जयपुर। अवाप्त भूमि का बाजार भाव से मुआवजा देने के आदेश
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने रिंग रोड भूमि अवाप्ति प्रकरण में 24 याचिकाकर्ता को आंशिक राहत देते हुए शेष 62 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि इन 24 याचिकाकर्ताओं को जमीन का कब्जा लेने की तारीख के दिन प्रचलित बाजार दर से मुआवजा दिया जाए। अदालत ने कहा कि प्रभावित यदि 27 अक्टूबर 2005 के परिपत्र के अनुसार 25 फीसदी विकसित भूमि लेना चाहते हैं तो पन्द्रह दिन में इसका विकल्प पेश कर दें। न्यायाधीश बेला एम. त्रिवेदी की एकलपीठ ने यह आदेश वीरेन्द्रसिंह कटेवा व 85 अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए। 24 याचिकाकर्ता उस श्रेणी में हैं जिनका अवार्ड 1 जनवरी 2009 से पहले जारी हो गया था, लेकिन भूमि का कब्जा नए भूमि अवाप्ति कानून के बाद लिया गया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार प्राजेक्ट को पूरा करने के लिए करोडों रुपए के कॉन्ट्रेक्ट कर चुकी है और भूमि का कब्जा लेकर मुआवजा भी जारी हो चुका है। रिंग रोड प्रोजेक्ट का उद्देश्य जनहितकारी है। ऐसे में अवाप्ति प्रक्रिया को समाप्त करना उचित नहीं है।
प्रकरण के अनुसार अदालत में पूर्व में 34 याचिकाएं दायर हुई थी। जिस पर एकलपीठ ने 24 सितंबर 2014 को राहत देने से इंकार कर दिया था। वहीं 29 अक्टूबर 2014 को खंडपीठ ने प्रकरण में यथा स्थिति बनाए रखते हुए मामला एकलपीठ में भेजा था। इस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय से एसएलपी भी खारिज हो गई थी।
गौरतलब है कि रिंग रोड के लिए 15 जुलाई 2005 को भूमि अवाप्ति की अधिसूचना जारी हुई थी। आगरा रोड से अजमेर रोड तक इस योजना में 47 गांवों की 1578.95 हैक्टेयर भूमि आ रही है। याचिकाओं में कहा गया था कि रिंग रोड के लिए 90 मीटर चौडी सड़क प्रस्तावित है, लेकिन किसानों से 360 मीटर चौडाई में भूमि अवाप्त की जा रही है। वहीं नए भूमि अवाप्ति कानून के तहत यदि पांच साल पूर्व अवार्ड होने के बाद आगे की कार्रवाई नहीं की गई तो अवाप्ति अवैध हो जाती है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार प्राजेक्ट को पूरा करने के लिए करोडों रुपए के कॉन्ट्रेक्ट कर चुकी है और भूमि का कब्जा लेकर मुआवजा भी जारी हो चुका है। रिंग रोड प्रोजेक्ट का उद्देश्य जनहितकारी है। ऐसे में अवाप्ति प्रक्रिया को समाप्त करना उचित नहीं है।
प्रकरण के अनुसार अदालत में पूर्व में 34 याचिकाएं दायर हुई थी। जिस पर एकलपीठ ने 24 सितंबर 2014 को राहत देने से इंकार कर दिया था। वहीं 29 अक्टूबर 2014 को खंडपीठ ने प्रकरण में यथा स्थिति बनाए रखते हुए मामला एकलपीठ में भेजा था। इस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय से एसएलपी भी खारिज हो गई थी।
गौरतलब है कि रिंग रोड के लिए 15 जुलाई 2005 को भूमि अवाप्ति की अधिसूचना जारी हुई थी। आगरा रोड से अजमेर रोड तक इस योजना में 47 गांवों की 1578.95 हैक्टेयर भूमि आ रही है। याचिकाओं में कहा गया था कि रिंग रोड के लिए 90 मीटर चौडी सड़क प्रस्तावित है, लेकिन किसानों से 360 मीटर चौडाई में भूमि अवाप्त की जा रही है। वहीं नए भूमि अवाप्ति कानून के तहत यदि पांच साल पूर्व अवार्ड होने के बाद आगे की कार्रवाई नहीं की गई तो अवाप्ति अवैध हो जाती है।
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