जैसलमेर ,विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन
जैसलमेर , 31 मई/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जैसलमेर के तत्वाधान में आज दिनांक 31.05.16 को तोताराम की ढाणी में विश्व तम्बाकू निषेध के अवसर पर तम्बाकू के दुष्प्रभाव एवं इसकी रोकथाम तथा इसके संबंध में कानूनी प्रावधानों से अवगत कराया जाकर लोगों में विधिक चेतना जगाने के उद्देश्य से विधिक जागरूकता शिविर आयोजित किया गया।
शिविर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव एवं मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बुलाकीदास व्यास ने नशाखोरी: समस्या एवं समाधान विषय पर जानकारी देते हुए बताया कि पिछले कुछ वर्षों से भारत में नशे के लिए ड्रग्स एवं मादक दवाओं का उपयोग बढता जा रहा है एवं इसने एक विकराल समस्या का रूप ले लिया है। एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 70 लाख लोग नशे की चपेट में हैं। राजस्थान में नशे की समस्या गंभीर है। राजस्थान में मुख्य रूप से डोडा पोस्त, अफीम व अफीम से बने नशीले पदार्थों का सेवन किया जाता है। राजस्थान के पश्चिमी भाग में अफीम का प्रचलन विवाह, मृत्यु व सामाजिक अवसरों पर उपयोग करने की पुरानी परम्परा है। वर्तमान समय में यह परम्परा कुरीति का रूप ले चुकी है। पश्चिमी राजस्थान के कुछ जिले विशेषकर बाड़मेर, बीकानेर व जैसलमेर मंे यह प्रचलन ज्यादा है। नशे के दुष्प्रभावों के बारे में बताया कि नशे का सेवन करने वाले व्यक्ति न केवल व्यक्तिगत रूप से प्रभावित होते हैं बल्कि इससे उसका पूरा परिवार व समाज भी प्रभावित होता है। नशे की लत लग जाने पर व्यक्ति नशा प्राप्त करने के लिए चोरी चकारी करता है तथा जरूरत पड़ने पर बड़े अपराधों को भी अंजाम दे देता है। नशे के लिए उपयोग में लाई गई सुईंया एच.आई.वी का कारण बनती हैं जो अंततः एड्स का रूप धारण कर लेती है। नशे के प्रभाव में व्यक्ति पागल व सुसुप्तावस्था में आ जाता है व नशे की उत्तेजना में अपराध तक कर बैठता है।
सिगरेट एवं तम्बाकू उत्पाद अधिनियम 2003 एवं तम्बाकू के दुष्परिणामों की जानकारी देते हुए बताया कि धूम्रपान एवं तम्बाकू सेवन से बचना चाहिए, इस व्यसन के चलते कैंसर होने की संभावना कई गुना बढ जाती है जो कि एक भयानक बीमारी है। कई बार लम्बे समय तक तम्बाकू सेवन करने से इस बीमारी से मृत्यु तक हो जाती है तथा इस बीमारी का इलाज खर्च भी बहुत ज्यादा है। तम्बाकू उत्पाद अधिनियम 2003 के बारे में बताते हुए सचिव ने कहा कि सार्वजनकि स्थानों पर धूम्रपान करने की मनाही है।
नशे की रोकथाम एवं विधिक सेवा संस्थाओं के भूमिका के बारे में बताते हुए कहा कि विधिक सेवा संस्थाएं, पैरालीगल वाॅलेंटियर्स, पैनल अधिवक्ता एवं कई अन्य सरकारी विभाग मिलकर नशे की रोकथाम करने की दिशा में प्रभावी कार्य कर रहे हैं, शिविर एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाकर आम लोगों में नशे से बचने की प्रेरणा पैदा की जा रही है। नशे की रोकथाम के लिए हम सभी को पूरे मनोयोग से सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है। एकल प्रयासों से इस पर पार पाना संभव नहीं है। हम सभी को मिलकर इस बुराई की रोकथाम के लिए प्रयास करने चाहिए
शिविर में विषय से संबंधित कानूनी प्रावधानों एवं तम्बाकू सेवन के दुष्परिणामों की जानकारी से संबंधित पेम्फलेट््स वितरित किए गए। शिविर में जिला प्राधिकरण के कर्मचारी रमेश गर्ग, वरिष्ठ लिपिक, दीनाराम व आकाशदीप खत्री कनिष्ठ लिपिक ने शिविर की व्यवस्था व संचालन में सहयोग प्रदान किया।
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