जैसलमेर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के छात्रावासों में आॅनलाईन आवेदन आमंत्रित04 अगस्त, 2015: सामाजिक न्याय एवं अधिकरिता विभाग द्वारा संचालित नीचे लिखी राजकीय एवं अनुदानित छात्रावासों में शैक्षणिक सत्र 2015-16 में स्थान रिक्त रहनें के कारण पुनः आॅन लाईन आवेदन आमं़ित्रत किये जा रहे है। छात्रावास संबंधी सामान्य दिषा-निर्देष का विस्तृत विवरण विभाग की वेबसाईट ी sje.rajasthan.gov.in पर उपलब्ध है। हिम्मत सिंह कविया सहायक निदेषक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, जैसलमर ने बताया कि विभागीय छात्रावासों में प्रवेष हेतु आॅनलाईन आवेदन पत्रsjms.rajasthan.gov.in एवंsje.rajasthan.gov.in पोर्टल पर जिले के अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्यपिछडा जाति के आवेदकों से राजकीय छात्रावास, जैसलमेर द्वितीय/नाचना प्रथम/नाचना द्वितीय/ पोकरण/ कन्या छात्रावास मोहनगढ/महाविद्यालय स्तरीय कन्या छात्रावास जैसलमेर/खींया/ रामगढ/ रामदेवरा/अनुदानित छात्रावास पदरोडा छात्रावासों हेतु आमंत्रित किये जा रहे है। छात्रावासों में गत वर्ष आवासित छात्रों को भी प्रवेष हेतु ई-मित्र कियोस्क, साइबर कैफे, निजी इन्टरनेट आदि के माध्यम से आॅनलाईन आवेदन करना अनिवार्य है। एक विद्यार्थी अधिकतम तीन छात्रावासों के लिये आॅनलाईन आवेदन कर सकेगा। आवेदन हेतु आवेदक की न्यूनतम आयु सीमा 7 वर्ष एवं गत परीक्षा में उतीर्ण होना आवष्यक है। प्रवेष हेतु निम्नलिखित दस्तावेज अनिवार्य किये गये हैं यथाः ई-मेल आईडी, मोबाईल नम्बर, आधार नम्बर /यू.आई.डी. अथवा आधार ई.आई.डी. रसीद, भामाषाह कार्ड नम्बर अथवा भामाषाह रजिस्ट्रेषन नम्बर, मूल निवास प्रमाण-पत्र, गत वर्ष की अंकतालिका, जाति प्रमाण-पत्र, बीपीएल प्र्रमाण-पत्र, (केवल बीपीएल के लिए), निःषक्त प्रमाण-पत्र (केवल विषेष योग्यजन के लिए), आय प्रमाण-पत्र (गैर बीपीएल के लिए), माता और पिता का मृत्यु प्रमाण-पत्र (केवल अनाथ बालक/बालिका के लिए) पिता का मृत्यु प्रमाण-पत्र (केवल विधवा के बालक/बालिका के लिए), पति का मृत्यु प्रमाण-पत्र (विधवा आवेदकों के लिये)। उक्त दस्तावेज की स्वप्रमाणित स्कैन प्रति संलग्न करनी होगी। स्कैन्ड फाईल आवष्यक दस्तावेज सहित आॅनलाईन सबमिट करनी होगी। फाईल का आकार 200 के.बी. से कम होना चाहिए
शिव विधायक की अनुशंषा पर तीन करोड़ अस्सी लाख की सड़कों की मंजूरीबाड़मेर, 05 अग। सीमावर्ती गांवों के वाशिंदो को सड़क सुविधा को ओर अधिक सुगम बनाने के लिहाज से शिव विधायक द्वारा पिछले 6 माह से किए जा रहे प्रयासों को आखिरकार राज्य सकरा ने तीन करोड अस्सी लाख रू की सड़को की मंजूरी देकर नई सौगात दी हैं। यह जानकारी देते हुए शिव विधायक मानवेन्द्रसिंह के निजी सचिव रामसिंह ने बताया कि विधायक मानवेन्द्र सिंह के प्रयासो से शिव जोरानाड़ा से नागड़दा रोड़ 8किमी सड़क के लिये दो करोड़ एंव अकली से केरकोरी तक 5किमी के लिये एक करोड़ की राशि स्वीकृत एंव र्गाराना माता मन्दिर की लिये छियालीस लाख रू0 एंव विरात्रा रोहिड़ा माता मन्दिर के लिये तैतीस लाख रू की राशि जारी की गई ।
जयपुर। प्रदेश में निकाय चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख से ऐन पहले उन लोगों के लिए राहत भरी खबर आई है जिनके पास उच्च शिक्षा के दस्तावेज़ तो थे लेकिन आवश्यक 10 वीं से सम्बंधित दस्तावेज़ नहीं थे।
दरअसल, निकाय चुनाव में शैक्षणिक दस्तावेजों को लेकर आ रही परेशानी के संबंध में स्वायत्त शासन विभाग ने आखिरकार मंगलवार को स्पष्टीकरण जारी कर दिया।
विभाग ने साफ कर दिया है कि अगर प्रत्याशी के पास दसवीं के दस्तावेज नहीं हैं और वह उच्च शिक्षा के दस्तावेज पेश कर देता है तो उसे दसवीं पास माना जाएगा।
इसी तरह कई प्रत्याशी नॉन मैट्रिक हैं, लेकिन उनके पास उच्च स्तर के प्रमाण पत्र या डिप्लोमा या डिग्री मौजूद है। ऐसे पाठ्यक्रमों में उत्तीर्ण होने पर अभ्यर्थियों की उच्च शिक्षा की डिग्रियां बिना मैट्रिक प्रमाण पत्र के भी मान्य होगी।
