शनिवार, 26 जनवरी 2013

बाड़मेर में पैदा होना अब अभिशाप नहीं.



बाड़मेर: समृद्धि आई और संकट भी







कभी दवा की एक छोटी-सी दुकान चलाने वाले 30 वर्षीय आजाद सिंह राठौड़ आज शहर में बन रहे एक बहुमंजिला सिटी सेंटर का अपनी हार्ले डेविडसन बाइक से नजारा ले रहे हैं. यहां से महज दो किमी दूर सुमेर खान रामदिया करोड़ों की दास्तान के बीच अब भी अपना बीपीएल कार्ड नहीं भूले हैं. दस साल पहले यही बाड़मेर ऐसा उजड़ा-सा शहर होता था कि राजस्थान के नक्शे पर इसे पहचान पाना मुश्किल था.

स्वागत है आपका बाड़मेर में. किस्मत ने इस शहर पर 2002 में दस्तक दी, जब केयर्न नाम की कंपनी ने यहां तेल की खोज की. इसके बाद 2006 से 2010 के बीच कंपनी ने 15,000 लोगों को रोजगार दिया, जिनमें ज्यादातर यहीं के बाशिंदे थे. कुछेक सौ दूर से भी आए जिन्हें मोटी तनख्वाह पर लाया गया था.

2007 में सज्जन जिंदल की कंपनी राजवेस्ट पावर लिमिटेड ने यहां लिग्नाइट आधारित पावर प्लांट लगाना शुरू किया. इसके लिए लिग्नाइट का खनन बाड़मेर लिग्नाइट माइनिंग कंपनी करती थी, जो राजवेस्ट और राजस्थान राज्य खनन और खनिज निगम का साझा उपक्रम है. इस परियोजना के लिए जमीन भी चाहिए थी और लोग भी. इसने 5,800 लोगों को रोजगार दिया. इसके बाद असली तकदीर खुली इस शहर के आसपास के गांवों की, जिनकी जमीन ज्यादातर राजवेस्ट के लिए और कुछ केयर्न के लिए अधिग्रहीत की गई.

आज 50 वर्षीय तन सिंह के पास सी क्लास मर्सिडीज, क्यू-7 ऑडी और दो फॉर्चुनर हैं. शहर के बीचोबीच उनका बंगला तैयार होने को है. उन्हीं के शब्दों में, ''मेरे पास कुछ नहीं था. मैंने रोड रोलर चलाने से शुरुआत की. सरकारी ठेके लेने शुरू किए. '' उनका कारोबार 1999 में दो करोड़ रु. से भी कम था.

राजस्थान सरकार के लिए सड़कें बनाने के उनके इस कारोबार में मुनाफा बेहद मामूली था. 2000 में उन्हें तेल तलाशने वाली एक कंपनी से ठेका मिला. आज उनका सालाना कारोबार 100 करोड़ रु. का है. पिछले साल उन्होंने चार करोड़ रु. आयकर और आठ करोड़ रु. का बिक्रीकर चुकाया. वे कहते हैं, ''तेल और लिग्नाइट मेरी तरक्की के मंत्र हैं. '' उनके पांच होटल हैं और कुछ शहरों में अलग-अलग शोरूम और कांप्लेक्स हैं. ''यह सब मुझे जमीन से नहीं, अपनी कड़ी मेहनत से हासिल हुआ है. '' वे अपनी बात साफ करते हैं.

पावर प्लांट के लिए 2007 में भदरेस गांव में 58,000 रु. प्रति एकड़ की दर से जमीन अधिग्रहीत की गई थी. पुनर्वास के लिए दो कमरे का मकान, जबकि उस जमीन पर बारिश होने पर तीनेक हजार रु. की बाजरे की फसल हो पाती थी. सितंबर, 2009 में स्थानीय नेताओं ने अधिग्रहण की दर प्रति एकड़ 3.71 लाख रु. पर पहुंचा दी.

जनवरी, 2011 में सरकार ने यह दर 7.4 लाख रु. एकड़ पर ला दी और कंपनियों को डीएलसी की तय दर से छह से दस गुना तक देने को मजबूर कर दिया. दो साल के भीतर लोगों के हाथ में 1,200 करोड़ रु. आ गए. गरीब जमीन वाले एकाएक करोड़पति भूमिहीन बन गए. शहर ही नहीं, अधिग्रहीत जमीन से सटे इलाके भी इतने महंगे हो गए हैं कि आज यहां बसना 'भूमिहीनों' के ही बस की बात है.

केयर्न मुंहमांगी कीमतें देने को राजी हो गया. राजवेस्ट पीछे-पीछे था. नतीजा: चार बेडरूम के मकानों का किराया 15,000 रु. से रु. से सीधे एक लाख रु. महीना जा पहुंचा. 2002 में पैथोलॉजी में डिप्लोमा के बाद पिता की केमिस्ट की दुकान संभालने वाले राठौड़ को तेल तलाशने वाली एक कंपनी ने स्टेशनरी के धंधे में उतरने की सलाह दी. वे भी फिर पीछे नहीं मुड़े. उसके बाद तो पवन हंस हेलिकॉप्टर में लोहे की कील लगाने का काम हो या थाई, दिल्ली दरबार और ताज के रसोइए लाने का या फिर लॉन्ड्री, गोदाम और डीजल जेनसेट की आपूर्ति का, तेल कंपनियों ने उनकी सेवाएं बाड़मेर के बाहर भी लेनी शुरू कर दीं.

