रविवार, 19 मार्च 2017

बालोतरा , 4 ग्राम स्मेक व 5 हजार रूपये नकद किये बरामद। एक आरोपी किया गिरफ्तार।



बालोतरा , 4 ग्राम स्मेक व 5 हजार रूपये नकद किये बरामद। एक आरोपी किया गिरफ्तार।


कस्बा बालोतरा में लम्बे समय से मादक पदार्थो की हो रही तस्करी के सम्बन्ध में प्राप्त हो रही षिकायतों के सम्बन्ध में इन पर लगाम लगाने व युवा पीढी में बढ़ रही नषे की प्रवर्ती पर अकुष लगाने हेतु चलाये जा रहे अभियान के तहत श्रीमान गगनदीप सिंघला जिला पुलिस अधीक्षक महोदय जिला बाड़मेर के आदेषानुसार तथा श्रीमान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बालोतरा व श्री वृताधिकारी बालोतरा के निर्देषन में मन् थानाधिकारी पुष्पेन्द्र वर्मा नि०पु० मय अधिनस्थ स्टाफ द्वारा निरन्तर गस्त निगरानी रखी जाकर अवेध मादक पदार्थ तस्करी पर अकुष लगाने के क्रम में दिनांक 17.03.17 को थाना हाजा कीे पुलिस टीम श्री जगदीष सिहाग उ०नि० कानि० सतीश मीणा, कानि. सुरेन्द्र कुमार मय जाब्ता द्वारा गौतम पंवार पुत्र ओमप्रकाष माली निवासी गांधीपुरा गिरफतार कर उसके कब्जे से 4 ग्राम स्मेक बरामद व 5 हजार रूपये बरामद किये तथा मुलजिम गौतम से पुछताछ कर अवैध मादक पदार्थो की तस्करी के सम्बन्ध में ओर जानकारी प्राप्त करने के प्रयास किये जारी है उक्त कार्यवाही से कस्बा में बढ़ रही युवा पीढी में नषे की प्रवर्ति पर अकुष लगेगा।

बाड़मेर जिला मुख्यालय पर राजकीय षिषुु गृह का शुभारंभ



बाड़मेर जिला मुख्यालय पर राजकीय षिषुु गृह का शुभारंभ
बाड़मेर, 19 मार्च। जिला मुख्यालय पर रविवार को जिला कलक्टर सुधीर शर्मा ने महावीर नगर मंे राजकीय शिशु गृह का शुभारंभ किया। इसमंे 0 से 6 वर्ष की आयु के लावारिस बच्चांे को रखा जा सकेगा। इसके अलावा अब बाड़मेर जिला मुख्यालय पर शिशुआंे को गोद देने की प्रक्रिया संपादित हो सकेगी।

जिला कलक्टर सुधीर शर्मा ने राजकीय शिशु गृह का फीता काटकर शुभारंभ किया। उन्हांेने कहा कि जिला स्तर पर शिशु गृह शुरू होने से लावारिस बच्चांे को स्थानीय स्तर पर रखने एवं परवरिश करने की सुविधा मिल सकेगी। इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक सुरेन्द्र पूनिया, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. हेमराज सोनी, कार्यक्रम अधिकारी तुलछाराम, राजवेस्ट पावर लिमिटेड के सीएसआर हेड विनोद विटठल, बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष नवनीत पचौरी, सदस्य राजाराम सर्राफ, राजकुमार जोशी, चाइल्ड लाइन के महेश पनपालिया समेत विभिन्न अधिकारी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक सुरेन्द्र पूनिया ने बताया कि बाल अधिकारिता विभाग की ओर से संचालित इस शिशु गृह का समस्त पर्यवेक्षण सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग का रहेगा। बाल कल्याण समिति के निर्देश पर इसमंे लावारिस शिशुआंे को रखा जाएगा। यहां लावारिस शिशुआंे को गोद भी दिया जा सकेगा। शिशुओं की देखभाल के लिए आया, चौकीदार एवं समन्वयक की नियुक्त किया जाएगा।

परीक्षा के अगले दिन से ही आगामी कक्षा में दिया जाएगा प्रवेश

बाड़मेर, 19 मार्च। इस बार कक्षा 5, 8 और 10 वीं बोर्ड की परीक्षाओं में शामिल होने वाले विद्यार्थियों को परीक्षा के अगले दिन से ही आगामी कक्षा में प्रोविजनल प्रवेश दे दिया जाएगा। इस संबंध मंे शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी किए है।

