3 आस्ट्रेलियन जोड़ों ने अग्नि के फेरे लेकर मनाई शादी की सिल्वर जुबली
..और विदाई की वेला खेला जुआ-जुई पाणिग्रहण संस्कार वरमाला
बाराती-घराती की रस्म ग्रामीणों ने निभाई, कन्यादान भी किया
चाणौद गांव के रियासतकालीन किले में हुई सभी वैवाहिक रस्में, बाराती घराती बने देसी-विदेशी पर्यटक, बाराती घराती में 8 आस्ट्रेलियन 5 इंग्लैंड के नागरिकों के साथ ग्रामीण भी शामिल हुए
चाणौद | जिलेके चाणौद गांव में स्थित रियासतकालीन किला मंगलवार को 3 आस्ट्रेलियन जोड़ों की शादी का साक्षी बना। इन जोड़ों की शादी 25 वर्ष पूर्व हो चुकी है लेकिन शादी की सिल्वर जुबली को यादगार बनाने के लिए उन्होंने हिंदू रीति रिवाज से यहां दुबारा शादी की। शादी की सभी रस्में धूमधाम से संपन्न कराई गई। बाराती और घराती बने देशी विदेशी पर्यटकों ने मारवाड़ी गीतों पर जमकर नृत्य भी किया। पूरे राजमहल को सजाया गया। चाणौद गांव के राजमहल में 3 आस्ट्रेलियन जोड़ों ने अपनी शादी से 25 वर्ष पूर्ण होने पर हिंदू परंपरा से शादी रचाई। राजमहल के अजीतसिंह मेड़तिया ने बताया कि राजमहल में आट्रेलिया के एलनविडोर ने शेरन विडोर के साथ, डेविड ने निकाल स्टाइन से और मायरोन ने लीजा स्टाइन से विवाह रचाया। शेष|
विदेशीजोड़ों ने देशी गीतों पर लगाए ठुमके : विदेशीमेहमानों ने हिंदू तरीके से शादी रचाने के बाद राजस्थानी गीतों पर नृत्य भी किया। ढोल-थाली की थाप पर विदेशी बारातियों के साथ दूल्हे नाचते-गाते बारात लेकर पहुंचे। घरातियों ने भी उनका जोरदार स्वागत किया नृत्य के साथ राजस्थानी परंपरा के अनुसार नोटों की
उवारी (घोल) भी की गई।
हिंदू रीति रिवाज से हुई शादी को लेकर वे काफी उत्साहित थे। हर रस्म से पहले उसका कारण और महत्व को उन्होंने पंडित के माध्यम से जाना और बाद में रस्म पूरी की। बारातियों के साथ दूल्हों ने तोरण टीका तो बाद में वरमाला पहनाई गई। अग्नि के समक्ष फेरे लेने के बाद विदाई समारोह भी हुआ। इससे पहले जुआ-जुई का खेल तथा महिला संगीत भी हुआ। बाराती घराती में 8 आस्ट्रेलियन 5 इंग्लैंड के मेहमानों के साथ ग्रामीण भी शामिल हुए। ग्रामीणों ने कन्यादान भी किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें