रविवार, 6 मार्च 2016

बाड़मेर यहां 15 पंचायतों में 23 घोटाले, सिर्फ एक सस्पेंड

 बाड़मेर यहां 15 पंचायतों में 23 घोटाले, सिर्फ एक सस्पेंड 
  


 बाड़मेर महात्मा गांधी नरेगा योजना में भ्रष्टाचार का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। प्रदेश के 28 जिलों में बीते पांच साल में विकास कार्यों में फर्जीवाड़े के 233 प्रकरण हुए है। सरपंचों ने अफसर कर्मचारियों से सांठ-गांठ कर करीब 20 करोड़ रुपए हड़प लिये। 
मनरेगा में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले बीकानेर ें 33 और बाड़मेर में 23 मामले सामने आए है। जिला परिषदों ने गबन के प्रकरण सामने आने पर संबंधित पंचायत के ग्रामसेवक, सरपंच के खिलाफ पुलिस थानों में मामले दर्ज करवाते हुए वसूली के आदेश दे दिए, लेकिन पांच साल बाद भी पूरी वसूली नहीं हो पाई है। वहीं कर्मचारियों के खिलाफ 16 17 सीसीए कार्रवाई की रस्म अदायगी गई। 


सिणधरी चौसीरा में 4, तालसर, गागरिया, कमठाई में 2-2 गबन के मामले दर्ज 
बाड़मेर| जिलेकी 15 ग्राम पंचायतों में वर्ष 2010 से 2015 तक मनरेगा योजना में फर्जीवाड़े के 23 प्रकरण सामने आए। जिला परिषद के माध्यम से विभिन्न टीमों से करवाई गई जांच में सरपंच, जेटीओ, ग्राम सेवक, रोजगार सहायक मेट दोषी पाए गए। 
सिलसिलेवार जांच रिपोर्ट में अनियमितताओं की पुष्टि होने पर दोषी साबित हुए जनप्रतिनिधि कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस थानों में प्रकरण दर्ज किए गए। इस प्रकरण में एकमात्र झणकली ग्राम सेवक कैलाशदान को सस्पेंड किया गया और दो जेटीओ की सेवाएं समाप्त की गई। सिणधरी चौसीरा में गबन के चार मामले सामने आने के बावजूद ग्राम सेवक को 17 सीसीए नोटिस देकर इतिश्री की गई। अन्य पंचायतों में दोषी पाए गए कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई। 
कहांकितने प्रकरण दर्ज : सिणधरीचौसीरा में 4, तालसर, गागरिया, कमठाई में दो-दो, मीठे का तला, समदड़ी स्टेशन, बालोतरा, सिणधरी, कोनरा, झणकली, नवातला, बावड़ी कला, केलनोर, कोजा, गंगाल में एक-एक प्रकरण दर्ज है। 
दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई 
^मनरेगायोजना में अनियमितताएं बरतने के मामले की जांच में दोषी पाए गए अफसर जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। इनके खिलाफ पुलिस थानों में प्रकरण दर्ज करवाने के साथ वसूली के आदेश दिए हैं। -सुरेन्द्रगोयल, पंचायतीराज ग्रामीण विकास मंत्री 
5 जिलों में 5 साल में एक भी मामला नहीं 
28जिलों में मनरेगा में अनियमितताएं के कई मामले सामने आए है। वहीं अजमेर, भरतपुर, भीलवाड़ा, दौसा, सवाईमाधोपुर में पांच साल में मनरेगा योजना विकास कार्यों में भ्रष्टाचार संबंधी एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। इसके अलावा धौलपुर, जैसलमेर, जालोर, झुंझनू, पाली,प्रतापगढ़ और टोंक जिलाें में एक-एक प्रकरण दर्ज किया गया। 
पांच साल में पचास फीसदी वसूली 
जिलापरिषदों ने जांच में दोषी पाए गए सरपंच कर्मचारियों से गबन की राशि वसूली आदेश जारी किए। 28 जिलों में दर्ज 233 मामलों में करीब 20 करोड़ की वसूली प्रस्तावित है। अब तक महज 10 करोड़ रुपए ही दोषी कर्मचारी सरपंचों ने जमा करवाए है। शेष 10 करोड़ रुपए की वसूली बकाया है। विभाग के बारमबार नोटिस जारी करने के बावजूद आरोपी सरकारी राशि जमा नहीं करवा रहे हैं। 
रिपोर्ट : 233 प्रकरणों में ग्रामसेवक दोषी, अब तक 4 ग्राम सेवक ही सस्पेंड 
28जिलों में मनरेगा योजना से स्वीकृत कार्यों में अनियमितताओं की जांच करवाई गई। कमेटियों की जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़े का खुलासा किया गया। जिसमें सरपंच, ग्रामसेवक,जेटीओ, रोजगार सहायक,मेट दोषी पाए गए। इनके खिलाफ जिला परिषदों ने पुलिस थानों में प्रकरण दर्ज करवाने के साथ वसूली के आदेश दिए। अब तक सिर्फ 5 ग्राम सेवकों को सस्पेंड किया गया। शेष को 16 17 सीसीए के नोटिस जारी किए।
 