कुछेक साल में ही उनका कारोबार एक करोड़ रु. को पार कर गया. आज उनके पास चार मेडिकल स्टोर हैं. वे कहते भी हैं, ''मैं खालिस तेल की पैदाइश हूं. '' जुलाई में उन्होंने अपने सपनों की बाइक नौ लाख रु. की हार्ले डेविडसन खरीद डाली. पजेरो पहले से है.

बीस करोड़ रु. के सालाना कारोबार वाली कीरी ऐंड कंपनी लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक ललित कीरी उनके दोस्त भी हैं और प्रतिद्वंद्वी भी. कीरी कहते हैं, ''मैं अब आगे तकनीकी क्षेत्र में जाकर कारोबार सौ करोड़ रु. का करना चाहता हूं. '' राठौड़ की तरह वे भी केमिस्ट थे. ''मुझे लगता था कि बाड़मेर में पैदा होना एक सजा है. '' सो, वे मसकट में बढ़ईगीरी करने चले गए. 2002 में लौटे और तबसे यह काम. उनका मकान एक लाख रु.महीने किराए पर उठ गया.

2003 में उनसे बंकर की सप्लाई करने को कहा गया. शून्य से यह काम शुरू कर दो साल में वे करोड़पति हो गए. इसके बाद बाड़मेर से बाहर कैटरिंग का काम आया. पिछले सितंबर में उन्होंने मुंबई में समुद्र के किनारे की फैब्स फैब्रिकॉन नाम की कंपनी खरीद ली.

बेशक, यह यहां के लोगों की उद्यमशीलता और मेहनत का ही नतीजा था, पर इस लिहाज से सितंबर, 2009 का दिन खास था, जब बाड़मेर शहर में जमीन की कीमत एकदम से चढ़ गई. उस दिन 272 ऐसे लोगों को 267 करोड़ रु. मिले, जिन्होंने जिंदगी गरीबी में गुजारी थी और जिन्हें पता न था कि इस पैसे का करें क्या?

ज्यादा से ज्यादा इन्हें यह समझ आया कि 10 किमी दूर शहर तक चला जाए और वहां अपने एक मकान होने के सपने को पूरा किया जाए. साइकिल पर भी न चढऩे वाले लोग एसयूवी में उडऩे लगे. महिंद्रा ने हर 20 ट्रैक्टर की खरीद पर एक मुफ्त की योजना चला दी. बोलेरो इतनी बिकीं कि वेटिंग लिस्ट लग गई.

ओएस मोटर्स के शाखा प्रबंधक राजेश सिंह जोधा बताते हैं कि तीन साल के भीतर उन्होंने 2,000 बोलेरो बेची हैं. पहले यहां सालाना औसत बिक्री 200 की थी. वे 2006 में सालाना 150 मैसी फर्ग्युसन टैक्टर बेचते थे, आज 800 बेचते हैं. ज्यादातर चौपहिया वाहन यहां काम कर रही कंपनियों में किराए पर लग जाते हैं. अकेली केयर्न 900 वाहन किराए पर लेती है. जनवरी, 2011 में जब अगले अधिग्रहण का वक्त आया, लोग समझदार हो चुके थे. उन्होंने इस बार पैसा फिक्स डिपॉजिट में लगा दिया. अचानक शहर में एक बैंक स्ट्रीट उभर आई है, जहां आधा दर्जन बड़े बैंकों की शाखाएं खुली हैं.

किशन लाल पूनिया (45) अब धोती कुर्ता नहीं पहनते. डेढ़ साल पहले उन्होंने उसी दिन कपड़े बदल लिए थे, जब उन्हें अपनी 80 एकड़ बंजर जमीन के बदले छह करोड़ रु. की रकम मिली थी. यह जमीन बमुश्किल सालाना 60,000 रु. का बाजरा पैदा करती थी. उनकी सुनिए, ''अब जोतदार दूसरे जोतदारों से काम करवाते हैं. ''

उन्होंने 1.6 करोड़ रु. में 105 एकड़ सिंचित जमीन खरीद ली. दो करोड़ रु. फिक्स डिपॉजिट हैं. उनके काफिले में 18 पहिए का एक और 12 पहिए के दो ट्रक, एक डम्पर, एक बोलेरो और एक स्कॉर्पियो हैं. इनसे वे एक लाख रु. महीना कमा लेते हैं. मजदूर भी सप्लाई करते हैं. शहर में उन्होंने एक करोड़ रु. में दो एकड़ जमीन खरीद ली है. उस पर वे बहुमंजिला फार्म हाउस परिसर बनवा रहे हैं.

पूनिया कहते हैं, ''हम बहुत गरीब से बहुत अमीर हो गए हैं. '' वे 70 से ऊपर के सुमेर खान रामदिया की मिसाल देते हैं, जिनके पास आज भी बीपीएल कार्ड है. सुमेर के बेटे आतिम खान (28) कहते हैं, ''मैं गड़रिया हुआ करता था. '' यह तब की बात है जब उनके अब्बा ने 44 एकड़ जमीन के बदले 3.2 करोड़ रु. का मुआवजा नहीं मिला था. 10 लोगों का परिवार उससे गुजर नहीं कर पाता था. अब आतिम ने एक करोड़ रु. में दो जगह 26 एकड़ सिंचित जमीन खरीदकर 60,000 सालाना की बंटाई पर जोतदारों को किराए पर दे दी है. बुजुर्ग सुमेर खान कहते हैं, ''मेरे परिवार में अब कोई खेती नहीं करना चाहता. '' परिवार अब शहर में नए बने मकान में रहता है. इस साल उनकी बीवी और एक बेटा 10 लाख रु. खर्च कर हज गए.