शिक्षा अधिकारियांे को दिए निर्देशांे के अनुसार विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखते हुए इस बार विद्यालयों में परीक्षा समाप्ति के बाद से ही अगली कक्षा में उन्हें अस्थाई प्रवेश दिया जाए। ताकि परीक्षा परिणाम आने तक की देरी से अगले सत्र में उनकी पढ़ाई में किसी प्रकार का नुकसान नहीं हो। कक्षा 5, 8 एवं 10 वीं बोर्ड की परीक्षाओं में शामिल होने वाले विद्यार्थियों का अवकाश सबके साथ निर्धारित शिविरा पंचाग के अनुसार ही होगा।

बाड़मेर पषुपालक कराए अपने मवेषियांे का बीमा



बाड़मेर पषुपालक कराए अपने मवेषियांे का बीमा

बाड़मेर, 19 मार्च। भामाशाह पशु बीमा योजना के तहत गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर, ऊंट, गधा, सांड, पाडा आदि पशुओं का बीमा कराया जा सकता है। इसमंे एक पशुपालक के अधिकतम पांच पशुओं का बीमा हो सकता है।

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डा. नारायणसिंह सोलंकी ने बताया कि भामाशाह पशु बीमा योजना के तहत भेड़, बकरी, सूअर की कैटल यूनिट में दस पशु मानते हुए पचास पशुओं का अथवा पांच बड़े पशु गाय भैंस का बीमा किया कराया जा सकता है। उन्हांेने बताया कि इसके लिए भामाशाह कार्ड के अलावा आवेदन पत्र पशु का स्वास्थ्य बीमा प्रमाण पत्र, पशु के कान में टैग सहित पशुपालक का फोटो, बीपीएल कार्ड, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति से संबंधित दस्तावेज की प्रति, बैंक खाते की डिटेल आवश्यक है। पशुपालक को बीमा करवाने के लिए नजदीकी पशु चिकित्सालय जाकर प्रस्ताव पत्र और स्वीकृति पत्र भरना होगा। इसके बाद अपने हिस्से की प्रीमियम राशि सर्विस टैक्स सहित बीमा कंपनी के प्रतिनिधि, अभिकर्ता, संबंधित पशु चिकित्सक अधिकारी के पास जमा करानी होगी। बीमित पशु की पहचान के लिए पशु के टैग लगाया जाएगा। पशु का टैग सहित फोटो लेना आवश्यक है। उनके मुताबिक भामाशाह पशु बीमा योजना में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, बीपीएल श्रेणी के पशुपालकों को पशु निर्धारित प्रीमियम राशि का महज 30 प्रतिशत जमा कराना होगा। शेष 70 प्रतिशत प्रीमियम सरकार करवाएगी। वहीं सामान्य श्रेणी के पशुपालकों को 50 प्रतिशत प्रीमियम जमा करवाना होता है। इसके तहत गाय के न्यूनतम कीमत तीन हजार रुपए प्रति लीटर दूध उत्पादन, भैंस की न्यूनतम 4 हजार रुपए प्रति लीटर दूध उत्पादन की दर से निर्धारित की जाएगी। बीमित पशु की मौत होने पर छह घंटे के अंदर संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग या प्रतिनिधि को देनी होगी। इसके अन्तर्गत उन्हीं पशुओं का बीमा किया जाता है, जिनका किसी अन्य पशु बीमा योजना में बीमा नहीं किया हुआ हो। अनुदानित प्रीमियम राशि के अलावा संपूर्ण प्रीमियम राशि का 15 प्रतिशत सर्विस टैक्स पशुपालक की ओर से वहन किया जाएगा।

बाड़मेर कलक्टर के निर्देष पर ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापक के खिलाफ मामला दर्ज



