रविवार, 2 फ़रवरी 2020

पंजाब / अमृतसर केंद्रीय जेल की दीवार तोड़कर तीन हवालाती फरार, सीएम ने दिए घटना की मजिस्‍ट्रेट जांच के आदेश

पंजाब / अमृतसर केंद्रीय जेल की दीवार तोड़कर तीन हवालाती फरार, सीएम ने दिए घटना की मजिस्‍ट्रेट जांच के आदेश

अमृतसर. अमृतसर केंद्रीय जेल से शनिवार देर रात तीन विचाराधीन कैदी फरार हो गए। भागने वाले हवालातियों में दो सगे भाई स्नैचिंग के मामले में और तीसरा दुष्कर्म का आरोपी था। ये कैदी जेल की दीवार तोड़कर फरार हुए हैं। इस वारदात के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है, वहीं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि पंजाब में यह पहला मामला नहीं है। पिछले कई बरसों से पटियाला के नाभा में हाई सिक्युरिटी जेल ब्रेक कर कई खालिस्‍तानी आतंकी और गैंगस्‍टर फरार हो गए थे।

फरार आरोपियों में एक की पहचान अमृतसर के मजीठा रोड की आरा कॉलोनी निवासी 22 वर्षीय विशाल के रूप में हुई है। उसके खिलाफ पिछले साल बलात्कार का मामला दर्ज किया गया था। उसे 5 अप्रैल 2019 को जेल में आया था। अन्य दो सगे भाई हैं, जिनकी पहचान चंडीगढ़ रोड खडूर साहिब के 34 वर्षीय गुरप्रीत और 25 वर्षीय जरनैल के रूप में हुई है। दोनों भाइयों पर चोरी और डकैती का आरोप है और उन्हें पिछले साल जुलाई में जेल में लाया गया था। शनिवार देर रात करीब डेढ़ बजे जेल की दीवार तोड़कर फरार हो गए।

शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि ये तीनों करीब 15 दिन से दीवार तोड़ने में लगे हुए थे। इसके लिए उन्होंने एक सरिये का इस्तेमाल किया और धीरे-धीरे रोज ईंटें निकालते रहे। रात में दीवार से एक-एक कर ईंटें निकालते थे और सुबह होने पर वे ईंटों को पहली की तरह दीवार में ही लगा देते थे। शनिवार रात को मौका पाकर सभी ईंटों को निकाला और फरार हो गए। खास बात यह है कि अमृतसर जेल की सुरक्षा पुख्ता करने के मकसद से सीआरपीएफ की तैनाती भी की गई थी।

टावर नंबर 10 के पास जिस प्वाइंट से तीनों हवालाती जेल परिसर से भागे हैं, वह हिस्सा सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में नहीं था। इस घटना के बारे में करीब दो घंटे बाद सुबह 3 बजकर 20 मिनट पर पता चला। घटना के वक्त भले ही जेल के सुरक्षा प्रबंधन को इसकी भनक तक नहीं लगी, पर अब पुलिस ने कैदियों की तलाश के लिए इलाके में नाकाबंदी कर दी है। वहीं वारदात के वक्त ड्यूटी पर तैनात मुलाजिमों से भी कड़ी पूछताछ की जा रही है।

फिलहाल मौका मुआयना करने के बाद डीजीपी ने बताया कि प्रारंभिक जांच के अनुसार बाहर से मदद मिलने का कोई सबूत नहीं है। उधर, इस मामले में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कड़ा संज्ञान लेते हुए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। यह जांच जालंधर कमिश्नर की अगुवाई में होगी। इसके साथ ही उन्होंने जिम्मेदार मुलाजिमों को निलंबित करने के निर्देश भी जारी किए हैं।

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