मंगलवार, 29 मार्च 2016

बाड़मेर। क्रिकेट सट्टेबाजी की जद में शहर, पुलिस सुस्त

बाड़मेर।  क्रिकेट सट्टेबाजी की जद में शहर, पुलिस सुस्त



बाड़मेर। क्रिकेट विश्व कप के चलते गली-गली में क्रिकेट के बुखार के साथ-साथ सट्टेबाजी का बुखार भी चरम पर है। बाड़मेर व बालोतरा शहर में हर मैच में लाखों रुपए का सट्टा लग रहा है। भारत के क्रिकेट मैचों में सट्टेबाजी का यह आंकड़ा लाखों से करोड़ों रुपए में पहुंच रहा है। सट्टे के इस अवैध कारोबार में सट्टा लगाने वाले लुट रहे हैं तो खाईवाल (दलाल) चांदी कूट रहे हैं। नौ मार्च से चल रहे क्रिकेट विश्व कप के मैचों में सट्टा लगाने वाले अब तक पुलिस की नजरों से पूरी तरह बचे हुए हैं। पुलिस की खुफिया विंग की कमजोरी है या कोई और वजह, लेकिन यह एकदम शीशे की तरह साफ है कि सट्टेबाज व खाईवाल खुलकर खेल रहे हैं।
क्रिकेट सट्टेबाजी के लिए चित्र परिणाम

बाड़मेर में दो दर्जन खाईवाल
बाड़मेर शहर में लगभग हर मोहल्ले में अथवा दो-तीन मोहल्लों के बीच एक खाईवाल है। सट्टा बाजार के भेदियों के अनुसार शहर भर में दो दर्जन से अधिक खाईवाल हैं। बालोतरा शहर में यह संख्या बाड़मेर से लगभग दुगुनी है। इन खाईवालों के पास सट्टे के कारोबार से संबंधित अलग टेलीफोन लाइन है, जिस पर उन्हें मैच की पल-पल की जानकारी टीवी पर प्रसारण से करीब 40 सैकण्ड पहले मिल जाती है। इसी आधार पर खाईवाल व बड़े सटोरिए मोटी कमाई कर रहे हैं।



मैच के चार पार्ट पर सर्वाधिक सट्टा
सट्टा कारोबारियों ने मोटे तौर पर हर मैच को चार हिस्सों में बांट रखा है। ट्वेंटी-20 मैचों की एक पारी के शुरुआती दस ओवर के रन, फिर अगले दस ओवर के रन, इसके बाद दूसरी पारी के दस-दस ओवर के रनों पर सट्टा लगता है। इस बीच पावर प्ले में बनने वाले रनों की संख्या व विकेटों की संख्या पर भी सट्टा लगता है। बॉल दर बॉल भी सट्टेबाजी चलती रहती है। नजदीकी मुकाबलों में मैच के अंतिम क्षणों में भारी सट्टा खेला जाता है।



खाईवाल के तीन प्रतिशत पक्के
क्रिकेट पर लगने वाले सट्टे में खाईवालों की कमाई पक्की है। एक अनुमान के मुताबिक एक खाईवाल एक मैच में औसतन 20 से 30 लाख रुपए का कारोबार करता है। कुल कारोबार पर 3 प्रतिशत राशि मिलने से वह एक मैच में 60 से 90 हजार रुपए तक की कमाई आसानी से कर लेता है। भारत के मैचों में उसकी कमाई का आंकड़ा बड़ा हो जाता है। सट्टा लगाने वाले एक दिन कमाते हैं तो दूसरे दिन गंवाते हैं। अंतत: वह गाढ़ी कमाई की रकम गंवाकर बर्बादी की हद तक जाकर खामोश हो जाते हैं।



बीट कांस्टेबल व अफसर बेखबर
सटोरियों की मानें तो पुलिस से कुछ भी छिपा हुआ नहीं है। कहने को तो यह अवैध कारोबार चोरी-छुपे चालाकी से होता है, लेकिन पुलिस को इसकी कच्ची-पक्की जानकारी जरूर रहती है। लेकिन अब तक हुए मैचों में सट्टे को लेकर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं होने से यही माना जा रहा है कि मोहल्लों से संबंधित कांस्टेबल व पुलिस के आला अफसर सट्टे के अवैध कारोबार से बेखबर है। यही वजह है कि गुमराह युवाओं की गाढ़ी कमाई सट्टे की भेंट चढ़ रही है और इस पर अंकुश लगाने वाला कोई नहीं है।

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