रविवार, 24 अप्रैल 2016

जैसलमेर ,पुस्तकें मानव जीवन में समाज की अमूल्य निधि और समाज का दर्पण है

 

जैसलमेर ,पुस्तकें मानव जीवन में समाज की अमूल्य निधि और समाज का दर्पण है



जैसलमेर , 24 अप्रेल। विष्व पुस्तक दिवस के उपलक्ष में राजकीय सार्वजनिक जिला पुस्तकालय में विचार एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता दीनदयाल ओझा तथा मुख्य अतिथि पूर्व यूआईटी चेयरमेन उम्मेदसिंह तंवर थे ।सर्वप्रथम माॅ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया गया।

जिला पुस्तकालयाध्यक्ष महेन्द्र कुमार दवे ने कार्यक्रम में पधारे हुए सभी आगन्तुकों का आभार एवं स्वागत किया।अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में दीनदयाल ओझा ने कहा कि अध्यापकों का दायित्व है कि वे अभिभावकों एवं छात्रों को अच्छी पुस्तकों से परिचित करवाएॅ एवं उन्हें पढने हेतु प्रेरित करें। उन्होंने ‘‘पुस्तक तुम अद्वितीय षक्ति हो’’ कविता का वाचन किया।

मुख्य अतिथि उम्मेदसिंह तंवर ने अपने उदबोधन में कहा कि मानव सभ्यता के पनपते सबसे पहले पुस्तकों के लेखन का कार्य हुआ।उन्होंने कहा कि पुस्तकें ही ज्ञान का स्त्रोत है।हमें साहित्यिक गतिविधियों को प्रारंभ करनी चाहिए । प्रोफेसर बालकृष्ण जगाणी ने कहा कि जब कभी भी व्यवस्था में परिवर्तन आया है वह पुस्तकों के माध्यम से ही आया है।लोगों को अपने घरों में अच्छी पुस्तकों का संकलन करना चाहिए एवं बच्चों को पढने हेतु प्रेरित करना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार ष्ष्याम सुन्दर डावाणी ने अपने लिखित संदेष में कहा कि पुस्तकें सही मायनों में इन्सान को जीना सिखाती है।सच पूछा जाए तो आदमी को इन्सान पुस्तकें ही बनाती है। उन्हांेने कहा कि पुस्तकों का कल भी था,आज भी है यह रहती दुनिया तक रहेगा।

षिक्षाविद् एवं साहित्यकार मांगीलाल सेवक ने इस अवसर पर ‘‘पुस्तकों से सीख’’ एवं ‘‘पापा पावर लेस,मम्मी सुपर बोस’’नामक कविताओं का वाचन किया।सेवानिवृत प्रधानाचार्य एवं चिन्तक श्रीवल्लभ पुरोहित ने कहा कि जीवन को षिखर पर पहुॅचाने में पुस्तकों का बडा योगदान होता है,पुस्तकों के साथ रहने से हमारा हौसला बढता है उन्होने ‘‘मेरे सपनों का भारत’’कविता भी सुनाई।रंगकर्मी एवं रचनाकार हरिवल्लभ बोहरा ने बताया कि पुस्तकों की प्रासंगिकता कभी कम नहीं हो सकती हाॅ पुस्तकें अपना स्वरूप जरूर बदल रही हैै।‘‘मन पणिहारिन पानी मुझको बहुत दूर से लाना पडता’’कविता वाचन भी किया।आनन्द जगाणी ने ‘‘मैं कई दिनों से था परेषान ’’ एवं ‘‘मरा नहीं है नाटक मेरे षहर से अभी’’कविताएॅ पढ कर सुनाई।मणकम् ने अंग्रेजी में कहा कि भावी पीढी के लिए पुस्तकों का महत्व बढ रहा है। पुस्तकों को पढने का आन्दोलन चलाना चाहिए।गगेन्द्र ने संस्कृत भाषा में अपनी बात कहते हुए कहा कि योग,आयूर्वेंद इत्यादि का ज्ञान हमें प्राचीन पुस्तकों से ही मिलता है।ष्यामसुन्दर छंगाणी ने कहा कि पुस्तकें मानव समाज की अमूल्य निधि है।रामचन्द्र लखारा ने कहा कि जो व्यक्ति पुस्तकें पढता है वह एक जीवन में कई जीवन पा लेता है।गणपतदान ने इस अवसर पर राजस्थानी भाषा में‘‘चेतावनी ए पाक’’कविता को सुनाया।साबिर अली पेन्टर ने ‘‘सुभाषचन्द्र बोस’’एवं ‘‘ज्ञान का दीपक’’कविताओं का वाचन किया।इस अवसर पर षिवरतन पुरोहित एवं राधेष्याम कल्ला भी उपस्थित थे।

अन्त में पुस्तकालयाध्यक्ष महेन्द्र कुमार दवे ने कार्यक्रम में पधारे हुए सभी आगन्तुकों का आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन मांगीलाल सेवक ने किया।

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