड में दोनो शौचालयों पर ताला लगा होने से यहां पर गंभीर हालत में महिलाओं को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। महिला मरीज को दो अन्य महिलाओं के सहयोग से पीपीटीसीटी कक्ष के पास बने वार्ड में ले जाया जाता है। शौचालय बंद होने से यहां पर भर्ती मरीजों को परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है।

-सेवादार




मुझे जानकारी नहीं

मैं यहां पर दवा वितरण व संधारण का कार्य देखता हूं। व्यवस्थाओं के बारे में मुझे कोई जानकारी नहींं है।

पुरूष्ाोत्तमदास सोनी, नर्सिग प्रभारी

अजमेर से बाड़मेर आ रहा "नशा"

अजमेर से बाड़मेर आ रहा "नशा"


बाड़मेर शहर में मिल रही स्मैक जोधपुर के रास्ते अजमेर से यहां पहुंच रही है। इसके कुछेक परचून व पान की दुकान वाले हैं। शहर के कुछ इलाकों में यह सहज उपलब्ध हो रही है।



शहर के कॉलेज कैम्पस तक पहुंच रही स्मैक को बाड़मेर तक पहुंचाने की एक चैन बनी हुई है। स्मैक की अजमेर से आपूर्ति होती है। जोधपुर के रास्ते ये बाड़मेर तक पहुंचती है। छोटी सी पुडिया की कीमत हजारों रूपए है। स्मैक के कारोबारी इसे आसानी से लेकर आते हैं।




शहर की पॉश कॉलोनियों में कुछ ठिकाने हैं, जहां ये मिलती है। यहां से शहर के कई दुकानदार इसे खरीदते हैं। स्थानीय हाईवे पर दो-तीन जगह स्मैक बिकती है। यहां सुबह व शाम ग्राहकों की चहल-पहल रहती है। स्थिति यह है कि एक कश के लिए युवा इंतजार करते हैं, तब जाकर नम्बर आता है।




पड़ोसी जानकर भी अनजान

स्मैक कहां मिल रही है, इसकी जानकारी आस-पास के लोगों को रहती है, लेकिन वे जानकर भी अनजान बने हुए हैं। आस-पास रहने वालों का नजरिया ऎसा है, जैसे कि वह कुछ जानते ही नहीं हो। हकीकत यह है कि लोग जानकारी होने के बावजूद इस पचड़े में पड़ना नहीं चाहते।




मुनाफे का चक्कर

स्मैक का धंधा मुनाफे का बना हुआ है। इसके आदी युवाओं की तादाद बढ़ने से इसकी मांग शहर में ज्यादा बढ़ गई है। ऎसे में मुंह मांगे दाम पर बिक जाती है। नशेडियों को भी पता है कि अमुक व्यक्ति या ठिकाने पर यह मिल जाएगी। वे वहां पहुंच कर इसे खरीदते हैं अथवा कूरियर का सहारा लेते हैं। ऎसे में धंधा करने वालों को न तो ग्राहक देखने की चिंता है और न ही बिकवाली का डर।




बेचने वालों को नहीं चिंता

स्मैक भले ही महंगे दाम पर मिलती है, लेकिन इसे बेचने वालों को इसकी चिंता नहीं होती, क्योंकि खरीदार रोकड़ रूपए देकर इसे खरीद रहे हैं। स्मैक बेचने वाले पुडिया बनाकर बेचते हैं। एक हजार रूपए से पुडिया की शुरूआत होती है। अधिक रूपए खर्च करने वालों को बड़ी पैकिंग की पुडिया ज्यादा दामों पर दी जाती है।

सरकार का दावा, नहीं दिया आरपीएफ भर्ती का कोई विज्ञापन



नई दिल्ली सरकार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि रेलवे सुरक्षा बल(आरपीएफ) और रेलवे सुरक्षा विशेष बल (आरपीएसएफ) में 17 हजार कांस्टेबलों की भर्ती के संबंध में किसी प्रकार का विज्ञापन नहीं दिया गया है।



रेल मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई। बयान में कहा गया है कि कुछ वेबसाइट पर आरपीएफ और आरपीएसएफ में कांस्टेबलों की हजारों की संख्या में भर्ती के लिए विज्ञापन दिए गए हैं।




इस संदर्भ में स्पष्ट किया जाता है कि ये विज्ञापन फर्जी हैं तथा रेलवे की तरफ से ऐसा कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया है और न ही रेलवे की ओर से इसके लिए कोई प्रक्रिया शुरू की गई है। इसलिए सलाह दी जाती है कि इन विज्ञापनों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाए।