बाड़मेर में आज दो तरह के लोग हैं. एक बिना कंपनी वाले, जिनकी जमीन अधिग्रहीत नहीं हुई है. दूसरे कंपनी वाले. मसलन 29 वर्षीय शैतान सिंह माहेचा, जो आजकल पटवारी बनने की ट्रेनिंग ले रहे हैं. उनके परिवार को तीन करोड़ रु. मुआवजा मिला था. कुछ में उपजाऊ जमीन खरीदी, 42 लाख रु. में शहर में एक प्लॉट लिया और एक बोलेरो खरीदी. कई ऐसे मामले हैं जहां भूमिहीनों ने अमीर बनने के बाद पहले तय हुए रिश्तों को, वादों को गैर-बराबरी के नाम पर तोड़ डाला.

एक वकील राम कुमावत बताते हैं, ''संपत्ति विवाद बढ़े हैं. पिता की संपत्ति में महिलाओं के दावों के मामले भी बढ़ रहे हैं. '' एक और पूनिया परिवार में एक महिला ने दादा की संपत्ति में हिस्सेदारी के लिए दावा ठोक रखा है, जिन्हें कई करोड़ रु. का मुआवजा मिला था.

पैसे ने अफसरों और नौकरशाहों के लिए बाड़मेर को खासा लुभावना बना दिया है. 2005 तक यहां तैनाती को सजा माना जाता था. उसके बाद यहां नियुक्ति पर गर्व का एहसास होता है. 2009 से तो यहां तैनाती ईनाम मानी जाने लगी है. यहां के स्थानीय लोग अधिकतर रियल एस्टेट धंधों को उन अफसरों और कलेक्टरों के नाम से पहचानते हैं जिन्होंने उनमें पैसे लगाए हैं.

27 वर्षीय देवी सिंह सोढ़ा ने 2003 में प्रॉपर्टी डीलिंग शुरू की थी. तब वे साल भर में बमुश्किल दो सौदे करवा पाते थे, आज 20 तक हो जाते हैं. वे खुद मकानों और जमीन में निवेश करते रहते हैं और इनसे ही करोड़ों रु. कमाए हैं.

बाड़मेर के बाजार भी बदल गए हैं. मुख्य स्टेशन बाजार मार्ग वन वे हो गया है ताकि जाम कम किया जा सके. इसके बावजूद दूसरी सड़कों पर भी बोलेरो और कारों का जाम लगा रहता है. यहां चल रहे प्रोजेक्ट्स में काम करने के लिए मोटी तनख्वाह पर बाहर से कुशल लोगों को लाया गया है और शहर में ढेरों एटीएम खुल गए हैं. दर्जनभर नर्सिंग होम भी उग आए हैं. अब लोगों को खरीदारी या इलाज के लिए जोधपुर या अहमदाबाद जाने की जरूरत नहीं. 2006 तक यहां ब्रांडेड कपड़े मुश्किल से मिलते थे. आज अलग-अलग ब्रांड की जींस और ड्रेसेस के शोरूम मौजूद हैं.

बाड़मेर कभी भी पर्यटन स्थल नहीं रहा. होटल उद्योग यहां था ही नहीं. 2002 में कैलास सरोवर नाम के होटल में सिर्फ एक एसी कमरा हुआ करता था. इसके मालिक ओम मेहता और उनके बेटे राजेश मेहता ने इंडिया टुडे को बताया कि आज उनके दो होटल हैं, जिनमें 177 एसी कमरे हैं. इनमें सुइट भी हैं, जिनका एक रात का किराया 9,000 रु. है.

गुजरात में ग्वारफली का कारोबार करने वाले बाड़मेर के करोड़पति एमएल जैन पिछले साल वापस आ गए और यहां उन्होंने होटल ऋषभ खोल लिया है. कंपनियां अपने अधिकारियों और इंजीनियरों के ठहरने के लिए इनके अधिकतर कमरे बुक करवा लेती हैं. इनके बार में विदेशी शराब भी मिलती है.

शहर की इस तरक्की का असर लड़कियों की शिक्षा और आजादी पर भी पड़ा है. 1998 में शुरू होने पर यहां के एमबीसी राजकीय महिला कॉलेज में सिर्फ 80 लड़कियां आती थीं, वह भी लहंगा-घाघरे में. इसके प्रिंसिपल बेसिल फर्नांडीस बताते हैं कि आज यहां 850 छात्राएं हैं और इनमें कई हैं जो जींस पहनती हैं. शहर से पचास किमी दूर बुरहान का टीला गांव में दसवीं की छात्रा इमला बिश्नोई भी रेत के टीलों में भेड़ें चराने के लिए जींस टॉप में निकली है. हिंदी के लेक्चरार मुकेश पचौरी कहते हैं, ''अब तो शहर में कई लोग हिंदी बोलते हैं, पहले वे राजस्थानी ही बोलते थे. ''

स्कूलों में अंग्रेजी पहुंच चुकी है. मुकेश की पत्नी नवनीत पचौरी के मॉडर्न हाइस्कूल की कक्षाओं में 700 बच्चे पढ़ते हैं. बढ़ती जागरूकता का असर है कि जिले के एक छोटे से कस्बे धोरीमन्ना के नौ बच्चों को इस साल आइआइटी समेत प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश मिला है. अपनी वेबसाइट बनवाने का चलन यहां जोर पकड़ चुका है. 32 वर्षीय संदीप दुबे 2008 तक साल में तीन वेबसाइट बनाया करते थे, आज महीने में 15 बनाते हैं. कुछ हटकर करने वाले उद्यमी भी हैं. मसलन, एक रिटायर्ड क्लर्क छगन लाल सोनी आंवले और नींबू की बागवानी करते हैं और बड़ी कंपनियां उनसे यह उपज खरीदती हैं.

