सोमवार, 21 अगस्त 2017

जैसलमेर।मासिक साहित्यिक संगोष्ठी में “जल“ विषयक रचनाएँ प्रस्तुत की गईं।



  जैसलमेर।मासिक साहित्यिक संगोष्ठी में “जल“ विषयक रचनाएँ प्रस्तुत की गईं।
जिला पुस्तकालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

जैसलमेर - स्थानीय रचनाकारों द्वारा रविवार को राजकीय सार्वजनिक जिला पुस्तकालय में मासिक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार दीनदयाल ओझा ने की। इस अवसर पर मांगीलाल सेवक, डॉ ओमप्रकाष भाटिया, श्रीवल्लभ पुरोहित, मनोहर महेचा व हरिवल्लभ बोहरा सहित अनेक स्थानीय साहित्यकार उपस्थित थे। बताया गया कि संगोष्ठी में प्रस्तुत रचनाओं को बुकलेट रूप में प्रकाषित किया जाएगा।

संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार दीनदयाल ओझा ने कहा कि प्रस्तुत रचनाएं स्वरूप,षैली, भाषा एवं कथ्य को लेकर वैविध्य से परिपूर्ण है। इनकी प्रगल्भता एवं गुणात्मकता को देखते हंए इनको प्रकाषित व प्रचारित किया जाना चाहिए। इस अवसर पर उन्हांेने कविता “पानी“ प्रस्तुत करते हुए कहानी की कमी थी जब, पानी रखते थे सब । ओझा ने जल का आध्यात्मिक स्वरूप तथा जल विषयक लेख का वाचन भी किया। कवि मांगीलाल सेवक ने पानी का महत्व दर्षाने वाली गीत कविता “सारे जग में जल से बढकर कोई नहीं, इस बात से अनभिज्ञ कोई नहीं “का सस्वर वाचन किया।

संगोष्ठी में स्थानीय उपन्यासकार व कवि डॉ ओमप्रकाष भाटिया ने नए मुहावरे की काव्य रचनाएं सुनाई। भटिया ने रेगिस्तानी कुएं नहर की तुलना करती व्यंग्य कविता तथा विषुद्ध पवित्र जल पर केन्द्रित नई कविता का पाठ किया। गीतकार हरिवल्लभ बोहरा पानी विषयक दोहे सुनाए तथा आध्यात्म, दर्षन एवं लोक का प्रतिनिधित्व करती गेय रचना“पाणी ढूंढ रही पणिहार“ सुनाई। कवि श्रीवल्लभ पुरोहित ने प्रकृति सौन्दर्य पर आधारित कविता “जलधारा अविरल बहे दिन-रात“ का वाचन किया । साहित्यकार मनोहर महेचा ने पानी के बाजारीकरण पर केन्द्रित व्यंग्य रचना “कपूरडी ब्राण्ड शुद्ध जल” सुनाई। कवि आनन्द जगाणी ने अपना कविता “जीवन की बस यही कहानी, पानी पानी पानी” व मुहावरेदार भाषा युक्त ललित निबन्ध का पाठ किया।

मासिक साहित्यिक संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए जी मणिक्कम ने अंग्रेजी में पानी की महत्ता पर लेख प्रस्तुत किया। कवि नन्दकिषोर दवे ने जल की बात करते हुए कविता “जगतपिता के बाद कोई है तो जल है” तथा अन्य कविताओं का वाचन किया।

इससे पूर्व रचनाकारों द्वारा सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प चढाए गए। पुस्तकालयाध्यक्ष आनन्द चौहान ने आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि आगामी विचार गोष्ठी हिन्दी दिवस के अवसर पर 14 सितम्बर को आयोजित होगी।

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