रविवार, 5 जुलाई 2015

बधाई हो ! मुन्ना हुआ मगर फुटपाथ पर....

बधाई हो ! मुन्ना हुआ मगर फुटपाथ पर....

हरदोई केंद्र सरकार हो या प्रदेश सरकार कोई भी जनकल्याण की योजना लागू कर दे मगर वह लोगों को मिलेगी इसकी हमारे देश में गारंटी नहीं है और न कोई गारंटी लेने वाला है।

खासतौर से स्वास्थ विभाग तो खुद अपने जिम्मेदारों की करतूतों से बीमार है। यहां कर्मचारी सरकारी नौकरी करते हुए निजी अस्पतालों के लिए काम करते हैं। जननी सुरक्षा योजना के लिए अस्पतालों को दी गई 102 एम्बुलेंस का लाभ अधिकतर गर्भवती महिलाओं को मिल ही नहीं रहा है।

ज्यादातर आशाओं के जरिये आने वाली 102 एम्बुलेंस प्रसव पीडि़त तक पहुंचती ही नहीं या पहुंचने से पहले ही प्रसव के दौरान सरकारी अस्पताल में होने वाली तमाम दुश्वारियां को गिनाते हुए इतना भयभीत कर दिया जाता है कि प्रसव पीडि़त 102 पर बैठने की हिम्मत नहीं जुटा पाती इसके बाद उसे निजी नर्सिंग होम की खूबियों का बखान किया जाता है, ऐेसे में दर्द से करा रही महिला के परिजन नर्सिंग होम का रुख करने को मजबूर हो जाते हैं।

हरदोई की तहसील संडीला में सड़क किनारे फुटपाथ पर हुए प्रसव का सामने आया एक मामला है। दरअसल उन्नाव जनपद के बांगरमऊ इलाके के शीतल गंज के रहने वाले हनीफ की पत्नी खुशबू को शनिवार भोर में जबरदस्त प्रसव पीड़ा हुई तमाम फोन और प्रयासों के बाद भी न कोई आशा न ही 102 उसके घर पहुंची। काफी इंतजार के बाद महिला को तड़पता देख परिजन आनन फानन में उसे लेकर बांगरमऊ सीएचसी पहुंचे।

वहां मौजूद चिकित्सकों ने उसका परीक्षण किया आशा और एनम ने बताया कि प्रसव सामान्य नहीं हो पाएगा। गर्भस्थ शिशु फंसा हुआ है तथा महिला की भी हालत ठीक नहीं है। कर्मचारियों की बात से परिजन भयभीत हो उठे तब कर्मचारियों ने स्थानीय नर्सिंग होम ले जाने की नेक सलाह दे डाली। प्रसव पीडि़ता की चिंता में डूबे भयभीत परिवार वाले आनन फानन में वाहन से उसे संडीला ले आए।

एक नर्सिंग होम के पास ही प्रसव पीड़ा इस कदर बढ़ गई कि साथ में आई महिलाओं ने सड़क किनारे फुटपाथ पर ही चादर तान दी। आखिरकार थोड़ी मशक्कत के बाद सड़क किनारे ही फुटपाथ पर मुन्ने की किलकारी गूंज गई। तब जाकर परिजनों ने राहत की सांस ली और स्वास्थ्य सेवाओं को कोसते हुए चंद मिनट बाद ही खुशी-खुशी वापस लौट गए।

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