सोमवार, 15 अगस्त 2016

आजादी, 15 अगस्त 1947 से अब तक नहीं थमा पाकिस्तान छोडऩे का सिलसिला


आजादी, 15 अगस्त 1947 से अब तक नहीं थमा पाकिस्तान छोडऩे का सिलसिला


रतन दवे@बाड़मेर.

15 अगस्त 1947 के भारत पाक बंटवारे से शुरू हुआ पाकिस्तान छोडऩे का सिलसिला आजादी के सत्तर साल बाद भी नहीं थमा है। पाकिस्तान में जुल्म और अभाव इस कदर लोगों को तंग और त्रस्त कर रहे हैं कि उनको एक ही राह सूझती है कि असली आजादी चाहिए तो भारत चले जाएं। सिंध इलाके के हजारों परिवार यह सिलसिला पिछले सत्तर साल से बनाए हुए हैं। इन दिनों इनके आने का जरिया थार एक्सप्रेस बनी हुई है। थार से भारत आने के बाद हजारों लोग यहीं के होकर रह रहे हैं। बाड़मेर और जोधपुर में अपने परिवारजनों के साथ अपना घर भी बसा रहे हैं।


आजादी, 15 अगस्त 1947 से अब तक नहीं थमा पाकिस्तान छोडऩे का सिलसिला


बंटवारा होते ही एक साथ तीस हजार से अधिक लोग यहां आ गए। अलवर के खैरथल और बाड़मेर जिले के सीमावर्ती इलाकों में ये परिवार बस गए। इसके बाद 1965 और 1971 के युद्ध हुए तो इसके बाद करीब साठ हजार परिवारों ने पाकिस्तान छोड़ा और बाड़मेर आए और भारत की नागरिकता लेने की कोशिश शुरू कर दी। वर्ष 2006 में थार एक्सप्रेस प्रारंभ हुई तो यह सिलसिला फिर शुरू हुआ और करीब 1500 लोगों ने यहां स्थाई रहना शुरू करने के साथ ही नागरिकता के आवेदन भी कर दिए। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि संख्या इससे चौगुनी है, जिन्होंने अभी तक आवेदन नहीं किए हैं।





यहां बसे लोगों के अनुसार पाकिस्तान के जिन इलाकों में हिन्दू परिवार रह रहे हैं वहां जुल्म बढऩे लगे हैं। हिन्दुओं के साथ दोहरा व्यवहार तो है ही उनको गरीबी में जीवन गुजारना मुश्किल हो रहा है। सुविधाएं कुछ भी नहीं और असुरक्षा दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। भारत में सुखी और शांत जीवन के समाचार उनको प्रेरित करते रहते हैं कि वे भी अपने रिश्तेदारों के पास जाकर वहीं रह जाए और इस कारण लोग यहां पहुंच रहे हैं। यहां उनको मेहनत मजदूरी का कार्य भी मिल रहा है।





अब तक भारत आए पाक विस्थापित
- 1947 में आए लोग : 33000

- 1965 से 1971 के बीच : 60333

- 2004-2007 तक : 1279

- 2007 से 2016 : 200





यहां सुरक्षित हैं
बंटवारे के बाद कई परिवार आ नहीं पाए। 1965 व 1971 में भी कई परिवारों के साथ एेसा ही हुआ। अब इन परिवारों के लिए साथ रहना और एक दूसरे के पास सुरक्षित रहना जरूरी है। इस कारण परिवार आ रहे हैं। पाकिस्तान की बजाय भारत में सुरक्षा है। इसके चलते सिलसिला जारी है।

- डॉ. हितेश आचार्य, पाक विस्थापित





नागरिकता दी जाए
पाकिस्तान से आने वाले लोग शरणार्थी हैं और इनकी भारत में रिश्तेदारी है। इन्हें शरण देने के साथ सुविधाएं दी जाए। नागरिकता के नियमों और प्रक्रिया का सरलीकरण होना चाहिए। जिला मुख्यालय पर ही इनकी सुनवाई कर कलक्टर शिविर लगाकर नागरिकता प्रदान करें।

- हिन्दूङ्क्षसह सोढ़ा, अध्यक्ष, सीमांत लोक संगठन

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