बुधवार, 11 अक्टूबर 2017

-बाड़मेर के 1404 किसानांे को मिलेगा एक मुश्त समझौता योजना का फायदा



किसानांे को एक मुश्त समझौता योजना मंे मिलेगी ब्याज पर 50 फीसदी छूट

-बाड़मेर के 1404 किसानांे को मिलेगा एक मुश्त समझौता योजना का फायदा


बाड़मेर,11 अक्टूबर। प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंक के माध्यम से किसानांे को वितरित किए गए अवधिपार हो चुके दीर्घकालीन कृषि एवं अकृषि ऋण के चुकारे के लिए एक मुश्त समझौता योजना लागू की गई है। इसके तहत किसानांे को अपने ऋणांे का चुकारा करने पर 50 फीसदी तक ब्याज की छूट सहित अन्य राहत प्रदान की जाएगी।

जिला कलक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते ने बताया कि एक मुश्त समझौता योजना आगामी 31 मार्च 2018 तक लागू रहेगी। बाड़मेर जिले के 1404 किसान इससे लाभांवित हो सकेंगे। उनको 175.57 लाख रूपए की रियायत मिलेगी। उन्हांेने बताया कि इस योजना से ऐसे ऋणियों एवं किसानों को फायदा होगा, जो किन्हीं कारणों से अपने ऋणों का समय पर नहीं चुका पाए थे। भूमि विकास बैंक के सचिव जीतेन्द्र कुमार गोदारा ने बताया कि इस योजना में अधिकाधिक बकायादारांे को शामिल करने तथा प्रावधानों को अधिक व्यावहारिक बनाने के लिए पूर्ववर्ती योजना के नियमों में ढ़ील दी गई हैं। इसके तहत वे सभी कृषि ऋण एक अप्रेल 2014 एवं अकृषि ऋण 1 जुलाई 2017 से पहले इससे पहले अवधिपार हो चुके हैं, को शामिल किया गया है। उन्हांेने अधिकाधिक किसानांे से इस योजना का लाभ उठाने की अपील की है। गोदारा ने बताया कि इस योजना से अधिकाधिक लोगांे को लाभांवित करवाने के लिए जन प्रतिनिधियांे का सहयोग भी लिया जा रहा है। इसके तहत सहकारिता मंत्री अजयसिंह किलक की ओर से विधायकगणांे को लिखे गए पत्र उनको सुपुर्द किए जा रहे है। इसके तहत चौहटन विधायक तरूणराय कागा का सहकारिता मंत्री का पत्र सौंपा गया।

खाद्य सुरक्षा मंे शामिल होने के लिए शपथ पत्र

की जगह स्वघोषणा पत्र देना होगा


बाड़मेर, 11 अक्टूबर। खाद्य सुरक्षा की प्राथमिकता सूची में शामिल होने के लिए इच्छुक व्यक्ति एवं परिवार खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा पूर्व में जारी अपीलीय आदेश दिनांक 29 सितंबर 2017 के बिन्दु संख्या 2 एवं आवेदक तथा प्रार्थी द्वारा दिये जाने वाले स्वघोषणा में अंकित शपथ-पत्र के स्थान पर अब इच्छुक व्यक्ति एवं परिवार को पात्रता सूची में नाम जुड़वाने के लिए साधारण कागज पर स्वयं हस्ताक्षरित घोषणा-पत्र संबंधित उपखण्ड अधिकारी अथवा जिला रसद अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। इस संबंध में विभाग की ओर से जारी आदेश एवं निर्धारित प्रपत्र विभागीय वेबसाइट ूूूण्विवकण्तंरण्दपबण्पद पर उपलब्ध है।

जिला कलक्टर की सरनू चिमनजी मंे रात्रि चौपाल कल

बाड़मेर, 11 अक्टूबर। जिला कलक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते शुक्रवार को सरनू चिमनजी ग्राम पंचायत मुख्यालय पर रात्रि चौपाल के दौरान आमजन की समस्याएं सुनेंगे।

जिला कलक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते ने बताया कि निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 13 अक्टूबर को बाड़मेर आगोर कलस्टर के लिए सरनू चिमनजी ग्राम पंचायत मुख्यालय पर रात्रि चौपाल का आयोजन होगा। प्रत्येक रात्रि चौपाल मंे संबंधित ग्राम पंचायत के ग्रामीणांे की समस्याआंे को मौके पर ही निपटाने के लिए विभागीय अधिकारियांे को आवश्यक रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं। ताकि इसका लाभ क्षेत्र के प्रत्येक ग्रामीण को मौके पर मिल सके। उन्हांेने बताया कि चौपाल मंे प्रत्येक ग्रामवार समस्याआंे पर चर्चा की जाएगी। चौपाल की समाप्ति पर खुली चौपाल मंे जन सुनवाई आयोजित होगी।

