मंगलवार, 15 मार्च 2016

झालावाड़ मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान 11 जिलों के जिला कलक्टर आज झालावाड़ आयेंगे



झालावाड़  मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान 11 जिलों के जिला कलक्टर आज झालावाड़ आयेंगे
झालावाड़ 15 मार्च। राज्य मंे चल रहे मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत फोर वाटर कन्सेप्ट के कार्यों को देखने तथा एक दिवसीय भ्रमण कार्यशाला मंे भाग लेने के लिए राज्य के 11 जिलों के जिला कलक्टर आज झालावाड़ जिले की यात्रा पर आयेंगे।

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे द्वारा राज्य मंे फोर वाटर कन्सेप्ट आधारित जल संरक्षण का कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसके अन्तर्गत झालावाड़ जिले मंे सबसे अच्छे कार्य किये गये हैं। इन कार्यों के आधार पर राज्य के अन्य जिलों मंे भी जल संरक्षण के कार्य किये जायें, इस उद्देश्य से राज्य के जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा 21 जिला कलक्टरों की एक दिवसीय भ्रमण कार्यशाला झालावाड़ जिले की भवानीमण्डी पंचायत समिति की सरोद ग्राम पंचायत मंे आयोजित करने के निर्देश दिये गये हैं। जल ग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण विभाग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार 16 मार्च को कोटा के जिला कलक्टर डॉ. रवि कुमार सुरपुर, बून्दी के जिला कलक्टर नरेश कुमार ठकराल, बारां के जिला कलक्टर सत्यपाल सिंह भारिया, सवाईमाधोपुर की जिला कलक्टर श्रीमती आनन्धी, भरतपुर के जिला कलक्टर रवि जैन, धौलपुर की जिला कलक्टर श्रीमती शुची त्यागी, करौली के जिला कलक्टर विक्रम ंिसंह चौहान, जयपुर के जिला कलक्टर कृष्ण कुणाल, अलवर के जिला कलक्टर मुक्तानन्द अग्रवाल, टोंक की जिला कलक्टर रेखा गुप्ता एवं दौसा के जिला कलक्टर स्वरूप सिंह पंवार झालावाड़ आयेंगे।

जिला कलेक्टर ने तैयारियों का जायजा लिया

जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने जिला कलक्टरों की एक दिवसीय भ्रमण कार्यशाला की तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि चूंकि इस भ्रमण कार्यशाला का आयोजन फोर वाटर कंसेप्ट पर सम्पादित किये जा रहे कार्यों एवं गुणवत्ता के परिप्रेक्ष्य में किया जा रहा है इसलिये कार्यशाला की कार्ययोजना इस प्रकार बनाई गई है कि जिला कलक्टरों के समय का अधिकतम उपयोग हो सके तथा यह कार्यशाला अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सके। इसके लिये समस्त पूर्व तैयारियां कर ली गई हैं। ताकि इस अभियान के तहत पूरे राज्य में अपेक्षित गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। इस कार्यशाला में रिवर बेसिन अथॉरिटी के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहकर तकनीकी पक्ष एवं गुणवत्ता की जानकारी देंगे। भ्रमण कार्यशाला का आयोजन प्रातः 10 बजे से सायं 4 बजे तक होगा।

यह रहेगी व्यवस्था

जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामपाल शर्मा ने बताया कि जिला कलक्टरों के ठहरने की व्यवस्था कालीसिंध थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के रेस्ट हाउस में की गई है जबकि कार्यशाला में भाग लेने आ रहे राज्य स्तरीय अधिकारियों की आवास व्यवस्था सर्किट हाउस में की गई है। सरोद एवं हरनावदा में फोर वॉटर कंसेप्ट की प्रदर्शनी का आयोजन किया जायेगा तथा पॉवर पॉइण्ट प्रेजेण्टेशन की व्यवस्था भी रहेगी। कार्यशाला के दौरान 24 नक्षत्र पौधों का भी वितरण किया जायेगा ताकि राज्य के उन समस्त जिलों में इन पौधों को लगाया जा सके जहां मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन के कार्य चल रहे हैं। जिला कलक्टरों एवं राज्य स्तरीय अधिकारियों को जिले के फोर वाटर कंसेप्ट की जानकारी वाली किट भी उपलब्ध कराई जायेगी।

सरोद में किये जा रहे फोर वाटर कंसेप्ट के कार्य

फोर वाटर कन्सेप्ट योजनान्तर्गत झालावाड़ जिले की पंचायत समिति भवानीमंडी के अन्तर्गत पायलेट प्रोजेक्ट में 04 जलग्रहण क्षैत्रों का चयन किया गया था जिसमें जलग्रहण क्षेत्र सरोद-1, सरोद-2, आकियाखेडी एवं लोडला को चयनित किया गया था। सरोद 1 का कुल एरिया 100.57 हैक्टेयर एवं लागत 37.39 लाख रुपये तथा सरोद-2 कुल एरिया 242.13 हैक्टेयर एवं लागत 52.13 लाख रुपये है।

भवानीमण्डी पंचायत समिति की सरोद ग्राम पंचायत में माईनर इरीगेशन टेंक (एमआईटी)-1 के जलग्रहण क्षेत्र को उपचारित करने हेतु चलाई जा रही परियोजना में सरोद-1 टेंक के जलग्रहण क्षेत्र में 16 एमपीटी, 125 सीसीटी, 75 एसजीपीटी, 950 एसजीटी एवं 17 हैक्टेयर में फील्ड बंडिंग के काम करवाये जा रहे हैं। इस क्षेत्र को चार जल संकल्पना के आधार पर उपचारित करने पर कुल लागत 37.39 लाख रुपये की लागत आनी अनुमानित है।

