गुरुवार, 13 अगस्त 2015

कोचिंग छात्रों का कब्रिस्तान बन रहा कोटा शहर

कोचिंग छात्रों का कब्रिस्तान बन रहा कोटा शहर


कोटा। राजस्थान का कोटा शहर सपने बेचता है सपना आईआईटी का और दूसरे काॅलेजों का ,एक ग्लैमरस लाइफ और सुनहरें कॅरियर का जो लाखो की पंसद है करोड़़ों की दिवानगी ,कोटा में करीब एक लाख बच्चें देशभर से मां बाप की उम्मीद का बोझ लिए इस शहर में आते है , लेकिन कभी कभी उम्मीदों का बोझ इतना होता है कि कुछ बच्चे टूट भी जाते है।



मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से आए एक परिवार ने अपने कलेेजे के टुकड़े को खो दिया बड़ी उम्मीद के साथ कोटा में आईआईटी की परीक्षा की तैयारी के लिए महज 20 दिन पहले ही योगेश जोहरे कोटा आया था लेकिन उसकी जिस तरह से मौत हुई उसके बाद परिवार में मातम का माहौल है। हांलकि पुलिस अब इस मामले को हादसें के तौर पर जांच को आगे बढ़ा रही है लेकिन कोटा में छात्र छात्राओं का डिप्रेशन में आकर मौत को गले लगाने का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है पढ़ाई का प्रेशर और महंगी पढ़ाई के साथ मां बाप की उम्मीदें कई घरों के चिराग बुझा रही है।



पिछले साल 45 छात्रों ने किया सुसाइड,मुंबई को कोटा ने पीछे छोड़ा

ताजा आंकड़े की बात करे तो कोटा मायानगरी मुम्बई से भी आगे सुसाइड के मामले में आकर खड़ा हो गया है। मुम्बई कोटा से चार गुना बड़ा शहर है लेकिन सुसाइड करने वालों का आकडा कोटा में ज्यादा है। एनसीआरबी के मुताबिक साल 2014 में कोटा में 45 स्टेडेंटस ने सुसाइड किया था यानी हर 8 वें दिन एक स्टूडेट ने मौत को गले लगाया। अब कोटा देश की राजधानी दिल्ली के साथ आत्महत्याओं के मामले में तीसरे स्थान पर जा पहुचा है। जून जुलाई के महीने में आधा दर्जन विधार्थी सुसाइड कर चुके है।



हर साल करीब 13 लाख बच्चे आज़माते हैं किस्मत

आईआईटी में करीब देशभर से 13 लाख बच्चे अपनी किस्मत अजमाते है उसमें से कामयाब होते है सिर्फ दस हजार , और कोटा में कोचिंग में कोचिंग लिए करीब 75 हजार बच्चें इस परिक्षा में अपनी दावेदारी पेश करते है लेकिन कामयाबी सिर्फ तीन हजार को मिलती है बाकि उन 72 हजार का क्या जिनके हाथ सफलता नहीं लगती है । दिमाग को प्रेशर कूकर बना देना वाला दबाव के नतीजें भी खतरनाक साबित होते है,बच्चें कोचिंग में जरा सा क्या पिछड़े कि उम्मीदों के बोझ से टूट जाते है और मौत केा गले लगा लेते है ।







70 फीसदी बच्चे हो जाते हैं डिप्रेशन का शिकार

कोटा में कोचिंग करने वाले बच्चों में से 70 फीसदी डिप्रेशन का शिकार है ऐसा मनोचिकित्सकों का मानना है , एक चुहा दौड़ में बच्चें दौड़ रहे है एक मायावी दुश्मन के पीछे तलवार भांजें, जिन्दगी के सबसे नाजूक दौर में जिनकी उम्र 14 से 21 साल के बीच होती है, घर परिवार से दुर अकेले , जो हालात के साथ बदले वो चल गए बाकि टूट के बिखर गए । मनौचिकित्सक इसके लिए कोटा के कोचिंग संस्थाओ के माहौल को भी जिम्मेदार ठहरा रहे है साथ ही उन माॅ बाप जो अपनी उम्मीदो को बच्चों पर थोप रहे है लेकिन कोचिंग सस्थान इस मामलें को पुरी तरह से परिजनों डाल कर अपने आप को अलग कर लेते है।



पुलिस प्रशासन हैरान, संस्थाओं के पास नहीं कोई जवाब

कोटा में हो रही लगातार आत्महत्याओं की घटनाओं ने अब कोटा जिला प्रशासन और पुलिस को भी हैरान कर दिया है । जिला प्रशासन ने कोचिंग संस्थाओ की मदद से हैल्प लाइन भी शुरू की है , कामयाबी भी लेकिन सुसाइड के आंकड़ों में कमी दर्ज नही हुई अब कोटा पुलिस लगातार बढ रही सुसाइडस की घटनाओ के बाद कोचिंग संस्थाओ को भी जिम्मेदारी निभाने की ताकीद कर रही है वही पुलिस भी अब बढते हुए आंकड़े को अकुश लगाने पुलिस की भुमिका बनाने का दावा कर रही है।







