झुंझुनूं। मामूली से कर्ज ने सीआरपीएफ जवान को बना दिया था भगौड़ा,पूछताछ में सामने आई दर्द भरी दास्तां
झुंझुनूं। वो साढ़े तीन साल बाद लौट आया जब पूछताछ की तो सामने आई पुलिस के लिए दिलचस्प कहानी और परिवार के लिए दर्द भरी दास्तां। लेकिन असल में कहानी कर्ज और शर्म से जुड़ी हुई हैं। बात झुंझुनूं के उस भगौड़े सीआरपीएफ जवान की है। जिस पर राजस्थान पुलिस ने 25 हजार का इनाम घोषित कर रखा था। उसने कोई अपराध नहीं किया था। लेकिन गायब था, परेशान पुलिस महकमा था। हाईकोर्ट सख्त था और परिवार टूटा हुआ। लेकिन आखिरकार झुंझुनूं पुलिस ने इस जवान को ढूंढ निकाला और जो सच आया। वो आपको रूलाएगा भी और हैरान भी करेगा, साथ ही आपके मन में फौजी के लिए हमदर्दी भी आएगी। अब बताते है कि आपको दशरथ की साढ़े तीन साल की कहानी। कहानी फिल्मी है।
लंबू जी के नाम से था फेमस
सूत्रों की मानें तो दशरथ को दिल्ली की चिटफंड कंपनी ने डेढ़ साल की चपत लगा दी थी। वहीं इसी दौरान इतने ही रुपयों का कर्ज हो गया था। जिससे वह परेशान था और नौकरी पर जाने की बजाय वह गायब हो गया। इसके बाद शर्म के मारे वापिस नहीं लौट पाया। साढ़े तीन साल में उसने क्राइम कम, दुआएं ज्यादा ली हैं। चित्तौडग़ढ़ में उसने करीब दो साल बिताए हैं। जिसमें कहीं पर भी अपनी पहचान नहीं छिपाई। चित्तौडग़ढ़ में ईमानदारी और मेहनत का काम किया, लंबू के नाम से दशरथ को जानते व पहचानते थे। जहां भी काम किया, अपने काम और व्यवहार की छाप छोड़ी। एक महीने पहले जरूर दशरथ ने एक विवाहिता को भगाया। लेकिन उसकी भी केवल भीलवाड़ा में गुमशुदगी दर्ज हैं। वहीं पुलिस और पूछताछ कर पूर्णतया तसल्ली करना चाहती है। सीआरपीएफ, दशरथ, परिवार, चित्तौडग़ढ़ केवल यह कहानी इन सबके बीच चलती हैं। लेकिन यह भी सच है कि दशरथ ने जहां भी किया, वहां मजदूरी का काम किया और अपना पेट भरा। परिवार को छोड़ा, उसकी बेवकूफी थी। लेकिन जहां भी काम किया, वहां उसे शाबासी मिली। होटलों में पौछा लगाने में हिचक नहीं की तो ट्रक, टैंपों चलाकर भी पेट भरा। अब परिवार को उसके घर लौटने का इंतजार है तो पुलिस भी पूरी तसल्ली के लिए दो दिनों से पूछताछ कर रही हैं। इस दौरान उसे मृत भी माना गया, सीआरपीएफ से राशि भी मिली, पेंशन भी। लेकिन परिवार की उम्मीद टूटी नहीं थी। पुलिस का भी पीछा छूटा नहीं था। ऐसे में आखिरकार दशरथ मिल गया और एक दाग के अलावा किसी दाग को लेकर नहीं लौटा। यह भी बड़ी बात हैं। लेकिन यह भी लगभग तय हो गया कि छोटे से कर्ज ने दशरथ को घर छोडऩे को मजबूर किया था और बाद में शर्म ने उसे वापिस नहीं आने दिया।
झुंझुनूं। वो साढ़े तीन साल बाद लौट आया जब पूछताछ की तो सामने आई पुलिस के लिए दिलचस्प कहानी और परिवार के लिए दर्द भरी दास्तां। लेकिन असल में कहानी कर्ज और शर्म से जुड़ी हुई हैं। बात झुंझुनूं के उस भगौड़े सीआरपीएफ जवान की है। जिस पर राजस्थान पुलिस ने 25 हजार का इनाम घोषित कर रखा था। उसने कोई अपराध नहीं किया था। लेकिन गायब था, परेशान पुलिस महकमा था। हाईकोर्ट सख्त था और परिवार टूटा हुआ। लेकिन आखिरकार झुंझुनूं पुलिस ने इस जवान को ढूंढ निकाला और जो सच आया। वो आपको रूलाएगा भी और हैरान भी करेगा, साथ ही आपके मन में फौजी के लिए हमदर्दी भी आएगी। अब बताते है कि आपको दशरथ की साढ़े तीन साल की कहानी। कहानी फिल्मी है।
लंबू जी के नाम से था फेमस
सूत्रों की मानें तो दशरथ को दिल्ली की चिटफंड कंपनी ने डेढ़ साल की चपत लगा दी थी। वहीं इसी दौरान इतने ही रुपयों का कर्ज हो गया था। जिससे वह परेशान था और नौकरी पर जाने की बजाय वह गायब हो गया। इसके बाद शर्म के मारे वापिस नहीं लौट पाया। साढ़े तीन साल में उसने क्राइम कम, दुआएं ज्यादा ली हैं। चित्तौडग़ढ़ में उसने करीब दो साल बिताए हैं। जिसमें कहीं पर भी अपनी पहचान नहीं छिपाई। चित्तौडग़ढ़ में ईमानदारी और मेहनत का काम किया, लंबू के नाम से दशरथ को जानते व पहचानते थे। जहां भी काम किया, अपने काम और व्यवहार की छाप छोड़ी। एक महीने पहले जरूर दशरथ ने एक विवाहिता को भगाया। लेकिन उसकी भी केवल भीलवाड़ा में गुमशुदगी दर्ज हैं। वहीं पुलिस और पूछताछ कर पूर्णतया तसल्ली करना चाहती है। सीआरपीएफ, दशरथ, परिवार, चित्तौडग़ढ़ केवल यह कहानी इन सबके बीच चलती हैं। लेकिन यह भी सच है कि दशरथ ने जहां भी किया, वहां मजदूरी का काम किया और अपना पेट भरा। परिवार को छोड़ा, उसकी बेवकूफी थी। लेकिन जहां भी काम किया, वहां उसे शाबासी मिली। होटलों में पौछा लगाने में हिचक नहीं की तो ट्रक, टैंपों चलाकर भी पेट भरा। अब परिवार को उसके घर लौटने का इंतजार है तो पुलिस भी पूरी तसल्ली के लिए दो दिनों से पूछताछ कर रही हैं। इस दौरान उसे मृत भी माना गया, सीआरपीएफ से राशि भी मिली, पेंशन भी। लेकिन परिवार की उम्मीद टूटी नहीं थी। पुलिस का भी पीछा छूटा नहीं था। ऐसे में आखिरकार दशरथ मिल गया और एक दाग के अलावा किसी दाग को लेकर नहीं लौटा। यह भी बड़ी बात हैं। लेकिन यह भी लगभग तय हो गया कि छोटे से कर्ज ने दशरथ को घर छोडऩे को मजबूर किया था और बाद में शर्म ने उसे वापिस नहीं आने दिया।
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