राजस्थान सरकार का तुगलकी फरमान !
एक ओर केंद्र सरकार डिजिटल इंडिया का सपना देख रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य के शिक्षा विभाग ने शिक्षकों पर विद्यालय में मोबाइल ले जाने पर रोक लगा दी है। निर्देश के मुताबिक़ सरकारी स्कूलों में मोबाइल ले जाने पर शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई भी की जाएगी। दूसरी ओर शिक्षकों ने इसे विभाग का 'तुगलकी फरमान' घोषित कर दिया है।
शिक्षकों का तर्क है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सभी शिक्षकों के मोबाइल नंबर फीड हैं। किसी भी तरह की सूचना के लिखित आदेश नहीं पहुंचने पर अधिकारी शिक्षक या शाला प्रधान को मोबाइल के जरिए ही जानकारी देते हैं। साथ ही बहुत सी सूचनाएं मोबाइल मैसेज के जरिए शिक्षा विभाग शिक्षकों तक पहुंचाता है। एेसे में आईटी के इस दौर में मोबाइल पर रोक लगाना शिक्षकों को समझ नहीं आ रहा है।
शिक्षक संगठनों ने किया विरोध
मोबाइल प्रतिबंधित करने का अब शिक्षक संगठन विरोध कर रहे हैं। संगठनों को कहना है कि कक्षा कक्ष में तो मोबाइल पर रोक लगाना सही है, लेकिन विद्यालय में ही लेकर प्रवेश नहीं करेंगे, यह बात समझ से परे है।
'आदेश शिक्षकों पर ही क्यों, राजकीय कर्मचारियों पर लागू होना चाहिए। प्रदेश में 1.5 लाख से अधिक शिक्षक बीएलआे ड्यूटी में हैं। अधिकारी उन्हें मोबाइल पर आदेश देते हैं। कई बार आवश्यक सूचना भी मोबाइल के जरिए मिली है।' -विपिन प्रकाश शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष राजस्थान प्रा. एवं मा. शिक्षा संघ
'आदेश अव्यवहारिक है। कक्षा कक्ष में मोबाइल पर रोक लगाना तो ठीक है लेकिन विद्यालय में ही मोबाइल लेकर नहीं आना, यह आदेश गलत है। इसमें संशोधन होना चाहिए।' -भवानी शंकर शर्मा, जिलाध्यक्ष, शिक्षक संघ शेखावत
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