बुधवार, 8 मई 2013

लिपिक भर्ती प्रक्रिया पर रोक

लिपिक भर्ती प्रक्रिया पर रोक
भीलवाड़ा। जिला परिषद में कनिष्ठ लिपिक भर्ती प्रक्रिया में संविदा कार्मिकों को बोनस अंक देने का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अनुभव के आधार पर इन आवेदकों को 10 से 30 अंक बोनस देने पर रोक लगा दी है। इससे लिपिक भर्ती का मामला एक बार फिर अटक गया है।

पंचायत राज विभाग ने मामले से जुड़े सभी अभ्यर्थियों के दस्तावेज भेजने के लिए जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देशित किया है। इसके बाद जिला परिषद के अधिकारी संबंधित दस्तावेज तैयार करने में जुट गए हैं। इस मामले में सुनवाई 10 मई को होगी।

मांगी है जानकारी
प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से लगे संविदा कार्मिकों के लिए जिला परिषद में मैन्युअल आवेदन की प्रक्रिया शुरू की गई थी। सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए पंचायत राज विभाग ने मैन्युअल आवेदन करने वाले आवेदकों की जानकारी मंगवाई है। इसे भेजने की तैयारी की जा रही है।
केसी मीणा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, भीलवाड़ा

मां भी पुत्र की आश्रित: हाईकोर्ट
जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने मृतक सरकारी कर्मचारी के आश्रितों को नियुक्ति देने के मामले में मां को भी आश्रित की श्रेणी में माना है। न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास ने श्रीमती लक्ष्मीदेवी की याचिका मंजूर करते हुए अजमेर विद्युत वितरण निगम को ओदश दिया कि एक माह के भीतर मृतक सुशील कुमार के स्थान पर उसकी माता को नियुक्ति प्रदान करे।

उच्च न्यायालय ने आश्रितों की नियुक्ति के मामले में सरकारी कर्मचारी के आश्रित में उसके अविवाहित पुत्र, विधवा पुत्री तथा कानूनी रूप से गोद लिए पुत्र व पुत्री के अलावा मृत सरकारी कर्मचारी के जीवनकाल में उस पर आश्रित व्यक्ति शामिल है। हाईकोर्ट ने कहा कि एक मां अपने बेटे के स्थान पर अनुकम्पा नियुक्ति पाने का पूर्ण अधिकार रखती है।

सरकार व आरपीएससी को दिया नोटिस
नर्सिग ग्रेड-द्वितीय भर्ती परीक्षा-2010 में तीन सवालों के जवाब सही होने के बावजूद गलत माने जाने के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार व राजस्थान लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बीकानेर निवासी सुलोचना की ओर से अधिवक्ता परवेज मोयल ने रिट याचिका पेश कर कहा कि उक्त परीक्षा में उच्च न्यायालय के आदेश पर उसने आंसर-शीट व ओएमआर शीट का अवलोकन किया था। जिसमें पता चला कि उसके तीन सवालों के जवाब सही होने के बावजूद आरपीएससी ने गलत मान रखे हैं। सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने सरकार व आरपीएससी को नोटिस जारी करने का आदेश दिया।

कोर्ट ने पूछा, कैसे पारित हुआ अध्यादेश
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती में धांधली और विवि द्वारा पारित अध्यादेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार एवं यूजीसी से पूछा है कि यूजीसी नियमों के विपरीत यह अधिकार किसने दिया? हाईकोर्ट ने सभी पक्षों से 16 मई तक जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता शिक्षक भर्ती संघर्ष समिति के ओमप्रकाश भाटी एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। 

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