तंत्र विद्या के नाम पर की थी बहू की हत्या, ससुर को आजीवन कारावास
हनुमानगढ़ भूत निकालने के नाम पर विवाहिता की पीट-पीट कर हत्या करने के बहुचर्चित मामले में शनिवार को एडीजे द्वितीय दयाराम गोदारा ने मृतका के ससुर को दोषी करार देते हुए आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई। उस पर पांच हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया, जो अदा नहीं करने पर उसे दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
न्यायालय ने मृतका के ससुर को साक्ष्य मिटाने का दोषी भी माना है। राज्य सरकार की ओर से मामले की पैरवी एपीपी द्वितीय सुमन झोरड़ ने की। प्रकरण के अनुसार रोशनलाल निवासी खैरुवाला ने 18 सितम्बर 2011 को पीलीबंगा थाने में मामला दर्ज कराया कि उसकी बहन विमला देवी की 16 सितम्बर को ससुर रामस्वरूप पुत्र नंदराम बावरी निवासी माणक थेड़ी ने पीट-पीट कर हत्या कर दी। आरोपी ससुर से जब मृतका के पीहर पक्ष ने घटना का कारण पूछा तो बताया कि वह तंत्र विद्या से विमला का भूत निकाल रहा था। इसलिए उसकी पिटाई की।
पिटाई, भूख-प्यास आदि यातनाओं से विमला की मौत हो गई। आरोपी ने घटना के बाद मौके से साक्ष्य मिटाने का भी प्रयास किया। पुलिस ने मामले की जांच कर न्यायालय में चालान पेश किया। प्रकरण की सुनवाई के बाद न्यायालय ने रामस्वरूप को आईपीसी की धारा 302 तथा 201 का दोषी माना। धारा 302 के तहत उसे आजीवन कारावास, पांच हजार रुपए जुर्माना तथा जुर्माना अदा नहीं करने पर दो माह के अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई। जबकि धारा 201 के तहत पांच वर्ष के कठोर करावास, दो हजार रुपए जुर्माने तथा जुर्माना अदा नहीं करने पर एक माह के अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई है। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। महावीर सिंह से विमला देवी का विवाह एक सितम्बर 2011 को हुआ था। शादी के महज 15 दिन बाद ही ससुर ने तंत्र विद्या के नाम पर उसकी हत्या कर दी। मृतका के पीहर पक्ष ने केवल ससुर रामस्वरूप के खिलाफ ही हत्या का मामला दर्ज करवाया।
न्यायालय ने भी यह माना कि पीहर पक्ष अगर रंजिशवश मामला दर्ज कराता तो ससुराल पक्ष के अन्य लोगों पर भी आरोप लगा सकता था। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इससे मामले की जांच की दिशा नहीं भटकी।