पैसा खूबसूरती की ख्वाहिश भी पैदा करता है. अनपढ़ और कभी चाय की दुकान पर कप धोने वाले 30 वर्षीय जितेंद्र गोयल को यह बात शायद जल्द समझ में आ गई. उन्होंने रोजाना दो रु. पर एक नाई की दुकान पर काम सीखना शुरू कर दिया. 2006 में 1.8 लाख रु. कर्ज लेकर उन्होंने अपना पार्लर खोल लिया और पिछले साल उन्होंने दूसरा पार्लर खोला, जिसमें नौ कुर्सियां हैं और मसाज के लिए तीन बिस्तर भी. बाजार में बाल काटने के 20 रु. लगते हैं लेकिन जितेंद्र 100 रु. लेते हैं. वे गर्व से बताते हैं कि हाल तक यहां की कलेक्टर रहीं वीना प्रधान उनकी ग्राहक थीं.

बदलती हुई संस्कृति ने लोगों को महत्वाकांक्षी भी बना दिया है. निजी कंपनियों के कुछ बड़े ठेकेदार वे ही लोग हैं जिन्होंने परियोजनाओं और जमीन खरीद के खिलाफ आंदोलन चलाया था. राम सिंह बोथिया आंदोलन के दौरान मोटरसाइकिल से चलते थे. आज मुआवजे और ठेकों के बदले वे फॉर्चुनर, बोलेरो और एक्सयूवी 500 पर सवार हैं. वे अब राजनीति में उतरना चाहते हैं. ऐसी इच्छा पालने वाले वे अकेले नहीं हैं.

इस तरीके से उग आए कुछ नए नेताओं ने समस्याएं भी खड़ी की हैं और अपनी राजनीति चमकाने के लिए खनन क्षेत्र में वे धर्मस्थलों और कब्रगाहों आदि को बचाने के मुद्दे उठाते रहते हैं. राजवेस्ट के एक अधिकारी कहते हैं, ''स्थानीय लोगों से निबटना बड़ा मुश्किल है. वे मुआवजा लेने और नए मकान बनाने के लिए पर्याप्त समय दिए जाने के बावजूद जमीन खाली नहीं करते.'' राजवेस्ट ने 2007 में जमीन गंवाने वालों को 109 मकान बनवा कर दिए थे, कोई भी इनमें रहने नहीं आया. कई लोग चाहते हैं कि उन्होंने जो बुलडोजर, अर्थ मूवर, वाटर टैंकर, ट्रैक्टर वगैरह खरीदे हैं, वह कंपनी किराए पर रख ले.

हाल ही में गांववालों ने कंपनी को मुफ्त में जमीन की पेशकश की और शर्त रखी कि राजवेस्ट वहां स्कूल बनवा दे. अनुसूचित जाति की एक बस्ती में कंपनी जब 30 लाख रु. स्कूल पर खर्च करने को तैयार हो गई, तो उससे जमीन के लिए डेढ़ लाख रु. और मांगे गए. टोडाराम जाट नाम के एक शख्स ने 51 किमी में फैले खनन क्षेत्र में घुसकर राख के तालाब में खुदकुशी कर ली. राजवेस्ट को 20 लाख रु. मुआवजा देना पड़ गया. राजवेस्ट के मुताबिक, एक गांववाले ने मरा कुत्ता कंपनी की गाड़ी के नीचे रख दिया और दावा किया कि यह प्रशिक्षित कुत्ता था. 15,000 रु. का मुआवजा ले लिया.

स्थानीय प्रशासन कंपनी की इन दिक्कतों पर मजा लेता है और स्थानीय लोगों की ही मदद करता है. इसकी एक वजह भी है. सरकार को तेल की रॉयल्टी ही सालाना 3,500 करोड़ रु. आती है लेकिन वह अब तक इन लोगों के लिए कुछ भी कर नहीं सकी है. एंबुलेंस से लेकर हेल्थ मोबाइल वैन सब का इंतजाम कॉर्पोरेट वाले करते हैं. शहरी नियोजन लगभग नदारद है. नई कॉलोनियों बेढंगे तरीके से उग रही हैं. सबसे बुरा हाल उन लोगों का हुआ है जिनके पास जमीन नहीं थी और वे सामंतों के यहां या तो मजदूरी करते या फिर पारंपरिक कामों में लगे रहते थे. उनके भूस्वामियों के पास से जमीन क्या गई, इनकी जिंदगी ही तबाह हो गई.

सामाजिक गैर-बराबरी ने सरेराह शराबखोरी और नशे की हालत में होने वाले झगड़ों को बढ़ावा दिया है. रिश्तों में विश्वासघात आदि के मामले बढ़ रहे हैं. एक रेकी उपचारक कृष्ण कबीर कहते हैं, ''बाड़मेर में अब अवसाद, तनाव, अनिद्रा और उत्तेजना जैसे बड़े शहरों वाले रोग पैदा हो रहे हैं. भूमिहीनों ने भले एसयूवी खरीद ली हों, पर वे बार-बार जड़ों से उखड़ जाने की बात करते हैं. ''

क्या यह शहर अपने अचानक उभार को बनाए रख सकेगा? 2010 में प्लांट निर्माण पूरा होने के बाद जो 16,000 रोजगार खत्म हुए, उनसे अचानक आई गिरावट कुछ संकेत देती है. इसके बाद किराए की दर और जमीन के दाम नीचे आए हैं. राजस्थान में केयर्न के ऑपरेशन प्रमुख सी.डी. नारायणस्वामी ने भावी संकट को पकड़ लिया है. वे बताते हैं कि यहां साक्षरता दो फीसदी नीचे आ गई है क्योंकि परियोजना निर्माण के दौरान शिक्षित हुए लोगों में से ज्यादातर शहर छोड़ कहीं और बस गए हैं. ''इस अचानक आई वृद्धि को टिकाए रखने के लिए एक लंबी अवधि की योजना जरूरी है.''

