झालरापाटन पंचायत समिति में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान में बनी जल संरचनाओं में जल संरक्षण की प्रक्रिया आरम्भ
ऽ झालरापाटन के पत्रकारों ने किया पंचायत समिति के कार्यों का दौरा
ऽ पंचायत समिति में 36.48 लाख घन मीटर जल संरक्षण क्षमता अर्जित
झालावाड 9 जुलाई। खानपुर पंचायत समिति में वर्ष 2016-17 में करवाये गये मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान में बनी जल संरचनाओं में वर्षा के आरम्भ होते ही पानी की आवक जारी होने से भूजल संरक्षण की प्रक्रिया भी स्वतः ही चालू हो गई है। पूरी पंचायत समिति में स्ट्रैगर्ड ट्रैंचेज दो से तीन बार लबालब भरी जा चुकी हैं जिनका पानी धीरे-धीरे भूमि में रिस रहा है।
विकास अधिकारी जितेन्द्रसिंह चूण्डावत ने आज पंचायत समिति के दौरे पर आये जिला स्तरीय प्रेस एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया प्रतिनिधियों के दल को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पंचायत समिति क्षेत्र में बनी विभिन्न जल संरचनाओं के माध्यम से 36 लाख 48 हजार 52 घनमीटर वर्षा जल संरक्षण की क्षमता अर्जित की गई है। उन्होंने बताया कि जनवरी 2016 से जून 2016 के बीच पंचायत समिति में जन सहयोग से यह अभियान चलाया जिसके उत्साहवर्द्धक परिणाम मिल रहे हैं। विकास अधिकारी ने बताया कि जल संसाधन विभाग द्वारा पंचायत समिति में 4 एनिकट बनवाये गये हैं जिनमें एक बार में 1 लाख 51 हजार घन मीटर वर्षा जल भरा जा सकता है। इन एनिकट में 3 लाख 2 हजार घन मीटर वर्षा जल संरक्षित किया जा सकेगा। महानरेगा के अंतर्गत भी पंचायत समिति क्षेत्र में 16 तलाई निर्माण करवाये गये है जिनमें एक बार में 6 लाख 5 हजार घन मीटर वर्षा जल भरा जा सकता है। इन तलाईयों में वर्ष में 10 लाख 60 हजार घन मीटर वर्षा जल संरक्षित किया जा सकेगा। साथ ही मनरेगा के अन्तर्गत 4 एनिकट भी बनवाये गये हैं जिनमें एक बार में 1 लाख 25 हजार घन मीटर वर्षा जल भरा जा सकता है। इन एनिकट में 2 लाख 50 हजार घन मीटर वर्षा जल संरक्षित किया जा सकेगा। साथ ही 13 तालाब एवं बावडियों की मरम्मत भी करवाई गई जिनकी भराव क्षमता 4 लाख 50 हजार घनमीटर हैं तथा इनमें वर्ष में 12 लाख 60 हजार 300 घनमीटर वर्षा जल संरक्षित किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि जलग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण विभाग द्वारा फील्ड बंडिंग के 20 कार्य करवाये गये हैं जिनकी कुल भराव क्षमता 16 हजार 200 घन मीटर है। इन संरचनाओं के माध्यम से वर्ष में 28 हजार 600 घनमीटर वर्षा जल संरक्षित किया जा सकेगा। विभाग द्वारा 2 एनिकट बनवाये गये जिनमें एक बार में 3 हजार घन मीटर पानी भरा जा सकता है। इनके माध्यम से वर्ष भर में 9 हजार घन मीटर वर्षा जल संरक्षित किया जा सकेगा। विभाग द्वारा पंचायत समिति में 33 मिनी परकोलेशन टैंक बनवाये गये जिनकी भराव क्षमता 16 हजार 500 घनमीटर है तथा वर्ष भर में इनमें 49 हजार 500 घनमीटर वर्षा जल संरक्षित किया जा सकेगा। विभाग द्वारा 2 हजार 726 स्टेगर्ड ट्रेंचेज बनवाये गये हैं जिनकी भराव क्षमता 12 हजार 267 घनमीटर है तथा इनमें वर्ष में 49 हजार 68 घनमीटर वर्षा जल संरक्षित किया जा सकेगा। विभाग द्वारा 8 हजार 400 डीप सीसीटी का निर्माण करवाया गया है जिनकी भराव क्षमता 8 हजार 400 घनमीटर है तथा इनमें वर्ष में 33 हजार 600 घनमीटर वर्षा जल संऱिक्षत किया जा सकेगा। साथ ही विभाग द्वारा 8 तालाब एवं बावडियों की मरम्मत भी करवाई गई जिनकी भराव क्षमता 20 हजार घनमीटर हैं तथा इनमें वर्ष में 60 हजार 600 घनमीटर वर्षा जल संरक्षित किया जा सकेगा।