बयान के मुताबिक आरपीएफ एवं आरपीएसएफ में केवल 1599 महिला कांस्टेबलों की भर्ती के लिए ही प्रक्रिया जारी है और इसकी सूचना रोजगार समाचार, राष्ट्रीय दैनिकों और रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट पर दी जायेगी।




उल्लेखनीय है कि इस माह की शुरूआत में कुछ वेबसाइटों ने रेलवे की ओर से कांस्टेबल के पदों पर भर्ती को लेकर विज्ञापन दिए थे।

राजस्थान में ग्राम पंचायत स्तर पर लगेंगे माइक्रो एटीएम

राजस्थान में ग्राम पंचायत स्तर पर लगेंगे माइक्रो एटीएम 



जयपुर ग्राम पंचायतों में लगने वाले माइक्रो एटीएम से ग्रामीण एक दिन में अधिकतम एक हजार रूपए की राशि निकाल सकेंगे। स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया या स्टेट बैंक समूह के बैंक के डेबिट कार्ड से राशि निकालने पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।



मुख्यमंत्री ने आगामी वित्तीय वर्ष के बजट में ग्राम पंचायत स्तर पर अटल सेवा केन्द्रों पर माइक्रो एटीएम लगाने की घोषणा की थी। यह सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार व स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया के बीच समझौता हो चुका है।




इसके अनुसार ग्रामीण एक दिन में 1 हजार रूपए तक सौ के गुणक में राशि निकाल सकेंगे। अन्य बैंक का डेबिट कार्ड होने पर राशि की प्रति निकासी पर दस रूपए तक का शुल्क लगेगा।




प्रदेश में बैंकों के एटीएम अभी केवल ब्लॉक स्तर तक ही लगे हुए हैं। ग्राम पंचायत स्तर पर माइक्रो एटीएम लगाने से ग्रामीणों को अधिक सुविधा मिलेगी। प्रायोगिक तौर पर राजधानी स्थित सचिवालय, उच्च न्यायालय व गवर्नमेंट हॉस्टल में माइक्रो एटीएम लगाए जा चुके हैं। इसके अलावा जयपुर जिले के वाटिका, विधाणी व गोनेर में ये मशीने लगाई जा चुकी हैं। इस महीने तक ढाई हजार स्थानों पर इन्हें लगाया जाएगा।




ऎसे मिलेगी राहत

माइक्रो एटीएम मशीन एक हैण्ड डिवाइस है। यह डिवाइस अटल सेवा केन्द्रों पर स्थित ई-मित्र कियोस्क पर होगी। इसमें डेबिट कार्ड को स्वैप करने पर ग्रामीण व्यक्ति के बैंक खाते से उतनी राशि डेबिट हो जाएगी। कियोस्कधारी अपने पास से उतनी राशि उस व्यक्ति को दे देगा। अगले दिन बैंक कियोस्कधारी के खाते में वह राशि डाल देगा।




इसकी भी शुरूआत

मुख्यमंत्री ने बजट में अटल सेवा केन्द्रों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गोविन्दगढ़ पंचायत समिति की 25 ग्राम पंचायतों में यह सुविधा शुरू कर दी गई है। इससे ग्राम पंचायतों को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राजधानी और संबंधित जिले से जोड़ा जा सकेगा।




भुगतान की भी सुविधा

ग्रामीणों को माइक्रो एटीएम के माध्यम से विभिन्न बिलों के भुगतान की सुविधा भी मिलेगी। इसके लिए निर्घारित शुल्क उनके बैंक खाते में से डेबिट होगा।

राजस्थान 6 साल के बच्चे की मां है ये 'लेडी डॉन', पुलिस भी है इससे कांपती


राजस्थान  6 साल के बच्चे की मां है ये 'लेडी डॉन', पुलिस भी है इससे कांपती

राजस्थान के जयपुर में रहने वाली इस महिला को 'लेडी डॉन' के नाम से जाना जाता है। उसका शहर में इतना आतंक है कि पुलिस के उसके नाम से पसीने छूटने लगते हैं।
उसके खिलाफ एक दर्जन से अधिक मुकदमे है। लेकिन असल में ये महिला हमेशा से 'लेडी डॉन' नहीं थी, इसे लेडी डॉन बनाने के लिए जिम्मेदार है हालात। आर्थिक तंगी और अकेलापन ने इसे 'लेडी डॉन' का तमगा दिला दिया।
22 साल की इस लेडी डॉन का नाम 'सीमा चौधरी उर्फ मिंटू चौधरी' है, ये देवराजनगर, तन मदरामपुरा की रहने वाली है। मां के बचपन में ही गुजरने के बाद मिंटू के सिर पर सिर्फ पिता का ही सायां बचा था, आर्थिक हालत कमजोर होने के चलते पिता कमाने के लिए बाहर चला गया।
मिंटू की शादी जिस शख्स से हुई वो भी उससे अलग रहता है। दोनो का एक 6 साल का बेटा भी है। मजबूरी ने ही इस मां को शहर का लेडी डॉन बना दिया। आज उसके ऊपर एक दर्जन से ज्यादा केस चल रहे हैं।
कई मामलों में चल रहे केस
केवल मिंटू चौधरी के खिलाफ शहर के ही थानों में मामले दर्ज नहीं है बल्कि मिंटू चौधरी ने भी कई अलग अलग मामले शहर के थानों में दर्ज कराए हैं।

बालोतरा वाह रे जलदाय विभाग! कागजों में ही दुरस्त कर रहे हैं हैण्डपम्प

बालोतरा वाह रे जलदाय विभाग! कागजों में ही दुरस्त कर रहे हैं हैण्डपम्प
25 दिन से हैंडपम्प खराब,
ग्रामीणों के सामने पेयजल संकट
पाटोदी पंचायत समिति के कोडूका गांव का मामला
बंशी चौधरी 

बालोतरा। उपखण्ड की पाटोदी पंचायत समिति के कोडूका गांव में आईमाता मंदिर के पास स्थित हैंण्डपम्प पिछले कई दिनो खराब पड़ा हैं। इस संबंध में ग्रामीणों ने जलदाय विभाग को जरिये दूरभाष और व्यक्तिगत रूप से मिलकर अवगत करवा चुके हैं, लेकिन जलदाय विभाग के निकम्मे अधिकारियों की नींद नही खुल रही हैं जिसके चलते यहां के आस-पास के दर्जनों ढाणियों के लिए पेयजल का संकट खड़ा हो गया हैं। ग्रामीणों ने बताया कि हैंडपम्प खराब होते ही संबंधित अधिकारियों को अवगत करवा दिया था तथा फिर भी सही नही करने पर लिखित में अर्जी पेश कर दी बावजूद इसके जलदाय विभाग के अधिकारी हैंण्डपम्प को ठीक नही करवा रहे हैं।
कागजो में ही बता रहे है ठीक कर दिया हैंण्डपम्प
ग्रामीण सुमेरसिंह नें बताया कि जब हैंण्डपम्प सही करवाने की शिकायत लेकर जलदाय विभाग के पचपदरा कार्यालय गया तो वहां उन्हे चौंकाने वाला जबाव मिला कि आपका हैंण्डपम्प तो 2 मार्च 2015 की ठीक किया गया हैं, साथ ही कोडूका के दो और हैंण्डपम्प दुरस्त करने की जानकारी दी लेकिन यहां न तो इस दिन कोई हैंण्डपम्प को निरीक्षण करने तक नही आया ठीक करने की बात दूर। अब ऐसे में सवाल उठता हैं कि जिले के कितने हैण्डपम्प ऐसे ही कागजो में ठीक होंगे होते।
यही ढर्रा रहा तो गर्मियों में बिगड़ जाएंगे हालात
अभी तो गर्मी शुरु ही नही हुई हैं अभी से जलदाय विभाग की कार्यशैली की पोल खुल रही हैं, यदि यही हालात रहे तो ग्रामीणों के सामने आने वाले दिनों में पेयजल करे लेकर बड़ा संकट उत्पन्न हो सकता हैं। यह हालात इस एक हैंण्डपम्प के नही हैं उपखड क्षेत्र में हैंण्डपम्प खराब होने की शिकायते अक्सर आती रहती हैं, लेकिन विभाग के अधिकारी अपनी सुविधानुसार उन्हे दुरस्त करवाते हैं न की जनता की परेशानी को देखकर।
तीन दिन में ठीक करने का हैं नियम
‘’राजस्थान लोक सेवा गारण्टी अधिनियम 2011 के अन्तर्गत हैंडपम्प की ठीक करने के लिए सहायक अभियंता को तीन दिन के निर्धारित समय में हैंडपम्प दुरस्त करना होता हैं, लेकिन यहां तो महिनों बीत जाने के बाद भी हैंण्डपम्प दुरस्त नही हो रहे हैं।
क्या कहते हैं ग्रामीण
हैंडपम्प खराब होते ही लिखित में अर्जी देदी थी, लेकिन आज 20 से अधिक दिन हो गये अभी तक हैंडपम्प सही करने कोई नही आया हैं, हमे पेयजल के लिए तथा मवेशियों को पानी पिलाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही हैं।
सुमेरसिंह भाटी
हमारे यहां आस-पास में कोई पेयजल की सुविधा नही हैं यहां के लोगों के लिए एक मात्र पानी का साधन यही हैंडपम्प था, जो खराब होने से दूर-दूर तक पानी के लिए जाना पड़ रहा हैं।
सोमूखां मंगलिया

