बाड़मेर,टिड्डी दल की रोकथाम संबंधित गतिविधियां जारी,
खड़ी फसल पर किसान छिड़काव करें
- टिड्डी चेतावनी संगठन की ओर से छिड़काव किया जाने वाले रसायन बेहद खतरनाक।
बाड़मेर, 09 अक्टूबर। बाड़मेर जिले मंे टिड्डी दल की रोकथाम के लिए वृहद स्तर पर गतिविधियां जारी है। प्रभावित इलाकांे मंे पर्याप्त मात्रा मंे संसाधनांे एवं कार्मिकांे की तैनातगी की गई है। किसानांे से अनुरोध है कि वे खड़ी फसलांे मंे अपने स्तर पर राज्य सरकार की ओर से अनुदान पर उपलब्ध करवाए जा रहे कीटनाशक का छिड़काव करें। टिड्डी चेतावनी संगठन की ओर से छिड़काव किया जा रहा कीटनाशक बेहद खतरनाक होने से उसका इस्तेमाल फसलांे पर नहीं किया जा सकता।
कृषि विभाग के उप निदेशक किशोरीलाल वर्मा ने बताया कि कृषि विभाग एवं टिड्डी चेतावनी संगठन के अधिकारियों ने बुधवार को गडरारोड़ समेत अन्य इलाकांे मंे टिड्डी दलांे की रोकथाम के लिए चलाई जा रही गतिविधियांे का जायजा लिया। उन्हांेने ग्रामीणांे से रूबरू होकर उनको टिड्डी दल के हमले से बचाव के बारे मंे जानकारी भी दी। उप निदेशक वर्मा ने बताया कि जिला कलक्टर अंशदीप के निर्देशानुसार जिले मंे टिड्डी दलांे की गतिविधियांे की रोकथाम के लिए वृहद स्तर पर प्रयास किए जा रहे है। प्रभावित इलाकांे मंे अतिरिक्त संसाधनांे एवं पर्याप्त मात्रा मंे कीटनाशक के साथ कृषि विभाग के कार्मिकांे की स्थाई तैनानगी की गई है। उन्हांेने बताया कि बाड़मेर जिले मंे टिड्डी चेतावनी संगठन की ओर से पांच तथा राज्य सरकार की ओर से तीन वाहन टिड्डी रोकथाम गतिविधियांे मंे तैनात किए गए है। इसके अलावा टिड्डी सर्वेक्षण के लिए कृषि विभाग के कार्मिकांे को अतिरिक्त छह वाहन उपलब्ध कराए गए है। उनके मुताबिक मौजूदा समय मंे छोटी खड़ीन, मालाना, सगोरालिया, गोविन्द बीओपी, मयानी, पनेला, गडरा फायरिंग रेंज, अकली, मुनबाव, पदमड़ा, बरियाड़ा, धारवी कला, धारवी खुर्द एवं राजड़ाल मंे टिड्डी दल की उपस्थिति पाई गई है। इन इलाकांे मंे इनकी रोकथाम संबंधित गतिविधियां चलाई जा रही है। इससे पहले शिव, गडरारोड, रामसर, बायतु, धोरीमना, बाडमेर, धणाउ चौहटन एवं गुडामालानी पंचायत समिति में टिड्डी की उपस्थिति देखी गई थी, जिसको समय-समय नियंत्रण कर लिया गया।
पीली टिडिडयां ज्यादा खतरनाक नहींः बाड़मेर जिले के मिली टिड्डी का रंग पीला है। कृषि विभाग के उप निदेशक किशोरीलाल वर्मा के मुताबिक यह टिड्डी अधिक नुकसान नहीं करती है। उनके मुताबिक गुलाबी अवस्था वाली टिड्डी सबसे अधिक हानि करती है। इसकी बाड़मेर जिले मंे उपस्थिति नहीं है।
टिड्डी दल के जमावड़े के बारे मंे सूचित करेंः पिछले तीन-चार दिनांे से सरहद पार से टिड्डी दल के झंुड गडरारोड एवं शिव क्षेत्र में आना शुरु हो गए हैं। ऐसे मंे किसानांे से अनुरोध है कि वे खडी फसल में टिड्डी को नहीं बैठने दे। साथ ही शाम के समय खाली स्थान पर जहां भी टिड्डी बैठती हैं, उसकी सूचना टिड्डी नियंत्रण कक्ष के दूरभाष 02982-220045, 9461520342, 9414607764, 9866426515, 9443672131, 9461965383 पर दें। ताकि तत्काल नियंत्रण की कार्रवाई की जा सके।
किसान खेतांे मंे फसलांे पर करें छिड़कावः टिड्डी नियंत्रण संगठन की ओर से छिडकाव किया जाने वाला रसायन मैलाथियान 96 यूएलबी फसलों,प्शुओं एवं मानव को हानिकारक हैं। इसलिए इस रसायन को खडी फसल में छिडकाव नहीं किया जा सकता। कृषि विभाग के उप निदेशक किशोरीलाल वर्मा के मुताबिक खडी फसल के छिडकाव के लिए किसानांे की ओर से स्वयं क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी., 50 ई.सी., डेल्टामेथरीन 2.8 ई.सी. एवं लेबडासायलोथिन 5 इ.सी. का छिडकाव किया जा सकता हैं। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से दो हैक्टेयर तक 50 प्रतिशत एवं अधिकतम 500 रुपए प्रति हैक्टेयर अनुदान देय हैं। इसके लिए संबंधित कृषि पर्यवेक्षक से परमिट प्राप्त कर किसान नजदीकी क्रय विक्रय सहाकारी समिति, ग्राम सेवा सहकारी समिति, निजी विक्रेता से कीटनाशक खरीद सकते है। गडरारोड में मरुधर एग्रो, गडरारोड पर यह रसायन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।