बाड़मेर  कलक्टर के निर्देष पर ग्राम सेवा सहकारी

समिति के व्यवस्थापक के खिलाफ मामला दर्ज


-जिला कलक्टर की रात्रि चौपाल के दौरान कृषि आदान संबंधित अनुदान नहीं मिलने की ग्रामीणांे ने की थी षिकायत
बाड़मेर, 19 मार्च। शिवकर मंे आयोजित रात्रि चौपाल के दौरान ग्रामीणांे की कृषि आदान अनुदान वितरण नहीं करने की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिला कलक्टर सुधीर शर्मा के निर्देश पर कुड़ला ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापक के खिलाफ सदर पुलिस स्टेशन मंे मामला दर्ज कराया गया है। प्रारंभिक जांच के दौरान करीब चार लाख रूपए का अनुदान संबंधित किसानांे को वितरण नहीं होने का खुलासा हुआ है।

ृशिवकर ग्राम पंचायत मुख्यालय पर शुक्रवार को आयोजित रात्रि चौपाल के दौरान जिला कलक्टर सुधीर शर्मा के समक्ष ग्रामीणांे ने शिकायत की थी कि कुड़ला ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापक डालूराम ने उनको कृषि आदान संबंधित अनुदान की राशि का वितरण नहीं किया है। इस मामले की जांच करवाने पर पता चला कि ग्राम सेवा सहकारी समिति कुड़ला के खाते मंे किसानांे को वितरण करने के लिए 17 लाख रूपए अनुदान राशि जमा कराई गई थी। इसमंे से 17 लाख रूपए किसानांे को वितरण कर दिए गए। मौजूदा समय मंे सहकारी समिति के खाते मंे महज 1500 रूपए शेष है। जबकि करीब 190 किसानांे को अनुदान राशि नहीं मिल पाई है। प्रारंभिक जांच मंे अनियमितताएं सामने आने के बाद जिला कलक्टर सुधीर शर्मा के निर्देश पर संबंधित व्यवस्थापक के खिलाफ सदर पुलिस स्टेशन मंे मामला दर्ज कराया गया है। जिला कलक्टर सुधीर शर्मा ने बताया कि जिले मंे अगर कहीं पर भी इस तरह की अनियमितता सामने आई तो संबंधित व्यवस्थापक के खिलाफ सरकारी राशि के गबन का मामला दर्ज कराते हुए नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।

बाड़मेर मंे 43 हजार ऊंटांे को बचाने की पहल



बाड़मेर मंे 43 हजार ऊंटांे को बचाने की पहल
-बाड़मेर जिले मंे ऊंटों के संरक्षण के लिए जिला प्रशासन ने पशुपालकांे को प्रोत्साहित करने की शुरूआत की है। मौजूदा समय मंे बाड़मेर जिले मंे 43 हजार 172 ऊंट है। सीमा सुरक्षा बल के जवानांे के साथ सरहद पर अग्रिम रक्षा पंक्ति मंे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ऊंट बाड़मेर की कला एवं संस्कृति के अभिन्न अंग रहे है। ग्रामीण इलाकांे मंे आज भी वार-त्यौहार के साथ विवाह सरीखे शुभ कार्याें मंे इनकी महत्वपूर्ण भागीदारी रहती है।

बाड़मेर, 19 मार्च। ऊंटों की लगातार घटती संख्या को रोकने एवं पशुपालन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बाड़मेर जिला प्रशासन एवं पशुपालन विभाग ने अनूठी पहल की है। इसके तहत जागरूकता शिविरांे का आयोजन कर एक ही स्थान पर पशुपालकांे को मिलने वाली सुविधाआंे की जानकारी देने के साथ उष्ट्र विकास योजना मंे पंजीकृत किया जा रहा है। इसमंे ऊंटनी के प्रसव होने पर तीन चरणांे मंे दस हजार रूपए की आर्थिक सहायता का प्रावधान है। जागरूकता शिविर मंे पहुंचने वाले ऊंटों को समुचित चिकित्सकीय सुविधाएं भी मुहैया कराई जा रही है। इसके तहत शनिवार को डंडाली ग्राम पंचायत मुख्यालय पर पशुपालक जागरूकता शिविर आयोजित किया गया।

