अटका पार्षदों का मनोनयन, अब आएगी नई लिस्ट
भवानी प्रकाश@बालोतरा/बाड़मेर.
राज्य सरकार की ओर से बालोतरा व बाड़मेर नगर परिषद सहित राज्य के 22 स्थानीय निकायों में 90 सदस्यों का मनोनयन किया गया। अधिकांश जगह इन मनोनीत सदस्यों ने शपथ ग्रहण भी कर ली, लेकिन बालोतरा-बाड़मेर की शपथ को मौखिक रूप से रुकवा दिया गया। खबर है कि स्थानीय नेताओं ने बालोतरा में 1 और बाड़मेर में 3 पार्षदों के मनोनयन पर नाराजगी जताई है।
इनका कहना है कि उनसे पूछे बिना ही सदस्यों को मनोनीत किया गया है। वहीं बालोतरा में मनोनीत किए गए नेता ने तो पार्षद बनने से ही इनकार कर दिया। हालांकि नियमानुसार वे नगर परिषद में पार्षद बन ही नहीं सकते। इन सबके बीच नियमों के अनुसार घोषणा के एक माह के भीतर शपथ नहीं लेने से बाड़मेर जिले में चारों पार्षदों का मनोनयन खटाई में पड़ गया है। भाजपा जिलाध्यक्ष के अनुसार अब राज्यसभा चुनाव के बाद ही मनोनीत पार्षदों की नई सूची जारी होगी।
डेढ़ वर्ष बाद किया मनोनयन
राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद बाड़मेर व बालोतरा नगर परिषद में सदस्यों का मनोनयन किया गया था, लेकिन इसके तीन माह बाद ही दोनों जगह बोर्ड का कार्यकाल पूरा हो गया। नवम्बर-2014 में हुए चुनाव में दोनों जगह भाजपा अपना बोर्ड बनाने में असफल रही। ऐसे में कांग्रेसनीत बोर्डों में पार्षद पद के मनोनयन के लिए कई स्थानीय नेता लॉबिंग में जुट गए। करीब डेढ़ वर्ष बाद 26 अप्रेल 2016 को सरकार ने बाड़मेर में तीन और बालोतरा में एक जने का मनोनयन किया, लेकिन सूची आते ही इसका विरोध शुरू हो गया। हालांकि अभी तक विरोध और सूची रोकने के मामले में भाजपा का कोई भी बड़ा नेता मुंह खोलने का तैयार नहीं है, लेकिन अंदरखाने बात यह है कि इस सूची को निरस्त कर शपथ रोक दी गई है।
बाड़मेर जिले में हुआ था इनका मनोनयन
1. बालाराम मूंढ़ : गत विधानसभा चुनाव में बायतु से टिकट की दावेदारी करने वाले मूंढ़ को नगर परिषद बालोतरा के लिए पार्षद मनोनीत किया गया। एकबारगी इस घोषणा से हर कोई अचंभित हुआ। नियमानुसार मनोनीत होने वाले पार्षद का संबंधित नगरीय निकाय का वोटर होना जरूरी है, लेकिन मूंढ़ बायतु विधानसभा से आते हैं। वहीं मूंढ़ ने खुद ही इस पद पर शपथ लेने से इनकार कर दिया था। हालांकि कुछ दिन पहले ही मूंढ़ को भाजपा जिला महामंत्री भी बनाया गया है।
2. रमेश आचार्य :नगर परिषद बाड़मेर के लिए नामित किए गए आचार्य इससे पहले गत बोर्ड में कांग्रेस से पार्षद निर्वाचित हुए थे। तत्कालीन बोर्ड में ये विद्युत एवं सार्वजनिक प्रकाश समिति के अध्यक्ष भी रहे। इन्हें मनोनीत पार्षद बनाने की घोषणा पर कई स्थानीय नेताओं ने विरोध जताया था कि आचार्य कांग्रेस विधायक के खास है।
3. अशोक दर्जी : पूर्व में दो बार पार्षद रहे दर्जी को बाड़मेर नगर परिषद में मनोनीत पार्षद बनाने के फैसले के खिलाफ पार्टी का एक धड़ा आ गया था। उनका तर्क था कि जिन्होंने पार्टी के लिए दिन-रात एक किया उन्हें दरकिनार कर दूसरों को मनोनीत पार्षद क्यों बनाया जा रहा है? एक बड़े नेता ने भी इनके नाम पर आश्चर्य जताया था।
4. अचलाराम धायल : बाड़मेर नगर परिषद के लिए मनोनयन की घोषणा में इनका भी नाम शामिल था। हालांकि भाजपा की स्थानीय राजनीति में कभी भी इनका नाम सामने नहीं आया। ऐसे में इस नाम पर भी कई कार्यकर्ताओं ने आपत्ति जताई।
