भीनमाल । 72 जिनालय में ज्ञानायतन षिविर में बताये धर्म के रहस्य
स्ंासार बाग है, पर इसमें आग भी है - जैन मुनि
भीनमाल ।
सात दिवसीय ज्ञानायतन षिविर के तहत बुधवार को 72 जिनालय में अनेक धार्मिक कार्यक्रम हुए । प्रातः के प्रवचन धारा में जैन मुनि निपूर्ण रत्न विजय म. सा. ने संसार विषय पर बोलते हुए कहा कि यह विष्व सदा परिवर्तनषील है। प्रत्येक मनुष्य यह चाहता है कि मेरा जीवन बाग के समान हरा-भरा हो कैसे ? जब तक आग लगने वाली मनुष्य की प्रवृति दूर नही होगी, जब तक उसका जीवन हरा भरा होना असंभव है। सत्प्रवृतिवाले जीवों के लिए यह आग भी है। अपना हदय ही अपना संसार है। इसका समस्त उपक्रम संसार क्रम बन सकता है। इस उपक्रम के कारण ही मनुष्य अपने जीवन को बाग के समान हरा-भरा , सुखद और सुगंधमय बना सकता है या श्मषान के समान वीरान भी बना सकता है। यह मनुष्य की स्वयं की वृŸिा पर निर्भर है। यह मनुष्य के हाथ में है कि वह अपने जीवन का स्वरूप कैसा बनाये ? वह बाग लगा सकता है और आग भी। दोपहर के विषेष प्रवचन में बोलते हुए जैन मुनि जिनागम रत्न विजय म. सा. ने कहा कि जहां अनुषासन है अर्थात अनुषासन की आज्ञा का पालन होता है , वहां जीवन हैं । अनुषासन में जिंदा रहने की स्थिति बनती है और सुरक्षा प्राप्त होती है। पटरियों के अनुषासन को तोडकर यदि रेलगाडी चलने का प्रयत्न करे तो उसका चलना मुष्किल ही नही असभंव भी हो जाता है। अनुषासन हीन मनुष्य सुखमय जीवन का आनंद नही ले सकता। कुंभकार के अनुषासन में रहने वाली मिट्टी एक अच्छे घट का आकार प्राप्त करती है और ललनाओं के सिर पर प्रतिष्ठित होता है। इसी प्रकार बुद्धि निधान इन्साान यदि अपने अनुषासक के अनुषासन में रहना पसंद नहीं करते, तो इसका परिणाम सबके लिए दुःखद होता है।
मीडिया प्रभारी माणकमल भंडारी ने बताया कि षिविर के चैथे दिन बुधवार को धर्म के रहस्य के बारे में विस्तार से जैन मुनि प्रसिद्ध रत्न विजय म. सा. ने जानकारी दी। जैन मुनि पवित्र रत्न विजय म. सा. ने रात्रि को प्रभु भक्ति के दौरान फैषन एवं व्यसन के त्याग के बारे में उदाहरण सहित बालको को बताया । षिविर में रात्रि को जादूगर के माध्यम से बालको का मनोरंजन करते हुए कई षिक्षा प्रद कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
संयम संवेदना की होगी व्याख्या -
सात दिवसीय ज्ञानायतन षिविर के तहत गुरूवार को संयम संवेदना विषय पर विस्तृत जानकारी देते हुए साधु जीवन की विवेचना की जायेगी।
स्ंासार बाग है, पर इसमें आग भी है - जैन मुनि
भीनमाल ।
सात दिवसीय ज्ञानायतन षिविर के तहत बुधवार को 72 जिनालय में अनेक धार्मिक कार्यक्रम हुए । प्रातः के प्रवचन धारा में जैन मुनि निपूर्ण रत्न विजय म. सा. ने संसार विषय पर बोलते हुए कहा कि यह विष्व सदा परिवर्तनषील है। प्रत्येक मनुष्य यह चाहता है कि मेरा जीवन बाग के समान हरा-भरा हो कैसे ? जब तक आग लगने वाली मनुष्य की प्रवृति दूर नही होगी, जब तक उसका जीवन हरा भरा होना असंभव है। सत्प्रवृतिवाले जीवों के लिए यह आग भी है। अपना हदय ही अपना संसार है। इसका समस्त उपक्रम संसार क्रम बन सकता है। इस उपक्रम के कारण ही मनुष्य अपने जीवन को बाग के समान हरा-भरा , सुखद और सुगंधमय बना सकता है या श्मषान के समान वीरान भी बना सकता है। यह मनुष्य की स्वयं की वृŸिा पर निर्भर है। यह मनुष्य के हाथ में है कि वह अपने जीवन का स्वरूप कैसा बनाये ? वह बाग लगा सकता है और आग भी। दोपहर के विषेष प्रवचन में बोलते हुए जैन मुनि जिनागम रत्न विजय म. सा. ने कहा कि जहां अनुषासन है अर्थात अनुषासन की आज्ञा का पालन होता है , वहां जीवन हैं । अनुषासन में जिंदा रहने की स्थिति बनती है और सुरक्षा प्राप्त होती है। पटरियों के अनुषासन को तोडकर यदि रेलगाडी चलने का प्रयत्न करे तो उसका चलना मुष्किल ही नही असभंव भी हो जाता है। अनुषासन हीन मनुष्य सुखमय जीवन का आनंद नही ले सकता। कुंभकार के अनुषासन में रहने वाली मिट्टी एक अच्छे घट का आकार प्राप्त करती है और ललनाओं के सिर पर प्रतिष्ठित होता है। इसी प्रकार बुद्धि निधान इन्साान यदि अपने अनुषासक के अनुषासन में रहना पसंद नहीं करते, तो इसका परिणाम सबके लिए दुःखद होता है।
मीडिया प्रभारी माणकमल भंडारी ने बताया कि षिविर के चैथे दिन बुधवार को धर्म के रहस्य के बारे में विस्तार से जैन मुनि प्रसिद्ध रत्न विजय म. सा. ने जानकारी दी। जैन मुनि पवित्र रत्न विजय म. सा. ने रात्रि को प्रभु भक्ति के दौरान फैषन एवं व्यसन के त्याग के बारे में उदाहरण सहित बालको को बताया । षिविर में रात्रि को जादूगर के माध्यम से बालको का मनोरंजन करते हुए कई षिक्षा प्रद कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
संयम संवेदना की होगी व्याख्या -
सात दिवसीय ज्ञानायतन षिविर के तहत गुरूवार को संयम संवेदना विषय पर विस्तृत जानकारी देते हुए साधु जीवन की विवेचना की जायेगी।
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