अभियान के दौरान वन विभाग द्वारा झालरापाटन पंचायत समिति में 36 मिनी परकोलेशन टैंक बनवाये गये जिनकी भराव क्षमता 10 हजार 350 घनमीटर है तथा वर्ष भर में इनमें 62 हजार 100 घनमीटर वर्षा जल संरक्षित किया जा सकेगा। विभाग द्वारा 2 लाख 37 हजार 158 स्टेगर्ड ट्रेंचेज बनवाये गये हैं जिनकी भराव क्षमता 1 लाख 6 हजार 721 घनमीटर है तथा इनमें वर्ष में 4 लाख 26 हजार 884 घनमीटर वर्षा जल संरक्षित किया जा सकेगा। विभाग द्वारा 14 हजार 100 डीप सीसीटी का निर्माण करवाया गया है जिनकी भराव क्षमता 14 हजार 100 घनमीटर है तथा इनमें वर्ष में 56 हजार 400 घनमीटर वर्षा जल संऱिक्षत किया जा सकेगा।
36.48 हजार 52 घनमीटर वर्षा जल होगा संरक्षित
इस प्रकार सभी विभागों द्वारा बनवाई गई जल संरचनाओं की कुल भराव क्षमता 15 लाख 38 हजार 538 घनमीटर है तथा इनके माध्यम से वर्ष भर में 36 लाख 48 हजार 52 घनमीटर वर्षा जल संरक्षित किया जा सकेगा। विकास अधिकारी ने बताया कि यह एक बड़ी उपलब्धि है जो जन सहयोग के माध्यम से की गई है। इस कार्य में पूरी पारदर्शिता बरती गई है तथा प्रत्येक कार्य पर सूचना पट्ट लगाकर उस कार्य की जानकारी दी गई है।
58 बीघा पहाड़ी क्षेत्र का समग्र ट्रीटमेंट किया
जलग्रहण विकास एवं भूसंरक्षण विभाग के सहायक अभियंता बृजपालसिंह ने पत्रकारों को विभिन्न जल संरचनाओं के काम करने की तकनीकी प्रक्रिया एवं उससे होने वाले लाभों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रूपपुरा बालदिया, पीपलिया गुजरान तथा गादियामेर की पहाड़ियों में 58 हैक्टेयर क्षेत्र को रिज टू वैली के सिद्धांत पर ऊपरी क्षेत्र में स्टैगर्ड ट्रैंचेज के माध्यम से पानी को रोका गया है तथा उनसे बहकर आने वाले पानी को डीप सीसीटी के माध्यम से रोका गया है। डीप सीसीटी से निकल कर बहने वाले पानी को एमपीटी बनाकर रोका गया है। इस प्रकार यह पूरा क्षेत्र भूमि में जल छानने वाली छलनी में बदल दिया गया है जिसके माध्यम से अधिकतम वर्षा जल को भूमि में प्रवेश करवाया जा सकेगा।
अधिकारियों ने किया पत्रकारों का स्वागत
पत्रकार दल के पंचायत समिति कार्यालय में पहुंचने पर उपखण्ड अधिकारी तथा विकास अधिकारी द्वारा भावभीना स्वागत किया गया।
ये रहे साथ में
ज्ञातव्य है कि मीडिया दल ने आज झालरापाटन पंचायत समिति के तलवाड़िया, मोहम्मदपुरा, रूपपुरा बालदिया, पीपलिया गुजरान, आनन्दा, कंवरपुरा, सेमली गोकुला तथा रातादेवी आदि विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अंतर्गत करवाये गये कार्यों का अवलोकन किया। इस दौरे में विकास अधिकारी जितेन्द्रसिंह चूण्डावत, जलग्रहण विकास एवं भूसंरक्षण विभाग के सहायक अभियंता बृजपालसिंह तथा पंचायत समिति के सहायक अभियंता रमेश वर्मा भी पत्रकारों के साथ रहे।
---00---
पंचायत समिति झालरापाटन में चरण पादुका कार्यक्रम आयोजित