कई जगह आई यह भी समस्या
गत वर्ष ही राज्य सरकार ने पंचायत समिति और जिला परिषदों में सदस्य की शैक्षणिक योग्यता तय करने के बाद स्थानीय निकायों में भी पार्षद बनने की योग्यता 10वीं उत्तीर्ण तय की थी। ऐसे में यही नियम मनोनीत होने वाले पार्षदों पर लागू हुआ। हालांकि बाड़मेर जिले की दो नगर परिषदों में मनोनयन के लिए हुई 4 जनों की घोषणा में इस नियम का असर नहीं पड़ा। जबकि राज्य में कई जगह यह परेशानी भी आई। ऐसे में वहां की सूचियों को रोका गया।
यह है नियम
राजस्थान नगरपालिका एक्ट-2009 के तहत नगर निगम, नगर परिषद और नगरपालिकाओं में राज्य सरकार की ओर से तीन या कुल सदस्यों की संख्या के 10 फीसदी के अनुसार पार्षदों का मनोनयन किया जाता है। निर्वाचन की तरह ही मनोनीत पार्षदों पर भी वही योग्यताएं निर्धारत है। एक्ट की धारा-37 की उपधारा-1 के तहत मनोनीत पार्षदों को जिला कलक्टर या उनके प्रतिनिधि के समक्ष शपथ लेनी होती है। वहीं उपधारा-2 के तहत यह शपथ मनोनयन की तारीख से एक माह के भीतर लेना अनिवार्य है। ऐसा नहीं होने पर निर्वाचन या मनोनयन रद्द किए जाने का प्रावधान है।
स्थानीय को मिले मौका
बायतु क्षेत्र का निवासी होने के चलते मैंने बालोतरा नगर परिषद के लिए मनोनीत पार्षद की शपथ लेने से मना कर दिया था। वहीं पार्टी से वहां के स्थानीय कार्यकर्ता को मौका देने को कहा है।
- बालाराम मूंढ़, जिला महामंत्री, भाजपा, बाड़मेर
जल्द आएगी नई सूची
बालोतरा के लिए बालाराम मूंढ़ ने खुद मना कर दिया, वहीं बाड़मेर में भी मनोनयन रोका गया है। राज्यसभा चुनाव के बाद जल्द ही बाड़मेर व बालोतरा में मनोनयन की नई सूची आएगी।
- कानसिंह कोटड़ी, जिलाध्यक्ष, भाजपा
भवानी प्रकाश@बालोतरा/बाड़मेर.
राज्य सरकार की ओर से बालोतरा व बाड़मेर नगर परिषद सहित राज्य के 22 स्थानीय निकायों में 90 सदस्यों का मनोनयन किया गया। अधिकांश जगह इन मनोनीत सदस्यों ने शपथ ग्रहण भी कर ली, लेकिन बालोतरा-बाड़मेर की शपथ को मौखिक रूप से रुकवा दिया गया। खबर है कि स्थानीय नेताओं ने बालोतरा में 1 और बाड़मेर में 3 पार्षदों के मनोनयन पर नाराजगी जताई है।
इनका कहना है कि उनसे पूछे बिना ही सदस्यों को मनोनीत किया गया है। वहीं बालोतरा में मनोनीत किए गए नेता ने तो पार्षद बनने से ही इनकार कर दिया। हालांकि नियमानुसार वे नगर परिषद में पार्षद बन ही नहीं सकते। इन सबके बीच नियमों के अनुसार घोषणा के एक माह के भीतर शपथ नहीं लेने से बाड़मेर जिले में चारों पार्षदों का मनोनयन खटाई में पड़ गया है। भाजपा जिलाध्यक्ष के अनुसार अब राज्यसभा चुनाव के बाद ही मनोनीत पार्षदों की नई सूची जारी होगी।
डेढ़ वर्ष बाद किया मनोनयन
राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद बाड़मेर व बालोतरा नगर परिषद में सदस्यों का मनोनयन किया गया था, लेकिन इसके तीन माह बाद ही दोनों जगह बोर्ड का कार्यकाल पूरा हो गया। नवम्बर-2014 में हुए चुनाव में दोनों जगह भाजपा अपना बोर्ड बनाने में असफल रही। ऐसे में कांग्रेसनीत बोर्डों में पार्षद पद के मनोनयन के लिए कई स्थानीय नेता लॉबिंग में जुट गए। करीब डेढ़ वर्ष बाद 26 अप्रेल 2016 को सरकार ने बाड़मेर में तीन और बालोतरा में एक जने का मनोनयन किया, लेकिन सूची आते ही इसका विरोध शुरू हो गया। हालांकि अभी तक विरोध और सूची रोकने के मामले में भाजपा का कोई भी बड़ा नेता मुंह खोलने का तैयार नहीं है, लेकिन अंदरखाने बात यह है कि इस सूची को निरस्त कर शपथ रोक दी गई है।
