राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता नवम्बर में संभव
संसद का अगले महीने शुरू हो रहा शीतकालीन सत्र राजस्थानियों के लिए बड़ी खुशखबरी दे सकता है। केन्द्र सरकार ने राजस्थानी, भोजपुरी और भोटी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए के लिए कार्रवाई तेज कर दी है।
सरकार तीनों भाषाओं को सवैधानिक मान्यता देने के लिए नोट तैयार करवा रही है। जिसे शीतकालीन सत्र से पहले केबिनेट में पास करने के प्रयास में है। इसके लिए सरकार ने 24 अक्टूबर को राजस्थानी भाषा और साहित्य से जुड़े कुछ विशेषज्ञों को दिल्ली भी बुलाया है।
केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बताया कि सैद्धांतिक तौर पर सभी एकराय है कि राजस्थानी, भोजपुरी और भोटी को मान्यता मिलनी चाहिए। इस संदर्भ में एक मापदंड बनाया गया है कि ऐसी कोई भाषा जो भारत के अलावा किसी अन्य देश में प्रमुखता से बोली जाती हो और किसी देश ने उसे संवैधानिक मान्यता प्रदान की है तो उसे आठवीं अनुसूची में शामिल किया जा सकता है।
मेघवाल ने बताया कि राजस्थानी को नेपाल में, भोजपुरी को मारिशस में तथा भोटी को भूटान की सरकार ने मान्यता दी है। संसद के 100 से अधिक सांसदों ने तीनों को भाषा की मान्यता दिलाने के लिए एक संकल्प बनाया हुआ है। जिसके वे संयोजक भी है। इसे लेकर संकल्प से जुड़े सांसद प्रधानमंत्री और गृहमंत्री राजनाथ से भी मिल चुके हैं।
नवम्बर में शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में राजस्थानी सहित तीनों भाषाओं पर सवैधानिक मोहर लगाने के लिए सरकार के स्तर पर काम चल रहा है जो काफी एडवांस स्थिति में है। सब कुछ ठीक रहा तो शीघ्र ही इसका नोट केबिनेट अप्रुवल के लिए केबिनेट के पास भेज दिया जाएगा। इसके बाद शीतकालीन सत्र में इसे रखे जाने की पूरी संभावना है।
38 भाषाओं की मांग लम्बित
संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए देश में बोली जाने वाली 38 भाषाओं की मांग लम्बित है। इनमें सबसे मजबूत पक्ष राजस्थान और भोजपुरी का है। सीताकांत महापात्र समिति की रिपोर्ट भी दस साल पहले आने के बाद अभी तक दोनों भाषाओं को संवैधानिक मान्यता देने का मामला लम्बित है।
तीन भाषाओं का बड़ा दायरा
राजस्थानी भाषा राजस्थान के साथ ही देशभर में फैले प्रवासी राजस्थानी बोलते हैं। राजस्थान से बाहर मारवाड़ी कहकर पुकारते है। इसे आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए राजस्थानी भाषा एवं साहित्य से जुड़े लोग लम्बे समय से संघर्ष कर रहे है।
भोजपुरी बिहार, पूर्वी उत्तरप्रदेश तथा उत्तरी झारखण्ड में बोली जाती है। हिन्दी की उपभाषा अथवा बोली होने से इसके शब्द उत्तर भारत के हिन्दी बेल्ट में सुनने को मिलते है। करीब सवा तीन करोड़ लोग इसे बोलने का दावा भी किया जाता है।
भोटी भाषा जम्मू, लेह लदाख, अरूणाचल, नेपाल और भुटान तक फैली हुई है। भुटान सरकार ने तो इसे बकायदा संवैधानिक मान्यता तक दे रखी है।
संसद का अगले महीने शुरू हो रहा शीतकालीन सत्र राजस्थानियों के लिए बड़ी खुशखबरी दे सकता है। केन्द्र सरकार ने राजस्थानी, भोजपुरी और भोटी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए के लिए कार्रवाई तेज कर दी है।
सरकार तीनों भाषाओं को सवैधानिक मान्यता देने के लिए नोट तैयार करवा रही है। जिसे शीतकालीन सत्र से पहले केबिनेट में पास करने के प्रयास में है। इसके लिए सरकार ने 24 अक्टूबर को राजस्थानी भाषा और साहित्य से जुड़े कुछ विशेषज्ञों को दिल्ली भी बुलाया है।
केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बताया कि सैद्धांतिक तौर पर सभी एकराय है कि राजस्थानी, भोजपुरी और भोटी को मान्यता मिलनी चाहिए। इस संदर्भ में एक मापदंड बनाया गया है कि ऐसी कोई भाषा जो भारत के अलावा किसी अन्य देश में प्रमुखता से बोली जाती हो और किसी देश ने उसे संवैधानिक मान्यता प्रदान की है तो उसे आठवीं अनुसूची में शामिल किया जा सकता है।
मेघवाल ने बताया कि राजस्थानी को नेपाल में, भोजपुरी को मारिशस में तथा भोटी को भूटान की सरकार ने मान्यता दी है। संसद के 100 से अधिक सांसदों ने तीनों को भाषा की मान्यता दिलाने के लिए एक संकल्प बनाया हुआ है। जिसके वे संयोजक भी है। इसे लेकर संकल्प से जुड़े सांसद प्रधानमंत्री और गृहमंत्री राजनाथ से भी मिल चुके हैं।
नवम्बर में शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में राजस्थानी सहित तीनों भाषाओं पर सवैधानिक मोहर लगाने के लिए सरकार के स्तर पर काम चल रहा है जो काफी एडवांस स्थिति में है। सब कुछ ठीक रहा तो शीघ्र ही इसका नोट केबिनेट अप्रुवल के लिए केबिनेट के पास भेज दिया जाएगा। इसके बाद शीतकालीन सत्र में इसे रखे जाने की पूरी संभावना है।
38 भाषाओं की मांग लम्बित
संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए देश में बोली जाने वाली 38 भाषाओं की मांग लम्बित है। इनमें सबसे मजबूत पक्ष राजस्थान और भोजपुरी का है। सीताकांत महापात्र समिति की रिपोर्ट भी दस साल पहले आने के बाद अभी तक दोनों भाषाओं को संवैधानिक मान्यता देने का मामला लम्बित है।
तीन भाषाओं का बड़ा दायरा
राजस्थानी भाषा राजस्थान के साथ ही देशभर में फैले प्रवासी राजस्थानी बोलते हैं। राजस्थान से बाहर मारवाड़ी कहकर पुकारते है। इसे आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए राजस्थानी भाषा एवं साहित्य से जुड़े लोग लम्बे समय से संघर्ष कर रहे है।
भोजपुरी बिहार, पूर्वी उत्तरप्रदेश तथा उत्तरी झारखण्ड में बोली जाती है। हिन्दी की उपभाषा अथवा बोली होने से इसके शब्द उत्तर भारत के हिन्दी बेल्ट में सुनने को मिलते है। करीब सवा तीन करोड़ लोग इसे बोलने का दावा भी किया जाता है।
भोटी भाषा जम्मू, लेह लदाख, अरूणाचल, नेपाल और भुटान तक फैली हुई है। भुटान सरकार ने तो इसे बकायदा संवैधानिक मान्यता तक दे रखी है।
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