झालावाड़ 9 जुलाई। पंचायत समिति झालरापाटन के बड़ौदिया गांव में स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में आज झालरापाटन के मीडिया दल द्वारा चरण पादुका कार्यक्रम आयोजित किया गया। मीडिया दल ने 50 निर्धन विद्यार्थियों को जूते पहनाये।
ज्ञातव्य है कि रेजीडेण्ट्स एसोसियेशन ऑफ नॉर्थ अमरीका के मीडिया प्रकोष्ठ द्वारा जिला प्रशासन झालावाड़ को निर्धन विद्यार्थियों के लिये 500 जोड़ी जूते उपलब्ध कराये गये हैं जिन्हें सभी आठों पंचायत समितियों के विभिन्न स्कूलों में पढ़ने वाले निर्धन बच्चों को चरण पादुका कार्यक्रम के तहत वितरित किया जा रहा है। संस्था प्रधान आर. एन. एस. मीणा ने चरण पादुका जैसे महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील कार्यक्रम के लिये जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी का आभार व्यक्त किया गया।
---00---
सफलता की कहानी
स्थानीय लोगों को सिंघाड़ा उत्पादन के रूप में मिला
आमदनी का जरिया
जिले में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान में बनाई गई जल संचनाओं में भरे पानी में स्थानीय लोगों ने सिंघाड़े की खेती का काम आरम्भ कर दिया है जिससे उनकी आमदनी का बरसों पुराना जरिया एक बार फिर पुनजीर्वित हो उठा है। आज झालरापाटन के पत्रकारों द्वारा पंचायत समिति क्षेत्र में की गई विजिट मंे यह बात सामने आई। झालावाड़ जिले में बरसात अधिक होने से तालाबों में पानी की आवक खूब रहती थी जिनमें स्थानीय लोग सिंघाड़ा उत्पादन किया करते थे किंतु पिछले कुछ दशकों में सर्दियां आरम्भ होने से पहले ही इन जल संरचनाओं का जल सूख जाता था। इस कारण सैंकड़ों गांवों के तालाबों में होने वाला सिंघाड़ा उत्पादन बंद प्रायः सा हो गया था किंतु इस बार बार जिले में लगभग 700 से 800 एनीकट तथा एमपीटी के निर्माण तथा तालाब सुधार के कार्य हुए तो लोगों को उम्मीद जगी है कि इन जल संरचनाओं का पानी सर्दियों में भी बना रहेगा। इसलिये लोगों ने एमपीटी, एनीकट तथा तालाबों में सिंघाड़े के बीज और बेलें लाकर डाल दी हैं और वे भलीभांति पनपने लगी हैं। ज्ञातव्य है कि एक बीघा जलीय क्षेत्र से एक मौसम में लगभग 60 हजार रुपये तक का सिंघाड़ा होता है। इस प्रकार स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि वे इन जल संरचनाओं के माध्यम से अपने परिवार को पालने के लिये अतिरिक्त आमदनी का एक जरिया फिर से स्थापित कर सकेंगे।
---00---
नौलखा पहाड़ी पर वृक्षारोपण आज
झालावाड़ 9 जुलाई। जिले में एक व्यक्ति एक वृक्ष अभियान के तहत रविवार 10 जुलाई को प्रातः 9 बजे से 11 बजे तक सघन वृक्षाारोपण अभियान आयोजित किया जायेगा।
जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने जन सामान्य तथा समाज सेवी संस्थाओं से अपील की है कि वे रविवार को प्रातः 9 बजे नौलखा पहाड़ी पर सघन वृक्षारोपण के लिये पहुंचें तथा स्वेच्छा से वृक्षारोपण अभियान में हिस्सा लें। इस अभियान की रूपरेखा गत दिनों झालरापाटन तहसील परिसर में समाज सेवी संस्थाओं तथा सरकारी संस्थाओं के साथ हुई बैठक में निर्धारित की गई थी।
उपवन संरक्षक श्री सीआर मीणा ने बताया कि वृक्षारोपण के लिये विभिन्न प्रजातियों के लगभग 2000 पौधे उपलब्ध कराये जायेंगे कोई भी व्यक्ति इस अभियान में भाग ले सकता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें