मंगलवार, 26 जुलाई 2016

उदयपुर। आखिर, अस्पताल से कहां गईं 75 लाख की सुइयां?

उदयपुर। आखिर, अस्पताल से कहां गईं 75 लाख की सुइयां?


डॉ. सुशीलसिंह चौहान/ उदयपुर
मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना में आने वाले महंगे इंजेक्शनों को 'खुद की जेब' में खपा देने का एक और बड़ा घोटाला एमबी अस्पताल में सामने आया है। करीब 75 लाख रुपए के इन इंजेक्शनों की गणित नहीं मिलने पर प्रधान महालेखाकार (सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र लेखा परीक्षा) राजस्थान, जयपुर-1 ने पाई-पाई का हिसाब मांगा है।
आखिर, अस्पताल से कहां गईं 75 लाख की सुइयां?

ये कैसा इलाज कि नन्ही परी का रिसता खून भी नहीं दिखा

एजी ने ऑडिट में पैरा लगाकर नि:शुल्क योजना में मिले 'हुमैन एल्बुमिन-20 प्रतिशत इंजेक्शन' के दुरुपयोग की आशंका जताते हुए 74.70 लाख रुपए का हिसाब मांगा है। वर्ष 2012-13 से 2013-14 एवं चालू वित्तीय वर्ष में फरवरी-2016 के बीच चिकित्सालय वार्ड और डीडीसी काउंटर्स से क्रमश: 3700, 2100, 1000 एवं 439 इंजेक्शनों का लेखा-जोखा नहीं रखने के मामले में चिकित्सालय प्रशासन चुप्पी साधे है।




बचता रहा प्रभारी


ऑडिट पैरा के अनुसार जुलाई 2013 से जुलाई 2014 के बीच के दौरान डीडीसी काउंटर एक से आठ एवं 26 में क्रमश: 315, 20, 690, 680, 50, 1080, 105, 11 एवं 560 नग (कुल 3511/ लागत 70.22 लाख) जारी हुए। इसमें काउंटर संख्या 3, 4, 6 एवं 26 बंद कर दिए गए। यहां डीडीसी काउंटर प्रभारी केवल संख्या एक का स्टॉक रजिस्टर लेखा परीक्षा को उपलब्ध कराया गया। इसमें भी रोगीवार उपलब्ध इजेक्शन का ब्योरा उपलब्ध नहीं कराया गया। ऑडिट में आया कि जनवरी-2014 में बर्न वार्ड 184 इंजेक्शन जारी हुए। यह इंजेक्शन आरएमएससीएल, आरएम आरएस और एमएमबीपीएलजेआरके मद से खरीदे गए थे। ऑडिट ने आठ सवालों का जवाब मांगा है।
मिसाल: ये शख्स 70 से अधिक बार कर चुका है रक्तदान, जन्मदिन को मनाता है रक्तदान दिवस के रूप में


फीमेल वार्ड और नाम मेल कागड़बड़ी जांच में पत्रिका को एेसी पर्ची हाथ लगी, जिस पर वार्ड का नाम 6-एसीएफ लिखा है, जो महिला वार्ड की पर्ची है। लेकिन इस पर शंकर नाम लिखकर एल्बुमिन इंजेक्शन लिखा गया है। विशेष बात यह है कि पर्ची पर हस्ताक्षर करने वाले नर्सेज स्टाफ ने डॉ. अभिषेक लिखकर हस्ताक्षर किए हैं, जबकि कोई भी चिकित्सक स्वयं के हस्ताक्षर के आगे डॉ. काम नहीं लेता।
ये है एल्बुमिन इंजेक्शनगंभीर रोग किडनी डिजीज, डायबिटीज, कैंसर जैसे रोगों में शरीर के भीतर प्रोटीन तत्वों को बढ़ाने के लिए मरीज को यह इंजेक्शन लगाने की सलाह देते हैं। सरकारी हिसाब से इस इंजेक्शन की लागत न्यूनतम 2000 होती है, जबकि निजी मेडिकल स्टोर्स पर यह इंजेक्शन पांच से सात हजार तक कीमत में मिलता है।
कमीशन का खेल: गरीब के लिए दवा खरीद में डकार गए करोड़ों रुपए


नि:शुल्क दवा योजना आमजन की सुविधा के लिए है। इसके दुरुपयोग की ऑडिट रिपोर्ट उच्चाधिकारियों के पास होगी। इसकी जानकारी लेकर ही कुछ बता पाऊंगा।
- डॉ. रमेश जोशी, उपअधीक्षक, एमबी हॉस्पिटल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें