बाड़मेर। संस्कारित व्यक्ति ही कुछ योगदान दे सकता है:- डाॅ. तातेड़
बाड़मेर । जो व्यक्ति संस्कारित है और अपने स्वाभिमान को समझता है वही व्यक्ति समाज को अपना योगदान दे सकता है । शिक्षक वर्ग है जो समाज को मूल्य दे सकता है । ये उद्गार सांस्कृतिक स्त्रोत व प्रशिक्षण केन्द, नई दिल्ली तत्वाधान में तीन दिवसीय शिक्षक कार्यशाला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि डाॅ. बंशीधर तातेड़ ने व्यक्त किये । उन्होंनें भारतीय सांस्कृतिक क्षेत्र में शिक्षकों के योगदान पर व्याख्यान देते हुए शिक्षकों को आह्वान किया कि वे अपने महत्व को समझें ।
कार्यक्रम का अध्यक्षता करते हुए धारा संस्थान के निदेशक महेश पनपालिया ने कहा कि राजस्थान में पानी की अपनी एक अलग संस्कृति है । यहां के लोग पानी की कम उपलब्धता के होते हुए भी मस्त रहतें है और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते है । उन्होंनें मरूस्थलीय प्र्यावरण के पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए यहां की वनस्पति एवं परम्परागत जल स्त्रोतों के संरक्षण की आवश्यकता जताई । वर्तमान में विश्व में बिगड़ते पर्यावरण के कारणांें पर हमें विचार करने की आवश्यकता है ।
कार्यक्रम के विशिष्ट आतिथि केयर्न इंडि़या के मैनेजर उमा बिहारी द्विवेदी ने कहा कि हमें यहां की संस्कृति को जीवित रखने के लिए यहां की परम्पराओं को भी बचाना होगा । उन्होंनें राजस्थान की गणगौर और तीज संस्कृति को जीवित रखने की आवश्यकता बताई । सीसीआरटी कार्यशाला के विभागीय अधिकारी एवं अतिरिक्त ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी श्रवण छंगाणी ने सीसीआरटी कार्यक्रमों की सराहना करते हुए इसमें अधिक से अधिक शिक्षकों के भाग लेने की अपील की । कार्यशाला संयोजक व सीसीआरटी संदर्भ व्यक्ति ओम जोशी ने गंगा-जमुनी संस्कृति पर प्रकाश करते हुए प्रशिक्षणों और विभिन्न सीसीआरटी योजनाओं की जानकारी दी । कार्यशाला के अन्त में विद्यालय के प्रधानाध्यापक उमसिंह राठौड़ ने धन्यवाद ज्ञापित किया । कार्यक्रम में कई गणमान्य लोग व शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रही ।
बाड़मेर । जो व्यक्ति संस्कारित है और अपने स्वाभिमान को समझता है वही व्यक्ति समाज को अपना योगदान दे सकता है । शिक्षक वर्ग है जो समाज को मूल्य दे सकता है । ये उद्गार सांस्कृतिक स्त्रोत व प्रशिक्षण केन्द, नई दिल्ली तत्वाधान में तीन दिवसीय शिक्षक कार्यशाला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि डाॅ. बंशीधर तातेड़ ने व्यक्त किये । उन्होंनें भारतीय सांस्कृतिक क्षेत्र में शिक्षकों के योगदान पर व्याख्यान देते हुए शिक्षकों को आह्वान किया कि वे अपने महत्व को समझें ।
कार्यक्रम का अध्यक्षता करते हुए धारा संस्थान के निदेशक महेश पनपालिया ने कहा कि राजस्थान में पानी की अपनी एक अलग संस्कृति है । यहां के लोग पानी की कम उपलब्धता के होते हुए भी मस्त रहतें है और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते है । उन्होंनें मरूस्थलीय प्र्यावरण के पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए यहां की वनस्पति एवं परम्परागत जल स्त्रोतों के संरक्षण की आवश्यकता जताई । वर्तमान में विश्व में बिगड़ते पर्यावरण के कारणांें पर हमें विचार करने की आवश्यकता है ।
कार्यक्रम के विशिष्ट आतिथि केयर्न इंडि़या के मैनेजर उमा बिहारी द्विवेदी ने कहा कि हमें यहां की संस्कृति को जीवित रखने के लिए यहां की परम्पराओं को भी बचाना होगा । उन्होंनें राजस्थान की गणगौर और तीज संस्कृति को जीवित रखने की आवश्यकता बताई । सीसीआरटी कार्यशाला के विभागीय अधिकारी एवं अतिरिक्त ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी श्रवण छंगाणी ने सीसीआरटी कार्यक्रमों की सराहना करते हुए इसमें अधिक से अधिक शिक्षकों के भाग लेने की अपील की । कार्यशाला संयोजक व सीसीआरटी संदर्भ व्यक्ति ओम जोशी ने गंगा-जमुनी संस्कृति पर प्रकाश करते हुए प्रशिक्षणों और विभिन्न सीसीआरटी योजनाओं की जानकारी दी । कार्यशाला के अन्त में विद्यालय के प्रधानाध्यापक उमसिंह राठौड़ ने धन्यवाद ज्ञापित किया । कार्यक्रम में कई गणमान्य लोग व शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रही ।
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