सरकार के किसी भी हस्तक्षेप के अभाव में अब केयर्न ने ही शहर की जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं. उसने यहां के बच्चों को ऑडियो-वीडियो से अंग्रेजी सिखाने के लिए स्थानीय शिक्षिका मोहिनी चौधरी को नियुक्त किया है. एक अन्य पाठ्यक्रम में युवाओं को कारीगरी और मोबाइल मरम्मत का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

पर एम.एल. जैन दूरदृष्टि के हिमायती हैं, ''यहां से मुंबई की कोई सीधी ट्रेन नहीं है. चार्टर्ड विमान उतरते हैं पर कोई नियमित उड़ान नहीं. यहां लिग्नाइट की खोज हुई है पर कई खनिज दबे पड़े हैं. '' यहां भी जैसलमेर जितने ही रेत के खूबसूरत टीले बनते हैं. पर सीमावर्ती इलाकों में आवाजाही पर कड़ी बंदिशों के चलते जिले का बड़ा भूभाग अब भी यहां के निवासियों के लिए अछूता है. खैर! कल का गरीब गंवई बाड़मेरी आज बाड़मेराइट बन चुका है और यह सब कच्चे तेल और खदानों की देन है. बाड़मेर में पैदा होना अब अभिशाप नहीं.





