सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

जैसलमेर, साढ़े सात सौ मीटर के ट्रैक को पलों में नाप डाला रेगिस्तान के जहाजों ने




साढ़े सात सौ मीटर के ट्रैक को पलों में नाप डाला रेगिस्तान के जहाजों ने

ऊंट दौड़ में पहले स्थान पर रहे सादिक

52 ऊंटों ने 6 राउण्ड में लगाई दौड़, विजेता का चयन सातवें राउण्ड में




जैसलमेर, 22 फरवरी। विष्व विख्यात मरू महोत्सव के तीसरे दिन थार मरुस्थल के प्रसिद्ध लहरदार सम के धोरों में महोत्सव की रेगिस्तान के जहाज ऊंटों के बीच रोमांचक मुकाबला हुआ। महोत्सव की प्रसिद्ध प्रतियोगिता ‘ऊंट दौड़‘ में इस वर्ष का सबसे तेज ऊंट सवार चेस्ट नम्बर 43 सादिक रहे। दूसरे स्थान पर चेस्ट नम्बर 25 सहाबुद्दीन और तीसरे स्थान पर चेस्ट नम्बर 18 जूनुस रहे। शाम चार बजे से ही ऊंट दौड़ प्रतियोगिता के राउण्ड शुरू हो गए। कुल 52 ऊंट सवार प्रतिभागियों ने इस दौड़ के पहले छह राउण्ड में हिस्सा लिया। प्रत्येक राउण्ड से पहले और दूसरे स्थानों पर रहने वाले दो-दो ऊंटों को अंतिम व सातवें राउण्ड के लिए चुना गया। पांच बजे पुलिस महानिदेषक गृहरक्षा नवदीप सिंह की मौजूदगी में सातंवां अंतिम राउण्ड हुआ जिसमें पूर्व के राउण्ड में चुने गए कुल 12 ऊंटों ने हिस्सा लिया। धोरों की धरती पर 750 मीटर लम्बे ट्रैक को जब ऊंटों ने अपने कदमों में कुछ ही पलों में समेट डाला तो देष विदेष से आए सैलानियों में रोमांच उमड़ पड़ा। दौड़ का संयोजन खेल अधिकारी लक्ष्मण सिंह तथा सम वेलफेयर सोसायटी के शोभा रे खां ने किया। दौड़ के निर्णायक सिमरत सिंह, चतुर सिंह अराई तथा डा. पृथ्वीराज थे। दौड़ का संचालन रंगकर्मी और वर्ष 2013 के मिस्टर डेजर्ट विजय बल्लाणी ने किया।

रेगिस्तान के आकाष में चढ़ी पतंगेः- महोत्सव के तीसरे दिन का आगाज लखमणा के रेतीले धोरों में पतंगबाजी से हुआ। सुबह 11 बजे से ही ताओ‘ज लखमणा डेजर्ट कैम्प में देसी और विदेषी सैलानियों ने पतंगबाजी शुरू कर दी। जैसे जैसे सूरज चढ़ता गया वैसे वैसे सैलानियों की पतंगे आसमान में इठलाती हुई ऊंचाइयों को छूने लगी। देखते ही देखते आसमान में विभिन्न आकार और प्रकार की पंतगे नजर आने लगी। इसके बाद एडवेंचर स्पोट्र्स की गतिविधियां भी आयोजित की गई। शाम चार बजे तक चली बाॅडी जोर्बिंग, लो रोप कोर्स, लैण्ड जाॅर्बिंग, बंजी रन, सूमो रेसलिंग व कैमल राइडिंग की गतिविधियों का पर्यटकों ने जमकर लुत्फ उठाया। गतिविधियों में हिस्सा लेने आए पर्यटकों का थाने खां एंड पार्टी ने संगीत की धुनों से स्वागत किया।

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