डीएलबी ने निर्वाचन आयोग की ओर से पूछे गए प्रश्नों के जवाब में यह स्पष्टीकरण जारी किया है। जानकारी के मुताबिक़ डीएलबी ने स्पष्टीकरण जारी करने से पहले विधि विभाग से रायशुमारी भी कर ली थी।
उच्च शिक्षा दस्तावेज़ों को मान्य करने की उठ रही थी मांग
नामांकन शुरू होने के साथ ही कई जगहों से इस तरह के मामले सामने आये थे जहां पर अभ्यर्थियों के पास दसवीं के दस्तावेज़ नहीं होकर उच्च शिक्षा से जुड़े दस्तावेज़ मौजूद थे।
लेकिन रिटर्निंग अफसर उन्हें यह कहकर नामांकन भरने से मना कर रहे थे कि उनके पास ज़रूरी दसवीं के दस्तावेज़ नहीं थे।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी दसवीं दस्तावेज़ों की आवश्यकता पर पुनर्विचार करने की सरकार से अपील की थी।
नामांकन के लिए जरूरी हैं ये दस्तावेज
नामांकन दाखिल करवाने वाले व्यक्ति के 27 नवंबर 1995 के बाद दो से अधिक संतान नहीं होने का प्रमाण। अपराध दोष सिद्ध के संबंध में घोषणा पत्र। विचाराधीन आपराधिक मुकदमों की सूचना के संबंध में घोषणा पत्र। आरक्षित वार्ड से चुनाव लड़ने पर जाति प्रमाण पत्र। दसवीं पास की मार्कशीट।
यह जमानत राशि जमा करवानी होगी
सामान्य वर्ग के लिए पार्षद का चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति को नामांकन आवेदन के साथ 2 हजार रुपए जमानत राशि के रूप में जमा कराने होंगे। जबकि ओबीसी वर्ग के लिए एक हजार रुपए व एससी एसटी वर्ग के लिए पांच सौ रुपए जमा कराने होंगे।
विरोध के बीच कराची केंद्रीय जेल में किशोर हत्यारे को दी गयी फांसीइस्लामाबाद: मानवाधिकार समूहों के विरोध के बीच चार बार मृत्युदंड टलने के बाद पाकिस्तान ने आज एक ‘किशोर हत्यारे’ को फांसी दे दी. इन समूहों का कहना था कि 2004 में अपराध के वक्त वह नाबालिग था.अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शफाकत हुसैन के मामले पर काफी प्रतिरोध जताया गया. आज तडके कराची केंद्रीय जेल में उसे फांसी दे दी गयी.पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के निवासी हुसैन को कराची में सात वर्षीय एक लडके को अगवा करने और उसकी हत्या करने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया और 2004 में दोषी ठहराया गया. उसकी सभी अपीलें खारिज कर दी गयी थी.पहले 14 जनवरी को उसे फांसी दी जानी थी लेकिन उसकी उम्र को लेकर विवाद बढने के बाद फांसी टाल दी गयी.विभिन्न स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का कहना था कि उसे 14 साल की उम्र में दोषी ठहराया गया और यह किशोर कानूनों का उल्लंघन है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों को दरकिनार कर उसपर मुकदमा चलाया गया और पाकिस्तान से उम्र समेत उन दावों की जांच कराने को कहा जिसमें कहा गया था कि उसने यातना के कारण अपराध स्वीकारा.पाकिस्तान की किशोर न्याय प्रणाली के तहत 18 साल की उम्र के पहले के अपराध के लिए किसी को फांसी नहीं दी जा सकती.उसकी फांसी का विरोध करने वालों ने कहा कि उसकी उम्र को नजरंदाज किया गया. गृह मंत्री निसार अली खान ने वकीलों की इन दलीलों की सत्यता का पता लगाने के लिए जांच का आदेश दिया था कि सजा सुनाए जाने के वक्त वह नाबालिग था.जांच के बाद पता चला कि अपराध के समय हुसैन की उम्र 23 थी. हुसैन के वकील ने सबसे पहले इस्लामाबाद हाईकोर्ट में अपील की लेकिन उसकी याचिकाएं खारिज कर दी गयी. बाद में वह सुप्रीम कोर्ट गया लेकिन वहां भी उसकी उम्र को लेकर दलीलें खारिज कर दी गयी. फांसी चार बार टल चुकी थी.पाकिस्तान ने पिछले साल पेशावर में एक स्कूल में तालिबान के हमले के बाद दिसंबर 2014 से फांसी पर पाबंदी वापस ले ली थी. पेशावर हमले में 150 से ज्यादा लोग मारे गए थे. फिर से फांसी दिए जाने की शुरुआत के बाद करीब 180 अभियुक्तों को फांसी दी जा चुकी है.