अमेरिका के प्रसिद्ध रियलटी टीवी शो 'टीन मॉम' की स्टार फराह अब्राहम के पोर्न वीडियो ने तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
फराह के पोर्न वीडियो को 12 घंटे के अंदर ही 20 लाख लोगों ने कीमत चुकाकर देखा। वीडियो को विविड एंटरटेनमेंट वेबसाइट ने जारी किया है।
वेबसाइट के मुताबिक फराह के पोर्न वीडियो में रुचि का आलम यह था कि ओवरलोड के कारण करीब 9 मिनट तक वेबसाइट क्रैश रही।
इससे पहले रियलटी टीवी स्टार किम कर्डाशियन और उनके प्रेमी जे रे के वीडियो ने धमाल मचाया था। किम के वीडियो को पहले 12 घंटे में 6 लाख लोगों ने देखा था। लेकिन यह आंकड़ा फराह के वीडियो के सामने बौना साबित हुआ।
सेलिब्रिटी गॉसिप वेबसाइट टीएमजेड के मुताबिक फराह का वीडियो करीब 72 मिनट का है और यह प्रोफेशनली शूट किया गया पोर्न वीडियो है। माना जा रहा है कि फराह ने इस वीडियो से करीब एक मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई की है।
बुधवार, 8 मई 2013
मौत का आलिंगन: बांहों में एक-दूसरे को जकड़े ही दफन हो गया एक जोड़ा
ढाका. बांग्लादेश की रहने वाली तस्लीमा नसरीन के अलावा पिछले दो तीन दिनों से एक दूसरी तस्लीमा ने दुनिया भर के लोगों को अपने काम से प्रभावित किया है। ढाका में हुई हिंसा के चलते व्यापक जनहानि के बीच ही तस्लीमा ने प्रेम का आधारभूत पहलू अपनी इस तस्वीर से उजागर किया है। दरअसल बांग्लादेश में पिछले दिनों एक फैक्ट्री की इमारत गिर गई थी जिसके मलबे में दबकर कई लोगों की मौत हो गई थी। तस्लीमा ने इसी मलबे में मृत पाए गए पति पत्नी की ऐसी तस्वीर खींची किटाइम जैसी पत्रिका को भी उनका इंटरव्यू करने को मजबूर होना पड़ा।
बांग्लादेशी फोटोग्राफर और 'पाठशाला' के नाम से साउथ एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ फोटोग्राफी चलाने वाले शाहिदुल आलम बताते हैं कि यह तस्वीर अंदर तक बेचैन कर देती है। मानवीय दृष्टि से यह बेहतरीन तस्वीर है। मौत के आलिंगन में लिपटी यह तस्वीर बताती है कि हमारी भावनाएं अभी भी जीवित हैं। यह तस्वीर अपनी तरफ खींचती है और हटने नहीं देती। सपनों में आने वाली तस्वीर संदेश देती है कि, नहीं, अब दोबारा ऐसा नहीं होगा। अख्तर ने इस तस्वीर के बारे में एक लेख लिखा है। इससे पहले यह तस्वीर टाइम मैगजीन में डेविड वॉन ड्रेहले के निबंध के साथ प्रकाशित हो चुकी है।
काबिलेगौर है कि पिछले महीने ढाके के बाहरी इलाके में कपड़ा बनाने की फैक्टरी की इमारत गिर गई थी। सुबह हुए इस हादसे में अब तक मरने वालों की संख्या 1400 के पार हो गई है। जिस वक्त यह हादसा हुआ, उस समय वहां काफी भीड़ थी। बांग्लादेश में दुनिया की सबसे ज्यादा कपड़ा फैक्टरियां हैं। पश्चिमी ब्रांडों के लिए यहां सस्ती कीमत पर कच्चा माल मुहैया कराया जाता है। अग्निशामक दस्ते के एक कर्मचारी का कहना है कि ढाका के जिस सावा इलाके में हादसा हुआ, वहां करीब 2000 लोग थे।
टाइम मैगजीन को तस्लीमा ने बताया कि इस तस्वीर के बारे में उनसे काफी सवाल पूछे जा चुके हैं। वह जवाब देते देते थक चुकी हैं, लेकिन अभी तक उन्हें इन दोनों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। वह यह भी नहीं जान पाई हैं कि वो कौन थे और उनके बीच में क्या रिश्ता था। इमारत ढहने के बाद उन्होंने पूरा दिन वहां गुजारा, लोगों की लाशें देखीं, उन्हें बुरी तरह से घायल देखा। उनके रिश्तेदारों की आंखों में बुरी तरह से खौफ नुमायां था। दोपहर के लगभग 2 बजे इमारत के मलबे में इन दोनों की लाश दिखी। दोनों मृत थे और आलिंगनबद्ध थे। उनकी कमर के नीचे का हिस्सा पूरी तरह से मलबे में दबा हुआ था। युवक की आखों से खून आंसू की तरह बह रहा था। दोनों को देखने से लगता था कि दोनों प्रेम करते हैं और दोनों ने ही एक दूसरे की जान बचाने की कोशिश की।
