बाड़मेर.बेटे ने मरा हुआ क्या बता दिया, कोई जिन्दा ही नहीं मान रहा?
जमीन के टुकड़े के लालच में 82 वर्षीय मानीदेवी को उसके बेटे ने मरा हुआ क्या बता दिया, कोई उसे जिन्दा मानने को तैयार ही नहीं है। जीती जागती मानीदेवी बीते दो माह से न्याय के लिए भटक रही है, लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो रही है। वह जिला कलक्टर, पुलिस अधीक्षक स्तर पर न्याय की गुहार लगाने के बाद अब थक हारकर न्यायालय की शरण में पहुंची है और न्याय की गुहार लगाई है।
रामसर तहसील के हींडिया गांव निवासी मानीदेवी पत्नी स्व. टीकमाराम का दर्द यह है कि उसके ज्येष्ठ पुत्र बांकाराम ने पटवारी को हलफनामा देकर उसे मृत बता दिया और जमीन व अचल सम्पत्ति से उसे बेदखल करवा दिया। पटवारी ने हलफनामे को सही मानते हुए राजस्व रेकर्ड में जमाबंदी से मानीदेवी का नाम हटा दिया। यह वाकया वर्ष 2013 में मानीदेवी के पति टीकमाराम की मृत्यु के बाद हुआ, लेकिन दो माह पहले वृद्धा के ध्यान में यह तथ्य आया तो वह चौंक गई।
नहीं हुई सुनवाई
मानीदेवी ने 1 जुलाई को जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक को परिवाद देकर पूरे मामले से अवगत करवाया। कलक्टर-एस पी ने मानीदेवी को न्याय का भरोसा दिलाया, लेकिन दो माह बीतने के बाद भी न तो उसका नाम राजस्व रेकर्ड में दर्ज किया गया, न ही पुत्र बांकाराम के खिलाफ थाने में मामला दर्ज हुआ।
न्यायालय में गुहार
प्रशासन व पुलिस के स्तर पर न्याय नहीं मिलने से परेशान मानीदेवी सोमवार को अपने गांव से फिर जिला मुख्यालय पहुंची और न्यायालय में एक इस्तागासा दायर किया, जिसमें उसने बताया कि कलक्टर व एसपी के निर्देशों के बावजूद पुलिस ने थाने में मामला दर्ज नहीं किया। लिहाजा मामला दर्ज आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने परिवाद स्वीकार कर रामसर पुलिस को जांच के आदेश दिए।
अवकाश पर था, अब न्याय होगा
पारिवारिक कारणों के चलते मैं काफी समय तक अवकाश पर रहा। इसलिए बीते दिनों क्या हुआ, यह जानकारी में नहीं है। लेकिन अब इस मामले में जांच कर दोषियों के खिलाफ न्यायालय में चालान किया जाएगा। -कमलकिशोर, थानाधिकारी पुलिस थाना रामसर
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