BJP को हार्दिक के करीबियों का साथ, कहा- कांग्रेस को जिताने के लिए नहीं था अांदोलन
विधानसभा चुनाव से पहले गुजरात में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। शनिवार को एक नाटकीय घटनाक्रम में पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के दो करीबी सहयोगी वरुण पटेल और रेशमा पटेल भाजपा में शामिल हो गए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी द्वारा हार्दिक से समर्थन मांगे जाने के कुछ ही घंटों बाद इन दोनों ने भाजपा का दामन थाम लिया। वरुण और रेशमा पाटीदार आंदोलन के प्रमुख चेहरों में शामिल थे। भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने हार्दिक को कांग्रेस का एजेंट बताते हुए कहा कि वे आंदोलन के जरिये भाजपा सरकार को हटाना चाहते थे।
भाजपा का दामन थामने के बाद रेशमा पटेल ने कहा, 'हमारा आंदोलन ओबीसी कोटा के तहत आरक्षण के बारे में था। यह भाजपा को उखाड़कर उसकी जगह कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिये नहीं था। हमारी लड़ाई समाज को न्याय दिलान की थी, ना कि कांग्रेस को जिताने की। भाजपा ने हमारी तीन मांगे मान ली थी।' वहीं भाजपा का हाथ थामने वाले दूसरे पाटीदार नेता वरुण पटेल ने कहा, 'हमने सरकार से और सीएम से अपनी मांगों को लेकर बात की है। उन्होंने हमारी मांगों को पूरा करने को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की है।'
दूसरी तरफ पिछड़े वर्ग के प्रमुख नेता अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस के साथ जाने का फैसला किया है। नई दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के कुछ ही घंटे बाद उन्होंने इसका एलान कर दिया। इससे पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और दलित नेता जिग्नेश मेवानी से चुनाव में समर्थन मांगा था। पत्रकारों से बात करते हुए सोलंकी ने कहा था कि हार्दिक यदि भविष्य में चुनाव लड़ना चाहेंगे, तो कांग्रेस उन्हें टिकट देने के लिए भी तैयार है।
राकांपा के साथ गठबंधन के सवाल पर सोलंकी ने कहा कि हालांकि, उसने राज्यसभा चुनाव में हमें धोखा दिया था। फिर भी यदि वह गुजरात में भाजपा को हराना चाहती है, तो हमारे दरवाजे उसके लिए खुले हुए हैं। सोलंकी ने विश्वास व्यक्त किया कि भाजपा किसी तरह से राज्य में कांग्रेस को चुनाव जीतने से नहीं रोक पाएगी।
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