खड़ी फसल पर किसान छिड़काव करें
- टिड्डी चेतावनी संगठन की ओर से छिड़काव किया जाने वाले रसायन बेहद खतरनाक।
बाड़मेर, 09 अक्टूबर। बाड़मेर जिले मंे टिड्डी दल की रोकथाम के लिए वृहद स्तर पर गतिविधियां जारी है। प्रभावित इलाकांे मंे पर्याप्त मात्रा मंे संसाधनांे एवं कार्मिकांे की तैनातगी की गई है। किसानांे से अनुरोध है कि वे खड़ी फसलांे मंे अपने स्तर पर राज्य सरकार की ओर से अनुदान पर उपलब्ध करवाए जा रहे कीटनाशक का छिड़काव करें। टिड्डी चेतावनी संगठन की ओर से छिड़काव किया जा रहा कीटनाशक बेहद खतरनाक होने से उसका इस्तेमाल फसलांे पर नहीं किया जा सकता।
कृषि विभाग के उप निदेशक किशोरीलाल वर्मा ने बताया कि कृषि विभाग एवं टिड्डी चेतावनी संगठन के अधिकारियों ने बुधवार को गडरारोड़ समेत अन्य इलाकांे मंे टिड्डी दलांे की रोकथाम के लिए चलाई जा रही गतिविधियांे का जायजा लिया। उन्हांेने ग्रामीणांे से रूबरू होकर उनको टिड्डी दल के हमले से बचाव के बारे मंे जानकारी भी दी। उप निदेशक वर्मा ने बताया कि जिला कलक्टर अंशदीप के निर्देशानुसार जिले मंे टिड्डी दलांे की गतिविधियांे की रोकथाम के लिए वृहद स्तर पर प्रयास किए जा रहे है। प्रभावित इलाकांे मंे अतिरिक्त संसाधनांे एवं पर्याप्त मात्रा मंे कीटनाशक के साथ कृषि विभाग के कार्मिकांे की स्थाई तैनानगी की गई है। उन्हांेने बताया कि बाड़मेर जिले मंे टिड्डी चेतावनी संगठन की ओर से पांच तथा राज्य सरकार की ओर से तीन वाहन टिड्डी रोकथाम गतिविधियांे मंे तैनात किए गए है। इसके अलावा टिड्डी सर्वेक्षण के लिए कृषि विभाग के कार्मिकांे को अतिरिक्त छह वाहन उपलब्ध कराए गए है। उनके मुताबिक मौजूदा समय मंे छोटी खड़ीन, मालाना, सगोरालिया, गोविन्द बीओपी, मयानी, पनेला, गडरा फायरिंग रेंज, अकली, मुनबाव, पदमड़ा, बरियाड़ा, धारवी कला, धारवी खुर्द एवं राजड़ाल मंे टिड्डी दल की उपस्थिति पाई गई है। इन इलाकांे मंे इनकी रोकथाम संबंधित गतिविधियां चलाई जा रही है। इससे पहले शिव, गडरारोड, रामसर, बायतु, धोरीमना, बाडमेर, धणाउ चौहटन एवं गुडामालानी पंचायत समिति में टिड्डी की उपस्थिति देखी गई थी, जिसको समय-समय नियंत्रण कर लिया गया।
पीली टिडिडयां ज्यादा खतरनाक नहींः बाड़मेर जिले के मिली टिड्डी का रंग पीला है। कृषि विभाग के उप निदेशक किशोरीलाल वर्मा के मुताबिक यह टिड्डी अधिक नुकसान नहीं करती है। उनके मुताबिक गुलाबी अवस्था वाली टिड्डी सबसे अधिक हानि करती है। इसकी बाड़मेर जिले मंे उपस्थिति नहीं है।
टिड्डी दल के जमावड़े के बारे मंे सूचित करेंः पिछले तीन-चार दिनांे से सरहद पार से टिड्डी दल के झंुड गडरारोड एवं शिव क्षेत्र में आना शुरु हो गए हैं। ऐसे मंे किसानांे से अनुरोध है कि वे खडी फसल में टिड्डी को नहीं बैठने दे। साथ ही शाम के समय खाली स्थान पर जहां भी टिड्डी बैठती हैं, उसकी सूचना टिड्डी नियंत्रण कक्ष के दूरभाष 02982-220045, 9461520342, 9414607764, 9866426515, 9443672131, 9461965383 पर दें। ताकि तत्काल नियंत्रण की कार्रवाई की जा सके।
किसान खेतांे मंे फसलांे पर करें छिड़कावः टिड्डी नियंत्रण संगठन की ओर से छिडकाव किया जाने वाला रसायन मैलाथियान 96 यूएलबी फसलों,प्शुओं एवं मानव को हानिकारक हैं। इसलिए इस रसायन को खडी फसल में छिडकाव नहीं किया जा सकता। कृषि विभाग के उप निदेशक किशोरीलाल वर्मा के मुताबिक खडी फसल के छिडकाव के लिए किसानांे की ओर से स्वयं क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी., 50 ई.सी., डेल्टामेथरीन 2.8 ई.सी. एवं लेबडासायलोथिन 5 इ.सी. का छिडकाव किया जा सकता हैं। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से दो हैक्टेयर तक 50 प्रतिशत एवं अधिकतम 500 रुपए प्रति हैक्टेयर अनुदान देय हैं। इसके लिए संबंधित कृषि पर्यवेक्षक से परमिट प्राप्त कर किसान नजदीकी क्रय विक्रय सहाकारी समिति, ग्राम सेवा सहकारी समिति, निजी विक्रेता से कीटनाशक खरीद सकते है। गडरारोड में मरुधर एग्रो, गडरारोड पर यह रसायन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।
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