बाड़मेर जिले मंे पशुपालक अपने मवेशियांे को लेकर अक्सर विचरण करते रहते है। विशेषकर ऊंटों देवासी समुदाय के लोग तीन-चार दिन तो कई बार 15 दिन से एक माह की अवधि तक के लिए आसपास के गांवांे मंे चले जाते है। कई बार इनको सरकारी योजनाआंे की जानकारी नहीं मिल पाती तो कई बार व्यस्तता के चलते संबंधित पशु चिकित्सालयांे मंे नहीं पहुंच पाते। इन परिस्थितियांे को समझते हुए जिला कलक्टर सुधीर शर्मा, सिवाना विधायक हमीरसिंह भायल एवं पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डा.नारायणसिंह सोंलकी ने एक कार्य योजना बनाते हुए तय किया कि क्यों नहीं, इन पशुपालकांे को एक ही स्थान पर अपने ऊंटों के साथ एकत्रित कर सरकारी सुविधाआंे से लाभांवित किया जाए। इसी कड़ी मंे शनिवार को डंडाली ग्राम पंचायत मुख्यालय पर जागरूकता शिविर का आयोजन कर पशुपालकांे को सरकारी योजनाआंे की जानकारी देने के साथ ऊंटों को समुचित चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई गई। जिला कलक्टर सुधीर शर्मा के मुताबिक तिलवाड़ा मेले मंे भी पशुपालकांे को मिलने वाली सुविधाआंे की जानकारी देने के साथ उष्ट्र विकास योजना, भामाशाह पशु बीमा योजना से लाभांवित करवाने का प्रयास किया जाएगा। उनके मुताबिक राज्य सरकार ने ऊंट को राज्य पशु घोषित करते हुए उष्ट्र विकास योजना प्रारंभ की थी। बाड़मेर मंे मौजूदा समय मंे 43 हजार ऊंट है। इनके संरक्षण के लिए वृहद स्तर पर प्रयास किए जा रहे है। पशुपालकांे को मिलने वाली सुविधाआंे से रूबरू करवाने के साथ उष्ट्र विकास योजना मंे पंजीकृत किया जा रहा है। ताकि पशुपालक विशेषकर ऊंट पालन के लिए प्रोत्साहित हो। इस योजना मंे तीन चरणांे मंे पंजीकृत ऊंटनी के प्रसव होने पर 10 हजार रूपए देने का प्रावधान है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डा.नारायणसिंह सोलंकी के मुताबिक अब तक उष्ट्र विकास योजना मंे 440 ऊंटांे का पंजीकरण कराया गया है।

क्या है उष्ट्र विकास योजनाः जिले के सभी मूल निवासी ऊंट पालक चाहे वे किसी भी वर्ग से संबंधित हो जिले में पाई जाने वाली सभी उष्ट्र वंशीय नस्लों के लिए सहायता देय होगी। इसके तहत ऊंट पालकों को अपना पंजीकरण नजदीकी पशु चिकित्सालय में करवाना होगा। पंजीकृत सभी उष्ट्र वंशीय पशुओं को औषधियां, खनिज लवण, कृमिनाशक दवा विभागीय पशुधन की ओर से निशुल्क उपलब्ध करवाई जाएंगी तथा पंजीकृत ऊंटनी के ब्याने पर उत्पन्न नर या मादा बच्चे को एक माह की उम्र पर तीन हजार रुपए, 9 माह की उम्र पर तीन हजार रुपए तथा 18 माह की उम्र पूर्ण करने पर चार हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। पंजीकृत सभी उष्ट्र वंशीय पशुओं का भामाशाह पशु बीमा योजना अंतर्गत बीमा कराया जाना आवश्यक होगा।

उष्ट्र विकास योजना मंे कैसे होता है पंजीकरणः उष्ट्र विकास योजना के तहत ऊंट पालक को ऊंटनी का नजदीकी पशु चिकित्सालय में पंजीकरण करवाना होता है। साथ ही उसे अपनी बैंक डिटेल भी देनी होगी। किसान अपने नए नवेले टोडियो की ठीक से देखभाल कर सके और ऊंटनी का जापा पूरा करवा सके। इसके लिए ये रकम बेहद महत्वपूर्ण हैं। साथ ही ऊंट के बच्चे के बड़ा होते ही बेचने वाली प्रवृत्ति पर भी रोक लगेगी।

80 फीसदी ऊंट राजस्थान मंेः करीब 25 साल में देश की ऊंटों की संख्या घटकर महज 40 फीसदी रह गई है। पूरे देश के लगभग 80 फीसदी से ज्यादा ऊंट राजस्थान में पाए जाते हैं। साल 2012 की ऊंट गणना के मुताबिक 4 लाख 274 मंे से 3 लाख 25 हजार 713 ऊंट राजस्थान में पाए जाते हैं।