शनिवार, 1 जुलाई 2017

आनंदपाल को जानने वाले कहते थे, वो मारेगा या फिर मर जाएगा लेकिन सरेंडर नहीं करेगा



जयपुर।आनंदपाल को जानने वाले कहते थे, वो मारेगा या फिर मर जाएगा लेकिन सरेंडर नहीं करेगा
आनंदपाल को जानने वाले कहते थे, वो मारेगा या फिर मर जाएगा लेकिन सरेंडर नहीं करेगा
आनंदपाल के एनकाउंटर के सात दिन बाद भी उसका अंतिम संस्कार नहीं हुआ हैै। आनंदपाल के एनकाउंटर पर अब कर्इ तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं, सीबीआर्इ जांच की मांग की जा रही है। एेसे में आनंदपाल के वकील एपी सिंह ने यह कहकर सनसनी फैला दी है कि चार मंत्रियों के इशारे पर उसका एनकाउंटर किया गया। हालांकि आनंदपाल को जानने वाले बताते हैं कि उसे जिंदा पकड़ना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं था।

आनंदपाल कर्इ बार पुलिस आैर एसआेजी के हाथ में आते-आते निकल चुका था। यहां तक की दो मुठभेड़ों में वह पुलिस पर बहुत भारी पड़ा था आैर गोली चलाते हुए भाग निकला था। फरवरी 2016 में जब उसे नागौर के आसपास देखा गया आैर तब वह पुलिस पर फायरिंग कर भाग निकला था। उस वक्त सिपाही खेमाराम की मौत हो गर्इ थी। आनंदपाल की कार्यप्रणाली को नजदीक से देखने वाले पुलिसकर्मी भी मानते हैं कि उसे सरेंडर कराना बेहद मुश्किल काम था।



आनंदपाल अपने साथियों के बीच एपी के नाम से जाना जाता था। पुलिस गिरफ्त में आए उसके साथियों का भी कहना था कि आनंदपाल किसी भी हालत में सरेंडर नहीं करेगा। वो या तो मारेगा या फिर मर जाएगा। यही वो कारण था कि जिसके कारण आनंदपाल की लोकेशन का पता लगते ही कंमाडो की टीम को रवाना कर दिया गया था।


15 नवंबर 2012 को आनंदपाल के होने की सूचना पर पुलिस आैर एसआेजी की संयुक्त टीम ने रेनवाल फागी में उसके ठिकाने पर दबिश दी थी। बताया जाता था कि उस वक्त भी आनंदपाल फायरिंग करने वाला था। इसके बाद जवानों को पीछे हटने के लिए कहा गया था। हालांकि तब एक अधिकारी ने आनंदपाल को समाज का हवाला देते हुए सरेंडर करने के लिए समझाया था। इसके बाद ही आनंदपाल सरेंडर करने के लिए राजी हुआ था।

नागौर/परबतसर.आनंदपाल के परिवार को झटका, जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे विक्की व गट्टू



नागौर/परबतसर.आनंदपाल के परिवार को झटका, जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे विक्की व गट्टू
आनंदपाल फरारी प्रकरण में हाई अजमेर सिक्योरिटी जेल में बंद विक्की उर्फ रुपेन्द्रपाल व गट्टू उर्फ देवेन्द्र सिंह गत 24 जून को एनकाउंटर में मारे गए बदमाश आनंदपाल सिंह की अन्त्येष्टि में शामिल नहीं हो पाएंगे। परबतसर एसीजेएम कोर्ट में आनंदपाल के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए विक्की व गट्टू को नहीं मिली अंतरिम जमानत।

 
आनंदपाल फरारी मामले में जेल में बंद आरोपित विक्की उर्फ रुपेन्द्रपाल सिंह और गट्टू उर्फ देवेंद्र सिंह को आनंदपाल की अन्त्येष्टि में शामिल होने के लिए शनिवार को एसीजेएम कोर्ट परबतसर में पेश किया वारंट। एसीजेएम ज्योति सोनी ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए आगामी पेशी 3 जुलाई को दी है। विक्की व गट्टू 3 सितम्बर 2015 को आनंदपाल को फरार करने के मामले में जेल में है।

