बुधवार, 3 अगस्त 2016

झुंझुनूं झुंझुनूं की बेटी पारुल ने आसमां में रचा इतिहास, बोइंग 777 उड़ाने वाली राजस्थान की पहली पायलट बनीं



झुंझुनूं झुंझुनूं की बेटी पारुल ने आसमां में रचा इतिहास, बोइंग 777 उड़ाने वाली राजस्थान की पहली पायलट बनीं
झुंझुनूं की बेटी पारुल ने आसमां में रचा इतिहास, बोइंग 777 उड़ाने वाली राजस्थान की पहली पायलट बनीं
झुंझुनूं की बेटी पारुल शेखावात राजस्थान की फर्स्ट कमर्शियल लेडी पायलट बन गई हैं। अब वह बोइंग 777 जैसा बड़ा विमान उड़ा रही हैं। अनुभव और प्रशिक्षण के आधार पर वे इंटरनेशनल मार्गों पर विमान उड़ाती हैं। इसी साल जुलाई में पारुल कैप्टन पायलट बनी हैं।




ये एयर इंडिया में को-पायलट थीं। इस दौरान न्यूर्याक, शिकागो और लंदन आदि लॉन्ग रूट की नॉन स्टॉप फ्लाइट पर नियमित रूप से उड़ान भरती थीं। इसी दौरान स्पेशल ट्रेनिंग लेकर कनाड़ा, पेरिस, जर्मनी, बैंकॉक, अफ्रीका और चीन आदि देशों की उड़ान भरी।




एक एग्जाम के बाद इन्हें कैप्टन पायलट बनाया गया। गौरतलब है कि पारुल ने 11 साल पहले 24 वर्ष की उम्र में कमर्शियल पायलट लाइसेंस प्राप्त कर एयर इंडिया में इंटरनेशनल फ्लाइट को-पायलट पद पर नियुक्त हुई थीं।
झुंझुनूं के बड़ागांव में खुशी की लहर

पारुल झुंझुनूं जिले के गांव बड़ागांव की रहने वाली हैं। अशोक सिंह बड़ागांव ने बताया कि बेटी की इस उपलब्धि पर पूरे गांव में खुशी की लहर है। पारुल बड़ागांव के डॉ. नरपत सिंह शेखावाटी की बड़ी बेटी हैं। डॉ. शेखावत सवाई मानसिंह अस्पताल के अधीक्षक पद से रिटायर्ड हैं।

योग रखता है फिट

पारुल ने बताया कि सफल पायलट बनने के लिए विचारों पर नियंत्रण बहुत जरूरी है। वह नियंत्रण योग से ही संभव है। योग से एकाग्रता बनी रहती है। एक बार घर से निकले तो फिर करीब सप्ताहभर तक फ्लाइट पर ही रहना होता है। नियमित रूप से फ्लाइट में उड़ान भरने से स्वास्थ्य प्रभवित होता है। स्वस्थ्य रहने के लिए योग करती हूं।

इंडियन आर्मी के फाइटर प्लेन के पायलट भी नियमित रूप से योग करते हैं। इसके साथ ही जिम भी जाते हैं। डाइट पर भी कंट्रोल रखना होता है। इसके लिए अनुभवी विशेषज्ञों से सलाह ली जाती है। वर्ष में एक बार हेल्थ चेकपअ होता है। यह सभी पायलट्स के लिए जरूरी है।

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