बांग्लादेशी फोटोग्राफर और 'पाठशाला' के नाम से साउथ एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ फोटोग्राफी चलाने वाले शाहिदुल आलम बताते हैं कि यह तस्वीर अंदर तक बेचैन कर देती है। मानवीय दृष्टि से यह बेहतरीन तस्वीर है। मौत के आलिंगन में लिपटी यह तस्वीर बताती है कि हमारी भावनाएं अभी भी जीवित हैं। यह तस्वीर अपनी तरफ खींचती है और हटने नहीं देती। सपनों में आने वाली तस्वीर संदेश देती है कि, नहीं, अब दोबारा ऐसा नहीं होगा। अख्तर ने इस तस्वीर के बारे में एक लेख लिखा है। इससे पहले यह तस्वीर टाइम मैगजीन में डेविड वॉन ड्रेहले के निबंध के साथ प्रकाशित हो चुकी है।
काबिलेगौर है कि पिछले महीने ढाके के बाहरी इलाके में कपड़ा बनाने की फैक्टरी की इमारत गिर गई थी। सुबह हुए इस हादसे में अब तक मरने वालों की संख्या 1400 के पार हो गई है। जिस वक्त यह हादसा हुआ, उस समय वहां काफी भीड़ थी। बांग्लादेश में दुनिया की सबसे ज्यादा कपड़ा फैक्टरियां हैं। पश्चिमी ब्रांडों के लिए यहां सस्ती कीमत पर कच्चा माल मुहैया कराया जाता है। अग्निशामक दस्ते के एक कर्मचारी का कहना है कि ढाका के जिस सावा इलाके में हादसा हुआ, वहां करीब 2000 लोग थे।
टाइम मैगजीन को तस्लीमा ने बताया कि इस तस्वीर के बारे में उनसे काफी सवाल पूछे जा चुके हैं। वह जवाब देते देते थक चुकी हैं, लेकिन अभी तक उन्हें इन दोनों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। वह यह भी नहीं जान पाई हैं कि वो कौन थे और उनके बीच में क्या रिश्ता था। इमारत ढहने के बाद उन्होंने पूरा दिन वहां गुजारा, लोगों की लाशें देखीं, उन्हें बुरी तरह से घायल देखा। उनके रिश्तेदारों की आंखों में बुरी तरह से खौफ नुमायां था। दोपहर के लगभग 2 बजे इमारत के मलबे में इन दोनों की लाश दिखी। दोनों मृत थे और आलिंगनबद्ध थे। उनकी कमर के नीचे का हिस्सा पूरी तरह से मलबे में दबा हुआ था। युवक की आखों से खून आंसू की तरह बह रहा था। दोनों को देखने से लगता था कि दोनों प्रेम करते हैं और दोनों ने ही एक दूसरे की जान बचाने की कोशिश की।
तोते की तरह बोलती है सीबीआई:एससी
तोते की तरह बोलती है सीबीआई:एससी
नई दिल्ली। कोलगेट मामले में आज केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के शपथपत्र पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी की जमकर खिंचाई करते हुए कहा कि पिंजरे में बंद जिस तरह तोता मालिक की भाषा बोलता है,सीबीआई वही तोता बन गई है।
अपनी टिप्पणी में कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को स्वतंत्र करना जरूरी हो गया है। उसकी जांच में दखलअंदाजी नहीं होनी चाहिए। साथ ही इसपर केन्द्र का नियंत्रण है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को बेलगाम शक्तियां नहीं दी जा सकती हैं। सीबीआई से कोर्ट ने पूछा कि उसने दो संयुक्त सचिवों को रिपोर्ट क्यों दिखाई।
स्टेटस रिपोर्ट पर सुनवाई के दौरान कोर्ट की इन तलख टिप्पणियों से केन्द्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार और एटर्नी जनरल (एजी) जी ई वाहनवती की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सीबीआई ने अपने शपथपत्र में कहा था कि अश्विनी और वाहनवती ने रिपोर्ट देखी और कानून मंत्री के कहने पर ही रिपोर्ट मे बदलाव किए गए थे। वहीं,वाहनवती ने कोर्ट के समक्ष कहा था कि उन्होंने स्टेटस रिपोर्ट नहीं देखी थी।