एनजीओ एवं संस्थाओं का पंजीयन अब ऑनलाइन

बाड़मेर, 11 अक्टूबर। सहकारिता विभाग एवं सहकारिता से जुड़ी संस्थाओं की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता एवं जवाबदेही स्थापित करने और आमजन की सहूलियत के लिए गठित किए जाने वाले गैर सरकारी संगठनों, संस्थाओं या समितियों के पंजीयन के लिए ऑन लाइन सुविधा प्रारंभ की गई है। अब ऐसी संस्थाओं के पंजीयन के लिए आमजन को पंजीयन कार्यालय नहीं जाना पड़ेगा।

सहकारिता मंत्री अजयसिंह किलक ने बताया कि राजस्थान संस्था रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1958 के तहत संस्था के ऑनलाइन पंजीयन के लिए कई विकल्प हैं। आवेदक चाहे तो स्वयं इंटरनेट के माध्यम से एसएसओ आईडी बनाकर प्रस्तावित संस्था के लिए ऑनलाइन पंजीयन कर सकता है। यदि आवेदक के पास यह सुविधा नहीं है तो वह ई-मित्र कियोस्क पर जाकर ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया पूरी कर सकता है। किलक ने बताया कि यह सुविधा सिंगल विण्डो क्लियरेंस सिस्टम के तहत www.swcs.rajasthan.gov.in

के होम पेज पर सहकारिता विभाग के अन्तर्गत उपलब्ध कराई गई है। ऑनलाइन पंजीयन के संबंध में दिशा निर्देश तथा लिंक सहकारिता विभाग की वेबसाइट www.rajcooperatives.nic.in

पर भी उपलब्ध कराए गए हैं। गैर सरकारी संगठन, संस्थाओं में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए संस्था के पंजीयन के लिए सभी आवेदक सदस्यों एवं कार्यकारिणी के सदस्यों के आधार कार्ड नंबर अथवा भामाशाह कार्ड नंबर को अनिवार्य किया गया है। इस प्रक्रिया के दौरान संस्था को बी.आर.एन. (बिजनेस रजिस्ट्रेशन नंबर) भी दिया जाएगा। वेबसाइट पर आवेदकों की सुविधा के लिए पंजीयन योग्य आवेदन प्राप्त होने पर आवेदक को शुल्क जमा कराने की सूचना ऑनलाइन दी जाएगी। आवेदक की ओर से पंजीयन शुल्क जमा कराने पर 30 दिवस में डिजिटल हस्ताक्षर से पंजीयन प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा।

जिला स्तरीय जन सुनवाई एवं सतर्कता समिति की बैठक आज

बाड़मेर, 11 अक्टूबर। आम जन की परिवेदनाओं की सुनवाई एवं समस्याओं के समाधान के लिए 12 अक्टूबर को प्रातः 10 बजे से कलेक्ट्रेट स्थित अटल सेवा केन्द्र मंे जिला स्तरीय जन सुनवाई का आयोजन होगा।

जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एम.एल.नेहरा ने बताया कि जिला स्तरीय जन सुनवाई मंे संबंधित अधिकारियांे को उपस्थित होकर जिला कलक्टर के निर्देशानुसार परिवेदनाआंे एवं समस्याआंे का निस्तारण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए है। उन्हांेने बताया कि जिला स्तरीय जन सुनवाई के दौरान शुरूआत मंे आमजन की परिवेदनाएं लेने के साथ संबंधित विभागीय अधिकारियांे से वस्तुस्थिति एवं राहत पहुंचाने की दिशा मंे की जाने वाली कार्रवाई के बारे मंे टिप्पणी ली जाएगी। इसके उपरांत जिला कलक्टर व्यक्तिशः प्रत्येक व्यक्ति की परिवेदना सुनेंगे। अपर कलक्टर ओ.पी.बिश्नोई ने बताया कि जिला स्तरीय जन सुनवाई के उपरांत जिला जन अभाव अभियोग निराकरण एवं सतर्कता समिति की बैठक भी अटल सेवा केन्द्र में आयोजित होगी।




लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम के लिए जागरूकता जरूरीःनकाते