स्वर्ण नगरी जैसलमेर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह


स्वर्ण नगरी जैसलमेर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह


        जिले के प्रभारी मंत्री श्री चौधरी  ने किया ध्वजारोहण
सराहनीय सेवाओं के लिए 22 लोगों को दिए प्रशस्ति-पत्र
       जैसलमेर ,26 जनवरी/ स्वर्ण नगरी जैसलमेर में 26 जनवरी, शनिवार को 64 वाँ गणतंत्र दिवस समारोह हर्षोल्लास के साथ समारोहपूर्वक मनाया गया। प्रदेश के राजस्व,उपनिवेशन जल संसाधन एवं जैसलमेर जिले के प्रभारी मंत्री हेमाराम चौधरी ने स्थानीय शहीद पूनम सिंह स्टेडियम में आयोजित प्रातःकालीन मुख्य समारोह के अवसर पर ध्वजारौहण किया। उन्होंने गणतंत्र दिवस पर आयोजित परेड का खुली जिप्सी में खड़े होकर निरीक्षण किया। इस अवसर पर परेड कमाण्डर मोहनसिंह के नेतृत्व में राजस्थान पुलिस ,बोर्डर होमगार्ड्स ,अरबन होमगार्ड्स ,एन.सी.सी. सीनियर , जूनियर , स्काउट , गर्ल्स गाईड्स की टूकड़ियों द्वारा आकर्षक मार्चपास्ट प्रस्तुत किया गया एवं मुख्य अतिथि को सलामी देते हुए सलामी मंच के आगे से गुजरे।
       मुख्य अतिथि जिला प्रभारी मंत्री चौधरी ने गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर उत्कृष्ट एवं सराहनीय सेवाओं के लिये 22  व्यक्तियों को प्रशंसा-पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। समारोह में जिला कलक्टर शुचि त्यागी, जिला पुलिस अधीक्षक ममता राहुल ,  पोकरण विधायक शाले मोहम्मद , जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी , जिला प्रमुख अब्दुला फकीर , नगरपरिषद के सभापति अशोक तंवर , नगर विकास न्यास के अध्यक्ष उम्मेद सिंह तंवर ,बीसूका उपाध्यक्ष देवकाराम माली , जैसलमेर केन्द्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष देवीसिंह भाटी , पंचायत समिति सम की प्रधान श्रीमती लक्ष्मीकँवर , पूर्व विधायक किशनसिंह भाटी , डॉ. जितेन्द्रसिंह ,मुल्तानाराम बारुपाल, सांगसिंह भाटी भी उपस्थित थे।
       गणतंत्र दिवस पर दी बधाई
       प्रभारी मंत्री हेमाराम चौधरी ने गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ दी। उन्होेंने देश को आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सैनानियों के साथ ही महान् सपूतों को शत्-शत् स्मरण करते हुए कहा कि उनके बलिदान के कारण देश को आजादी मिली। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश में मजबूत लोकतंत्र कायम हुआ और देश आत्मनिर्भरता के साथ सभी क्षेत्रों में विकास की ओर बढ़ रहा हैं।
       योजनाओं से मिला आमजन को लाभ
       प्रभारी मंत्री चौधरी ने कहा कि  मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में गत चार वर्षो में राज्य सरकार ने नए राजस्थान के संकल्प के साथ ही समग्र विकास और लोक कल्याण की पहल की हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में पहली बार पन्द्रह स्टेट फ्लैगशिप योजनाएँ लागू की जाकर आमजन को राहत पहुंचाई गई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना तो वास्तव में एक अनुकरणीय योजना हैं इससे हर व्यक्ति का लाभ मिल रहा हैं। उन्होंने कहा कि जननी सुरक्षा योजना के क्रियान्वयन से संस्थागत प्रसव बढ़ कर 70 प्रतिशत हो गए हैं। इन योजनाओं की राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहनी हुई हैं।
       ब्याजमुक्त ऋण से लाभान्वित हुए किसान
       प्रभारी मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि किसानों को मुख्यमंत्री ब्याजमुक्त फसली ़ऋण का लाभ दिया जा रहा हैं वहीं राज्य सरकार हर वर्ग के उत्थान के लिए काम कर रही हैं।
गरीब व्यक्ति तक पहुंचाएँ योजना का लाभ
       प्रभारी मंत्री ने कहा कि जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को मिलजुल कर राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी अनुकरणीय योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति तक पहुँचाना है। उन्होंनें कहा कि सीमावर्ती बाड़मेर व जैसलमेर जिलों में विकास की गति दिनोदिन बढ रही हैं एवं आने वाले समय में ये सीमांत जिले देश के विकास में अपनी अहम् भूमिका अदा करेगें।
       राज्यपाल सन्देश का पठन
       गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर अतिरिक्त जिला कलक्टर परशुराम धानका ने महामहिम राज्यपाल के सन्देश का पठन किया। इस अवसर पर नगर की 30 शिक्षण संस्थानों के लगभग 900 से अधिक छात्र-छात्राओं ने पुलिस बैण्ड की मधूर धूनों पर सामुहिक व्यायाम का प्रदर्शन प्रस्तुत किया। इसी प्रकार राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय इं.गा.न.प. की  बालिकाओं द्वारा कमल की पंखूड़ियों के बीच प्रकट हुई भारतमाता का दृश्य बहुत ही आकर्षक रहा।
       स्काउटों ने किया पिरामिड का निर्माण , शानदान रही सांस्कृतिक प्रस्तुति
इस अवसर पर स्काउट के बालचरों एवं गर्ल्स गाईड्स द्वारा अपने शारीरिक संतुलन तथा दमखम का अद्भुत प्रदर्शन प्रस्तुत करते हुए पिरामिड्स निर्माण का  प्रस्तुतीकरण किया। समारोह में श्रीमती किश्नीदेवी मगनीराम मोहता राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय जैसलमेर की छात्राओं द्वारा राजस्थानी एवं देशभक्ति लोकगीतों की धून पर सांस्कृतिक समूह नृत्य पेश कया गया। लोक कलाकार कमरूदीन के संगीत निर्देशन में प्रस्तुत किये गये नृत्य का निर्देश्न श्रीमती माया व्यास ,कृष्णा खत्री एवं अरूणा व्यास ने किया।
              गणतंत्र दिवस समारोह के कार्यक्रमों का विदेशी पर्यटकों ने भी बड़ी रूचि के साथ देखा एवं समारोह में प्रस्तुत किये गये आकर्षक कार्यक्रमों को चिरस्थायी याद के लिये अपने कैमरों में कैद किया।
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प्रभारी मंत्री  चौधरी ने पांच विद्यालयों को विशेष योग्यजन बालकों के आनन्दमयी शिक्षा के लिए
संस्था प्रधानों को दिये चैक
       जैसलमेर, 26 जनवरी/जैसलमेर में  गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में जिले के प्रभारी मंत्री हेमाराम चौधरी ने विशेष योग्यजन बालकों को आनंदमयी शिक्षा अर्जित करने एवं उपकरण उपलब्ध करवाने के लिए 5 संस्था प्रधानों को 2-2 हजार रुपए की राशि के चैक प्रदान किए।
       प्रभारी मंत्री चौधरी ने रा.उ.प्रा.वि.संस्कृत अमरसागर के संस्था प्रधान इंद्रप्रकाश व्यास , रा.उ.प्रा.वि बड़ाबाग के बद्रीविशाल व्यास , रा.उ.प्रा.वि ढिब्बा पाड़ा जैसलमेर की श्रीमती माधूरी , रा.प्रा.वि.नाचना के पोलाराम व रा.बा.उ.प्रा.वि सोनू के संस्था प्रधान रघुनाथसिंह को यह राशि प्रदान की।
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उद्घौषकों ने गणतंत्र दिवस समारोह का समा बान्धा
       जैसलमेर, 26 जनवरी /गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर प्रस्तुत किए गये कार्यक्रमों के सम्बन्ध में अत्यन्त रौचक एवं आकर्षक शैली में कमैंन्ट्री कर उद्घौषकों ने समारोह में समा बान्ध दी। इस अवसर पर व्याख्याता हरिवल्लभ बौहरा ,मनोहर महेचा ,रंगकर्मी विजय बल्लाणी तथा लेखाकार एवं साहित्यकार आनन्द जगानी ने औजस्वी वाणी में कमेन्ट्री की ।
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गणतंत्र दिवस समारोह - गणमान्य अतिथियों ने किया कार्यक्रमों का दृश्यावलोकन
       जैसलमेर, 26 जनवरी/स्वर्ण नगरी जैसलमेर में जिले के प्रभारी मंत्री हेमाराम चौधरी के  मुख्य आतिथ्य में शहीद पूनमसिंह स्टेडियम में गणतंत्र दिवस मुख्य समारोह के अवसर पर आयोजित विविध कार्यक्रमों का गणमान्य अतिथियों , जन प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के साथ ही नगरवासियों ने दृश्यावलोकन किया।  
       इस समारोह में मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिलापरिषद बलदेवसिंह उज्जवल , अतिरिक्त आयुक्त उपनिवेशन एफ.आर.सोनी ,भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अरुण कुमार झा , अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामसिंह , सचिव नगर विकास न्यास आर.डी.बारहठ , उपखण्ड अधिकारी रमेशचन्द जैन्थ, पुलिस के उपअधीक्षक शायरसिंह ,आयुक्त नगरपरिषद आर.के. माहेश्वरी के साथ ही अन्य जिलाधिकारीगण उपस्थित थे।
       समारोह में पूर्व नगरपालिकाध्यक्ष श्रीमती विमला वैष्णव,  समाज सेवी  रावताराम पंवार , शंकरलाल माली,  राणजी चौधरी, जनकसिंह भाटी , खटनखां , जितेन्द्रसिंह सिसोदिया , प्रेम भार्गव , समाज सेविका श्रीमती प्रेमलता चौहान ,श्रीमती सस्वती छंगाणी, श्रीमती देवकीदेवी राठौड़ , श्रीमती प्रेमलता भाटिया ,श्रीमती मनोरमा वैष्णव , एवं ़ नगर पालिका के  पार्षदगण ,नगर के गणमान्य नागरिक तथा प्रेस प्रतिनिधिगण एवं नगरवासी उपस्थित थे।
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जिला कलक्टर शुचि त्यागी ने  किया कलेक्ट्रेट में ध्वजारौहण
       जैसलमेर ,26 जनवरी/ जिला कलक्टर शुचि त्यागी ने गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में शनिवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय जैसलमेर पर ध्वजारौहण किया। इस अवसर पर पुलिस की सशस्त्र टूकड़ी द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी गयी। जिला कलक्टर त्यागी ने सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को  गणतंत्र दिवस पर अपनी ओर से हार्दिक बधाई दी।
       ध्वजारौहण के अवसर पर अतिरिक्त जिला कलक्टर परशुराम धानका , उपखण्ड अधिकारी रमेशचन्द जैन्थ , नगर विकास न्यास के सचिव आर.डी.बारहठ ,कोषाधिकारी श्रीमती रश्मि बिस्सा, सहायक आयुक्त उपनिवेशन देवाराम सुथार के साथ ही कलेक्ट्रेट परिसर के अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।
                                 
पुलिस अधीक्षक ममता राहुल ने किया पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर ध्वजारौहण
गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर जिला मुख्यालय पर स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर जिला पुलिस अधीक्षक ममता राहुल ने ध्वजारौहण किया। इस अवसर पर पुलिस की सशस्त्र टूकड़ी द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी गई।
       ध्वजारौहण के अवसर पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामसिंह ,उप अधीक्षक पुलिस शायर सिंह,शहर कोतवाल विरेन्द्र सिंह के साथ ही पुलिस विभाग के कर्मचारीगण भी उपस्थित थे।
जिला प्रमुख श्री फकीर  ने जिला परिषद भवन पर किया ध्वजारौहण
  गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर जिला प्रमुख श्री अब्दुला फकीर  ने जिला परिषद कार्यालय पर ध्वजारौहण किया एवं सभी को हार्दिक बधाई दी । ध्वजारौहण समारोह के अवसर पर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बलदेवसिंह उज्जवल ,अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकरी जगदीश गौड़ एवं कार्मिक भी मौजूद थे।
       जिला प्रमुख अब्दुला फकीर ने राष्ट्रीय पर्व पर उपस्थित जिला परिषद के अधिकारियों व कार्मिकों को हार्दिक शुभकामनाएॅ दी। उपखण्ड अधिकारी रमेशचन्द जैन्थ ने उपखण्ड कार्यालय पर ध्वजारौहण किया एवं सभी कार्मिकों को राष्ट्रीय पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएॅ दी।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश गोरधनलाल मीणा ने  जिला न्यायालय पर किया ध्वजारौहण
       गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश गोरधनलाल मीणा ने  जिला एवं सैंशन न्यायालय पर ध्वजारौहण किया। इस अवसर पर पुलिस की सशस्त्र टूकड़ी द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी गई।
       इस अवसर पर न्यायिक मजिस्टेªट राजेश कुमार के साथ ही अन्य न्यायालयों के कार्मिक एवं अधिवक्ता भी उपस्थित थे।
                           अध्यक्ष श्री तवर ने नगरपरिषद कार्यालय में किया ध्वजारौहण
            गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर नगरपरिषद कार्यालय में सभापति अशोक तँवर ने ध्वजारौहण किया एवं सभी अधिकारियों व कर्मचारीयो को हार्दिक शुभ कामनाए दी।
इस अवसर पर नगरपरिषद आयुक्त आर.के.माहेश्वरी ,पार्षद गण एवं नगरपालिका के कर्मचारी एवं  अधिकारीगण उपस्थित थे ।
अध्यक्ष श्री तंवर ने नगर विकास न्यास कार्यालय में किया ध्वजारोहण
            गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर नगर विकास न्यास के अध्यक्ष उम्मेदसिंह तँवर ने न्यास कार्यालय पर  ध्वजारौहण किया एवं सभी अधिकारियों व कर्मचारीयो को हार्दिक शुभ कामनाए दी।
            इस अवसर पर न्यास के सचिव आर.डी बारहठ के साथ ही न्यास के  अधिकारीगण एवं कर्मचारी उपस्थित थे ।
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गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य आकर्षण रही साँस्कृतिक झाँकियां
       जैसलमेर, 26 जनवरी/ गणतंत्र दिवस मुख्य समारोह के अवसर पर विभिन्न विभागों एवं शिक्षण संस्थानों द्वारा निकाली गयी साँस्कृतिक झांकियां आकर्षण का केन्द्र बिन्दू रही। इन झांकियों के माध्यम से सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों , फ्लैगशिप योजनाआंे , मुख्यमंत्री बीपीएल अन्न सुरक्षायोजना , महिला सुरक्षा से संबंधित जीवन्त प्रदर्शन सचित्रित किया गया।
       मुख्य समारोह में चिकित्सा विभाग द्वारा मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना  , महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा महिला सुरक्षा केन्द्रों , रसद विभाग द्वारा मुख्यमंत्री अन्न सुरक्षा योजना , निर्वाचन विभाग द्वारा राष्ट्रीय मतदाता दिवस से संबंधित झांकियों की प्रस्तुती कर योजना के संचालन का संदेश दिया। इसके साथ ही विद्यालयों द्वारा घोड़े पर बैठी झांसी की रानी की झांकी आकर्षण का केन्द्र बिन्दू रही वहीं युवाशक्ति के पांच सूत्र , चेतना से संपूर्णता एवं आध्यात्मिक योग साधना ,पोलिथिन उपयोग के प्रतिबंध से ओतप्रोत झांकियाँ भी सराहनीय रही।
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सांस्कृतिक समूह नृत्य पर दिए पुरस्कार
       जैसलमेर, 26 जनवरी/ गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में आयोजित मुख्य समारोह के अवसर पर श्रीमती किशनीदेवी मगनीराम मोहता राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय जैसलमेर की बालिकाओं द्वारा शानदान सामुहिक सांस्कतिक समूह नृत्य की प्रस्तुती की गई।
       इस सामुहिक सांस्कृतिक नृत्य के लिए पोकरण विधायक शाले मोहम्मद एवं नगर विकास न्यास के अध्यक्ष उम्मेदसिंह तंवर ने अपनी ओर से 2100 -2100 रुपये पुरस्कार स्वरुप प्रदान किए। वहीं नगरपरिषद की ओर से अध्यक्ष अशोक तँवर ने समूह नृत्य के लिए 15000 रुपए की राशि देने की घोषणा की।
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आदिवासी क्षेत्रों में राष्ट्रीय पर्वों पर बहती हैं उल्लास की सरिताएं


