बाड़मेर। ज्ञान ही एक मात्र ऐसा अक्षय तत्व है: साध्वी श्री सुरंजनाश्रीजी
रिपोर्ट:- चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ / बाड़मेर
बाड़मेर।ज्ञान ही एक मात्र ऐसा अक्षय तत्व है जो कहीं भी, कभी भी, किसी भी अवस्था में ओर किसी काल मे मनुष्य का साथ नहीं छोड़ता। यह उद्बोधन बाड़मेर नगर के स्थानीय जैन न्याति नोहरा में श्रीजैन श्वेतांबर खरतरगच्छ संघ में चातुर्मास में बिराजित प.पू. साध्वी श्री सुरंजनाश्रीजी म.सा. प्रवचन सभा मे उपस्थित जैन धर्मावलंबियों को कही।
गुरूवर्या श्री ने ज्ञान पंचमी का महत्व बताते हुए कहा कि ज्ञान पंचमी कार्तिक शुक्ला पंचमी अर्थात दीपावली के पाँचवे दिन मनाई जाती है। इस दिन विधिवत आराधना करने से और ज्ञान की भक्ति करने से ज्ञानावरणीय कर्म का क्षय होता है। इस दिन 51 लोगस्स का कायोत्सर्ग, 51 खामासना और ष् नमो नाणसष् पद का जाप किया जाता है। ज्ञान पंचमी को लाभ पंचमी भी कहा जाता है।
साध्वी श्री ने कहा कि ज्ञान पंचमी सन्देश देती है की ज्ञान के प्रति दुर्भाव रखने से ज्ञानावर्णीय कर्म का बंध होता है।अतएव हमें ज्ञान की महिमा को हृदयंगम करके उसकी आराधना करनी चाहिए।यथाशक्ति ज्ञान प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए और दूसरों के पठन पाठन में योग देना चाहिए।यह योग कई प्रकार से दिया जा सकता है।निर्धन विद्यार्थियों को श्रुत ग्रन्थ देना, आर्थिक सहयोग देना, धार्मिक ग्रंथों का सर्वसाधारण में वितरण करना, पाठशालाएं चलाना, चलाने वालों को सहयोग देना, स्वयं प्राप्त ज्ञान का दूसरों को लाभ देना आदि।ये सब ज्ञानावर्णीय कर्म के क्षयोपशम के कारण है। विचारणीय है की जब लौकिक ज्ञान प्राप्ति में बाधा पहुंचाने वाली गुणमंजरी को गूंगी बनना पड़ा तो धार्मिक एवं आध्यात्मिक ज्ञान में बाधा डालने वाले का कितना प्रगाढ़ कर्मबंध होगा ? इसीलिए भगवान महावीर ने कहा - ष् हे मानव ! तू अज्ञान के चक्र से बाहर निकल और ज्ञान की आराधना में लग।ज्ञान ही तेरा असली स्वरुप है। उसे भूलकर क्यों पर-रूप में झूल रहा है ? जो अपने स्वरुप को नहीं जानता उसका बाहरी ज्ञान निरर्थक है ।
गुरूवर्या श्री ने कहा कि ज्ञान पंचमी के दिन श्रुत की पूजा कर लेना, ज्ञान मंदिरों के पट खोलकर पुस्तकों के प्रदर्शन कर लेना और फिर वर्ष भर के लिए उन्हें ताले में बंद कर देना ज्ञानभक्ति नहीं है।इस दिन श्रुत के अभ्यास , प्रचार और प्रसार का संकल्प करना चाहिए।आज ज्ञान के प्रति जो आदर वृति मंद पड़ी हुई है, उसे जाग्रत करना चाहिए और द्रव्य से ज्ञान दान करना चाहिए।ऐसा करने से इहलोक परलोक में आत्मा को अपूर्व ज्योति प्राप्त होगी और शासन और समाज का अभ्युदय होगा। ज्ञान पंचमी ज्ञान की आराधना का दिन है। तीर्थंकर भगवान् महावीर ने अपनी
देशना में कहा है स्थाई सुख के साधन है ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप। सुख में बाधा डालने वाले है क्रोध, मान, माया और लोभ। ये ज्ञान की आराधना में बाधक कारण है। कुशल भक्ति मण्डल द्वारा जैन न्याति नोहरा में ज्ञान पंचमी आराधना दिवस पर दर्शन, ज्ञान, चरित्र के उपकरणों की की सजावट की गई।
बोथरा परिवार ने अपने निवास पर चातुर्मास परिवर्तन करने की विनंती- ओमप्रकाश बोथरा गुड़ामालानी वालों ने अपने परिवार सहित गुरुमैया श्री सुरंजना श्रीजी म.सा. से कार्तिक पूर्णिमा पर चातुर्मास परिवर्तन उनके नूतन निवास स्थान शास्त्री नगर में करने की विनंती की। गुरुमैया ने बोथरा परिवार की आग्रह भरी विनंती स्वीकार कर चातुर्मास परिवर्तन उनके निवास स्थान पर करने की स्वीकृति प्रदान की।
खरतरगच्छ चातुर्मास समिति के मीडिया प्रभारी चंद्रप्रकाश बी. छाजेड़ ने बताया कि नागौर निवासी मुमुक्षु स्वीटी खजांची व सुरभि खजांची का गुरुमैया से दीक्षा मुहूर्त प्रदान करने की विनंती करने के लिए उनके स्वजन-परिजन 18 नवम्बर को बाड़मेर पधारेंगे ओर गुरूवर्या श्री से दीक्षा मुहूर्त प्रदान करने की विनंती करेंगे।