बाड़मेर जिले में हुआ था इनका मनोनयन
1. बालाराम मूंढ़ : गत विधानसभा चुनाव में बायतु से टिकट की दावेदारी करने वाले मूंढ़ को नगर परिषद बालोतरा के लिए पार्षद मनोनीत किया गया। एकबारगी इस घोषणा से हर कोई अचंभित हुआ। नियमानुसार मनोनीत होने वाले पार्षद का संबंधित नगरीय निकाय का वोटर होना जरूरी है, लेकिन मूंढ़ बायतु विधानसभा से आते हैं। वहीं मूंढ़ ने खुद ही इस पद पर शपथ लेने से इनकार कर दिया था। हालांकि कुछ दिन पहले ही मूंढ़ को भाजपा जिला महामंत्री भी बनाया गया है।
2. रमेश आचार्य :नगर परिषद बाड़मेर के लिए नामित किए गए आचार्य इससे पहले गत बोर्ड में कांग्रेस से पार्षद निर्वाचित हुए थे। तत्कालीन बोर्ड में ये विद्युत एवं सार्वजनिक प्रकाश समिति के अध्यक्ष भी रहे। इन्हें मनोनीत पार्षद बनाने की घोषणा पर कई स्थानीय नेताओं ने विरोध जताया था कि आचार्य कांग्रेस विधायक के खास है।
3. अशोक दर्जी : पूर्व में दो बार पार्षद रहे दर्जी को बाड़मेर नगर परिषद में मनोनीत पार्षद बनाने के फैसले के खिलाफ पार्टी का एक धड़ा आ गया था। उनका तर्क था कि जिन्होंने पार्टी के लिए दिन-रात एक किया उन्हें दरकिनार कर दूसरों को मनोनीत पार्षद क्यों बनाया जा रहा है? एक बड़े नेता ने भी इनके नाम पर आश्चर्य जताया था।
4. अचलाराम धायल : बाड़मेर नगर परिषद के लिए मनोनयन की घोषणा में इनका भी नाम शामिल था। हालांकि भाजपा की स्थानीय राजनीति में कभी भी इनका नाम सामने नहीं आया। ऐसे में इस नाम पर भी कई कार्यकर्ताओं ने आपत्ति जताई।
कई जगह आई यह भी समस्या
गत वर्ष ही राज्य सरकार ने पंचायत समिति और जिला परिषदों में सदस्य की शैक्षणिक योग्यता तय करने के बाद स्थानीय निकायों में भी पार्षद बनने की योग्यता 10वीं उत्तीर्ण तय की थी। ऐसे में यही नियम मनोनीत होने वाले पार्षदों पर लागू हुआ। हालांकि बाड़मेर जिले की दो नगर परिषदों में मनोनयन के लिए हुई 4 जनों की घोषणा में इस नियम का असर नहीं पड़ा। जबकि राज्य में कई जगह यह परेशानी भी आई। ऐसे में वहां की सूचियों को रोका गया।
यह है नियम
राजस्थान नगरपालिका एक्ट-2009 के तहत नगर निगम, नगर परिषद और नगरपालिकाओं में राज्य सरकार की ओर से तीन या कुल सदस्यों की संख्या के 10 फीसदी के अनुसार पार्षदों का मनोनयन किया जाता है। निर्वाचन की तरह ही मनोनीत पार्षदों पर भी वही योग्यताएं निर्धारत है। एक्ट की धारा-37 की उपधारा-1 के तहत मनोनीत पार्षदों को जिला कलक्टर या उनके प्रतिनिधि के समक्ष शपथ लेनी होती है। वहीं उपधारा-2 के तहत यह शपथ मनोनयन की तारीख से एक माह के भीतर लेना अनिवार्य है। ऐसा नहीं होने पर निर्वाचन या मनोनयन रद्द किए जाने का प्रावधान है।
स्थानीय को मिले मौका
बायतु क्षेत्र का निवासी होने के चलते मैंने बालोतरा नगर परिषद के लिए मनोनीत पार्षद की शपथ लेने से मना कर दिया था। वहीं पार्टी से वहां के स्थानीय कार्यकर्ता को मौका देने को कहा है।
- बालाराम मूंढ़, जिला महामंत्री, भाजपा, बाड़मेर
जल्द आएगी नई सूची
बालोतरा के लिए बालाराम मूंढ़ ने खुद मना कर दिया, वहीं बाड़मेर में भी मनोनयन रोका गया है। राज्यसभा चुनाव के बाद जल्द ही बाड़मेर व बालोतरा में मनोनयन की नई सूची आएगी।
- कानसिंह कोटड़ी, जिलाध्यक्ष, भाजपा
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