आदिवासी क्षेत्रों में राष्ट्रीय पर्वों पर बहती हैं उल्लास की सरिताएं
डॉदीपक आचार्य

मानव सभ्यता के साथ ही जीवन के हर क्षण में आनंद की प्राप्ति मनुष्य का परम अभीष्ट होता है और उसी के लिए वह अहर्निश प्रयत्नशील रहा है।  मानव मात्र के प्रत्येक कर्म के पीछेयही आत्म आनंद रहा है।
भारतीय संस्कृति में हर दिन कोई  कोई तीज-त्योहार और पर्व इसी भावना के द्योतक हैं जिनके सहारे मानव समुदाय निरन्तर उल्लास और उत्साह में निमग्न रहकर जीवन यात्रा कोगतिमान करता रहा है।
देश के कुछ हिस्सों में साल भर उत्सवी माहौल रहता है। इन्हीं में वागड़ अंचल भी है जहां विभिन्न पर्व-त्योहारों और उत्सवों की श्रृंखला में स्वाधीनता दिवस तथा गणतंत्र दिवस भीसमाहित हैं। इन्हें आदिवासी क्षेत्रों बांसवाड़ा और डूंगरपुर तथा आस-पास के क्षेत्रों में किसी विशाल मेले से कम नहीं आँका जाता।
इस दिन गांव-कस्बों और शहरों में होने वाले आयोजनों में भारी जनोत्साह लहराता ही है लेकिन बांसवाड़ा एवं डूंगरपुर दोनों जिला मुख्यालयों पर आयोजित होने वाले जिलास्तरीयमुख्य समारोहों में भी आस-पास के गांवों से बड़ी संख्या में ग्राम्य नर-नारियों का ज्वार उमड़ता है। इन आयोजनों को स्थानीय बोली में झण्डा नो मेरो’ अर्थात झण्डे का मेला नाम दियागया है।
प्रातः होने वाले इन समारोहों में ध्वजारोहण से लेकर अंतिम कार्यक्रम राष्ट्रगान से समाप्ति तक यह ग्राम्य समुदाय डूंगरपुर के लक्ष्मण मैदान तथा बांसवाड़ा के कुशलबाग मैदान मेंजमा रहता है। ये लोग किसी पारंपरिक उत्सव या मेले की तर्ज पर ही सज-धज कर पूरे उल्लास से आते हैं और राष्ट्रीय पर्वों का उत्साह बाँटते हैं।
इन समारोहों की समाप्ति के बाद इनका रुख शहर के बाजारों की तरफ होता है जहाँ खरीदारी के साथ ही खाने-पीने की दुकानों पर खूब भीड़ लगती है। दोपहर बाद तक शहर के विभिन्नस्थलों तथा उद्यानों में भ्रमण के बाद यह ग्राम्य समुदाय वापस गांवों की ओर रुख करता है।
राष्ट्रीय पर्वों पर ग्राम्य समुदाय की बड़ी संख्या और इनमें लहराता उत्साह तथा इन पर्वो का उल्लास इनके चेहरों से अच्छी तरह पढ़ा जा सकता है।
आम ग्रामीणों तक के मन में राष्ट्रभक्ति का दिग्दर्शन कराने वाले ये झण्डे के मेले वागड़ की उत्सवी संस्कृति का अहम् हिस्सा हैं।
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