सरोद-2 माईनर इरीगेशन टेंक (एमआईटी) के जलग्रहण क्षेत्र को उपचारित करने हेतु चलाई जा रही परियोजना में सरोद-2 टेंक के जलग्रहण क्षेत्र में 32 एमपीटी, 2200 डीप सीसीटी, 216 एसजीपीटी, 900 एसजीटी एवं 49.0 हैक्टेयर में फील्ड बंडिंग प्रस्तावित की गई है। इस क्षेत्र को चार जल संकल्पना के आधार पर उपचारित करने पर 52.13 लाख रुपये लागत आनी अनुमानित है। स्ट्रेक्चर्स में जमा सिल्ट को पास के काश्तकार स्वंय खोदकर अपने खेतों में ले जायेंगे इसलिये प्रतिवर्ष में डी-सिल्टिंग पर होने वाला व्यय इस प्रोजेक्ट में सम्मिलित नहीं किया गया है।

ज्ञातव्य है कि झालावाड़ जिले में इस कार्यशाला का आयोजन इसलिये किया जा रहा है कि फोर वाटर कंसेप्ट के अंतर्गत पूरे राज्य में किये जा रहे कार्यों में झालावाड़ जिले में सर्वाधिक अच्छी गुणवत्ता से सम्पादित किये जा रहे हैं। 18 मार्च को अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमन्द, बांसवाड़ा, उदयपुर, डूंगरपुर, जालौर, सिरोही तथा पाली जिलों के कलक्टर भ्रमण कार्यशाला में भाग लेने आयेंगे।

क्या है फोर वाटर कंसेप्ट

संयुक्त राष्ट्र (ओ.पी.एस) के परामर्शदाता एवं पूर्व मुख्य अभियन्ता, आन्ध्रप्रदेश श्री टी हनुमन्ता राव द्वारा चार जल संकल्पना (फोर वाटर कन्सेप्ट) के आधार पर जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण के कार्य किये जाने का सुझाव दिया गया था। इस तकनीक में कार्य रिज लाईन से प्रारम्भ होकर नीचे की तरफ किया जाता है जिसमें चारों प्रकार के जल- वर्षा जल, मृदा जल, भूजल एवं सतही जल के अधिकतम उपयोग हेतु कार्य किये जाते हैं। प्रथम स्तर की धाराआंे में मिनी परकोलेशन टेंक (एमपीटी) तथा उसके नीचे प्रथम व द्वितीय स्तर की धाराओ में संकन गली पीट्स (एसजीपीटी) व सिल्ट ट्रेप (एसटीपी) बनाने चाहिये पहाड़ों की अधिक ढलान की समाप्ति पर गहरी समोच्य खाईयां (डीपसीसीटी) बनायी जाती हैं ताकि तेज गति से आ रहे पानी की गति को कम किया जा सके। कम ढलान के क्षेत्रों में कम गहराई की समोच्य खाईया (छोटी सीसीटी) बनाई जाती हैं ताकि इनमें भरा पानी जमीन में नमी बनाये रखे। अकृषि भूमि के स्टैªगर्ड ट्रैन्चेज (एसजीटी) बनाई जाती हैं तथा स्ट्रैगर्ड ट्रैन्चेज एवं खाइयों के नीचे की तरफ बर्म पर पौधारोपण किया जाता है ताकि इनमें संग्रहीत जल का उपयोग हो सके। कृषि भूमि पर ढलान के एक्रोस फील्ड बंडिंग का कार्य किया जाता है। टी हनुमन्ता राव द्वारा फोर वाटर कंसेप्ट के कार्याें के माध्यम से स्थाई महत्व के परिणाम प्राप्त किये हैं-

1. 500 हैक्टेयर के जलग्रहण क्षेत्र में मुख्य जल निकास चिरस्थाई हो गये जिससे (4000 रुपये प्रति संरचना) की तरफ स्टोन संरचनाआंे से सतही सिचाई की जा सकी।

2. जल निकास धारा में पूर्व में बहते गंदे जल के स्थान पर साफ पानी बहने लगा। यह दर्शाता है कि क्षेत्र भू-संरक्षण कार्य सफल रहे।

3. पूर्व में क्रियान्वित डग-वैल्स दिसम्बर अन्त तक सूखे जाते थे, इन जलग्रहण क्षेत्रों में बनाये गये डग वैल्स में (ऊपरी कैचमेन्ट को सम्मिलित करते हुए) गर्मी में भी भूजल रहा।

4. इन जलग्रहण क्षेत्रों में अकाल के वर्षांे में भी आवश्यक जल की उपलब्धता रहेगी।

5. साधारण वर्षों में 85 प्रतिशत असिंचित भूमि को सिंचित किया जा सकेगा। (रबी को एक जीवनदायी सिंचाई द्वारा)

फोर वाटर कन्सेप्ट के उद्देश्य

1. प्राकृतिक जल संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर स्थाई परिणाम प्राप्त करना।

2. वंचित क्षेत्रो में सिचाईं संसाधनांे में सुधार को बढ़ावा।

3. मिट्टी के दोहन को रोककर संरक्षण को बढ़ावा।

4. पारिस्थितिकी संतुलन स्थापित करना।

5. रन आफ जल को रोकना।

6. प्राकृतिक जल संसाधनों को पुनर्जीवित करना।

7. भूमिगत जल की मात्रा को बढ़ाना।

8. जलग्रहण क्षेत्र को बहुफसलीय बनाना।

9. चारागाह विकास को बढ़ावा देना।

10. कृषक पलायन रोकना।

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