वाडी परियोजना से साकार हुए ग्रामीणांे के सपने
- बाड़मेर जिले मंे विभिन्न स्थानांे पर वाडी परियोजना के तहत लगे बेर,अनार एवं गूंदे।
बाड़मेर, 23 जनवरी। वाडी परियोजना के तहत फलोद्यान कार्यक्रम ने सैकड़ांे ग्रामीणांे के आजीविका के सपने को साकार कर दिया है। बूंद-बूंद सिंचाई के जरिए सैकड़ांे खेतांे मंे लगाए गए बेर, अनार एवं गूंदे के पौधांे ने ग्रामीणांे को आर्थिक रूप से संबल बना दिया है। केयर्न आयल एंड गैस की वाडी परियोजना को महानरेगा एवं अन्य सरकारी योजनाआंे मंे बनाए गए टांकांे से प्रोत्साहन मिला है।
बाड़मेर जिले के तेल-गैस क्षेत्रांे मंे केयर्न आयल एंड गैस की ओर से स्वयंसेवी संस्थाआंे के सहयोग से बायतू, बाड़मेर एवं गुड़ामालानी क्षेत्र मंे आजीविका उन्नयन के लिए सैकड़ांे वाडिया स्थापित की गई है। प्रत्येक वाडी मंे 80 से 100 फलदार पौधे लगाए गए हैं। इनमंे फलांे का उत्पादन होने से यह ग्रामीणांे के लिए आजीविका का साधन बन गई है। ऐसे ही काउखेडा निवासी बाबूलाल ने अपने खेत मंे वाडी परियोजना के तहत फलदार पौधे लगाए है। बाबूलाल बताते है कि उनके लिए यह परियोजना वरदान साबित हो रही है। उनके खेत मंे महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत टांका भी बनाया गया था। इसके अलावा एक टांका अपने स्तर पर बनाया। इन दोनांे टांकांे मंे बारिष का पानी एकत्रित करके बूंद-बूंद सिंचाई के जरिए फलदार पौधांे को पानी उपलब्ध करा रहे है। उनके मुताबिक इसकी बदौलत सालाना उनको डेढ़ लाख रूपए की आमदनी होने से उनके परिवार का आसानी से गुजारा चल रहा है। बाबूलाल की तरह सैकड़ांे किसानांे ने अपने खेतांे मंे वाडी परियोजना के तहत फलदार पौधे लगाकर अपनी आजीविका का स्थाई साधन जुटा लिया है। इनके खेतांे मंे इन दिनांे बेर एवं अनार के फल लहलहा रहे है। इस परियोजना से जुड़े भानूप्रतापसिंह बताते है कि ग्रामीणांे को स्थानीय स्तर पर आजीविका का स्थाई साधन मुहैया कराने की दिषा मंे वृहद स्तर पर प्रयास किए गए है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए है। इसके जरिए फलोत्पादन के साथ पषुआंे के लिए चारा भी उपलब्ध हो रहा है।
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