कोटा को आर्थिक रूप से खड़ा करने वाली कोचिंग इंडस्ट्री मे खुद को अव्वल रखने की होड़ लगी हुई है , इसी होड में कोचिंग की पढ़ाई बच्चों मे तनाव की वजह तो है ही साथ ही देशभर के बच्चों का बड़ी तादाद में इस प्रतियोगी परीक्षा में हिस्सा लेना कम सीटों के चलते डिपेशन का बडा कारण है यही वजह है कि आत्महत्याओं में हो रहे इजाफें पर अब गृहमंत्री गुलाबचंद्र कटारियां भी सुसाइड के आंकड़ों की पीछे की वजह की जांच कराने की बात कह रहे है ।



खुदकुशी के मामलों में बढ़ोतरी के लिए अब न तो कोचिंग संस्थाए सोच रही है और न ही सरकार जबकि कोटा की कोचिंग इडस्टी ने 120 करोड़़ सर्विस टैक्स सरकार को बीते साल चुकाया है प्रतियोगी परीक्षा की इस अंधी दौड़ में स्ट्रेस फ्री बच्चा कैसे रहे और कैसे कत्लगाह बनते जा रहे कोचिंग पर अंकुश लगेगा यह बड़ा सवाल है।

नागौर।गड़ा धन पाने की चाह में देने चले थे ​मासूम की बलि

नागौर।गड़ा धन पाने की चाह में देने चले थे ​मासूम की बलि

नागौर। डेगाना क्षेत्र में एक नरबलि का मामला सामने आया है जिसमें गढ़े धन के लालच में चार युवको ने 8 साल के मासूम की बलि लेने का प्रयास किया। बालक की सजगता के कारण नरबलि का यह प्रयास विफल हुआ और 1 आरोपी को गिरफ्तार किया गया।

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घटना नागौर जिले के मांझी गांव की है जहां गड़े धन के लालच में कुछ युवकों ने एक 8 वर्षीय मासूम को अगवा कर बलि देने का प्रयास किया, पर मासूम मौका देखकर वहां से भाग गया जिससे पूरे मामले की खबर गांववालों को हो गई। गांववालों की मार के डर से चार में से एक आरोपी युवक डालाराम ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया है, बाकी तीन युवक अभी तक फरार हो गए जिनकी पुलिस तलाश कर रही है।



गांववालों ने आरोपी डालाराम को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने बताया कि मांझी गांव के निवासी भंवर लाल ने डालाराम और अन्य तीन पर नरबली करने का मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस आरोपी डालाराम की निशानदेही पर तीन अन्य आरोपियों की तलाश में जुट गई है।

झुंझुनूं। मामूली से कर्ज ने सीआरपीएफ जवान को बना दिया था भगौड़ा,पूछताछ में सामने आई दर्द भरी दास्तां

झुंझुनूं। मामूली से कर्ज ने सीआरपीएफ जवान को बना दिया था भगौड़ा,पूछताछ में सामने आई दर्द भरी दास्तां

झुंझुनूं। वो साढ़े तीन साल बाद लौट आया जब पूछताछ की तो सामने आई पुलिस के लिए दिलचस्प कहानी और परिवार के लिए दर्द भरी दास्तां। लेकिन असल में कहानी कर्ज और शर्म से जुड़ी हुई हैं। बात झुंझुनूं के उस भगौड़े सीआरपीएफ जवान की है। जिस पर राजस्थान पुलिस ने 25 हजार का इनाम घोषित कर रखा था। उसने कोई अपराध नहीं किया था। लेकिन गायब था, परेशान पुलिस महकमा था। हाईकोर्ट सख्त था और परिवार टूटा हुआ। लेकिन आखिरकार झुंझुनूं पुलिस ने इस जवान को ढूंढ निकाला और जो सच आया। वो आपको रूलाएगा भी और हैरान भी करेगा, साथ ही आपके मन में फौजी के लिए हमदर्दी भी आएगी। अब बताते है कि आपको दशरथ की साढ़े तीन साल की कहानी। कहानी फिल्मी है।