सीबीआई के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने एजी और पूर्व अतिरिक्त सोलीसिटर जनरल की भी जमकर खिंचाई की। वहीं,एजी ने सुनवाई के दौरान कानून मंत्री के सिर ठिकरा फोड़ते हुए कहा कि उन्होंने मंत्री के कहने पर सीबीआई के साथ बैठक की। मैंने न रिपोर्ट मांगी और न ही रिपोर्ट देखी।
कोर्ट की टिप्पणियों के बाद नेताओं की सोशल नेटवर्किग साइटस पर टिप्पणियां आनी शुरू हो गई हैं। लोकसभा मे विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने ट्वीट करते हुए कहा कि कोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद कानून मंत्री और एजी को इस्तीफा दे देना चाहिए।
गौरतलब है कि स्टेटस रिपोर्ट को लेकर सीबीआई निदेशक ने सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र दायर किया था जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और कोयला मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट में बदलाव किए थे।
सीबीआई निदेशक के कोर्ट में शपथ पत्र देने के बाद से ही विपक्ष कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे की मांग पर अड़ा हुआ है और अगर आज सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ कोई गंभीर टिप्पणी करता है तो कानून मंत्री की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
एटर्नी जनरल (एजी) गुलाम वाहनवती को सुप्रीम कोर्ट में पूर्व मे कही गई अपनी इस बात को सही साबित करने में मुश्किल होगी जिसमें कहा था कि उन्होंने कोयला घोटाले की स्टेटस रिपोर्ट नहीं देखी थी,जबकि सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने कोर्ट में दायर नौ पन्नों के शपथ पत्र में कहा है कि एजी ने रिपोर्ट देखी थी और उन्हीं के कहने पर उसमें बदलाव किए गए थे।
कोयला रिपोर्ट पर कोर्ट को अंधेरे में रखने के आरोप मे सीबीआई की खिंचाई करने वाले जस्टिस आर एम लोढा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय बैंच रंजीत सिन्हा द्वारा दायर दूसरे शपथ पत्र का अध्ययन करेगी।
सिन्हा ने अपने शपथ पत्र मे कहा है कि कानून मंत्री ने एजेंसी की कोलगेट पर तैयार की गई ड्राफ्ट रिपोर्ट में कुछ बदलाव किए थे। उन्होंने अश्विनी कुमार,वाहनावती,पूर्व अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल हरेन रावल,पीएमओ और कोयला मंत्रालय में संयुक्त सचिव शत्रुघन सिंह और ए के भल्ला से हुई मुलाकातो की जानकारी भी कोर्ट में दी।
मुलाकातों का ब्यौरा देते हुए सिन्हा ने बताया कि इन लोगो ने ही ड्राफ्ट रिपोर्ट मे सुझावो के साथ ही उसमें बदलाव किए थे। हालांकि अपने नौ पन्नों के शपथ पत्र मे सीबीआई के निदेशक ने कहा कि रिपोर्ट मे किसी भी आरोपी के खिलाफ जो भी सबूत हैं,उनके साथ छेड़खानी नहीं की गई है और स्टेटस रिपोर्ट के केन्द्रीय विषय में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
नई दिल्ली। कोलगेट मामले में आज केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के शपथपत्र पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी की जमकर खिंचाई करते हुए कहा कि पिंजरे में बंद जिस तरह तोता मालिक की भाषा बोलता है,सीबीआई वही तोता बन गई है।
अपनी टिप्पणी में कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को स्वतंत्र करना जरूरी हो गया है। उसकी जांच में दखलअंदाजी नहीं होनी चाहिए। साथ ही इसपर केन्द्र का नियंत्रण है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को बेलगाम शक्तियां नहीं दी जा सकती हैं। सीबीआई से कोर्ट ने पूछा कि उसने दो संयुक्त सचिवों को रिपोर्ट क्यों दिखाई।
