बीकानेर अब कोर्ट पहुंचा जेल तक, हाईकोर्ट के आदेश से जेल में हर रोज लग रही अदालत
प्रदेश में हार्डकोर अपराधियों की पेशी के दौरान भागने की वारदातों पर अंकुश लगाने के लिए हाईकोर्ट ने कुछ बंदियों की सुनवाई जेल में ही करने के आदेश फरमाए हैं।
जेल में मामलों की सुनवाई के लिए अब हर दिन अदालत लगनी शुरू हो गई है, जिसमें चालानी गार्ड नहीं मिलने से कोर्ट में पेश नहीं होने वाले बंदियों की सुनवाई होती है।
बीकानेर केन्द्रीय कारागार में पिछले 10 दिन से हर रोज अदालत लगती है।
केन्द्रीय जेल में लगने वाली अदालत में औसतन प्रतिदिन पांच मामलों की सुनवाई होती है। पेशी के लिए बंदियों को जेल से कोर्ट ले जाया जाता था।
इस दरम्यिान कई अपराधी पुलिस को चकमा देकर फरार हो जाते हैं। वहीं आनंदपाल फरारी मामले के बाद से पूरी सरकारी हिली हुई है। इसलिए सरकार अब कोई रिस्क नहीं लेना चाहती।
वहीं बंदियों के अधिकारों का हनन नहीं होता। सुरक्षा व्यवस्था भी सुदृढ़ रहती है।
यहां लगती है अदालत
बीकानेर केन्द्रीय कारागार में जेल उपाधीक्षक के कक्ष में दोपहर तीन बजे से शाम पांच बजे तक कोर्ट समय में अदालत चलती है।
जेल में हाईकोर्ट के निर्देशानुसार रोस्टर प्रणाली के हर दिन मजिस्ट्रेट सुनवाई करने आते हैं। औसतन पांच मामलों की सुनवाई होती है।
यहां उन्हीं बंदियों की सुनवाई हो पाती है जो चालानी गार्ड के अभाव में कोर्ट पेश नहीं हो पाते। इसके अलावा हार्डकोर हो चाहे किसी तरह का बंदी हो सबकी सुनवाई होती है।
जिन बंदियों की कोर्ट गवाही चल रही होती है, उन्हें कोर्ट में पेश किया जाता है।
हर रोज पांच मामलों की सुनवाई
अब जेल में ही अदालत लगती है, जिसमें उन बंदियों के मामलों की सुनवाई होती है, जिन्हें चालानी गार्ड नहीं मिलने से कोर्ट में पेश नहीं किया जाता है। हर दिन औसतन पांच मामलों की सुनवाई हो रही है। सुरक्षा के लिहाज से यह व्यवस्था सही है।
कैलाश त्रिवेदी, सुपरिटेंडेंट जेल
जिन बंदियों की कोर्ट गवाही चल रही होती है, उन्हें कोर्ट में पेश किया जाता है।
हर रोज पांच मामलों की सुनवाई
अब जेल में ही अदालत लगती है, जिसमें उन बंदियों के मामलों की सुनवाई होती है, जिन्हें चालानी गार्ड नहीं मिलने से कोर्ट में पेश नहीं किया जाता है। हर दिन औसतन पांच मामलों की सुनवाई हो रही है। सुरक्षा के लिहाज से यह व्यवस्था सही है।
कैलाश त्रिवेदी, सुपरिटेंडेंट जेल
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