बाडमेर *दलित और जाटों की राजनीति क्या गुल खिलाएगी? समाजो का बंटवारा राजनीतिक ताकत कमजोर करेगी?*
*बाडमेर जेसलमेर की सभी नो सीट पर 7 दिसम्बर को होने वाले चुनाव में राज्य के विशेषग्यो की नजर दलित और जाट मतदाताओं के रुख पर रहेगी।।यह चुनाव तय करेगा जाट और दलित के नेता।।बाड़मेर जेसलमेर में जिस तरह राजनीति शतरंज बिछाई ओर उस पर जिस प्रकार मोहरे फिट किये।वो कई सवाल खड़े कर रह है।।कल तक जाटों और दलितों के वोट एकतरफा पड़ने की परंपरा थी।इन चुनाव में यह बिखराव साफ दिख रहा है।।दलित वोट की गूंज लम्बे समय से थार की फिज़ाओ में चल रही।।2 अकटुबर को दलित रैली में हुए आक्रामक प्रदर्शन के बाद दलित वर्ग के प्रति अन्य समाजो का नजरिया बदला बदला लग रहा है।इस घटना के बाद दलित नेताओ की गिरफ्तारियों के बाद बवाल खड़ा हुआ।।दलितों ने संयुक्त मोर्चा गठित कर क्षेत्रीय बिधायक मेवाराम जैन के जरिये कांग्रेस पर प्रहार कर दलित समाज को संगठित करने की कवायद में गांव गांव एस सी एस टी सयुंक्त मोर्चे की मीटिंगे हुई।।इसी दौरान सांसद कर्नल सोनाराम पर राजपूत युवकों द्वारा कथित जान लेवा हमला चर्चा में आया।।दलित समाज इस प्रकरण को लेकर कर्नल सोनाराम के समर्थन में आये।इसी दौरान हनुमान बेनिवाल के प्रभाव में दलित नेता आये।।
यहां से नई रणनीति बनी उदाराम मेघवाल कर्नल सोनाराम और हनुमान बेनिवल का गठबंधन बना।।तय हुआ दलित वर्ग कांग्रेस को हराने के लिए उम्मीदवार खड़े करेंगे साथ ही कर्नल सोनाराम को बाड़मेर से और दलित को जिले से टिकट दिलाने का दबाव भी बनाएंगे।।इसी दबाव को बरकरार रखने कर्नल सोनाराम के पुत्र डॉ रमन चौधरी और दलित नेता उदाराम मेघवार 29 अकटुबर को जयपुर में आयोजित हुंकार रैली में शामिल होकर हनुमान बेनीवाल की पार्टी का हिस्सा बने।।यह दबाव काम मे आया।।कर्नल को भाजपा ने बाड़मेर और रूपाराम धनदे को कांग्रेस ने जेसलमेर से टिकट दी।।इसके बाद खेल शुरू हुआ कर्नल सोनाराम को जिताने के लिए दलित उम्मीदवार खड़ा करने का।।डॉ राहुल बामनिया को मैदान में उतारा मोर्चा ने तो चोहटन से राजनीति में अस्त हुए सुरताराम मेघवाल ,शिव में उदाराम मेघवाल,बायतु में उम्मेदाराम को मैदान में उतारा।।बायतु में आर एल पी उम्मीदवार दोनो प्रमुख दलों की नाक में दम कर रखा है तो बाडमेर में डॉ राहुल बामनिया ,सुरताराम ने चोहटन और उदाराम ने शिव, दोनो दलों के समीकरण अस्त व्यस्त कर दिए।इधर उदाराम ने बयान जारी कर कहा कि राहुल बामनिया से उनका कोई लेना देना नही।वो पार्टी के हयात खान को मदद करेंगे।।हयात खान ने तो फार्म वापस ले लिया।सवाल यह है कि जिस मोर्चे के संचालन उदाराम ने किया उसी मोर्चे ने सर्वसम्मति से राहुल बामनिया को प्रत्यासी बनाया।।
गुड़ा मालाणी में आर एल पी उम्मीदवार ने जिस तरह माहौल खराब किया वो स्पस्ट करता है।।जाट समाज के सबसे संवेदनशील नेता हेमाराम चौधरी जैसे व्यक्ति जिन्होंने इस जिले को बहुत कुछ दिया ,क्या समाज ऐसे नेता फिर खड़े कर पाएंगे।। में हो सकता है इन दलित नेताओ को कुछ फायदा हो जाये मगर दलित समाज की एकता तार तार हो जाएगी यह तय है। इसी तर्ज जाट मतदाताओं का बायतु में बिखराव होगा जो जाट समाज की अब तक बनी एकता को तहस नहस कर देगा।।चुनाव जो भी जीते मगर इन समाजो की एकता पे अब तक हुए प्रयास धूल धूसरित होंगे यह तय है।।राजनीति स्वच्छ होनी चाहिए द्वेष की राजनीति लम्बी नही चलती।।दोनो समाज चुनाव के ही तय कर पाएंगे कि क्या खोया क्या पाया।।हो सकता है नेता अपने मंसूबों में कामयाब हो जाये मगर समाज की जाजम पे हर हाल में हारेंगे तय है।।
2अक्टूम्बर नहीं 2अप्रेल
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