स्टेटस रिपोर्ट पर सुनवाई के दौरान कोर्ट की इन तलख टिप्पणियों से केन्द्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार और एटर्नी जनरल (एजी) जी ई वाहनवती की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सीबीआई ने अपने शपथपत्र में कहा था कि अश्विनी और वाहनवती ने रिपोर्ट देखी और कानून मंत्री के कहने पर ही रिपोर्ट मे बदलाव किए गए थे। वहीं,वाहनवती ने कोर्ट के समक्ष कहा था कि उन्होंने स्टेटस रिपोर्ट नहीं देखी थी।
सीबीआई के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने एजी और पूर्व अतिरिक्त सोलीसिटर जनरल की भी जमकर खिंचाई की। वहीं,एजी ने सुनवाई के दौरान कानून मंत्री के सिर ठिकरा फोड़ते हुए कहा कि उन्होंने मंत्री के कहने पर सीबीआई के साथ बैठक की। मैंने न रिपोर्ट मांगी और न ही रिपोर्ट देखी।
कोर्ट की टिप्पणियों के बाद नेताओं की सोशल नेटवर्किग साइटस पर टिप्पणियां आनी शुरू हो गई हैं। लोकसभा मे विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने ट्वीट करते हुए कहा कि कोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद कानून मंत्री और एजी को इस्तीफा दे देना चाहिए।
गौरतलब है कि स्टेटस रिपोर्ट को लेकर सीबीआई निदेशक ने सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र दायर किया था जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और कोयला मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट में बदलाव किए थे।
सीबीआई निदेशक के कोर्ट में शपथ पत्र देने के बाद से ही विपक्ष कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे की मांग पर अड़ा हुआ है और अगर आज सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ कोई गंभीर टिप्पणी करता है तो कानून मंत्री की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
एटर्नी जनरल (एजी) गुलाम वाहनवती को सुप्रीम कोर्ट में पूर्व मे कही गई अपनी इस बात को सही साबित करने में मुश्किल होगी जिसमें कहा था कि उन्होंने कोयला घोटाले की स्टेटस रिपोर्ट नहीं देखी थी,जबकि सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने कोर्ट में दायर नौ पन्नों के शपथ पत्र में कहा है कि एजी ने रिपोर्ट देखी थी और उन्हीं के कहने पर उसमें बदलाव किए गए थे।
कोयला रिपोर्ट पर कोर्ट को अंधेरे में रखने के आरोप मे सीबीआई की खिंचाई करने वाले जस्टिस आर एम लोढा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय बैंच रंजीत सिन्हा द्वारा दायर दूसरे शपथ पत्र का अध्ययन करेगी।
सिन्हा ने अपने शपथ पत्र मे कहा है कि कानून मंत्री ने एजेंसी की कोलगेट पर तैयार की गई ड्राफ्ट रिपोर्ट में कुछ बदलाव किए थे। उन्होंने अश्विनी कुमार,वाहनावती,पूर्व अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल हरेन रावल,पीएमओ और कोयला मंत्रालय में संयुक्त सचिव शत्रुघन सिंह और ए के भल्ला से हुई मुलाकातो की जानकारी भी कोर्ट में दी।
मुलाकातों का ब्यौरा देते हुए सिन्हा ने बताया कि इन लोगो ने ही ड्राफ्ट रिपोर्ट मे सुझावो के साथ ही उसमें बदलाव किए थे। हालांकि अपने नौ पन्नों के शपथ पत्र मे सीबीआई के निदेशक ने कहा कि रिपोर्ट मे किसी भी आरोपी के खिलाफ जो भी सबूत हैं,उनके साथ छेड़खानी नहीं की गई है और स्टेटस रिपोर्ट के केन्द्रीय विषय में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