5 साल में 28 जिलों में 20 करोड़ रुपए के गबन, वसूली सिर्फ आधी
 
यहां 15 पंचायतों में 23 घोटाले, सिर्फ एक सस्पेंड 
यूं समझिए पांच साल में मनरेगा में हुए घपलों की हकीकत... 
मनरेगा में भ्रष्टाचार | प्रदेश में सबसे ज्यादा 33 प्रकरण बीकानेर में, दूसरे स्थान पर बाड़मेर, गबन के 23 मामले 
 कागजों में बेरियां बना हड़पा करोड़ों का भुगतान | चौहटनके तालसर गांव में वर्ष 2010-11 में सरपंच ग्राम सेवक ने मिलकर मनरेगा से स्वीकृत बेरियाें का निर्माण करवाए बिना ही करोड़ों का भुगतान उठा लिया। इसी साल रिश्तेदारों के खेतों में बेरियां निर्माण का खुलासा। जांच रिपोर्ट में आरोप सही पाए गए। इस प्रकरण में ग्राम सेवक सरपंच के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवाया। 
 
गागरिया में दो बार घपले, दो जेटीओ हटाए | गागरियामें वर्ष 2009-10 में ग्रेवल सड़क, टांका निर्माण के अधूरे कार्यों को कागजों में पूरा बताकर भुगतान उठाया लिया। जांच में सरपंच, जेटीओ, ग्रामसेवक, रोजगार सहायक दोषी पाए गए। जेटीओ की सेवाएं समाप्त की गई और ग्राम सेवक को 17 सीसीए का नोटिस दिया। वर्ष 2013-14 में भी मनरेगा में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया। जांच में जेटीओ, ग्रामसेवक रोजगार सहायक दोषी साबित हुए। 

दो साल में पूरी नहीं हुई तीन पंचायतों की जांच | मनरेगायोजना के तहत ग्राम पंचायत केलनोर, कोजा गंगाला में वर्ष 2014-15 में स्वीकृत कार्यों में अनियमितताएं सामने आई। जिला परिषद के माध्यम से अलग-अलग अधिकारियों को जांच के आदेश दिए। इसके बावजूद अब तक अफसरों ने जांच रिपोर्ट ही तैयार नहीं की है। एडीपीसी की और से भेजी गई रिपोर्ट में जांच प्रक्रियाधीन होने का उल्लेख है। 
सिणधरी चौसीरा में चार घोटाले, ग्राम सेवक को सिर्फ 17 सीसीए नोटिस | ग्रामपंचायत सिणधरी चौसीरा में वर्ष 2009-10 में बिना टास्क पुस्तिका के करोड़ों का भुगतान उठाने, मस्टररोल में फर्जी नाम दर्ज करने, 2008 में स्वीकृत टांकों की राशि हड़पने समेत चार अलग-अलग प्रकरण दर्ज किए गए। जांच में फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई। इसके आधार पर सरपंच हिम्मताराम सैन, ग्राम सेवक हीरालाल जोगल के खिलाफ सिणधरी थाने में मामले दर्ज करवाए। ग्राम सेवक को 17 सीसीए के तहत नोटिस थमाया। वसूली के आदेश के बावजूद दोषी कर्मचारी सरपंच ने पचास फीसदी राशि भी जमा नहीं करवाई। 
मनरेगा योजना में ऑन डिमांड बजट उपलब्ध होने का जनप्रतिनिधियों कर्मचारियों ने जमकर फायदा उठाया। इस योजना के तहत राज्य में वर्ष 2010 से 2015 तक स्वीकृत कार्यों में हेराफेरी कर करोड़ों रुपए का गबन किया गया। 
सरकार कारिंदों ने नियम-कायदों को ताक पर रखकर आनन-फानन में धरातल पर काम किए बिना कागजों में पूरे दर्शाते हुए भुगतान उठा लिया। बीकानेर जिले में बीते पांच साल में मनरेगा योजना के कार्यों में अनियमितताएं बरतने के 33 प्रकरण दर्ज किए गए। दूसरे नंबर पर बाड़मेर जिले में गबन के 23 मामले सामने आए है। इसी तरह झालावाड़ में 15, नागौर 14, सिरोही 12, चुरू 11, डूंगरपुर 10, सीकर-कोटा 9-9 और अन्य जिलों में 1 से 8 प्रकरण दर्ज है। 
जांच रिपोर्ट में सरपंच, ग्राम सेवक, रोजगार सहायक दोषी पाए गए। इनके खिलाफ पुलिस थानों में एफआईआर दर्ज करने के साथ विभागी कार्यवाही के तहत 16 17 सीसीए के तहत नोटिस जारी हुए। 
{2010 से 2015 तक मनरेगा योजना में अनियमितताओं की जांच रिपोर्ट तैयार
{सरपंच, ग्रामसेवक, जेटीओ और रोजगार सहायक दोषी पाए गए 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें