थार का चुनाव रणक्षेत्र 2018 गुड़ामालानी
भाजपा को जाट सीट पर जाट उम्मीदवार से परहेज,कांग्रेस का हेमाराम चौधरी पे विश्वास कायम
बाड़मेर .जातिगत वोट बैंक के जरिए विधानसभा में सीट पक्की करने का जिले का रिकार्ड गुड़ामालानी विधानसभा के नाम है। तेरह में से बारह बार यहां एक ही जाति के विधायक रहे हैै। चौहदवीं विधानसभा में पहली बार यह परंपरा टूटी लेकिन इस बार भी दूसरी बड़ी जाति से विधायक आए हैै। गुड़ामालानी में 1957 से अब तक 13 विधानसभा के चुनाव हुए है। जाट बाहुल्य विधानसभा में बारह बार जाट विधायक रहे है। यहां से पहली बार 1957 में रामदान चौधरी विधायक बने औैर इसके बाद उनके बेटे गंगाराम चौधरी ने लगातार चार बार जीत दर्ज करवाई। फिर दो बार हेमाराम चौधरी ने चुनाव लड़ा और जीते। इसके बाद जनता दल की मदन कौर जीती। रोचक चुनाव 1993 का रहा। इसमें जोधपुर के परसराम मदेरणा यहां चुनाव लडऩे आए और वे भी जातिय गणित से जीत गए। 1998 में से हेमाराम चौधरी 52 हजार 537 वोटों से जीते जो अपने आप में रिकार्ड है। 2003 और 2008 में भी हेमाराम चौधरी ने ही जीत दर्ज करवाई। फिर दो बार हेमाराम चौधरी ने चुनाव लड़ा और जीते। इसके बाद जनता दल की मदन कौर जीती। रोचक चुनाव 1993 का रहा। इसमें जोधपुर के परसराम मदेरणा यहां चुनाव लडऩे आए और वे भी जातिय गणित से जीत गए। 1998 में से हेमाराम चौधरी 52 हजार 537 वोटों से जीते जो अपने आप में रिकार्ड है। 2003 और 2008 में भी हेमाराम चौधरी ने ही जीत दर्ज करवाई।
एक बार अन्य- 2013 के चुनावों में पहली बार यहां से रिकार्ड टूटा। भाजपा के लादूराम विश्नोई जीते। पहली बार गैर जाट की जीत हुई लेकिन इसमें भी विश्नोई यहां पर दूसरी ज्यादा मतदाताओं वाली जाति है।
वर्ष- विधायक- पार्टी
1957- रामदान चौधरी-कांग्रेस
1962- गंगाराम चाधरी- कांग्रेस
1967 -गंगाराम चौधरी- कांग्रेस
1972- गंगाराम चौधरी-कांग्रेस
1977- गंगाराम चौधरी- कांग्रेस
1980- हेमाराम चौधरी- कांग्रेस
1985- हेमाराम चौधरी- कांग्रेस
1990- मदनकौर- जनता दल
1993- परसराम मदेरणा- कांग्रेस इ
1998-हेमाराम चौधरी- कांग्रेस
2003- हेमाराम चौधरी- कांग्रेस
2008- हेमाराम चौधरी- कांग्रेस
2013- लादूराम विश्नोई- भाजपा
यह है जातिय वोटों का गणित-
जाट- 67000
विश्नोई- 40000
अनुसूचित जाति- 30000
अन्य - 1 लाख के करीब
कुल- 2 लाख 15 हजार
इस बार क्षेत्र में न तो सहानुभूति है न ही कोई मोदी लहर।।आमने सामने की टक्कर होगी।दो बार लगातार चुनाव हार चुके भाजपा के लादूराम विश्नोई को गत बार मोदी लहर और दो बार चुनाव हारने के बाद सहानुभूति का फायदा मिल गया।इस बार भाजपा के पास लादूराम विश्नोई के पुत्र प्रदेश सचिव के के विश्नोई प्रत्यासी के तौर पे मौजूद है तो कांग्रेस एक बार फिर वेटरन जाट नेता हेमाराम चौधरी पर भरोसा करता दिख रहा।इस बार हेमाराम लम्बे समय से क्षेत्र में सक्रिय है।लोगो के साथ उनका संपर्क निरन्त बना रहता है।।लादूराम विश्नोई क्षेत्र के बिधायक है सत्ता में होने के बावजूद कोई उल्लेखनीय कार्य जनता के लिए नही कर पाए। इस बार कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।।
*भाजपा को जाट सीट पर जाट उम्मीदवार उतारने से परहेज*
गुड़ामालानी विधानसभा क्षेत्र जाट बाहुल्य है जाट मतदाताओं की संख्या कोई साथ हजार के पर है इसके बावजूद भाजपा यहां से जाट उम्मीदवार उतारने में कोताही बरतती रही है।यही कारण है कि भाजपा यहां से बार बार मात खाती है।।विश्नोई को टिकट देने के चक्कर मे बार बार यहां से भाजपा मात खाती है।अलबत्ता पिछले चुनाव छोड़ दे तो भाजपा कभी जीत नही पाई।।भाजपा के ओएस इस वक़्त पर्याप्त जाट नेता मौजूद है इसके बावजूद विश्नोई प्रत्यासी मैदान में उतारने की मंशा रखते है।।गंगाराम चौधरी यहां से चार चुनाव लगातार जीते है।।उनके नाम का काफी प्रभाव आज भी है जिसे भाजपा भुना नही पाती
लादूराम विश्नोई वर्तमान विधायक है।।उनकी उम्र 75 के पर होने के कारण उनके स्थान पर उनके पुत्र को मैदान में उतारने की संभावना अधिक है। हेमाराम चौधरी का क्षेत्र में प्रभाव निरन्तर रहा है ।जाट मतदाताओं के अलावा उनकी राजपूत,मुस्लिम,ओबीसी मतों पर सीधी पकड़ होने से उनका गुड़ा सीट उनके लिए सुरक्षित है।।
*डोडा पोस्त के लाइसेंस बहाली,नर्मदा नहर का पानी मुख्य मुद्दा*
गुड़ामालानी में कोई खास चुनावी मुद्दा नही है।स्थानीय और मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता है प्रमयख मुद्दा है।नर्मदा नहर का पानी सुचारू किसानों को मिले मुख्य मुद्दा है।।साथ ही इस बार डोडा पोस्त बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा।भाजपा सरकार ने डोडा पोस्त बन्द कर दिए जिसके चलते यहां के नशेड़ियों को अतिरिकत् दाम चुकाकर डोडा पोस्त अवैध रूप से खरीदना पड़ रहा ..कॉन्ग्रेस प्रत्यासी इसी को भुना रहे है।।इस मुद्दे पर उन्हें समर्थन भी मिल रहा।।इस बार कोई खास लहर या बड़ा मुद्दा नही है।।
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