लिपिक भर्ती प्रक्रिया पर रोक
लिपिक भर्ती प्रक्रिया पर रोक
भीलवाड़ा। जिला परिषद में कनिष्ठ लिपिक भर्ती प्रक्रिया में संविदा कार्मिकों को बोनस अंक देने का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अनुभव के आधार पर इन आवेदकों को 10 से 30 अंक बोनस देने पर रोक लगा दी है। इससे लिपिक भर्ती का मामला एक बार फिर अटक गया है।
पंचायत राज विभाग ने मामले से जुड़े सभी अभ्यर्थियों के दस्तावेज भेजने के लिए जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देशित किया है। इसके बाद जिला परिषद के अधिकारी संबंधित दस्तावेज तैयार करने में जुट गए हैं। इस मामले में सुनवाई 10 मई को होगी।
मांगी है जानकारी
प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से लगे संविदा कार्मिकों के लिए जिला परिषद में मैन्युअल आवेदन की प्रक्रिया शुरू की गई थी। सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए पंचायत राज विभाग ने मैन्युअल आवेदन करने वाले आवेदकों की जानकारी मंगवाई है। इसे भेजने की तैयारी की जा रही है।
केसी मीणा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, भीलवाड़ा
मां भी पुत्र की आश्रित: हाईकोर्ट
जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने मृतक सरकारी कर्मचारी के आश्रितों को नियुक्ति देने के मामले में मां को भी आश्रित की श्रेणी में माना है। न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास ने श्रीमती लक्ष्मीदेवी की याचिका मंजूर करते हुए अजमेर विद्युत वितरण निगम को ओदश दिया कि एक माह के भीतर मृतक सुशील कुमार के स्थान पर उसकी माता को नियुक्ति प्रदान करे।
उच्च न्यायालय ने आश्रितों की नियुक्ति के मामले में सरकारी कर्मचारी के आश्रित में उसके अविवाहित पुत्र, विधवा पुत्री तथा कानूनी रूप से गोद लिए पुत्र व पुत्री के अलावा मृत सरकारी कर्मचारी के जीवनकाल में उस पर आश्रित व्यक्ति शामिल है। हाईकोर्ट ने कहा कि एक मां अपने बेटे के स्थान पर अनुकम्पा नियुक्ति पाने का पूर्ण अधिकार रखती है।
सरकार व आरपीएससी को दिया नोटिस
नर्सिग ग्रेड-द्वितीय भर्ती परीक्षा-2010 में तीन सवालों के जवाब सही होने के बावजूद गलत माने जाने के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार व राजस्थान लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बीकानेर निवासी सुलोचना की ओर से अधिवक्ता परवेज मोयल ने रिट याचिका पेश कर कहा कि उक्त परीक्षा में उच्च न्यायालय के आदेश पर उसने आंसर-शीट व ओएमआर शीट का अवलोकन किया था। जिसमें पता चला कि उसके तीन सवालों के जवाब सही होने के बावजूद आरपीएससी ने गलत मान रखे हैं। सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने सरकार व आरपीएससी को नोटिस जारी करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने पूछा, कैसे पारित हुआ अध्यादेश
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती में धांधली और विवि द्वारा पारित अध्यादेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार एवं यूजीसी से पूछा है कि यूजीसी नियमों के विपरीत यह अधिकार किसने दिया? हाईकोर्ट ने सभी पक्षों से 16 मई तक जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता शिक्षक भर्ती संघर्ष समिति के ओमप्रकाश भाटी एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
भीलवाड़ा। जिला परिषद में कनिष्ठ लिपिक भर्ती प्रक्रिया में संविदा कार्मिकों को बोनस अंक देने का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अनुभव के आधार पर इन आवेदकों को 10 से 30 अंक बोनस देने पर रोक लगा दी है। इससे लिपिक भर्ती का मामला एक बार फिर अटक गया है।