बाड़मेर नरेगा सात विकास अधिकारियो को नोटिस।

बाड़मेर नरेगा सात विकास अधिकारियो को नोटिस।




श्रमिको के आधार कार्ड बनाने के काम में लापरवाही बरतने पर बाड़मेर जिले के सात विकास अधिकारियो को कारन बताओ नोटिस जारी किये।अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक सुरेश दाधीच ने बताया की सीवाना को छोड शेष सात विकास अधिकारियो ने श्रमिको के आधार कार्ड लक्ष्य औरुप नहीं बनाये।कार्य में लापरवाही बरतने और उच्च अधिकारियो के आदेशो की अवहेलना पर नोटिस जारी कर तीन दिन ने जवाब माँगा हैं।

मनरेगा भुगतान अब आधार से



महात्मा गांधी नरेगा के तहत कार्यरत श्रमिकों को 1 अप्रेल से आधार आधारित भुगतान किया जाएगा। इस सम्बंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में निर्देश जारी किए हैं।



ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के ईजीएस आयुक्त रोहित कुमार ने राज्य के सभी जिला कार्यक्रम समन्वयक (जिला कलक्टर) को जारी किए सर्कुलर में आधार सीडिंग के कार्य को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए हैं। सर्कुलर में बताया है कि जॉब कार्डधारी नरेगा श्रमिक, जिनके यूआईडी/ईआईडी नम्बर जारी किए जा चुके हैं, उनकी सीडिंग नरेगा सॉफ्ट में करवाया जाए।




सर्कुलर में बताया है कि नरेगा सॉफ्ट में कार्य मांग के समय यूआईडी/ ईआईडी




प्रविष्टि का विकल्प उपलबध करवा दिया गया है। जारी निर्देश के मुताबिक जिन श्रमिकों के यूआईडी/ईआईडी नम्बर नहीं हैं, उनके रजिस्ट्रेशन के लिए पंचायत समिति स्तर पर स्थापित परमानेंट एनरोलमेंट सेंटर (पीईसी) से सम्पर्क कर विशेष आधार रजिस्ट्रेशन कैम्प आयोजित करने के लिए कहा है।




राज्य में अभी 7 लाख यूआईडी नम्बर को वेरीफाई किया जाना शेष है। ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यरत एलडीसी आदि को फिजिकल वेरीफिकेशन करवाकर नरेगा सॉफ्ट में अपडेट करने के लिए कहा है।




लगेंगे विशेष शिविर

जारी निर्देश में बताया है कि जिन क्षेत्रों में आधार रजिस्ट्रेशन कम हुआ है, वहां का आंकलन करते हुए जिला कलक्टर विशेष कैम्प के माध्यम से ईआईडी नम्बर जारी करवाएं। साथ ही कार्य मांग के समय यदि श्रमिक के पास यूआईडी/ ईआईडी नम्बर नहीं है तो कार्यक्रम अधिकारी को निकट के पीईसी से श्रमिक का ईआईडी नम्बर प्राप्त करने के निर्देश भी दिए हैं। आने वाला खर्च प्रशासनिक मद में वहन होगा।




...श्रमिकों के निवास से लेना होगा नम्बर

निर्देश में बताया है कि ऐसे श्रमिक जिनके यूआईडी नम्बर जारी है, लेकिन नरेगा सॉफ्ट में सीडिंग नहीं है, इसके लिए ग्राम पंचायत पर कार्यरत जीआरएस/एलडीसी को श्रमिक के निवास स्थान पर जाकर नम्बर प्राप्त करें। साथ ही बैंक खाते का विवरण लेते हुए यूआईडी नम्बर बैंक में जमा कराएं, जिससे, नम्बर को बैंक खाते के साथ जोडऩे के लिए नेशनल पैमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडियाÓ (एनपीसीआई) को भेजा जा सके।




मिले हैं निर्देश

इस सम्बंध में निर्देश मिले हैं। जिनके रजिस्ट्रेशन नहीं हैं, उनके लिए विशेष कैम्प लगेंगे।

आर.डी.मीणा

सीईओ, जिला परिषद भरतपुर