बाड़मेर में गौ सेवा समिति ने निकाली अनूठी शवयात्रा, हर कोई देखता रह गया इस अंतिम यात्रा को
किसी बात का विरोध करने का अधिकार हर किसी को है लेकिन विरोध करने के कई बार अनूठे तरीके हर किसी को हैरानी में डाल देता है। ऐसा ही कुछ नजर आया बाड़मेर जिला मुख्यालय पर जब साधुओं ने गाय के कंकाल की शवयात्रा निकाली। इस शव यात्रा को जिसने भी देखी वह हैरान नजर आया।
बाड़मेर जिला मुख्यालय पर बीते 3 दिन से चल रहे साधुओं के धरने के बाद विरोध का वह अनूठा नजारा देखने को मिला जो संभवतः देश मे आज तलक कभी नजर नही आया। साधुओं ने गाय के कंकाल की शव यात्रा निकाली। यह शव यात्रा 2 किलोमीटर का सफर तय कर कलक्ट्रेट पहुँची जहाँ साधुओं का गुस्सा फूट पड़ा। दरअसल रेगिस्तानी जिले बाड़मेर में भीषण अकाल के चलते पिछले कई दिनों से भूख और प्यास से गौवंश दम तोड़ रहा है। बिगड़ते हालात को लेकर राजस्थान गौ सेवा समिति के बैनर तले साधु-संतों व गौभक्तों ने तीन दिन पहले अपना धरना शुरू किया था।धरना 3 दिन से जारी हैं और सोमवार को यह धरना इस अनूठी शवयात्रा के रूप में तब्दील हो गया।राजस्थान गौ सेवा समिति के प्रेरणा तथा महंत रघुनाथ भारती के अनुसार मारवाड़ में वर्तमान में भयंकर अकाल की स्थिति है। अकाल के चलते गौवंश की हालत खराब है। वहीं आए दिन दर्जनों गौवंश दम तोड़ रहे है। आलम यह है कि पानी और चारे की व्यवस्था ना होने की वजह से अब तक हजारों की तादाद में गौवंश दम तोड़ चुका है। उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार की नजर में भले ही लघु सीमांत कृषकों का गौवंश ही अकाल पीड़ित की श्रेणी में आता हो, परन्तु जमीनी हकीकत यह है कि पूरे जिले भर में भयंकर अकाल हैं। उन्होंने कहा कि 2015 में केंद्र की मोदी सरकार ने गौशाला में अनुदान को लेकर ऐसे नियम बना दिए जिसके चलते आज हमारा गोवंश खतरे में है।
कलक्ट्रेट से शुरू हुई यह शवयात्रा अहिँसा सर्किल होते हुए जिला कलक्टर कार्यालय के आगे पहुँची।इस अनूठी शवयात्रा के बाद मुख्यमंत्री के नाम बाड़मेर अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौपा है। ज्ञापन के बाद पत्रकारों के सामने जिला प्रशासन का पक्ष रखते हुए अतिरिक्त जिला कलक्टर राकेश कुमार ने कहा कि जिले भर में 518 चारा डिपो स्वीकृत है जिसमे से 412 संचालित है। 248 पशुशीविर संचालित किए जा रहे है । उन्होंने बताया कि धरने पर बैठे लोगों की मांग को राज्य सरकार स्तर की है और बात को सरकार के सामने रखा जाएगा।
गो के लिए अलग पैकेज की मांग के साथ लघु सीमांत की किसानों की श्रेणियों को खत्म करने की मांग पर अड़े साधु संतों का सोमवार का प्रदर्शन जहाँ हर किसी को हैरत में डालने वाला रहा वही अब देखने वाली बात यह है कि सरकार इनको लेकर क्या कदम उठाती है।
किसी बात का विरोध करने का अधिकार हर किसी को है लेकिन विरोध करने के कई बार अनूठे तरीके हर किसी को हैरानी में डाल देता है। ऐसा ही कुछ नजर आया बाड़मेर जिला मुख्यालय पर जब साधुओं ने गाय के कंकाल की शवयात्रा निकाली। इस शव यात्रा को जिसने भी देखी वह हैरान नजर आया।
बाड़मेर जिला मुख्यालय पर बीते 3 दिन से चल रहे साधुओं के धरने के बाद विरोध का वह अनूठा नजारा देखने को मिला जो संभवतः देश मे आज तलक कभी नजर नही आया। साधुओं ने गाय के कंकाल की शव यात्रा निकाली। यह शव यात्रा 2 किलोमीटर का सफर तय कर कलक्ट्रेट पहुँची जहाँ साधुओं का गुस्सा फूट पड़ा। दरअसल रेगिस्तानी जिले बाड़मेर में भीषण अकाल के चलते पिछले कई दिनों से भूख और प्यास से गौवंश दम तोड़ रहा है। बिगड़ते हालात को लेकर राजस्थान गौ सेवा समिति के बैनर तले साधु-संतों व गौभक्तों ने तीन दिन पहले अपना धरना शुरू किया था।धरना 3 दिन से जारी हैं और सोमवार को यह धरना इस अनूठी शवयात्रा के रूप में तब्दील हो गया।राजस्थान गौ सेवा समिति के प्रेरणा तथा महंत रघुनाथ भारती के अनुसार मारवाड़ में वर्तमान में भयंकर अकाल की स्थिति है। अकाल के चलते गौवंश की हालत खराब है। वहीं आए दिन दर्जनों गौवंश दम तोड़ रहे है। आलम यह है कि पानी और चारे की व्यवस्था ना होने की वजह से अब तक हजारों की तादाद में गौवंश दम तोड़ चुका है। उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार की नजर में भले ही लघु सीमांत कृषकों का गौवंश ही अकाल पीड़ित की श्रेणी में आता हो, परन्तु जमीनी हकीकत यह है कि पूरे जिले भर में भयंकर अकाल हैं। उन्होंने कहा कि 2015 में केंद्र की मोदी सरकार ने गौशाला में अनुदान को लेकर ऐसे नियम बना दिए जिसके चलते आज हमारा गोवंश खतरे में है।
कलक्ट्रेट से शुरू हुई यह शवयात्रा अहिँसा सर्किल होते हुए जिला कलक्टर कार्यालय के आगे पहुँची।इस अनूठी शवयात्रा के बाद मुख्यमंत्री के नाम बाड़मेर अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौपा है। ज्ञापन के बाद पत्रकारों के सामने जिला प्रशासन का पक्ष रखते हुए अतिरिक्त जिला कलक्टर राकेश कुमार ने कहा कि जिले भर में 518 चारा डिपो स्वीकृत है जिसमे से 412 संचालित है। 248 पशुशीविर संचालित किए जा रहे है । उन्होंने बताया कि धरने पर बैठे लोगों की मांग को राज्य सरकार स्तर की है और बात को सरकार के सामने रखा जाएगा।
गो के लिए अलग पैकेज की मांग के साथ लघु सीमांत की किसानों की श्रेणियों को खत्म करने की मांग पर अड़े साधु संतों का सोमवार का प्रदर्शन जहाँ हर किसी को हैरत में डालने वाला रहा वही अब देखने वाली बात यह है कि सरकार इनको लेकर क्या कदम उठाती है।
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