पंचायत राज विभाग ने मामले से जुड़े सभी अभ्यर्थियों के दस्तावेज भेजने के लिए जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देशित किया है। इसके बाद जिला परिषद के अधिकारी संबंधित दस्तावेज तैयार करने में जुट गए हैं। इस मामले में सुनवाई 10 मई को होगी।
मांगी है जानकारी
प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से लगे संविदा कार्मिकों के लिए जिला परिषद में मैन्युअल आवेदन की प्रक्रिया शुरू की गई थी। सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए पंचायत राज विभाग ने मैन्युअल आवेदन करने वाले आवेदकों की जानकारी मंगवाई है। इसे भेजने की तैयारी की जा रही है।
केसी मीणा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, भीलवाड़ा
मां भी पुत्र की आश्रित: हाईकोर्ट
जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने मृतक सरकारी कर्मचारी के आश्रितों को नियुक्ति देने के मामले में मां को भी आश्रित की श्रेणी में माना है। न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास ने श्रीमती लक्ष्मीदेवी की याचिका मंजूर करते हुए अजमेर विद्युत वितरण निगम को ओदश दिया कि एक माह के भीतर मृतक सुशील कुमार के स्थान पर उसकी माता को नियुक्ति प्रदान करे।
उच्च न्यायालय ने आश्रितों की नियुक्ति के मामले में सरकारी कर्मचारी के आश्रित में उसके अविवाहित पुत्र, विधवा पुत्री तथा कानूनी रूप से गोद लिए पुत्र व पुत्री के अलावा मृत सरकारी कर्मचारी के जीवनकाल में उस पर आश्रित व्यक्ति शामिल है। हाईकोर्ट ने कहा कि एक मां अपने बेटे के स्थान पर अनुकम्पा नियुक्ति पाने का पूर्ण अधिकार रखती है।
सरकार व आरपीएससी को दिया नोटिस
नर्सिग ग्रेड-द्वितीय भर्ती परीक्षा-2010 में तीन सवालों के जवाब सही होने के बावजूद गलत माने जाने के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार व राजस्थान लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बीकानेर निवासी सुलोचना की ओर से अधिवक्ता परवेज मोयल ने रिट याचिका पेश कर कहा कि उक्त परीक्षा में उच्च न्यायालय के आदेश पर उसने आंसर-शीट व ओएमआर शीट का अवलोकन किया था। जिसमें पता चला कि उसके तीन सवालों के जवाब सही होने के बावजूद आरपीएससी ने गलत मान रखे हैं। सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने सरकार व आरपीएससी को नोटिस जारी करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने पूछा, कैसे पारित हुआ अध्यादेश
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती में धांधली और विवि द्वारा पारित अध्यादेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार एवं यूजीसी से पूछा है कि यूजीसी नियमों के विपरीत यह अधिकार किसने दिया? हाईकोर्ट ने सभी पक्षों से 16 मई तक जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता शिक्षक भर्ती संघर्ष समिति के ओमप्रकाश भाटी एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
कैदी एक साल में कमाएंगे ढाई करोड़ रूपए
कैदी एक साल में कमाएंगे ढाई करोड़ रूपए
जयपुर। अगले एक साल में प्रदेश की आठ सेट्रल जेलों में बंद कैदी ढाई करोड़ से अधिक की कमाई करेंगे। राजस्थान पुलिस ने राजस्थान कारागार विभाग को निवार और दरियों का ऑर्डर दिया है।
सूत्रों के अनुसार राजस्थान पुलिस के जवान और अफसर अब कैदियों के हाथ बनी निवार और दरियों का प्रयोग करेंगे। यह निवार और दरियां अगले साल के मध्य तक राजस्थान पुलिस को सौंप दी जाएंगी।
