सोमवार, 14 मार्च 2016

राजस्थान: 35,000 कर्मियों का वेतन, 3800 की ग्रेच्युटी अटकी

राजस्थान: 35,000 कर्मियों का वेतन, 3800 की ग्रेच्युटी अटकी

सरकार और उससे जुड़े निगम 35 हजार कर्मचारियों को या तो 3 से 4 माह देरी से वेतन दे रहे हैं या फिर परीवीक्षाकाल पूरा होने के बाद भी स्थायी वेतन पर काम करा रहे हैं। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (रोडवेज) में तो फरवरी 2014 के बाद सेवानिवृत्त करीब 3800 कर्मचारियों को उनके सेवा परिलाभों की बकाया राशि ही नहीं मिल रही है।

वित्तीय व्यवस्था चरमराने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राजस्थान पर्यटन निगम और रोडवेज के कर्मचारी सरकार तक को हालात से अवगत करा चुके हैं, लेकिन दोनों संस्थाओं के आर्थिक संकट के कारण कर्मचारियों को वेतन और बकाया राशि नहीं मिल रहे हैं।

रोडवेज के रिटायर कर्मचारियों को बकाया राशि जल्दी लेने के लिए हाईकोर्ट तक जाना पड़ा है, वहां भी रोडवेज भुगतान के लिए छह से नौ माह तक का समय मांग रहा है। रोडवेज के रिटायर कर्मचारियों और अधिकारियों को ग्रेच्युटी, अवकाश, ओवर टाइम, सेवा परिलाभ का बकाया पैसा नहीं मिल रहा है।

मनरेगा: 7186 कर्मियों की मुसीबत

पंचायतों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण योजना (मनरेगा) के कामकाज के लिए लगाए गए 7186 मंत्रालयिक कर्मचारियों का परीवीक्षाकाल कई महीने पहले पूरा हो चुका है, लेकिन उनको नियमित वेतन देने के बजाय स्थायी वेतन पर काम कराया जा रहा है। कई जगह तो मनरेगा के तहत खर्च घटने से रोजगार सहायकों को वेतन भी देरी से मिल रहा है। इसका कारण जानने का प्रयास किया तो सामने आया कि मनरेगा के तहत खर्चा कम होने से उसके लिए स्वीकृत प्रशासनिक खर्च स्वत: ही घट गया और इसी प्रशासनिक खर्च से इन कर्मचारियों को भुगतान मिल रहा है।

आरटीडीसी: होटलों की मरम्मत रुकी

आरटीडीसी मुख्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर कार्यकारी निदेशक तक करीब छह दर्जन कर्मचारी हैं, जिन्हें तीन माह से वेतन नहीं मिला है। निगम के तहत आने वाले जयपुर स्थित तीज होटल के 17, झालावाड़ के गवडी तालाब होटल, भरतपुर के सारस होटल और महवा मिडवे और पुष्कर के सरोवर होटल के कर्मचारियों को भी दिसम्बर से वेतन नहीं मिल रहा है।

जब इन सभी जगह पर बात की गई, तो सामने आया कि कई जगह तो होटल मरम्मत नहीं होने के कारण जर्जर हो रहे हैं और कर्मचारी कम करने से सेवाएं देना मुश्किल हो गया है। कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार इन होटलों को खस्ताहाल बताकर निजी हाथों में सौंपना चाहती है। इन्हें संकट में डाला जा रहा है।

गृह रक्षा: दिसम्बर से वेतन नहीं

गृह रक्षा के कर्मचारियों की शिकायत है कि उन्हें तीन से चार माह से वेतन नहीं मिल रहा है और आगे का भी कोई पता नहीं है। इन कर्मचारियों की संख्या करीब 28 हजार बताई जा रही है।

वेतन की समस्या है। अब तक इन्हें मनरेगा से पैसे दे रहे थे। अब ज्यादा पैसे देने हैं तो वित्त विभाग को फाइल भेजी है। बकाया भुगतान कर दिया जाएगा। जिनका प्रोबेशन पूरा हो गया है, उन्हें नियमित कर दिया जाएगा। मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

आनन्द कुमार, सचिव, पंचायती राज

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