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लंबू जी के नाम से था फेमस
सूत्रों की मानें तो दशरथ को दिल्ली की चिटफंड कंपनी ने डेढ़ साल की चपत लगा दी थी। वहीं इसी दौरान इतने ही रुपयों का कर्ज हो गया था। जिससे वह परेशान था और नौकरी पर जाने की बजाय वह गायब हो गया। इसके बाद शर्म के मारे वापिस नहीं लौट पाया। साढ़े तीन साल में उसने क्राइम कम, दुआएं ज्यादा ली हैं। चित्तौडग़ढ़ में उसने करीब दो साल बिताए हैं। जिसमें कहीं पर भी अपनी पहचान नहीं छिपाई। चित्तौडग़ढ़ में ईमानदारी और मेहनत का काम किया, लंबू के नाम से दशरथ को जानते व पहचानते थे। जहां भी काम किया, अपने काम और व्यवहार की छाप छोड़ी। एक महीने पहले जरूर दशरथ ने एक विवाहिता को भगाया। लेकिन उसकी भी केवल भीलवाड़ा में गुमशुदगी दर्ज हैं। वहीं पुलिस और पूछताछ कर पूर्णतया तसल्ली करना चाहती है। सीआरपीएफ, दशरथ, परिवार, चित्तौडग़ढ़ केवल यह कहानी इन सबके बीच चलती हैं। लेकिन यह भी सच है कि दशरथ ने जहां भी किया, वहां मजदूरी का काम किया और अपना पेट भरा। परिवार को छोड़ा, उसकी बेवकूफी थी। लेकिन जहां भी काम किया, वहां उसे शाबासी मिली। होटलों में पौछा लगाने में हिचक नहीं की तो ट्रक, टैंपों चलाकर भी पेट भरा। अब परिवार को उसके घर लौटने का इंतजार है तो पुलिस भी पूरी तसल्ली के लिए दो दिनों से पूछताछ कर रही हैं। इस दौरान उसे मृत भी माना गया, सीआरपीएफ से राशि भी मिली, पेंशन भी। लेकिन परिवार की उम्मीद टूटी नहीं थी। पुलिस का भी पीछा छूटा नहीं था। ऐसे में आखिरकार दशरथ मिल गया और एक दाग के अलावा किसी दाग को लेकर नहीं लौटा। यह भी बड़ी बात हैं। लेकिन यह भी लगभग तय हो गया कि छोटे से कर्ज ने दशरथ को घर छोडऩे को मजबूर किया था और बाद में शर्म ने उसे वापिस नहीं आने दिया।

अलवर में बाइक सवार युवक को बस ने कुचला, युवक की मौके पर मौत

अलवर में बाइक सवार युवक को बस ने कुचला, युवक की मौके पर मौत


अलवर। अरावली विहार थाना क्षेत्र में तेज गति से आ रही मिनी बस ने एक बाइक सवार युवक को बुरी तरह से कुचल दिया, जिससे युवक की मौके पर ही मौत हो गई। मौके से स्थानीय लोगों ने ही युवक के शव को बस के ​नीचे से निकाला और दुर्घटना की सुचना पुलिस को दी।


दरअसल, अलवर जिले के अरावली विहार थाना क्षेत्र में एक युवक बुधवार को सुबह मुगंसका की ओर से मंडी रोड़ की तरफ जा रहा था, तभी मंडी मोड़ की तरफ से तेज गति से आ रही मिनी बस ने युवक को कुचल दिया। जिससे युवक की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने शव को मोर्चरी में रखवा दिया है। मृत युवक के परिजनों को सुचना कर दी गई थी जिसके बाद परिजनों ने हॉस्पिटल पहुंचकर पोस्टमार्टम करवाया गया।

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हरियाणा के झज्झर क्षेत्र का रहने वाला युवक काफी दिनों से अलवर में रह कर नौकरी कर रहा था। बुधवार सुबह ही युवक बाइक लेकर कहीं जा रहा था कि अचानक से तेज गति से आती हुई मिनी बस ने युवक को कुचल दिया। मामले में स्थानिय पुलिस जांच कर रही है।

जयपुर। विकलांग दुष्कर्मी को 10 साल की सजा

जयपुर। विकलांग दुष्कर्मी को 10 साल की सजा


जयपुर। जयपुर शहर की महिला उत्पीड़न एवं दहेज प्रकरण मामलों की विशेष अदालत क्रम-2 ने 6 साल की बालिका से दुष्कर्म के मामले में दोनों पांव से विकलांग अभियुक्त हीरालाल रैगर को दस साल की कठोर सजा सुनाई है। सजा के साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए कहा है कि यह राशि पीड़िता को अदा दी जाए।अदालत ने आदेश की प्रति को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में भेजा है ताकि पीड़िता को पीडित प्रतिकर अधिनियम के तहत आर्थिक सहायता मिल सके।

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अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया की पीड़ित परिवार तत्कालीन विधायक बहादुरसिंह कोली के सर्वेट क्वाटर में रहता है। 2 मार्च 2011 को 6 साल की पीड़िता और उसका एक साल का भाई खेल रहे थे। अभियुक्त दोनों को टॉफी दिलाने के बहाने से अपनी ट्राई साईकिल पर बैठाकर बंगले के पीछे ले गया। यहां उसने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया। जिससे पीड़िता बेहोश हो गई। पीड़िता की मां की रिपोर्ट पर पुलिस ने मामला दर्ज कर अभियुक्त को गिरफ्तार किया।