बाड़मेर, 11 अक्टूबर। महिलाआंे की कार्यस्थल पर होने वाली लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है। बड़े शहरांे मंे इसको लेकर खासी जागरूकता आई है, लेकिन छोटे शहरांे मंे इस दिशा मंे वृहद स्तर पर कार्य किए जाने की जरूरत है। जिला कलक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते ने जिला परिषद सभागार मंे महिलाआंे का कार्यस्थल पर लैगिंक उत्पीड़न निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष अधिनियम संबंधित एक दिवसीय कार्यशाला मंे संबोधित करते हुए यह बात कही। इस कार्यशाला का आयोजन महिला अधिकारिता विभाग की ओर से पीएलडी के सहयोग से किया गया।

जिला कलक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते ने कहा कि लैगिंक उत्पीड़न की रोकथाम के लिए जिला एवं ब्लाक स्तर पर कमेटियांे के गठन के साथ इसकी नियमित रूप से बैठकांे का आयोजन किया जाए। समिति के समक्ष इस तरह के मामले आने पर तत्काल निस्तारण करने का प्रयास किया जाए। उन्हांेने कहा कि किसी भी रूप मंे लैंगिक उत्पीड़न नहीं होना चाहिए। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न, लैंगिक समानता, जीवन और स्वतंत्रता को लेकर महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है। इससे महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और उनके समावेशी विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

इस दौरान महिला अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक प्रहलादसिंह राजपुरोहित ने कहा कि यह अधिनियम, महिलाओं के समानता के मौलिक अधिकारों की पुष्टि करता है। इसके तहत उन्हें पूरी गरिमा और अधिकार के साथ समाज में रहने, किसी व्यवसाय, व्यापार या कार्य को करने की स्वतंत्रता है, जिसमें भारतीय संविधान के अनुसार, कार्य स्थल का वातावरण पूरी तरह सुरक्षित और यौन शोषण रहित होना भी शामिल है। उन्हांेने कहा कि प्रत्येक नियोक्ता एवं मालिक का यह मुख्य कर्तव्य है कि कार्यस्थल पर यौन शोषणरहित माहौल प्रदान करें। साथ ही हर व्यक्ति को इस अधिनियम के बारे में जागरूक करें और इसके लिए आवश्यक कार्यशालाओं का आयोजन करें। महिलाओं को लैंगिक समानता और भयरहित माहौल प्रदान करें। इस दौरान पीएलडी की प्रतिनिधि रचना शर्मा ने कहा कि हर महिला को लैंगिक समानता का अधिकार है। महिलाएं, चाहे सरकारी क्षेत्र में कार्यरत हो या निजी क्षेत्र में यह अधिनियम उनके हित के लिए हर क्षेत्र में सरकार की ओर से लागू किया जाता है। यहां तक कि घरों में काम करने वाली बाईयों या कर्मियों के लिए भी यह नियम है। यह अधिनियम, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को एक व्यापक तरीके से परिभाषित करता है और यदि किसी संस्थान में 10 से अधिक यौन उत्पीड़न की शिकायतें मिलती हैं तो आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के गठन पर जोर देती है। उन्हांेने कहा कि यौन उत्पीड़न की शिकायत को कृत्य होने के तीन महीने के भीतर कर देना चाहिए। उन्हांेने कहा कि सभी कार्यालयांे मंे महिला कर्मचारियों को इस बारे में जागरूक किया जाए। उन्हांेने बताया कि इस अधिनियम के अनुसार, राज्य सरकारों व विभागों की जिम्मेदारी है कि वे ध्यान दें कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस अधिनियम को वे सही से लागू कर रहे हैं या नहीं। यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी विभाग, महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण देने में सक्षम हैं या नहीं। उन्हांेने कहा कि यह अधिनियम, यौन उत्पीड़न के सम्बंध में कार्यस्थलों और रिकॉर्ड्स के निरीक्षणों को करने के लिए समुचित सरकार को अधिकृत करता है। अधिनियम की धारा 26(1) में कहा गया है कि इस अधिनियम के तहत नियोक्ता, अपने कर्तव्यों के उल्लंघन में पाये जाने की स्थिति में 50 हजार का जुर्माना देने के लिए उत्तरदायी होगा। कार्यशाला के दौरान जिला कोषाधिकारी दिनेश बारहठ, पुलिस उप अधीक्षक रतनलाल, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक सुरेन्द्र पूनिया, श्रीमती शौभा गौड़ समेत विभिन्न विभागीय अधिकारी एवं विभिन्न संगठनांे के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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