इन निवार और दरियों से राजस्थान कारागार विभाग को ढाई करोड़ रूपए की आमदनी होगी। कैदियों को मिले इस काम से जेल अफसर भी काफी खुश हैं। ऎसा पहली बार हुआ है कि राजस्थान के कैदियों को इतना बड़ा कांट्रेक्ट मिला है।
बारह सौ से ज्यादा कैदी करेंगे काम
राजस्थान की आठ सैंट्रल जेलों में कठोर कारावास की सजा भुगत रहे कैदियों को दरियां और निवार बनाने का काम सौंपा गया है। सिर्फ जयपुर और जोधपुर सैंट्रल जेल में ही निवार और दरियां बनाने की मशीने लगी हुई हैं। इन दोनों जेलों में बंद कठोर कारावास भुगत रहे करीब बारह सौ से ज्यादा कैदियों को एक साल में इस ऑर्डर को पूरा करना है। कारागार विभाग भी इसके लिए आवश्यक रॉ मैटेरियल खरीदने की तैयारी कर रहा है।
फर्नीचर और कूलर से कमाए 70 लाख
पिछले कुछ सालों में प्रदेश की सेंट्रल जेलों में बंद कैदी विभिन्न वस्तुओं का निर्माण कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं।
निवार और दरियां बनाने के लिए साथ ही यहां फर्नीचर और कूलर बनाने का काम भी चल रहा है। पिछले पांच सालों में राजस्थान की जेलों में बना सामान करीब सत्तर लाख रूपए से भी ज्यादा में बिक चुका है। हर साल कूलर और फर्नीचर बनाने का काम भी बढ़ता जा रहा है।
यह राजस्थान की जेलों में बंद कैदियों की मेहनत का ही फल है कि उन्हें एक साथ ढाई करोड़ रूपए का ऑर्डर मिला है। कैदियों को पुलिस के लिए निवार और दरियां बनानी हैं।
ओमेन्द्र भारद्वाज, महानिदेशक, राजस्थान कारागार विभाग
जयपुर। अगले एक साल में प्रदेश की आठ सेट्रल जेलों में बंद कैदी ढाई करोड़ से अधिक की कमाई करेंगे। राजस्थान पुलिस ने राजस्थान कारागार विभाग को निवार और दरियों का ऑर्डर दिया है।
सूत्रों के अनुसार राजस्थान पुलिस के जवान और अफसर अब कैदियों के हाथ बनी निवार और दरियों का प्रयोग करेंगे। यह निवार और दरियां अगले साल के मध्य तक राजस्थान पुलिस को सौंप दी जाएंगी।
इन निवार और दरियों से राजस्थान कारागार विभाग को ढाई करोड़ रूपए की आमदनी होगी। कैदियों को मिले इस काम से जेल अफसर भी काफी खुश हैं। ऎसा पहली बार हुआ है कि राजस्थान के कैदियों को इतना बड़ा कांट्रेक्ट मिला है।
बारह सौ से ज्यादा कैदी करेंगे काम
राजस्थान की आठ सैंट्रल जेलों में कठोर कारावास की सजा भुगत रहे कैदियों को दरियां और निवार बनाने का काम सौंपा गया है। सिर्फ जयपुर और जोधपुर सैंट्रल जेल में ही निवार और दरियां बनाने की मशीने लगी हुई हैं। इन दोनों जेलों में बंद कठोर कारावास भुगत रहे करीब बारह सौ से ज्यादा कैदियों को एक साल में इस ऑर्डर को पूरा करना है। कारागार विभाग भी इसके लिए आवश्यक रॉ मैटेरियल खरीदने की तैयारी कर रहा है।
फर्नीचर और कूलर से कमाए 70 लाख
पिछले कुछ सालों में प्रदेश की सेंट्रल जेलों में बंद कैदी विभिन्न वस्तुओं का निर्माण कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं।
निवार और दरियां बनाने के लिए साथ ही यहां फर्नीचर और कूलर बनाने का काम भी चल रहा है। पिछले पांच सालों में राजस्थान की जेलों में बना सामान करीब सत्तर लाख रूपए से भी ज्यादा में बिक चुका है। हर साल कूलर और फर्नीचर बनाने का काम भी बढ़ता जा रहा है।
यह राजस्थान की जेलों में बंद कैदियों की मेहनत का ही फल है कि उन्हें एक साथ ढाई करोड़ रूपए का ऑर्डर मिला है। कैदियों को पुलिस के लिए निवार और दरियां बनानी हैं।
ओमेन्द्र भारद्वाज, महानिदेशक, राजस्थान कारागार विभाग
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