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विक्की उर्फ रुपेन्द्रपाल व गट्टू उर्फ देवेंद्र सिंह के वकीलों ने अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति देने के लिए लगाई थी अर्जी। एसओजी के सहायक उप निरीक्षक पवन मीणा व थानाधिकारी सतेंद्र नेगी ने किया जमानत देने का विरोध।

बदमाश आनंदपाल का शव भले ही पुलिस ने परिजनों को सौंप दिया है लेकिन अन्येष्टि कल तक टल सकती है। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार परिवार चाहता है कि आनंदपाल की बेटी चीनू भी इस मौके पर मौजूद रहे। ऐसे में दुबई में इंजीनियरिंग की पढाई कर रही चीनू के बाद सांवदरा आने के बाद ही रविवार को अंतिम संस्कार किए जाने की संभावना लग रही है।

गौरतलब है कि आनंदपाल गत 24 जून की रात को चुरू जिले के मालासर में एनकाउंटर में मारा गया था।

बिग ब्रेकिंग बाड़मेर दो बाइक भिड़ंत ,बाद में सेना के क्रेन से टक्क्र दो की मौत

 बिग ब्रेकिंग बाड़मेर दो बाइक  भिड़ंत ,बाद में सेना के क्रेन से टक्क्र दो की मौत 

बाड़मेर चौहटन




भजन लाल पंवार 
काल बन कर आया सेना का ट्रक
दो घरों के युवक हुए काल के शिकार
सुबह बाड़मेर कॉलेज फॉर्म भरने निकले थे युवक
फर्स्ट ईयर में एडमिशन के लिए जा रहे थे कॉलेज
धर्मपुरी मंदिर के पास दो बाइक की आपसी भिड़ंत के बाद जा टकराये सेना के क्रेन ट्रक से
सखी मेघवाल ने 86 % से पास की थी बारहवीं कक्षा
सखी मेघवाल की मौके पर हुई मौत
चौखाराम की बाड़मेर में हुई मौत
आर्मी के 100 जवान मौके पर
सखी मेघवाल बावड़ी का था निवासी
चौखराम मेघवाल था सेड़वा निवासी

बिग ब्रेकिंग आनंदपाल सिंह का शव परिजनों को सुपुर्द किया

बिग ब्रेकिंग  आनंदपाल सिंह का शव परिजनों को  सुपुर्द किया 


नागौर पुलिस अन्कॉउंटर में मरे गए आनंदपाल सिंह का शव सात दिन बाद दुबारा पोस्ट,मार्टम के बाद नागौर पिलिस ने शव को उनके परिजनों को सुपुर्द कर दिया ,जानकारी के अनुसार शव आनंदपाल के मामाँ और उनकी बेटी को सुपुर्द किया गया ,पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच शव सांवरदा पहुँचाया गया ,सम्भवतः आज आनंदपाल के शव का अंतिम संस्कार किया जायेगा 

बाड़मेर। अनुठे हैं थार के झोंपड़े,सिन्ध शैली के झोंपे लोकप्रिय, बिना कूलर एयर कण्डीसनर के श ीतलता का अहसास










बाड़मेर। अनुठे हैं थार के झोंपड़े,सिन्ध शैली के झोंपे लोकप्रिय ,बिना कूलर एयर कण्डीसनर के शीतलता का अहसास


बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिला रेगिस्तान के विशाल भूु भाग में विषम परिस्थितियों में बसा सपनो के सुन्दर चित्रो से जुदा नहीं हैं।थार वासियों की कठिन किन्तु रंगीन जीवन शैली हर एक को प्रभावित करती हैं।रेगिस्तानी धोरो के बीच बने तरह तरह के झोपे आकर्षित करते हैं।पाकिस्तान से सटी सरहद क्षैत्रा में ग्रामिणो द्धारा बनाए सिन्धशली के अनुठे झौंपे मरुस्थल की रंगीन जीवनशैली को दर्शाता हैं।वहीं थार के रेगिस्तान में पड रही भीषण गर्मी का मुहॅ तोड जवाब ये देसी झौंपे हैं।जो 48-50 डिग्री की गर्मी में बिना कुलर एयर कण्डीशनर के शीतलता का अहसास कराता हैं।रेगिस्तनी गर्मी को मुॅह चिढातें देशी शैली के ये झौंपे बेहद लोकप्रिय हो रहे हैं।राजस्थानो मरुस्थल क्षैत्र में किसी भी दिशा में चले जांए झौंपो के अलग अलग प्रकार के सैकडों झांकियां आखों को शकुन देती हैं।कई गांव झौंपो की ना-ना प्रकार की छटा लिये हुए मिलेंगं तो कुछ गांव झोंपड़े,पड़वे,गड़ाल,छान,ओळा, आदि रुपों में अपनी बनावट,मण्डाई,रुपाकंन,और सुख सुविधाओं के सुन्दर स्वरुप सहेजे मिलेंगे।गांव ढाणियों मेंगोबर के गारे से निर्मित झोंपो की दीवार में मुरड़,खड़ी,राख या फिर सीमेंट का उपयोग किया जाता हैं।झोंपों की दीवारो के उपरी भाग की मण्डाई का कार्य क्षैत्र में उपलब्ध पैड़-पौधें,घास,और झाड़ियों के अनुरुप किया जाता हैं।छाण या ढाॅचा तैयार करने मेंकैर,खैजड़ी,देसी बबुल,या रोहिड़े की घोड़ियाॅ तो बाण के रुप में आक,फोग,की पतली टहनियों तथा छावण का उपरी भाग बाजरें के पुळों एव। घास की पुळियों या खींप और सिणियों से किया जाता हैं।भीतरी ढांचे और छिवाई के जोड़ों को मजबूती प्रदान करने के लिए बांधी जाने वाली डोरियों कों जूण कहा जाता हैं,जो सिणियों ,खींप या फिर मूंज से बनाया जाता हैं।झोंपे के भीतरी भाग की छत को सुन्दर रुप देने के लिए सरकण्डों का उपयोग किया जाता हैं।इसके मण्डाण में परम्परागत षिल्प और शगुन का ध्यान रखा जाता हैं।झौंपो का फर्श परम्परागत रुप से गोबर का नीपा जाता हैं।झौंपों की बसावट खेत की उॅचाई वाले स्थान या धोरे पर की जाती हैं। स्थान तय करने से पहले हवा पानी तथा खेतों की रखवाली को ध्यान में रखा जाता हैंझोंपे के निर्माण के वक्त हवा के रुख का पूर्ण ध्यान रखा जाता हैंआमने-सामने की दिवारो। पर मोखे खिड़कियां रखी जाती हैं जिसमें शानदार हवा अनवरत आती हैं।सरहदी क्षैत्रा में बने झौंपे सिन्ध शैली के अधिक हैं।सिन्ध क्षैत्रा के झौंपो की तरह झौंपो को आर्कषक बनाने के लिए उनके भीतरी भाग को पाण्डु और गेरु की भांतो से रंग दिया जाता हैं।उसके सूखने पर आळो और मोखों के चारों ओर तथा खाली स्थानों पर लोक संस्कृति के माण्डणे मांण्डे जातेहैं ।ये माण्ड़णे बहुररंगी तथा चटकीले रंगो में होते हैं।पाण्डु और कलाई के प्रभाव से उनकी छआ देखते बनती हैं।इन माण्ड़णोमेंलोक शैली में पैड़-पौधे,वनस्पति,सूरज,चान्द,बेल-बूटे पशु-पक्षी, लोक वाद्य यंत्रो,लोक देवताओं के मन मोहक चित्राण होते हैं।कहीं कहीं रंगों की बजाए पाण्डु के श्वेत धरातल पर गेरु के चितराम उकेरे जाते हैं।झोंपे का आंगन भी कम नहीं सजाया जाता हैं।चिकनी मिटी और गोबर के लेप से आंगन में गैरु और पाण्डु की झालर और बीच बीच में माण्डणे माण्ड कर आ।गन को आकर्षक बनाया जाता हैं।झोंपे सामान्य धरो से पाॅच सितारा होटलो की शान बन चुके हैं,देशी विदेशी पर्यटक खास तौर से झौंपों की मांग करते हैं।सरकारी अधिकारीयों को भी झापों का शौक र्चराया हेेै,अमुमन हर अधिकारी के बंगले में दो तीन झौंपें अवश्य नजर आते हैं।