रिपोर्ट:- चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ / बाड़मेर
बाड़मेर।ज्ञान ही एक मात्र ऐसा अक्षय तत्व है जो कहीं भी, कभी भी, किसी भी अवस्था में ओर किसी काल मे मनुष्य का साथ नहीं छोड़ता। यह उद्बोधन बाड़मेर नगर के स्थानीय जैन न्याति नोहरा में श्रीजैन श्वेतांबर खरतरगच्छ संघ में चातुर्मास में बिराजित प.पू. साध्वी श्री सुरंजनाश्रीजी म.सा. प्रवचन सभा मे उपस्थित जैन धर्मावलंबियों को कही।
गुरूवर्या श्री ने ज्ञान पंचमी का महत्व बताते हुए कहा कि ज्ञान पंचमी कार्तिक शुक्ला पंचमी अर्थात दीपावली के पाँचवे दिन मनाई जाती है। इस दिन विधिवत आराधना करने से और ज्ञान की भक्ति करने से ज्ञानावरणीय कर्म का क्षय होता है। इस दिन 51 लोगस्स का कायोत्सर्ग, 51 खामासना और ष् नमो नाणसष् पद का जाप किया जाता है। ज्ञान पंचमी को लाभ पंचमी भी कहा जाता है।
साध्वी श्री ने कहा कि ज्ञान पंचमी सन्देश देती है की ज्ञान के प्रति दुर्भाव रखने से ज्ञानावर्णीय कर्म का बंध होता है।अतएव हमें ज्ञान की महिमा को हृदयंगम करके उसकी आराधना करनी चाहिए।यथाशक्ति ज्ञान प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए और दूसरों के पठन पाठन में योग देना चाहिए।यह योग कई प्रकार से दिया जा सकता है।निर्धन विद्यार्थियों को श्रुत ग्रन्थ देना, आर्थिक सहयोग देना, धार्मिक ग्रंथों का सर्वसाधारण में वितरण करना, पाठशालाएं चलाना, चलाने वालों को सहयोग देना, स्वयं प्राप्त ज्ञान का दूसरों को लाभ देना आदि।ये सब ज्ञानावर्णीय कर्म के क्षयोपशम के कारण है। विचारणीय है की जब लौकिक ज्ञान प्राप्ति में बाधा पहुंचाने वाली गुणमंजरी को गूंगी बनना पड़ा तो धार्मिक एवं आध्यात्मिक ज्ञान में बाधा डालने वाले का कितना प्रगाढ़ कर्मबंध होगा ? इसीलिए भगवान महावीर ने कहा - ष् हे मानव ! तू अज्ञान के चक्र से बाहर निकल और ज्ञान की आराधना में लग।ज्ञान ही तेरा असली स्वरुप है। उसे भूलकर क्यों पर-रूप में झूल रहा है ? जो अपने स्वरुप को नहीं जानता उसका बाहरी ज्ञान निरर्थक है ।
गुरूवर्या श्री ने कहा कि ज्ञान पंचमी के दिन श्रुत की पूजा कर लेना, ज्ञान मंदिरों के पट खोलकर पुस्तकों के प्रदर्शन कर लेना और फिर वर्ष भर के लिए उन्हें ताले में बंद कर देना ज्ञानभक्ति नहीं है।इस दिन श्रुत के अभ्यास , प्रचार और प्रसार का संकल्प करना चाहिए।आज ज्ञान के प्रति जो आदर वृति मंद पड़ी हुई है, उसे जाग्रत करना चाहिए और द्रव्य से ज्ञान दान करना चाहिए।ऐसा करने से इहलोक परलोक में आत्मा को अपूर्व ज्योति प्राप्त होगी और शासन और समाज का अभ्युदय होगा। ज्ञान पंचमी ज्ञान की आराधना का दिन है। तीर्थंकर भगवान् महावीर ने अपनी
देशना में कहा है स्थाई सुख के साधन है ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप। सुख में बाधा डालने वाले है क्रोध, मान, माया और लोभ। ये ज्ञान की आराधना में बाधक कारण है। कुशल भक्ति मण्डल द्वारा जैन न्याति नोहरा में ज्ञान पंचमी आराधना दिवस पर दर्शन, ज्ञान, चरित्र के उपकरणों की की सजावट की गई।
बोथरा परिवार ने अपने निवास पर चातुर्मास परिवर्तन करने की विनंती- ओमप्रकाश बोथरा गुड़ामालानी वालों ने अपने परिवार सहित गुरुमैया श्री सुरंजना श्रीजी म.सा. से कार्तिक पूर्णिमा पर चातुर्मास परिवर्तन उनके नूतन निवास स्थान शास्त्री नगर में करने की विनंती की। गुरुमैया ने बोथरा परिवार की आग्रह भरी विनंती स्वीकार कर चातुर्मास परिवर्तन उनके निवास स्थान पर करने की स्वीकृति प्रदान की।
खरतरगच्छ चातुर्मास समिति के मीडिया प्रभारी चंद्रप्रकाश बी. छाजेड़ ने बताया कि नागौर निवासी मुमुक्षु स्वीटी खजांची व सुरभि खजांची का गुरुमैया से दीक्षा मुहूर्त प्रदान करने की विनंती करने के लिए उनके स्वजन-परिजन 18 नवम्बर को बाड़मेर पधारेंगे ओर गुरूवर्या श्री से दीक्षा मुहूर्त प्रदान करने की विनंती करेंगे।
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