जयपुर।पूर्व मंत्री बाबूलाल नागर को बड़ी राहत, दुष्कर्म मामले में हुए बरी
दुष्कर्म के आरोप में बंद पूर्व मंत्री बाबूलाल नागर को कोर्ट ने आज बरी कर दिया। अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश ने नागर संदेह का लाभ देते हुए बरी किया है अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को संदेह से परे साबित करने में असफल साबित हुआ है।
डालते है एक नजर पूरे मामले पर
बाबूलाल नागर साढ़े तीन साल से जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है नागर को कोर्ट ने बरी करने का आदेश दिया है गहलोत सरकार के दूसरे कार्यकाल में उनके केबिनेट मंत्री बाबूलाल नागर पर एक महिला ने 13 सितम्बर 2013 को इस्तगासे के जरिए बलात्कार का आरोप लगाया। विधायक होने के नाते इसकी जांच सीआईडीसीबी ने
शुरु की। लेकिन बाद में राज्य सरकार ने मामला सीबीआई को रैफर कर दिया। सीबीआई टीम ने करीब 15 दिन की लम्बी पूछताछ के बाद बाबूलाल नागर को गिरफ्तार कर लिया गया। इस दौरान नागर को अपने मंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा। वहीं कुछ दिनों बाद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निष्काषित भी कर दिया था।
पूरे घटनाक्रम पर एक नज़र
महिला के अनुसार 11 सितम्बर 2013 को उसका बलात्कार हुआ।
13 सितम्बर 2013 को उसने इस्तगासे के जरिए मामला दर्ज करवाया।
9 अक्टूबर 2013 को सीबीआई ने केस दर्ज किया।
10 अक्टूबर को सीबीआई की टीम जयपुर पहुंची।
23 अक्टूबर को सीबीआई ने बाबूलाल नागर को नोटिस जारी किया।
25 अक्टूबर को लम्बी पूछताछ के बाद नागर को गिरफ्तार कर लिया गया।
पूरे मामले में 9 दिसम्बर 2013 को सीबीआई ने चार्जशीट पेश कर दी।
चालान पेश होने का बाद पूरे मामले में लम्बी सुनवाई चली। करीब 3 साल से ज्यादा समय तक चली सुनवाई के बाद एडीजे-2 जयपुर जिला ने 17 जनवरी 2017 को सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया। इस सुनवाई में अभियोजनपक्ष की तरफ से 19 गवाहों के बयान हुए वहीं बचाव पक्ष की ओर से 13 गवाहों के बयान दर्ज करवाए गए।
चालान पेश होने के बाद का घटनाक्रम
पूरे मामले में अदालत ने प्रसंज्ञान लिया।
चार्ज बहस में नागर पर 376 का मामला बनना पाया गया।
करीब 3 साल 1 महीने यह मामला चला
इस दौरान 4 जिला न्यायाधीशों के ट्रांसर्फर भी हुए।
वहीं अंतिम बहस एडीजे-2 जिला न्यायालय के यहां हुई।
जज प्रहलाद राय शर्मा ने दोनों पक्षों की अंतिम बहस सुनी।
वहीं 17 जनवरी को फैसला सुरक्षित कर लिया।
राजनेता जिनका आचरण मर्यादित और सादगीपूर्ण होने की अपेक्षा की जाती है, अब उनके दामन पर दाग नजर आने लगे हैं । कांग्रेस सरकार के समय मंत्री रहे बाबूलाल नागर के अलावा भंवरी देवी सीडी प्रकरण में महिपाल मदेरणा और कांग्रेस विधायक रहे मलखान जेल में बंद हैं। विधायक किरोड़ी लाल मीना व प्रहलाद गुंजल भी अलग-अलग मामलों में आरोपित रहे हैं।
मंत्री राजेन्द्र राठौड़ को फर्जी मुठभेड़ में दारासिंह को मारने के मामले में अधीनस्थ अदालत बरी कर चुकी है, लेकिन हाईकोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया और उसके खिलाफ अपील फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है। विधायक रहे उदयलाल आंजना व पूर्व मंत्री भरोसी लाल जाटव पर भी गंभीर अपराधों से जुडे होने का आरोप रहा है । राजनीतिक दलों से जुडे लोग कई बार इसे विरोधियों की साजिश कहते भी नजर आते हैं,लेकिन हकीकत तो हमें स्वीकार करनी ही होगी कि राजनीति और राजनेता पहले जैसे शायद नहीं रहे
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